"अधिवक्ता को जासूस की तरह जिज्ञासु, किसान की तरह दृढ़, और सर्जन की तरह सटीक होना चाहिए", चीफ जस्टिस आरएस चौहान ने अपने विदाई भाषण में कहा

LiveLaw News Network

5 Jan 2021 4:45 PM IST

  • अधिवक्ता को जासूस की तरह जिज्ञासु, किसान की तरह दृढ़, और सर्जन की तरह सटीक होना चाहिए, चीफ जस्टिस आरएस चौहान ने अपने विदाई भाषण में कहा

    चीफ जस्ट‌िस राघवेंद्र सिंह चौहान को सोमवार को तेलंगाना हाईकोर्ट की फुल कोर्ट ने विदाई दी। हाल ही में उन्हें उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित किया गया है।

    अपने विदाई भाषण में जस्टिस चौहान ने कहा, "अधिवक्ता को जासूस की तरह जिज्ञासु, किसान की तरह दृढ़, और सर्जन की तरह सटीक होना चाहिए।"

    उन्होंने कहा, "कानूनी बिरादरी में, हमें भारत के संविधान द्वारा निर्धारित मार्ग पर चलना चाहिए। संवैधानिक मार्ग को छोड़ना अराजकता के मार्ग पर चलने जैसे और जंगल राज में प्रवेश करने जैसा है।"

    जस्टिस चौहान ने कहा‌, "हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य है कमजोरों को ताकतवार के खिलाफ मजबूत बनाना, बड़ी मछलियों की छोटी मछलियों से रक्षा करना। हमें राज्य की शक्ति के समक्ष नागरिक को एक कवच प्रदान करना होगा। हमें कानून और लोकतंत्र की रक्षा करनी होगी और उसे बढ़ावा देना होगा।"

    उल्लेखनीय है कि तेलंगाना उच्च न्यायालय में चीफ जस्टिस चौहान कई महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे हैं, जिसमें धोखाधड़ी पर आरबीआई मास्टर परिपत्र में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को पढ़ने का फैसला, सरकार को हेरिटेज बिल्डिंग इर्रुम मंज‌िल को ध्वस्त करने से रोकना, नए सचिवालय भवन के लिए फैसले की पुष्टि करना आदि शामिल हैं।



    यहां उनके विदाई भाषण के प्रमुख अंश दिए जा रह हैं-

    "विदाई वास्तव में विनम्र अनुभव है...यह इलहाम का क्षण है, जब हमें अचानक पता चलता है कि हमारा अस्तित्व बहुत ही मामूली है। जब तक आप जान पाते हैं, तब तक विदा का वक्‍त आ जाता है। मैं निश्चित रूप से अपनी प्रशंसा के लिए विद्वान भाई और विद्वान महाधिवक्ता का आभारी हूं। एक निंदक उन भाषणों को अनदेखा करेगा। लेकिन मैं मानता हूं कि यद्यपि वे इच्छुक गवाहों की तरह हैं, मगर वे भरोसेमंद प्रत्यक्षदर्शी हैं। इसलिए, मैं विनम्रता उनकी बातों को स्वीकार करता हूं।"

    "मैं दो साल पहले आपके साथ जुडा था, हालांकि अब यह कल की बात महसूस होती है। छोटे सी ठहराव की यह अनुभूति है संकेत है कि कि आप सभी अपनी आधिकारिक क्षमताओं के साथ-साथ व्यक्तिगत रूप से मेरे और मेरे परिवार के प्रति कितने हार्दिक और दयालु रहे हैं। मैं तेलंगाना और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के जज के रूप में और बाद में तेलंगाना उच्‍च न्यायालय के उच्‍च न्यायालय के रूप में नियुक्त‌ि के लिए माननीय कॉलेजियम का आभारी हूं। मैं उत्तराखंड उच्च न्यायालय में स्थानांतरित के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्‍थानांतरित किए जाने के लिए भी माननीय कॉलेजियम का अभारी हूं। स्थानांतरण से मुझे एक और राज्य की चुनौतियों का सामना करने का मौका मिलेगा, हमारे देश के एक और खूबसूरत हिस्से को देखने और देश भर में अपने दोस्तों की संख्या बढ़ाने का एक और मौका मिलेगा। यह सीखने का मौका है, विकसित होने का है, और क्षमताओं के अनुसार अपना सर्वश्रेष्ठ करने का मौका है।"

    "मैं निश्चित रूप से निरंतर सहायता और सहयोग के लिए अपने विद्वान बहन और भाइयों का आभारी हूं। उन्हें धन्यवाद, हम कई मील के पत्थर को छूने में कामयाब रहे। महामारी के बावजूद, अन्य उच्च न्यायालयों के बंद होने के बावजूद, महामारी के दरमियान भी हम निर्बाध रूप से कार्य करते रहे। महत्वपूर्ण समय में, हम देश में एकमात्र उच्च न्यायालय थे, जिसमें सभी बेंचों में कामकाज जारी रहा। हम पहले उच्च न्यायालय थे, जिसने गर्मी की छुट्ट‌ियों के बगैर काम किया। हमने ट्रेंड बनाया, ताकि दूसरों अनुसरण करें।

    "जब आभासी अदालतों की तकनीकी ने न्याय की उपलब्‍धता को कठिन किया तो हमने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए मोबाइल वैन का उपयोग किया। जब अन्य राज्य न्यायिक अकादमियां बंद हो गईं, तब हमने अपने प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कीं। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि मेरे भाई और बहन न्यायाधीश पूरी तरह से संस्थान में सुधार करने पर केंद्र‌ित रहे, लोगों को त्वरित और सस्ता न्याय देने की दिशा में केंद्रित रहे। बेशक, हमारे पर बुनियादी ढांचे की कमी हैं, लेकिन हमने हर चुनौती का सामना किया।"

    बार के विद्वान सदस्यों ने समान रूप से हमारे प्रयासों में योगदान दिया है। मुझे हमारे बार पर गर्व है, एक विनम्र और अनुशासित बार, वरिष्ठ अधिवक्ताओं से जगमगाती बार, और जिसमें युवा गतिशील वकीलों की भी अच्छीखासी संख्या है। मैं बार में बहुत संभावनाएं देखता हूं। वरिष्ठों से मेरा अनुरोध है कि वे युवाओं का मार्गदर्शन करें। बार के युवा विद्वान सदस्यों को मेरी सलाह है कि वे वरिष्ठों की परछाई बनें। चूंकि वरिष्ठ ज्ञान, अनुभव और विवेक के भंडार हैं, हमें उसका लाभ उठाना चाहिए। बार के युवा सदस्यों ने महामारी के दरमियान लोगों की दुर्दशा को उजागर किया है। कई वरिष्ठ सदस्यों ने प्रवासी श्रमिकों के लिए, ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए और शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए नि: शुल्क सेवाओं दी हैं। जनहित याचिका के माध्यम से, हम अपने स्मारकों को बचा सके, हम प्रवासी श्रमिकों के लिए गाड़ियां सुनिश्चित कर सके। बार के विद्वान सदस्यों की सहायता से, हम आरटीसी श्रमिकों की असाध्य समस्याओं या फ्रॉड एकाउंट होल्डर्स की समस्याओं को हल कर सके।"

    "हमें याद रखना चाहिए कि कड़ी मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं हैं। अधिवक्ता को एक जासूस की तरह जिज्ञासु, किसान की तरह दृढ़ और सर्जन की तरह सटीक होना चाहिए। कानूनी बिरादरी को भारत के संविधान द्वारा निर्धारित मार्ग पर चलना चाहिए। संवैधानिक रास्ता छोड़ना अराजकता के रास्ते पर चलना होगा और जंगल राज में प्रवेश करना होगा। हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य है कि कमजोरों को ताकतवर के ‌खिलाफ मजबूत बनाना, छोटी मछलियों को बड़े मछलियों से बचाना। हमें राज्य की शक्ति के खिलाफ नागरिक को ढाल प्रदान करनी चाहिए। हमें कानून और लोकतंत्र की रक्षा करनी होगी और उन्हें बढ़ावा देना होगा।

    " प्रसिद्ध यूनानी दार्शनिक प्लेटो ने अपनी पुस्तक द रिपब्लिक में कहा है कि लोकतंत्र अंततः अराजकता में बदल जाता है। हमें उन्हें गलत साबित करना चाहिए। हम एक राष्ट्र के रूप में जीवित और समृद्ध हैं, यदि हम भारत के संविधान के सपनों को साकार करते हैं। अन्यथा, हम भी ताश के पत्तों की तरह ढह जाएंगे।"


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