किसी विशेष स्थान पर स्थानांतरण करने के लिए कर्मचारी ज़ोर नहीं दे सकता, यह नियोक्ता को तय करना है : सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
12 Sept 2021 11:58 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह कहा कि किसी विशेष स्थान पर स्थानांतरण या स्थानांतरण न करने पर जोर देना कर्मचारी का अधिकार नहीं है, बल्कि आवश्यकता को देखते हुए नियोक्ता स्थानांतरण के मुद्दे पर निर्णय ले सकता है।
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने उस विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के प्रतिनिधित्व में हस्तक्षेप करने से इनकार करने के आदेश को खारिज कर दिया गया था, जिसमें याचिकाकर्ता ने स्वयं को दूसरे कॉलेज में स्थानांतरण करने की मांग की थी।
पीठ ने कहा,
"कर्मचारी के लिए यह नहीं है कि वह उसे किसी विशेष स्थान पर स्थानांतरित करने पर ज़ोर दे और/या उसे किसी विशेष स्थान पर स्थानांतरित न करने पर ज़ोर दे। नियोक्ता आवश्यकता को देखते हुए एक कर्मचारी को स्थानांतरित कर सकता है।"
याचिकाकर्ता नम्रता वर्मा के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता परवेज बशिस्ता और यूपी राज्य के लिए अधिवक्ता संजय कुमार त्यागी पेश हुए।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष मामला
याचिकाकर्ता राजकीय महाविद्यालय, अमरोहा में व्याख्याता (मनोविज्ञान) के रूप में कार्यरत है और पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, नोएडा में उनके स्थानांतरण के लिए उनका प्रतिनिधित्व किया गया था। 14 सितंबर, 2017 को उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया, जिसे याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी।
याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया था कि वह पिछले 4 वर्षों से अमरोहा में काम कर रही है और इसलिए वह सरकारी नीति के तहत स्थानांतरण पाने की हकदार है।
पीठ ने आक्षेपित आदेश को ध्यान में रखा, जिसमें यह दर्शाया गया था कि याचिकाकर्ता राजकीय पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, नोएडा में अपनी प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से 18.12.2000 से 11.08.2013 तक यानी लगभग 13 वर्षों तक नियुक्त रही और इसलिए, उन्हें फिर से उसी संस्थान में नियुक्ति के लिए किया गया उनका अनुरोध तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता।
न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और जस्टिस इरशाद अली की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में उन्हें कोई योग्यता नहीं मिलती अत: याचिकाकर्ता के प्रतिनिधित्व को खारिज करने के आदेश को बाधित नहीं किया जा सकता।
रिट को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि,
"याचिकाकर्ता उस स्थान पर नियुक्त होने की हकदार नहीं है, जहां उसने पहले से ही लगभग 13 वर्षों तक काम किया है। यदि याचिकाकर्ता ने अपनी वर्तमान पोस्टिंग के स्थान पर अपेक्षित वर्षों को पूरा कर लिया है, तो वह उसके किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरण के लिए अनुरोध कर सकती है, लेकिन उस स्थान पर नहीं जहां वह पहले ही 13 साल से काम कर चुकी है।"
केस शीर्षक: नम्रता वर्मा बनाम यूपी राज्य