दिल्ली हाईकोर्ट
फ्लाईओवर पर जातिसूचक गाली देना 'सार्वजनिक दृष्टि' के दायरे में आता, भले गवाह न हों: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की है कि किसी महिला पर हमला करना और फ्लाईओवर पर उसके खिलाफ जातिगत टिप्पणी करना “सार्वजनिक दृष्टि” (public view) के अंतर्गत आता है, जिससे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत अपराध बनता है।जस्टिस रविंदर दुडेजा ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए की और कहा कि इस मामले में prima facie (प्रथम दृष्टया) अपराध के सभी आवश्यक तत्व पूरे होते हैं। अदालत ने कहा,“कथित घटना सड़क पर, एक फ्लाईओवर पर हुई थी, जिसे कोई भी...
दिल्ली हाईकोर्ट ने अमेरिका स्थित गवाह की गवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से दर्ज करने की अनुमति दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने कारोबारी अभिषेक वर्मा से जुड़े ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट (Official Secrets Act) मामले में अमेरिका स्थित एक गवाह की गवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दर्ज करने की अनुमति दे दी है।जस्टिस संजयव नरूला ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की यह आशंका कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से गुप्त जानकारी लीक हो सकती है, इसे रोकथाम और सुरक्षा उपायों से नियंत्रित किया जा सकता है — पूरी तरह प्रतिबंध लगाकर नहीं। यह मामला CBI द्वारा 2012 में दर्ज किया गया था, जिसमें Official Secrets Act, 1923 की धारा 3 और IPC...
बैंकों को मानहानि के लिए आरोपी के रूप में समन नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह व्यवस्था दी कि बैंकों को मानहानि के लिए आरोपी के रूप में समन नहीं किया जा सकता, क्योंकि उनमें अपराध के गठन के लिए आवश्यक आपराधिक मनःस्थिति या दुर्भावना की कमी होती है।जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बैंकों द्वारा किसी कंपनी को धोखाधड़ी घोषित करने का कार्य जो उन्होंने अपने बैंकिंग गतिविधियों के निर्वहन और सद्भाव में किया, वह मानहानि नहीं माना जा सकता है।कोर्ट चार बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दायर याचिकाओं के बैच पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ट्रायल...
2013 संशोधन से पहले के मामलों में बलात्कार दोषसिद्धि के लिए पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से कम साबित करना जरूरी: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि 2013 के आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम लागू होने से पहले दर्ज हुए बलात्कार के मामलों में, अभियोजन पक्ष को यह साबित करना आवश्यक है कि पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से कम थी, तभी आरोपी को दोषी ठहराया जा सकता है।जस्टिस स्वर्णा कांत शर्मा की एकल पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए एक व्यक्ति को बरी किया, जिसे वर्ष 2005 में 11 वर्षीय बच्ची के बलात्कार के आरोप में दोषी ठहराया गया था। अदालत ने कहा कि अपराध 2005 में हुआ था, जब भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत सहमति की आयु 16...
मादक पदार्थ बरामदगी की वीडियोग्राफी न होने पर पुलिस की बात पर शक नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि एनडीपीएस कानून के तहत मादक पदार्थों की तलाशी और बरामदगी की कार्रवाई को सिर्फ इसलिए झूठा नहीं माना जा सकता क्योंकि उसकी वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी नहीं की गई थी।जस्टिस रविंदर दुडेचा ने यह टिप्पणी करते हुए दो विदेशी नागरिकों — स्टैनली चिमेइजी अलासोन्ये और हेनरी ओकोली — की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। अदालत ने कहा कि तकनीक जांच में मदद करती है, लेकिन पहले यह प्रक्रिया अनिवार्य नहीं थी, इसलिए इसकी गैर मौजूदगी से पुलिस की कार्रवाई पर शक नहीं किया जा सकता। दोनों आरोपियों पर...
जेंडर निर्धारण महिलाओं के जीवन के मूल्य को कम करता है: दिल्ली हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज की
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में यह टिप्पणी की कि जेंडर निर्धारण की प्रथा महिला जीवन के मूल्य को कम करती है और एक भेदभाव-मुक्त समाज की उम्मीद पर प्रहार करती है।जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने यह अवलोकन करते हुए व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की, जिस पर गैरकानूनी लिंग निर्धारण करने और एक महिला की मौत का कारण बनने का आरोप है।समाज पर गंभीर प्रभावजस्टिस शर्मा ने कहा कि यह प्रथा ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देती है, जिसमें लड़कियों को समुदाय के समान सदस्य के बजाय बोझ के रूप में देखा जाता है। यह गर्भवती...
मेडिकल जांच से पहले POCSO पीड़िता के कपड़े बदलना अभियोजन पक्ष के साक्ष्य को कमज़ोर नहीं कर सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि POCSO Act के तहत नाबालिग बलात्कार पीड़िता के मेडिकल जांच से पहले उसके कपड़े बदलना अभियोजन पक्ष के साक्ष्य को कमज़ोर नहीं कर सकता।जस्टिस स्वर्णकांत शर्मा ने कहा,"जहां तक पीड़िता के मेडिकल टेस्ट से पहले चादर न जब्त करने और माँ द्वारा कपड़े न बदलने का सवाल है, यह न्यायालय मानता है कि ऐसे कृत्य, अपने आप में अभियोजन पक्ष के साक्ष्य की विश्वसनीयता पर कोई उचित संदेह पैदा नहीं करते।"कोर्ट ने एक व्यक्ति द्वारा अपनी दोषसिद्धि और 10 साल की सज़ा को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की।...
केवल सुरक्षा उद्देश्य से जारी किए गए चेक किसी भी मौजूदा ऋण के लिए भुनाए नहीं जा सकते: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि केवल सुरक्षा उद्देश्य से जारी किए गए चेक, न कि बैंक में जमा करने के लिए किसी भी मौजूदा ऋण या देनदारी के लिए भुनाए नहीं जा सकते।जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा,"इस प्रकार, यह माना जाता है कि विवादित चेक एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए दिए गए सुरक्षा चेक थे। बाद में उत्पन्न होने वाली किसी देनदारी के लिए भुनाए नहीं जा सकते।"कोर्ट श्री साईं सप्तगिरि स्पंज प्राइवेट लिमिटेड नामक संस्था द्वारा दायर पांच याचिकाओं पर विचार कर रहा था, जिसमें मेसर्स मैग्निफिको मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड...
पुलिस अधिकारी महिलाओं के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करें और अनुचित भाषा का प्रयोग न करें: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को महिलाओं के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करना चाहिए और उनके साथ अनुचित भाषा का प्रयोग करने से बचना चाहिए।जस्टिस संजीव नरूला की पीठ थोप्पनी संजीव राव नामक महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा दर्ज की गई उनकी शिकायत की जांच की मांग की गई।उनका कहना था कि NHRC द्वारा पुलिस को चार हफ़्तों के भीतर आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश के बावजूद, कोई कार्रवाई नहीं की गई।अपनी याचिका में, महिला ने यह भी मांग की कि...
अनुशासनात्मक प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति के बिना आरोपपत्र शुरू से ही अमान्य, बाद में इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती: दिल्ली हाईकोर्ट
जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि केंद्रीय सिविल सेवा (CCA) नियम, 1965 के नियम 14(3) के तहत सक्षम अनुशासनात्मक प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति के बिना जारी किया गया आरोपपत्र शुरू से ही अमान्य है, कानून में अस्तित्वहीन है। इसके अलावा, इसे बाद में पुष्टि द्वारा मान्य नहीं किया जा सकता।पृष्ठभूमि तथ्यरक्षा मंत्रालय में संयुक्त निदेशक के विरुद्ध कदाचार के आरोपों पर केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 के नियम 3(1)(iii) का उल्लंघन करने के आरोप में आरोपपत्र जारी...
औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत मेडिकल सेल्स प्रतिनिधि 'कर्मचारी' नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अपने कार्यक्षेत्र में विशिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त मेडिकल सेल्स प्रतिनिधि को औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (Industrial Disputes Act) के तहत 'कर्मचारी' नहीं माना जा सकता।अधिनियम की धारा 2(s) 'कर्मचारी' की परिभाषा किसी भी उद्योग में नियोजित किसी भी व्यक्ति को मानती है, जो शारीरिक, अकुशल, कुशल, तकनीकी, परिचालन, लिपिकीय या पर्यवेक्षी कार्य करता है।एक मेडिकल सेल्स प्रतिनिधि का काम डॉक्टरों से मिलना और उन्हें उस मेडिकल कंपनी द्वारा लॉन्च की गई सभी नई दवाओं और उत्पादों के बारे में...
दिल्ली हाईकोर्ट ने उदयपुर के ताज लेक पैलेस पर Deepfake वीडियो हटाने का आदेश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में उदयपुर के प्रसिद्ध होटल ताज लेक पैलेस के कर्मचारियों द्वारा मेहमानों को ज़हर देने का आरोप लगाते हुए एक कथित कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जनित Deepfake वीडियो को हटाने का आदेश दिया।जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने कहा कि वीडियो की सामग्री प्रथम दृष्टया झूठी है और सीधे तौर पर होटल की प्रतिष्ठा का हनन करती है।यह मुकदमा टाटा समूह की इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर किया गया, जो होटल ब्रांड ताज का संचालन करती है।गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में हाईकोर्ट ने ताज को...
झूठी पुलिस शिकायत के शिकार खुद कर सकते हैं धारा 211 IPC के तहत मुकदमा, धारा 195 CrPC लागू नहीं होगी: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति पर झूठा आरोप लगाया गया है और वह अदालत तक नहीं पहुंचा, तो वह खुद धारा 211 IPC के तहत आरोपी के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है, इसके लिए कोर्ट से अनुमति जरूरी नहीं।मामले में Sunair Hotels Ltd. ने VLS Finance Ltd. के खिलाफ चोरी की झूठी शिकायत दर्ज की थी, जो आयकर विभाग की पुष्टि के बाद बंद हो गई। प्रतिवादी ने इसके खिलाफ धारा 211 IPC के तहत मुकदमा दायर किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा 195 CrPC केवल तब लागू होती है जब झूठा आरोप किसी न्यायिक कार्यवाही में या...
दिल्ली हाईकोर्ट ने 10 साल जेल में रहने के बाद महिला दोषी की सज़ा निलंबित की, उसके तीन नाबालिग बच्चों की भलाई का हवाला दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने कथित प्रेमी की हत्या के लिए दोषी ठहराई गई महिला की आजीवन कारावास की सज़ा निलंबित की, क्योंकि उसके तीन बच्चों की भलाई की चिंता है।दो बच्चे उसके वृद्ध माता-पिता के साथ रहते हैं, जबकि उसका तीसरा दो साल का बच्चा जेल में उसके साथ रहा।जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने कहा,"अपीलकर्ता एक महिला है और उसका एक बच्चा, जो मुश्किल से दो साल का है, जेल में उसके साथ है, और उसके वृद्ध माता-पिता उसकी उचित देखभाल करने की स्थिति में नहीं हो सकते हैं।"अभियोजन पक्ष के अनुसार,...
दिल्ली हाईकोर्ट ने 32 वर्षों के बाद यमुना नदी से सटी भूमि के अधिग्रहण के लिए मुआवज़ा बढ़ाया
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी के बाढ़-प्रवण किलोकरी, नंगली रजापुर, खिजराबाद और गढ़ी मेंडू क्षेत्रों के लिए देय भूमि अधिग्रहण मुआवज़े में वृद्धि की।ऐसा करते हुए जस्टिस तारा वितस्ता गंजू ने अपने 171 पृष्ठों के आदेश में कहा कि इन क्षेत्रों की क्षमता का आकलन वास्तविक उपयोग के आधार पर नहीं, बल्कि निकट भविष्य में इनके उपयोग के आधार पर किया जाना चाहिए।बता दें, केंद्र सरकार यमुना नदी के तटीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण करना चाहती थी। इस संबंध में भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 के तहत 1989 में...
पति की वैधता पर सवाल उठाना और मां पर आक्षेप लगाना मानसिक क्रूरता: दिल्ली हाईकोर्ट ने तलाक की डिक्री बरकरार रखी
दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि पति को नाजायज़ कहकर उसकी वैधता पर सवाल उठाना और उसकी माँ पर घिनौने आरोप लगाना वैवाहिक क्रूरता है, जो तलाक का आधार बनता है।जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने इसी आधार पर फैमिली कोर्ट द्वारा पति के पक्ष में दिए गए तलाक की डिक्री को बरकरार रखा।पत्नी के आरोप और कोर्ट का खंडनपत्नी (अपीलकर्ता) ने हाईकोर्ट में दावा किया कि फैमिली कोर्ट उसके साथ हुई क्रूरता पर विचार करने में विफल रहा और पति को गलत तरीके से तलाक दे दिया। उसने आरोप लगाया कि...
बैंक के गिरवी अधिकारों को लागू करने से नहीं रोक सकता SC/ST Act: दिल्ली हाईकोर्ट ने NCST के समन पर लगाई रोक
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि प्रथम दृष्टया, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC/ST Act) के प्रावधानों का उपयोग किसी बैंक को गिरवी या सुरक्षा हित लागू करने से रोकने के लिए नहीं किया जा सकता।जस्टिस सचिन दत्ता की सिंगल बेंच ने एक्सिस बैंक के शीर्ष अधिकारियों को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) द्वारा जारी किए गए समन पर रोक लगाते हुए यह टिप्पणी की।कोर्ट ने अवलोकन किया,"प्रथम दृष्टया, वर्तमान मामले के तथ्यों के संदर्भ में अत्याचार अधिनियम की धारा...
क्या IPC की धारा 498A समलैंगिक संबंधों पर लागू होती है? दिल्ली हाईकोर्ट करेगा विचार
दिल्ली हाईकोर्ट एक महत्वपूर्ण कानूनी सवाल पर विचार करने जा रहा है कि क्या भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 498A (दहेज उत्पीड़न) के तहत दंडनीय अपराध समलैंगिक जोड़ों या संबंधों पर लागू होता है।जस्टिस संजीव नरूला ने इस संबंध में सिम्मी पटवा द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता का दावा है कि यह प्रावधान समलैंगिक जोड़ों पर लागू नहीं हो सकता।याचिकाकर्ता का तर्क: 'पत्नी' और 'पति' की आवश्यकतापटवा ने तर्क दिया कि IPC की धारा 498A को लागू करने के लिए प्राथमिक आवश्यकता यह है कि...
दिल्ली हाईकोर्ट ने वकील को ऑनलाइन पेश होने से रोका, समानांतर सुनवाई का हवाला देते हुए वीडियो बंद करने को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के विरुद्ध बताया
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला वकील को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने से रोक दिया। कोर्ट ने कहा कि उसने समानांतर चल रही सुनवाई का हवाला देते हुए अपना कैमरा बंद कर दिया और खुद को म्यूट कर लिया, जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के विरुद्ध है।जस्टिस तेजस करिया ने आदेश पारित किया और वकील को अब से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी अदालत में पेश होने से रोक दिया।कोर्ट ने कहा,"प्रतिवादी नंबर 1 और 2 की वकील शुरुआत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुईं और जब इस न्यायालय द्वारा एक...
वकीलों के कल्याण कोष ट्रस्ट समिति को तुरंत पुनर्गठित करने के निर्देश: हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह वकीलों के कल्याण कोष (Advocates' Welfare Fund) ट्रस्ट की समिति को जल्द से जल्द पुनर्गठित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए।जस्टिस सचिन दत्ता ने एक याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसे एक वकील की पत्नी ने दायर किया था। याचिका में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह वकील के लिए लीवर ट्रांसप्लांटेशन कराने हेतु वकीलों के कल्याण कोष से तात्कालिक आर्थिक सहायता (ex-gratia financial assistance) जारी करे। याचिकाकर्ता ने कहा कि उनके...



















