दिल्ली हाईकोर्ट ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु के लिए 30 वर्षीय व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति की जांच करने की याचिका खारिज की
Amir Ahmad
8 July 2024 1:51 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु के लिए अपने स्वास्थ्य की स्थिति की जांच करने के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन की मांग करने वाले 30 वर्षीय व्यक्ति की याचिका खारिज की।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने उस व्यक्ति की याचिका खारिज की, जिसे अपने पेइंग गेस्ट हाउस की चौथी मंजिल से गिरने के बाद सिर में चोट लगी थी और वह 2013 से ही अपने बिस्तर पर सीमित है, क्योंकि उसे स्थायी वनस्पति अवस्था, क्वाड्रिप्लेजिया और 100% विकलांगता के साथ एक्सोनल चोट लगी है।
याचिका में कहा गया कि व्यक्ति के परिवार ने विभिन्न डॉक्टरों से परामर्श किया। उन्हें बताया गया कि उसके ठीक होने की कोई संभावना नहीं है, वह पिछले 11 वर्षों से ठीक नहीं हुआ है। उसके शरीर पर गहरे और बड़े घाव हो गए हैं जिससे संक्रमण और बढ़ गया।
यह भी कहा गया कि उसके परिवार ने उसके ठीक होने की सारी उम्मीदें खो दी हैं और बुढ़ापे के कारण वे उसकी देखभाल करने की स्थिति में नहीं हैं।
याचिका खारिज करते हुए अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि सक्रिय इच्छामृत्यु कानूनी रूप से अस्वीकार्य है।
जस्टिस प्रसाद ने कहा कि व्यक्ति को यंत्रवत् जीवित नहीं रखा जा रहा था और वह बिना किसी अतिरिक्त बाहरी सहायता के खुद को जीवित रखने में सक्षम था।
अदालत ने कहा कि व्यक्ति जीवित था और डॉक्टर सहित किसी को भी किसी भी घातक दवा का सेवन करके किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनने की अनुमति नहीं है। भले ही इसका उद्देश्य रोगी को दर्द और पीड़ा से राहत दिलाना हो।
याचिकाकर्ता किसी भी जीवन रक्षक प्रणाली पर नहीं है और याचिकाकर्ता बिना किसी बाहरी सहायता के जीवित है।
न्यायालय ने कहा,
"यद्यपि न्यायालय माता-पिता के प्रति सहानुभूति रखता है, क्योंकि याचिकाकर्ता गंभीर रूप से बीमार नहीं है। इसलिए यह न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकता और ऐसी प्रार्थना पर विचार करने की अनुमति नहीं दे सकता जो कानूनी रूप से अस्वीकार्य है।"
केस टाइटल- हरीश राणा बनाम भारत संघ और अन्य।