दिल्ली हाईकोर्ट

Maintenance Case | जहां प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध न हो वहां पक्षकारों की आय का न्यायिक आकलन आवश्यक: दिल्ली हाईकोर्ट
Maintenance Case | जहां प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध न हो वहां पक्षकारों की आय का न्यायिक आकलन आवश्यक: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वैवाहिक मामलों में भरण-पोषण प्रदान करने के उद्देश्य से जहां पक्षकारों की आय का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध न हो, वहां न्यायिक आकलन आवश्यक है।जस्टिस संजीव नरूला ने कहा,"जहां आय का पूर्ण विवरण नहीं दिया गया या दस्तावेज़ी प्रमाण अपूर्ण हैं, वहां कोर्ट से विशुद्ध रूप से अंकगणितीय पद्धति अपनाने की अपेक्षा नहीं की जाती है, बल्कि वे पक्षकारों के समग्र जीवन स्तर, जीवनशैली और आसपास की परिस्थितियों के आधार पर उचित अनुमान लगा सकते हैं। अंतर्निहित तर्क यह है कि जहां आय का प्रत्यक्ष...

शादी के वादे का उल्लंघन झूठा वादा नहीं: रेप मामलों पर दिल्ली हाईकोर्ट का स्पष्टीकरण
शादी के वादे का उल्लंघन झूठा वादा नहीं: रेप मामलों पर दिल्ली हाईकोर्ट का स्पष्टीकरण

दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में 20 वर्षीय आरोपी को जमानत देते हुए शादी के झूठे वादे और उस वादे के उल्लंघन के बीच के महत्वपूर्ण अंतर को समझाया।जस्टिस रविंदर दूडेजा ने स्पष्ट किया कि रेप के आरोपों से निपटते समय हर बार वादे के उल्लंघन को शादी के झूठे वादे के रूप में देखना उचित नहीं है। साथ ही कोर्ट ने जोर देते हुए कहा कि प्रत्येक मामला अपने तथ्यों पर निर्भर करेगा।कोर्ट ने दोनों के बीच के अंतर को विस्तार से समझाया:झूठा वादा : झूठे वादे के मामले में आरोपी का शुरू से ही पीड़िता से शादी करने का...

अटेंडेंस कम होने पर स्टूडेंट्स को परीक्षा से नहीं रोका जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
अटेंडेंस कम होने पर स्टूडेंट्स को परीक्षा से नहीं रोका जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए यह आदेश दिया कि भारत में किसी भी मान्यता प्राप्त लॉ कॉलेज, विश्वविद्यालय या संस्थान में नामांकित किसी भी छात्र को न्यूनतम उपस्थिति (मिनिमम अटेंडेंस) की कमी के आधार पर परीक्षा देने या आगे की शैक्षणिक पढ़ाई से नहीं रोका जाएगा।जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया,"किसी भी लॉ कॉलेज, विश्वविद्यालय या संस्थान को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा निर्धारित न्यूनतम प्रतिशत से अधिक उपस्थिति मानदंड अनिवार्य करने की...

मामला सौंपे जाने पर आगे की जांच का आदेश केवल सेशन कोर्ट ही दे सकता है, इलाका मजिस्ट्रेट नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
मामला सौंपे जाने पर आगे की जांच का आदेश केवल सेशन कोर्ट ही दे सकता है, इलाका मजिस्ट्रेट नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि किसी मामले के सौंपे जाने पर, केवल सत्र न्यायालय ही आगे की जाँच का आदेश दे सकता है, इलाका मजिस्ट्रेट नहीं।जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस रजनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कहा,"मजिस्ट्रेट द्वारा मामला सौंपे जाने के बाद सेशन कोर्ट ही मामले की सुनवाई करता है। BNSS की धारा 193(9) के प्रावधान में कोई संदेह नहीं है कि मामले को सौंपे जाने के बाद आगे की जांच का आदेश देने का अधिकार सेशन कोर्ट के पास है।"कोर्ट ने कहा कि सेशन कोर्ट, जिसे एक बार मूल अधिकार क्षेत्र प्राप्त...

मेडिकल सेंटर चलाने से रोकने वाली ज़मानत शर्त आजीविका के अधिकार का उल्लंघन नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
मेडिकल सेंटर चलाने से रोकने वाली ज़मानत शर्त आजीविका के अधिकार का उल्लंघन नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी डॉक्टर को ज़मानत की शर्तों के तहत अपने मेडिकल सेंटर चलाने से रोकना उसके आजीविका के अधिकार (अनुच्छेद 19(1)(g)) का उल्लंघन नहीं है।जस्टिस सुब्रमोनियम प्रसाद ने कहा कि, “आवेदक, जो एक डॉक्टर हैं, वे किसी अन्य मेडिकल सेंटर से जुड़कर अपना पेशा जारी रख सकते हैं। ट्रायल पूरा होने तक अपने सेंटर को चलाने से रोकना उनकी रोज़ी-रोटी नहीं छीनता।”यह मामला उस आवेदन से जुड़ा था जिसमें डॉक्टर ने ज़मानत की दो शर्तों को हटाने की मांग की थी — (1) मेडिकल सेंटर चलाने के...

दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की वैधानिक आयु सीमा पार करने के बावजूद दंपत्ति को सरोगेसी प्रक्रिया अपनाने की अनुमति दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की वैधानिक आयु सीमा पार करने के बावजूद दंपत्ति को सरोगेसी प्रक्रिया अपनाने की अनुमति दी

दिल्ली हाईकोर्ट ने इच्छुक दंपत्ति को सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत निर्धारित अधिकतम आयु सीमा से अधिक होने के बावजूद सरोगेसी प्रक्रिया अपनाने की अनुमति दी।जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि चूंकि दंपत्ति ने अधिनियम के लागू होने से पहले सरोगेसी प्रक्रिया शुरू की थी, इसलिए धारा 4(iii)(v)(c)(I) के तहत आयु सीमा उन पर लागू नहीं होगी।यह प्रावधान सरोगेसी चाहने वाले इच्छुक दंपत्तियों के लिए आयु सीमा निर्धारित करता है। इसमें कहा गया कि महिला की आयु 23 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए, जबकि पुरुष की आयु 26...

दिल्ली हाईकोर्ट ने दुर्लभ रोगों के उपचार हेतु क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म के संचालन की निगरानी हेतु समिति का गठन किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने दुर्लभ रोगों के उपचार हेतु क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म के संचालन की निगरानी हेतु समिति का गठन किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने दुर्लभ रोगों से पीड़ित लोगों के उपचार हेतु केंद्र सरकार के क्राउड फंडिंग डिजिटल प्लेटफॉर्म के संचालन की निगरानी हेतु एक समिति का गठन किया।जस्टिस सचिन दत्ता ने निर्देश दिया कि समिति इस प्लेटफॉर्म के अस्तित्व और उद्देश्य के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पर्याप्त कदम उठाएगी।कोर्ट ने कहा कि इसका उद्देश्य संभावित दानदाताओं को दुर्लभ रोगों से पीड़ित व्यक्तियों के उपचार हेतु योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करना होना चाहिए।समिति के सदस्य इस प्रकार हैं:- अध्यक्ष: डॉ. राजीव बहल, सचिव,...

दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑल इंडिया कैरम फेडरेशन को इंडिया या इंडियन शब्द के उपयोग से रोका
दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑल इंडिया कैरम फेडरेशन को 'इंडिया' या 'इंडियन' शब्द के उपयोग से रोका

दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑल इंडिया कैरम फेडरेशन (AICF) को अपने नाम, लोगो या भविष्य में आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं में इंडिया या इंडियन शब्द के उपयोग से रोक दिया।जस्टिस मिनी पुष्करणा ने यह देखते हुए कि फेडरेशन निजी निकाय है और केंद्र सरकार द्वारा इसकी मान्यता का नवीनीकरण नहीं किया गया, AICF को अपने नाम से इंडिया शब्द हटाने का निर्देश दिया।कोर्ट ने आदेश दिया,"इसके अलावा यह निर्देश दिया जाता है कि उक्त कैरम फेडरेशन अपने नाम या किसी लोगो आदि में या उनके द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में किसी भी तरह से...

सहकर्मी की पत्नी से अवैध संबंध: BSF सब-इंस्पेक्टर की बर्खास्तगी बरकरार, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- यह सार्वजनिक विश्वास को कमज़ोर करता है
सहकर्मी की पत्नी से अवैध संबंध: BSF सब-इंस्पेक्टर की बर्खास्तगी बरकरार, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- यह सार्वजनिक विश्वास को कमज़ोर करता है

दिल्ली हाईकोर्ट ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक सब-इंस्पेक्टर की बर्खास्तगी को सही ठहराया, जिस पर एक सहकर्मी की पत्नी के साथ अवैध संबंध विकसित करने का आरोप था। कोर्ट ने कहा कि ऐसा आचरण वर्दी के मूल लोकाचार के खिलाफ है और सशस्त्र बलों की अखंडता में जनता के विश्वास को कमज़ोर करता है।जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने जनरल सिक्योरिटी फोर्स कोर्ट (GSFC) और महानिदेशक BSF के आदेशों के खिलाफ दायर याचिका खारिज की।कोर्ट ने टिप्पणी की,“हम याचिकाकर्ता के आचरण से अनभिज्ञ नहीं हो सकते,...

वेटलिस्ट पैनल को अलग-अलग तरीके से संचालित नहीं किया जा सकता, रिक्तियों को वैध प्रतीक्षा सूची से भरा जाना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट
वेटलिस्ट पैनल को अलग-अलग तरीके से संचालित नहीं किया जा सकता, रिक्तियों को वैध प्रतीक्षा सूची से भरा जाना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि वेटलिस्ट पैनल अलग-अलग तरीके से संचालित नहीं हो सकता, खासकर जब भर्ती की चयन प्रक्रिया में अनंतिम परिणाम शामिल हो।जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की खंडपीठ ने कहा,"... वेटलिस्ट पैनल को अलग-अलग तरीके से संचालित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जहां चयन प्रक्रिया में अनंतिम परिणाम के बाद पूरक या अतिरिक्त परिणाम शामिल हों, वहां वेटलिस्ट पैनल को बाद में घोषित परिणामों के अनुरूप टुकड़ों में संचालित नहीं माना जा सकता।"खंडपीठ ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB)...

दिल्ली हाईकोर्ट ने परेश रावल की द ताज स्टोरी पर रोक लगाने से किया इनकार, पूछा- क्या हम सुपर सेंसर बोर्ड हैं?
दिल्ली हाईकोर्ट ने परेश रावल की 'द ताज स्टोरी' पर रोक लगाने से किया इनकार, पूछा- क्या हम सुपर सेंसर बोर्ड हैं?

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार (30 अक्टूबर) को 31 अक्टूबर को रिलीज़ होने वाली फिल्म "द ताज स्टोरी" को दिए गए प्रमाणन को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर विचार करने से इनकार किया।याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिकाएं वापस लेने की मांग के बाद कोर्ट ने उन्हें सिनेमैटोग्राफ एक्ट की धारा 6 के तहत केंद्र सरकार के पुनर्विचार अधिकार क्षेत्र का उपयोग करते हुए उनसे संपर्क करने की स्वतंत्रता प्रदान की।ये याचिकाएं चेतना गौतम और शकील अब्बास ने दायर की थीं। दोनों व्यक्ति पेशे से वकील हैं। उनका कहना है कि फिल्म में तथ्यों...

दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया के जामिया शिक्षक संघ को भंग करने का आदेश रद्द किया, इसे मौलिक अधिकारों का हनन बताया
दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया के जामिया शिक्षक संघ को भंग करने का आदेश रद्द किया, इसे मौलिक अधिकारों का हनन बताया

दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया द्वारा जारी दो कार्यालय आदेशों और परामर्श रद्द कर दिया है, जिसमें जामिया शिक्षक संघ (JTA) को भंग कर दिया गया। JTA, वर्ष 1967 में गठित विश्वविद्यालय शिक्षकों का एक स्वायत्त निकाय है। इसके सदस्यों द्वारा निर्वाचित एक कार्यकारी समिति द्वारा संचालित है।जस्टिस सचिन दत्ता ने पाया कि विश्वविद्यालय का यह कदम संविधान के अनुच्छेद 19(1)(सी) के तहत जेटीए के स्वशासन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।अनुच्छेद 19(1)(सी) में संघ बनाने और चलाने का अधिकार शामिल है।हालांकि,...

विघटित कंपनी की ओर से प्रस्तुत चेकों के अनादर के लिए NI Act की धारा 138 के तहत कार्यवाही मान्य नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
विघटित कंपनी की ओर से प्रस्तुत चेकों के अनादर के लिए NI Act की धारा 138 के तहत कार्यवाही मान्य नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई पक्षकार विघटित कंपनी द्वारा प्रस्तुत चेक प्रस्तुत करता है तो उसके द्वारा जारी किए गए चेकों के अनादर के लिए उस पर परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (NI Act) की धारा 138 के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।जस्टिस अरुण मोंगा ने कहा,“एक बार जब कोई कंपनी समाप्त हो जाती है और विघटित हो जाती है तो वह अपना न्यायिक अस्तित्व खो देती है। उसकी ओर से किया गया कोई भी कार्य तब तक शून्य हो जाता है, जब तक कि कंपनी को कंपनी अधिनियम की धारा 252 के तहत बहाल नहीं कर दिया जाता।...

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता निर्धारित करने के लिए प्रमुख सिद्धांत निर्धारित किए, फैमिली कोर्ट से तर्कसंगत आदेश देने का आह्वान किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता निर्धारित करने के लिए प्रमुख सिद्धांत निर्धारित किए, फैमिली कोर्ट से तर्कसंगत आदेश देने का आह्वान किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को पत्नी और बच्चे के लिए गुजारा भत्ता निर्धारित करते समय अपनाए जाने वाले प्रमुख सिद्धांतों को निर्धारित किया। साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में पारिवारिक और महिला न्यायालयों से तर्कसंगत आदेश देने का भी आह्वान किया।जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वैवाहिक मामलों में अंतरिम गुजारा भत्ता देने के आदेश आय और परिस्थितियों के स्पष्ट और तर्कसंगत आकलन पर आधारित होने चाहिए, न कि अनुमान या अनुमान पर।जज ने कहा कि अंतरिम स्तर पर भी गुजारा भत्ता आदेश में तर्क प्रक्रिया...

बार काउंसिल चुनाव: 1.25 लाख रजिस्ट्रेशन फीस के खिलाफ याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस
बार काउंसिल चुनाव: 1.25 लाख रजिस्ट्रेशन फीस के खिलाफ याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के उस हालिया फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें राज्य बार काउंसिल चुनाव लड़ने के लिए रजिस्ट्रेशन फीस को बढ़ाकर 1,25,000 कर दिया गया।चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडला की खंडपीठ ने इस संबंध में केंद्र सरकार बार काउंसिल ऑफ इंडिया और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली से जवाब मांगा।मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को सूचीबद्ध की गई।यह याचिका वकील प्रमोद कुमार सिंह ने दायर की। याचिका में दावा किया गया कि 25 सितंबर को...

दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म द ताज स्टोरी को CBFC प्रमाणपत्र देने के खिलाफ दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म 'द ताज स्टोरी' को CBFC प्रमाणपत्र देने के खिलाफ दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को फिल्म “द ताज स्टोरी” को दिए गए सर्टिफिकेट के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। यह फिल्म 31 अक्टूबर को रिलीज़ होने वाली है।वकील शकील अब्बास द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और यह साम्प्रदायिक प्रचार फैलाती है। उन्होंने बताया कि फिल्म का ट्रेलर 16 अक्टूबर को जारी हुआ था और उन्हें इसकी जानकारी 22 अक्टूबर को मिली। चीफ़ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला...