ED की जासूसी का शिकार, जमानत रद्द करना न्याय की विफलता होगी: अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा

Amir Ahmad

10 July 2024 7:50 AM GMT

  • ED की जासूसी का शिकार, जमानत रद्द करना न्याय की विफलता होगी: अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा

    मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि वह प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जासूसी का शिकार हैं और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी जमानत रद्द करना न्याय की विफलता होगी।

    जमानत देने के खिलाफ ED की याचिका का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री ने अपने जवाब में कहा कि ED मामले में अन्य सह-आरोपियों पर दबाव डालने और उन्हें जमानत देने पर अभियोजन पक्ष द्वारा अनापत्ति के बदले में आपत्तिजनक बयान देने के लिए प्रेरित करने के अवैध उपायों का उपयोग करता है।

    केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट की वेकेशन जज न्याय बिंदु ने 20 जून को जमानत दे दी थी। ED की चुनौती पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 25 जून को विवादित आदेश पर रोक लगा दी थी।

    ED के इस आरोप का खंडन करते हुए कि निचली अदालत ने उन्हें दलीलें सुनने का उचित अवसर नहीं दिया केजरीवाल ने कहा है कि जमानत आदेश न केवल तर्कसंगत था बल्कि प्रथम दृष्टया यह भी दर्शाता है कि दोनों पक्षों की ओर से उठाए गए प्रासंगिक तर्कों और विवादों पर विचार करने उन्हें ईमानदारी से दर्ज करने और उनसे निपटने में उचित विवेक का प्रयोग किया गया।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि ED द्वारा की गई सभी दलीलें न केवल कानून की नजर में अपुष्ट हैं बल्कि अदालतों के प्रति उनकी उदासीनता, असंवेदनशीलता और दबंगई के साथ-साथ अतिक्रमणकारी रवैये को भी दर्शाती हैं।

    अत्यंत सम्मान के साथ ED द्वारा इस माननीय न्यायालय के समक्ष दिए गए आधारों में प्रयुक्त भाषा जहां तक ​​एलडी. विशेष न्यायाधीश चिंतित हैं इस माननीय न्यायालय को इस पर नाराजगी जतानी चाहिए और इस पर कड़ी आलोचना की जानी चाहिए, क्योंकि इस तरह की टिप्पणियां और आक्षेप न केवल न्याय के लिए हानिकारक होंगे बल्कि हमारी जिला न्यायपालिका को भी हतोत्साहित करेंगे जवाब में लिखा गया।

    इसमें कहा गया कि PMLA की धारा 3 के तहत केजरीवाल के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता। इसलिए उनके जीवन और स्वतंत्रता को ED द्वारा झूठे, दुर्भावनापूर्ण और प्रेरित मामले के आधार पर बिना किसी योग्यता के अनुचित और अनुचित उल्लंघन से बचाया जाना चाहिए।

    केजरीवाल ने कहा कि ED हिरासत के दौरान IO द्वारा कोई प्रासंगिक जांच नहीं की गई। इसलिए गिरफ्तारी अवैध रूप से सिर्फ राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को परेशान करने और अपमानित करने के लिए की गई।

    ऐसा कोई सबूत या सामग्री मौजूद नहीं है, जो यह प्रदर्शित करे कि आप ने दक्षिण समूह से धन या अग्रिम रिश्वत प्राप्त की, गोवा चुनाव अभियान में उनका उपयोग करना तो दूर की बात है।

    जवाब में कहा गया कि आप से एक भी रुपया नहीं मिला। इस संबंध में लगाए गए आरोप किसी भी ठोस सबूत से रहित हैं, जो उन्हें अस्पष्ट और निराधार बनाता है, जिसका कोई पुष्टिकरण नहीं है। इसमें कहा गया कि ED द्वारा ऐसा कोई भी लिंक स्थापित नहीं किया गया, जिससे यह दावा किया जा सके कि साउथ ग्रुप द्वारा 45 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत के रूप में ट्रांसफर की गई, जिसका उपयोग गोवा चुनावों में आप द्वारा कथित रूप से किया गया।

    मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। हालांकि जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने सुनवाई 15 जुलाई तक स्थगित कर दी, क्योंकि ED ने केजरीवाल के जवाब पर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा था।

    निचली अदालत ने मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED द्वारा दायर सातवें पूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लिया, जिसमें केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (AAP) को आरोपी बनाया गया।

    केजरीवाल कथित घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने तिहाड़ जेल में केजरीवाल से पूछताछ की और उनका बयान दर्ज किया गया। दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पीएमएलए मामले में उन्हें दी गई जमानत पर रोक लगाने के कुछ ही घंटों बाद यह घटना घटी।

    अदालत की अनुमति के बाद CBI ने 26 जून को अदालत में केजरीवाल से पूछताछ की और फिर मामले में उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया।

    केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया। मई में उन्हें आम चुनावों के मद्देनजर 01 जून तक के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी। उन्होंने 2 जून को आत्मसमर्पण कर दिया।

    केजरीवाल ने CBI द्वारा अपनी गिरफ्तारी और तीन दिन की पुलिस हिरासत रिमांड को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने भ्रष्टाचार मामले में जमानत के लिए याचिका भी दायर की।

    दोनों मामलों की सुनवाई 17 जुलाई को तय की गई।

    केस टाइटल- ईडी बनाम अरविंद केजरीवाल

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