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कर्मचारी की पेंशन और ग्रेच्युटी रोकना गैरकानूनी, खासकर जब वह पहले से ही पुरानी पेंशन योजना में नामांकित हो: राजस्थान हाईकोर्ट
कर्मचारी की पेंशन और ग्रेच्युटी रोकना गैरकानूनी, खासकर जब वह पहले से ही पुरानी पेंशन योजना में नामांकित हो: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में नगर निगम को कर्मचारी की पेंशन और ग्रेच्युटी भुगतान जारी करने का निर्देश देते हुए कहा कि ऐसे लाभों को रोकना अवैध, अन्यायपूर्ण और मनमाना है।जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने कहा कि निगम ने उनसे नई पेंशन योजना और पुरानी पेंशन योजना के बीच चयन करने के लिए कहा, क्योंकि याचिकाकर्ता का पुरानी पेंशन योजना में पूर्व नामांकन उसकी कार्रवाई को अवैध ठहराने का एक अनिवार्य कारण है।कोर्ट ने कहा,"इस याचिका के लंबित रहने के दौरान, प्रतिवादियों ने 28.12.2017 को याचिकाकर्ता को नोटिस जारी कर...

सरोगेसी से बच्चे पैदा करने वाली मां को मैटरनिटी लीव से इनकार नहीं किया जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट
सरोगेसी से बच्चे पैदा करने वाली मां को मैटरनिटी लीव से इनकार नहीं किया जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया कि प्राकृतिक जैविक मां और सरोगेसी के माध्यम से बच्चा पैदा करने वाली मां को मैटरनिटी लीव देने के उद्देश्य से अलग नहीं किया जा सकता।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की एकल-न्यायाधीश पीठ ने यह भी कहा कि सरोगेसी की प्रक्रिया के माध्यम से जन्मे शिशुओं को दूसरों की दया पर नहीं छोड़ा जा सकता है और उन्हें शैशवावस्था के दौरान 'मां के प्यार, देखभाल, सुरक्षा और ध्यान' की आवश्यकता होती है।कोर्ट ने कहा,“…भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित जीवन के अधिकार में...

डीडीए डिमो‌लिशन| रिट कोर्ट का दायरा सीमा निर्धारण से संबंधित जटिल विवादों को सुलझाने तक विस्तारित नहीं होता: दिल्ली हाईकोर्ट
डीडीए डिमो‌लिशन| रिट कोर्ट का दायरा सीमा निर्धारण से संबंधित जटिल विवादों को सुलझाने तक विस्तारित नहीं होता: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट हाल ही में एक फैसले में कहा कि रिट अदालत का दायरा सीमा निर्धारण पर जटिल विवादों को हल करने तक विस्तारित नहीं है, जिसके लिए दस्तावेजों, सर्वेक्षणों, मानचित्रों की गहन जांच, उनकी वैधता का आकलन और क्षेत्रों के जमीनी अध्ययन की आवश्यकता होती है।चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की खंडपीठ ने कहा कि ऐसे कार्य पूरी तरह से वैधानिक प्राधिकरणों की विशेषज्ञता और अधिकार क्षेत्र में आते हैं जो राज्य विधायिका द्वारा अधिनियमित प्रासंगिक भूमि क़ानून के तहत गठित होते हैं।कोर्ट ने...

कलकत्ता हाईकोर्ट ने एनडीपीएस अभियुक्तों को जमानत दी, कहा कि फॉरेंसिक रिपोर्ट के अभाव में उन्हें धारा 37 की कठोरता के लिए बाध्य करने का कोई कारण नहीं
कलकत्ता हाईकोर्ट ने एनडीपीएस अभियुक्तों को जमानत दी, कहा कि फॉरेंसिक रिपोर्ट के अभाव में उन्हें धारा 37 की कठोरता के लिए बाध्य करने का कोई कारण नहीं

कलकत्ता हाईकोर्ट की एक अवकाश पीठ ने, जिसमें जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य और जस्टिस पार्थ सारथी चटर्जी शामिल थे, एनडीपीएस अधिनियम में आरोपी याचिकाकर्ताओं को यह देखते हुए जमानत दे दी कि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 की कठोरता कि अदालत केवल तभी जमानत दे सकती है, जब यह मानने के उचित आधार हों कि अभियुक्त दोषी नहीं हैं और दोबारा अपराध नहीं करेंगे, यह वर्तमान मामले पर लागू नहीं होगा।यह देखते हुए कि एक आरोप पत्र दायर किया गया था लेकिन फोरेंसिक रिपोर्ट या यहां तक कि एक पूरक आरोप पत्र भी "संस्थागत रुकावटों"...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी स्वामित्व विवाद मामलों की सुनवाई एक दिसंबर तक के लिए स्थगित की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी स्वामित्व विवाद मामलों की सुनवाई एक दिसंबर तक के लिए स्थगित की

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज ज्ञानवापी-काशी काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी स्‍वामित्व विवाद मामलों की सुनवाई एक दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की पीठ ने दोनों पक्षों के वकीलों की सहमति से यह आदेश पारित किया।यह ध्यान दिया जा सकता है कि चीफ ज‌स्टिस बेंच के समक्ष मुद्दे मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिकाओं से संबंधित हैं, जिसमें पूजा स्थलों (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 द्वारा वर्जित ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा के अधिकार की मांग करने वाले हिंदू उपासकों द्वारा दायर मुकदमे के सुनवाई योग्य...

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने केवल मौखिक परीक्षा के आधार पर चयनित विभाग के संयुक्त निदेशक की बेटी की नियुक्ति रद्द की
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने केवल मौखिक परीक्षा के आधार पर चयनित विभाग के संयुक्त निदेशक की बेटी की नियुक्ति रद्द की

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में एक वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस) के नियुक्ति आदेश को इस आधार पर रद्द कर दिया कि उक्त नियुक्ति पूरी तरह से उम्मीदवार द्वारा मौखिक परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर की गई थी और इसलिए अवैध है।चीफ जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस कार्डक एटे की खंडपीठ ने कहा,“माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवीण सिंह बनाम पंजाब राज्य (2000) 8 एससीसी 633 के मामले में देखा था कि यदि मौखिक साक्षात्कार एकमात्र मानदंड लिया जाता है तो सामान्य नियुक्तियों के लिए हमेशा संदेह की गुंजाइश रहती...

यदि सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत आवेदन प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं करता तो मजिस्ट्रेट प्रारंभिक जांच का आदेश दे सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
यदि सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत आवेदन प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं करता तो मजिस्ट्रेट प्रारंभिक जांच का आदेश दे सकता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि एक न्यायिक मजिस्ट्रेट को सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत दायर एक आवेदन पर विचार करते समय उन मामलों में एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने से पहले प्रारंभिक जांच का निर्देश देने का विवेकाधिकार है, जहां उसे लगता है कि यह संज्ञेय अपराध नहीं बनता है।हालांकि, अदालत ने कहा कि प्रारंभिक जांच का दायरा प्राप्त जानकारी की सत्यता या अन्यथा की पुष्टि करना नहीं है, बल्कि केवल यह सुनिश्चित करना है कि क्या जानकारी किसी संज्ञेय अपराध का खुलासा करती है।जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की...

एससी-एसटी एक्ट| एससी-एसटी समुदाय से होने के कारण पीड़ित को अपमानित करने का इरादा, आरोपी को फंसाने के ‌लिए जरूरी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
एससी-एसटी एक्ट| एससी-एसटी समुदाय से होने के कारण पीड़ित को अपमानित करने का इरादा, आरोपी को फंसाने के ‌लिए जरूरी: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद ‌हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत किसी को आरोपित करने के लिए यह आवश्यक है कि पीड़ित के खिलाफ आहत शब्दों का इस्तेमाल उसके एससी/एसटी समुदाय से संबं‌धित होने के कारण उसे अपमानित करने के इरादे से किया गया हो।जस्टिस साधना रानी (ठाकुर) की पीठ ने स्पष्ट किया कि केवल इसलिए कि पीड़िता एससी/एसटी समुदाय से है, 1989 के अधिनियम के तहत आरोपी व्यक्तियों को फंसाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा जब तक कि यह नहीं दिखाया जाता कि पीड़िता को...

यदि आरोपी पीड़िता से शादी कर लेता है तो क्या POCSO अधिनियम के तहत अपराध रद्द किया जा सकता है? हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मामले को बड़ी पीठ को सौंपा
यदि आरोपी पीड़िता से शादी कर लेता है तो क्या POCSO अधिनियम के तहत अपराध रद्द किया जा सकता है? हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मामले को बड़ी पीठ को सौंपा

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पक्षों के बीच समझौते के आधार पर पॉक्सो अधिनियम के तहत मामलों को रद्द करने की व्यवहार्यता पर सवाल उठाया है। समान परिस्थितियों में अधिनियम के तहत एफआईआर को रद्द करने वाली अदालत की समन्वय पीठ द्वारा अपनाए गए विचारों से असहमति जताते हुए, जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने मामले को एक बड़ी पीठ को भेज दिया है।पीठ ने कहा,"चूंकि, माननीय सुप्रीम कोर्ट ने वर्तमान अपराध जैसे जघन्य अपराधों में समझौते के आधार पर एफआईआर को रद्द करने की प्रथा की निंदा की है, इसलिए इस मामले को बड़ी बेंच को...

जब तक असहनीय ना हो, माता- पिता बच्चों के कुकर्मों को माफ कर देते हैं : कर्नाटक हाईकोर्ट ने पिता की गिफ्ट डीड रद्द करने के खिलाफ बेटी की अर्जी खारिज की
जब तक असहनीय ना हो, माता- पिता बच्चों के कुकर्मों को माफ कर देते हैं : कर्नाटक हाईकोर्ट ने पिता की गिफ्ट डीड रद्द करने के खिलाफ बेटी की अर्जी खारिज की

कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को एक वृद्ध दंपती की बेटी द्वारा दायर उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें एकल न्यायाधीश के एक आदेश को पलटने की मांग की गई थी। इस आदेश में तुमकुर के सहायक आयुक्त के आदेश को बरकरार रखा गया था जिसमें उसके पिता द्वारा उसके लिए निष्पादित गिफ्ट डीड को रद्द कर दिया गया था।मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी वराले और जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की पीठ ने अपने समक्ष दिए गए बयानों के आधार पर टिप्पणी की कि माता-पिता को शारीरिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा, "कौन पिता और माता आकर कहेंगे? जब तक कि...

आईटी डिपार्टमेंट के आश्वासन के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यूज़लॉन्ड्री की याचिका का निपटारा किया
आईटी डिपार्टमेंट के आश्वासन के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यूज़लॉन्ड्री की याचिका का निपटारा किया

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट को आश्वासन दिया कि हाल के 'सर्वेक्षण' के दौरान न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यालय से जब्त की गई सामग्री उसकी सुरक्षित कस्टडी में है और इसे लीक नहीं किया जाएगा।अदालत को यह भी बताया गया कि सामग्री का उपयोग केवल कानून के अनुसार जांच के उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। इनकम टैक्स एक्ट में निहित गोपनीयता की अवधारणा का पालन किया जाएगा।जस्टिस मनमोहन और जस्टिस नवीन चावला की खंडपीठ ने बयान दर्ज किया और कहा कि विभाग अपने वचन से बंधा...

यूएपीए। अधिकृत हिरासत अवधि की समाप्ति से एक दिन पहले दायर डिफ़ॉल्ट जमानत की याचिका सुनवाई योग्य नहीं : जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट
यूएपीए। अधिकृत हिरासत अवधि की समाप्ति से एक दिन पहले दायर डिफ़ॉल्ट जमानत की याचिका सुनवाई योग्य नहीं : जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अधिकृत हिरासत अवधि की समाप्ति से एक दिन पहले दायर डिफ़ॉल्ट जमानत की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस राजेश सेखरी की पीठ ने पाया कि इस मामले में अपीलकर्ता ने 90 दिनों की अधिकृत हिरासत अवधि के 90वें दिन डिफ़ॉल्ट जमानत के लिए आवेदन दायर किया था।"तत्काल मामले में हमने पाया कि अपीलकर्ता ने 11-04-2023 को डिफ़ॉल्ट जमानत के लिए एक आवेदन दायर किया था, जो अपीलकर्ता की अधिकृत...

एमबीबीएस एग्जाम में नकल से मरीजों की जान को खतरा हो सकता है, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अनुचित साधनों का उपयोग करते हुए पाए गए स्टूडेंट का एग्जाम रद्दीकरण बरकरार रखा
"एमबीबीएस एग्जाम में नकल से मरीजों की जान को खतरा हो सकता है", पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अनुचित साधनों का उपयोग करते हुए पाए गए स्टूडेंट का एग्जाम रद्दीकरण बरकरार रखा

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि मेडिकल पेशे में अनुचित साधनों का उपयोग संभावित रूप से मरीजों के जीवन को खतरे में डाल सकता है, एग्जाम में नकल करते पाए गए एमबीबीएस स्टूडेंट पर कड़ा रुख अपनाया है। न्यायालय ने अनुचित साधनों का उपयोग करते हुए पाए जाने वाले स्टूडेंट का पूरा एग्जाम रद्द करने के यूनिवर्सिटी के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।जस्टिस संदीप मुदगिल ने कहा,"एग्जाम में अनुचित साधनों का उपयोग न केवल अनैतिक है, बल्कि व्यक्तियों और पूरे राष्ट्र के समग्र विकास के लिए भी...

पटना हाईकोर्ट ने 11 महीने पहले कथित तौर पर अपहृत युवा लड़की का पता लगाने में पुलिस की ढिलाई की आलोचना की
पटना हाईकोर्ट ने 11 महीने पहले कथित तौर पर अपहृत युवा लड़की का पता लगाने में पुलिस की "ढिलाई" की आलोचना की

पटना हाईकोर्ट ने करीब 11 महीने पहले कथित तौर पर अपहृत कॉलेज स्टूडेंट को बरामद करने में हो रही लंबी देरी पर चिंता जताते हुए मुजफ्फरपुर पुलिस के खिलाफ सख्त रुख अपनाया। अदालत ने जिला पुलिस को तुरंत विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने और जांच में तेजी लाने के लिए राज्य की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया।इसके अलावा, मुजफ्फरपुर के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर (एसएसपी) को जांच पर साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट प्रदान करने का निर्देश दिया गया, साथ ही अदालत मामले की बारीकी से निगरानी कर रही...

मथुरा जन्मभूमि विवाद | ईदगाह मस्जिद के नीचे भगवान कृष्ण का जन्मस्थान, इसका निरीक्षण करने के लिए आयोग नियुक्त करें: इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका याचिका
मथुरा जन्मभूमि विवाद | 'ईदगाह मस्जिद के नीचे भगवान कृष्ण का जन्मस्थान, इसका निरीक्षण करने के लिए आयोग नियुक्त करें': इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका याचिका

मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष लंबित मुकदमे में महत्वपूर्ण घटनाक्रम में मस्जिद का निरीक्षण करने के लिए अदालत आयुक्त की नियुक्ति की मांग करते हुए हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया गया।जस्टिस मयंक कुमार जैन की पीठ ने आवेदन को रिकॉर्ड पर लेते हुए 7 नवंबर को प्रतिवादियों (यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड सहित) को उस पर अपनी आपत्तियां दर्ज करने की स्वतंत्रता दी।आदेश 26 नियम 9 सीपीसी के तहत दायर आवेदन देवता (भगवान श्री कृष्ण विराजमान) और 7 अन्य लोगों...

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एनडीपीएस आरोपी को जमानत की पूर्व शर्त के रूप में सभी हथियार सरेंडर करने का निर्देश दिया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एनडीपीएस आरोपी को जमानत की पूर्व शर्त के रूप में सभी हथियार सरेंडर करने का निर्देश दिया

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत एक आरोपी व्यक्ति को जमानत से पहले जमानत की शर्त के रूप में अपने सभी हथियार सरेंडर करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ आरोपों की पृष्ठभूमि को देखते हुए "नशीली दवाओं का पता लगाने वाले दस्ते की रक्षा करना सर्वोपरि हो जाता है, उनके परिवार के सदस्यों के साथ-साथ समाज की भी सुरक्षा सबसे ऊपर है।” जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा कि क्लोजर रिपोर्ट दाखिल होने या डिस्चार्ज होने या बरी होने तक आरोपी को हथियार रखने से अक्षम करना प्राथमिक विकल्पों...

धारा 17ए पीसी अधिनियम | जब आरोपी लोक सेवक ने कोई मांग न की हो, लेकिन पैसा स्वीकार किया गया या उस पर थोप दिया गया हो तो पूर्व स्वीकृति आवश्यक: कर्नाटक हाईकोर्ट
धारा 17ए पीसी अधिनियम | जब आरोपी लोक सेवक ने कोई 'मांग' न की हो, लेकिन पैसा स्वीकार किया गया या उस पर थोप दिया गया हो तो पूर्व स्वीकृति आवश्यक: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों द्वारा दायर याचिकाओं को स्वीकार कर लिया है और मीडिया घरानों द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर कर्नाटक लोकायुक्त द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को रद्द कर दिया है।हालांकि कोर्ट ने यातायात पुलिस कर्मियों के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को खत्म करने से इनकार कर दिया, जिन्होंने पैसे लेकर भारी वाहनों को उन क्षेत्रों में जाने की अनुमति दी थी, जहां कुछ घंटों के दौरान उनके चलने पर प्रतिबंध था।जस्टिस एम...

धारा 353 आईपीसी | बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र में ऑन ड्यूटी लोक सेवक को रोकने के लिए बढ़ी हुई सजा के खिलाफ याचिका का निपटारा किया
धारा 353 आईपीसी | बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र में ऑन ड्यूटी लोक सेवक को रोकने के लिए बढ़ी हुई सजा के खिलाफ याचिका का निपटारा किया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक रिट याचिका का निपटारा किया, जिसमें महाराष्ट्र में एक लोक सेवक को कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमले या आपराधिक बल के लिए बढ़ी हुई सजा की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी। दंड प्रक्रिया संहिता (महाराष्ट्र संशोधन) अधिनियम, 2017 ने धारा 353 के तहत अधिकतम सजा को दो साल से बढ़ाकर पांच साल कर दिया और अपराध को मजिस्ट्रेट के बजाय सत्र अदालत के समक्ष विचारणीय बना दिया।चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस आरिफ एस डॉक्टर की खंडपीठ ने धारा 353 के सभी पहलुओं पर...

धारा 294 सीआरपीसी | यदि पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सत्यता पर आरोपी ने विवाद नहीं किया है तो डॉक्टर की जांच करना अनिवार्य नहीं: उड़ीसा हाईकोर्ट
धारा 294 सीआरपीसी | यदि पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सत्यता पर आरोपी ने विवाद नहीं किया है तो डॉक्टर की जांच करना अनिवार्य नहीं: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर से पूछताछ करना अनिवार्य नहीं है, यदि उसकी रिपोर्ट की वास्तविकता पर आरोपी ने विवाद नहीं किया है। कोर्ट ने कहा कि एक बार जब आरोपी रिपोर्ट को वास्तविक मान लेता है, तो इसे ठोस सबूत के रूप में पढ़ा जा सकता है।आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 294 के तहत प्रावधान के आदेश को स्पष्ट करते हुए जस्टिस संगम कुमार साहू और जस्टिस चितरंजन दास की खंडपीठ ने कहा,"साक्ष्य अधिनियम की धारा 58 और सीआरपीसी की धारा 294 के मद्देनजर, एक बार जब अभियोजन पक्ष...