मुख्य सुर्खियां

निदेशकों ने लापरवाह नहीं की; धारा 179 आईटी अधिनियम का गलत प्रयोग किया गया: गुजरात हाईकोर्ट
निदेशकों ने लापरवाह नहीं की; धारा 179 आईटी अधिनियम का गलत प्रयोग किया गया: गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि निर्धारिती कंपनी के निदेशकों को केवल इसलिए लापरवाह नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि वे मूल्यांकन अधिकारी के समक्ष उठाई गई मांग का 20% जमा करने में विफल रहे, ताकि सीआईटी(ए) के समक्ष अपील की लंबितता के दरमियान मांग पर रोक लगाने की मांग की जा सके।इस प्रकार, न्यायालय ने कहा कि आयकर अधिकारियों द्वारा आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 179 के तहत क्षेत्राधिकार, निर्धारिती कंपनी के निदेशकों को कंपनी के बकाया कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी ठहराते हुए, लागू नहीं किया...

बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई
जेईई मेन्स के लिए 75% अंकों की पात्रता मानदंड को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका, परीक्षा को अप्रैल 2023 तक टालने की मांग

बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर आगामी जेईई मेन्स परीक्षा टालने की मांग की गई है। याचिका में बारहवीं कक्षा में 75 प्रतिशत अंकों की पात्रता मानदंड को भी चुनौती दी गई है।अनुभा श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका में कहा गया है,"प्रतिवादी संख्या 1 (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) इस तथ्य की सराहना करने में विफल रही कि आगामी परीक्षाओं में शामिल होने वाले कई छात्र महामारी के दौर के बैच के छात्र हैं। उन छात्रों का मूल्यांकन विभिन्न पैमानों/मानदंडों पर किया गया था, जो आवश्यक रूप से उम्मीदवारों की वास्तविक...

पासपोर्ट मैनुअल परिस्थितियों के जवाब के लिए एक मार्गदर्शक, लेकिन ये कानून के विपरीत नहीं हो सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट
पासपोर्ट मैनुअल परिस्थितियों के जवाब के लिए एक मार्गदर्शक, लेकिन ये कानून के विपरीत नहीं हो सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि सुचारू कामकाज के लिए जारी किया गया पासपोर्ट नियमावली आने वाली परिस्थितियों का जवाब देने के लिए केवल दिशानिर्देश या समाधान है, लेकिन यह नियमों सहित क़ानून के खिलाफ नहीं चल सकता है।जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश की पीठ ने कहा, "नियम (पासपोर्ट) अधिनियम की धारा 24 के संदर्भ में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए हैं। इसलिए, वे क़ानून का हिस्सा हैं और वैधानिक हैं। पासपोर्ट मैनुअल जारी करने के लिए दिशानिर्देश हैं। पासपोर्ट उन परिस्थितियों का उत्तर देने का एक समाधान है जो...

Consider The Establishment Of The State Commission For Protection Of Child Rights In The UT Of J&K
आईटी एक्ट | धारा 226 के तहत नोटिस को चुनौती, धारा 200ए के तहत मांग को चुनौती के बिना सुनवाई योग्य नहीं: जम्मू एंड कश्मीर एंड लदाख हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक फैसले में कहा कि आयकर अधिनियम की धारा 200ए के तहत निर्धारण प्राधिकारी द्वारा की गई मांग की सूचना को चुनौती दिए बिना, धारा 226 (3) के तहत निर्धारण प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए नोटिसों को चुनौती सुनवाई योग्य नहीं है।जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस मोक्ष खजूरिया काजमी ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं, जिसके संदर्भ में याचिकाकर्ता, जो कि एक साझेदारी फर्म है, प्रतिवादी आईटी विभाग द्वारा प्रतिवादी संख्या 4 से 9 को जारी किए गए नोटिस...

उड़ीसा हाईकोर्ट ने विदेशों में भारतीय गाय के मांस की मांग के बारे में पशु चिकित्सा अधिकारी के बयान पर कहा, अदालत को यह आपत्तिजनक नहीं लगता
उड़ीसा हाईकोर्ट ने विदेशों में भारतीय गाय के मांस की मांग के बारे में पशु चिकित्सा अधिकारी के बयान पर कहा, 'अदालत को यह आपत्तिजनक नहीं लगता'

उड़ीसा हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें यह माना गया कि तत्कालीन मुख्य जिला पशु चिकित्सा अधिकारी, कोरापुट ने भारतीय गायों और सांडों के मांस की बाहरी मांग के बारे में बोलकर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 505 (2) के तहत कोई अपराध नहीं किया।दिसंबर 2013 में सत्र न्यायालय ने एसडीजेएम, कोरापुट का आदेश रद्द कर दिया और मामले को नए फैसले के लिए निचली अदालत को वापस भेज दिया। शांतनु कुमार टाकरी ने हाईकोर्ट के समक्ष सत्र न्यायालय के आदेश को चुनौती दी, जिस पर जानवरों के प्रति क्रूरता...

हर 6 महीने में हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के समक्ष बच्चों के यौन शोषण के मामलों की स्टेटस रिपोर्ट फ़ाइल करें: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने राज्य, बाल अधिकार निकाय से कहा
'हर 6 महीने में हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के समक्ष बच्चों के यौन शोषण के मामलों की स्टेटस रिपोर्ट फ़ाइल करें': गुवाहाटी हाईकोर्ट ने राज्य, बाल अधिकार निकाय से कहा

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने बच्चों के यौन शोषण से संबंधित मामलों में उचित जांच के लिए कई निर्देश जारी किए हैं।चीफ जस्टिस रश्मिन मनहरभाई छाया और जस्टिस सौमित्र सैकिया की खंडपीठ ने न्यूज आर्टिकल के आधार पर 2019 में पंजीकृत जनहित याचिका (पीआईएल) में आदेश पारित किया, जिसमें एक बालिका गृह की नाबालिग बालिकाओं के यौन और शारीरिक शोषण की सूचना दी गई थी।पूरा मामला20.12.2018 को, एक अंग्रेजी दैनिक 'द असम ट्रिब्यून' ने रिपोर्ट किया था कि शिवसागर स्थित स्वप्नालय चिल्ड्रन होम की तीन लड़कियों का उक्त बाल गृह के...

Consider The Establishment Of The State Commission For Protection Of Child Rights In The UT Of J&K
धारा 482 सीआरपीसी को एक शिकायत में आरोपों की शुद्धता की जांच करने के लिए लागू नहीं किया जा सकता: जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने दोहराया की सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अदालत की शक्तियों का प्रयोग सावधानी के साथ किया जाना चाहिए।कोर्ट ने सोमवार को कहा कि उक्त प्रावधान के तहत न्यायालय असाधारण दुर्लभ मामलों को छोड़कर शिकायत में आरोपों की शुद्धता की जांच नहीं कर सकता है, जहां यह स्पष्ट है कि आरोप तुच्छ हैं या किसी अपराध का खुलासा नहीं करते हैं।जस्टिस एमए चौधरी ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसके संदर्भ में याचिकाकर्ता एक आपराधिक शिकायत में...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक ने वेणुगोपाल धूत के वीडियोकॉन ग्रुप को दिए गए लोन के संबंध में कथित अनियमितताओं के मामले में सीबीआई द्वारा अवैध गिरफ्तारी का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की।कोचर ने गिरफ्तारी के खिलाफ दायर इस याचिका में अंतरिम राहत की मांग करते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की।जस्टिस माधव जे जामदार और जस्टिस एस जी चपलगांवकर की अवकाश पीठ ने तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि कोई तत्काल आवश्यकता नहीं है और याचिकाकर्ता 2 जनवरी को...

निर्धारित कानूनी स्थिति है कि मेडिकल लापरवाही केवल फील्ड एक्सपर्ट द्वारा देखी जा सकती है: जम्मू एंड कश्मीर एंड एल हाईकोर्ट
निर्धारित कानूनी स्थिति है कि मेडिकल लापरवाही केवल फील्ड एक्सपर्ट द्वारा देखी जा सकती है: जम्मू एंड कश्मीर एंड एल हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने सोमवार को सवाल का जवाब देते हुए कहा कि पेशेवर डॉक्टर की लापरवाही को कैसे मापा जाए, यह केवल एक्सपर्ट ही डॉक्टर की ओर से लापरवाही को प्रमाणित कर सकते हैं।जस्टिस वसीम सादिक नरगल ने यह टिप्पणी उस याचिका को खारिज करते हुए की जिसमें प्रतिवादियों को उसके पति की मृत्यु के लिए 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश देने की मांग की गई थी, जिसकी मृत्यु डॉक्टरों की लापरवाही के कारण हुई थी। इसलिए आपराधिक लापरवाही के लिए मामला दर्ज किया गया था।उपलब्ध रिकॉर्ड का सहारा...

शहरी स्‍थानीय निकाय चुनावः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओबीसी कोटा के बिना अधिसूचना जारी करने निर्देश दिया, महिला कोटा भी शामिल करने का निर्देश
शहरी स्‍थानीय निकाय चुनावः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओबीसी कोटा के बिना अधिसूचना जारी करने निर्देश दिया, महिला कोटा भी शामिल करने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि वह बिना ओबीसी आरक्षण के शहरी स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना तत्काल जारी करे।अदालत ने कहा है कि राज्य सरकार सु्प्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट औपचारिकता को पूरा नहीं करती।जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस सौरभ लवानिया की पीठ ने यह भी आदेश दिया कि चुनाव अधिसूचना में संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार महिलाओं के लिए आरक्षण शामिल होगा।कोर्ट ने निर्देश दिया,"अनुसूचित जाति और अनुसूचित...

दिल्ली हाईकोर्ट, दिल्ली
दिल्ली विधानसभा का कोई अलग सचिवीय संवर्ग नहीं, स्पीकर सचिवालय में नियुक्ति नहीं कर सकते: हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा कि दिल्ली विधान सभा का कोई अलग सचिवीय संवर्ग नहीं है और इस प्रकार, स्पीकर या उसके अधीन किसी भी प्राधिकारी के पास गृह सचिवालय में नियुक्तियां करने की कोई क्षमता नहीं है।जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 187 अलग से सचिवीय कर्मचारी राज्यों पर लागू होता है और इसे दिल्ली पर लागू नहीं किया जा सकता है जो केंद्र शासित प्रदेश है।कोर्ट ने कहा,"अनुच्छेद 187, इस प्रकार, दिल्ली के एनसीटी की विधान सभा के लिए कोई प्रयोज्यता नहीं है। पद दिल्ली...

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने सरकारी बंगले से बेदखली के खिलाफ पूर्व मंत्री चौधरी लाल सिंह की याचिका खारिज की
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने सरकारी बंगले से बेदखली के खिलाफ पूर्व मंत्री चौधरी लाल सिंह की याचिका खारिज की

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने सोमवार को पूर्व मंत्री चौधरी लाल सिंह द्वारा उन्हें जम्मू के गांधी नगर में सरकार द्वारा आवंटित बंगले से बेदखल करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी।यह फैसला उस याचिका पर आया, जिसमें लाल सिंह ने सरकार से सुरक्षा खतरे का फिर से आकलन करने तक उन्हें बेदखल करने पर रोक लगाने की मांग की थी।इससे पहले भी सिंह ने जम्मू और कश्मीर सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जे की बेदखली) अधिनियम, 1988 के तहत कार्यवाही को चुनौती देते हुए याचिका दायर की, जिसे हाईकोर्ट के एकल-न्यायाधीश...

बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई
बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका में रेप पीड़िता का नाम डिस्क्लोज करने पर लॉ फर्म पर 5000 रुपए का जुर्माना लगाया

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने हाल ही में याचिका में रेप पीड़िता का नाम डिस्क्लोज करने पर ऐतराज जताया और उस याचिका का मसौदा तैयार करने वाली कानूनी फर्म पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया।जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने पाया कि आईपीसी की धारा 228ए के तहत बलात्कार पीड़िता के नाम का खुलासा न करने और अगर कोई नाम डिक्स्लोज करता है तो 2 साल की सजा के बावजूद वकील अक्सर पीड़िता के नाम का उपयोग करने से परहेज नहीं करते हैं।कोर्ट ने कहा,"भारतीय दंड संहिता की धारा 228A...

मेडिकल लापरवाही मामले में तिरुवरूर अस्पताल डॉक्टरों और अधिकारियों से पांच लाख मुआवजा राशि वसूल सकता है: मद्रास हाईकोर्ट
मेडिकल लापरवाही मामले में तिरुवरूर अस्पताल डॉक्टरों और अधिकारियों से पांच लाख मुआवजा राशि वसूल सकता है: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने माना कि जब भी लोक सेवकों की लापरवाही के कारण सरकारी खजाने को नुकसान होता है तो ऐसे वित्तीय नुकसान की भरपाई उनसे की जानी चाहिए।अदालत ने कहा कि जब लोक अधिकारियों ने लापरवाही, चूक या कर्तव्य की अवहेलना का कार्य किया है, तो राज्य के खजाने को होने वाली वित्तीय हानि की भरपाई ऐसे लोक सेवकों से की जानी है, जो सभी वित्तीय नुकसान के लिए जिम्मेदार और जवाबदेह हैं।जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, तिरुवरूर के डीन और तिरुवरूर के जिला कलेक्टर द्वारा दायर सिविल पुनर्विचार...

केरल हाईकोर्ट ने स्वेच्छा से पति को छोड़ने वाली पत्नी के भरण-पोषण के अनुदान को बरकरार रखा, पत्नी क्रूरता का आरोप साबित करने में विफल रही
केरल हाईकोर्ट ने स्वेच्छा से पति को छोड़ने वाली पत्नी के भरण-पोषण के अनुदान को बरकरार रखा, पत्नी क्रूरता का आरोप साबित करने में विफल रही

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी का वैवाहिक घर में शांतिपूर्ण जीवन जीने में सक्षम नहीं होना, वहां की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए, हमेशा 'क्रूरता' नहीं हो सकता है, लेकिन 'संयुक्त निवास' से इनकार करने का एक उचित आधार हो सकता है और पति पत्नी को भरण-पोषण देने से इनकार नहीं कर सकते हैं।जस्टिस ए. बदरुद्दीन ने इस तर्क पर विचार करते हुए कि पत्नी स्वेच्छा से वैवाहिक घर छोड़ने के बाद पति से भरण-पोषण प्राप्त करने की कानूनी रूप से हकदार नहीं हो सकती है, कहा,"जब कोई पक्ष क्रूरता के आधार पर तलाक मांगता है,...

चिकित्सा लापरवाही का मामला- इलाज सफल नहीं हुआ, इसके लिए डॉक्टर को हमेशा दोष नहीं दिया जा सकता: एनसीडीआरसी
चिकित्सा लापरवाही का मामला- इलाज सफल नहीं हुआ, इसके लिए डॉक्टर को हमेशा दोष नहीं दिया जा सकता: एनसीडीआरसी

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के जस्टिस आर. के. अग्रवाल अध्यक्ष और जस्टिस डॉ. एस. एम. कांतिकर की पीठ ने एक अपील का निस्तारण किया, जो एक व्यक्ति (शिकायतकर्ता) द्वारा दायर एक उपभोक्ता शिकायत से उत्पन्न हुई थी, जिसमें उसने डॉक्टर (विपरीत पक्ष संख्या 1) और अस्पताल (विपरीत पक्ष संख्या 2) पर चिकित्सा लापरवाही का आरोप लगाया गया था।शिकायतकर्ता ने पहले विरोधी पक्षों को एक कानूनी नोटिस दिया और $100,000 के मुआवजे की मांग की, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ, इसलिए उन्होंने NCDRC के समक्ष शिकायत...

NCDRC ने कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल और उसके डॉक्टर को मरीज को 40 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया
NCDRC ने कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल और उसके डॉक्टर को मरीज को 40 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) की पीठासीन सदस्य डॉ. एस.एम. कांतिकर की पीठ ने कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल और मेडिकल अनुसंधान केंद्र (प्रतिवादी नंबर 1) के डॉक्टर (प्रतिवादी नंबर 2 ) को रोगी के उपचार के दौरान चूक के लिए उत्तरदायी ठहराया। इसके साथ ही सेवाओं में कमी के लिए अस्पताल को अप्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी ठहराया।आयोग ने अस्पताल और डॉक्टर को आदेश की तारीख से 6 सप्ताह के भीतर मुआवजे के रूप में समान अनुपात में 40 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। 6 सप्ताह से अधिक समय...

सीनियर एडवोकेट डेजिग्नेशन एक सम्मान और विशेषाधिकार है, यह आरक्षण पर आधारित नहीं हो सकता: मद्रास हाईकोर्ट ने महिला वकीलों के लिए कोटे की मांग वाली याचिका खारिज की
सीनियर एडवोकेट डेजिग्नेशन एक सम्मान और विशेषाधिकार है, यह आरक्षण पर आधारित नहीं हो सकता: मद्रास हाईकोर्ट ने महिला वकीलों के लिए कोटे की मांग वाली याचिका खारिज की

मद्रास हाईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट डेजिग्नेशन में महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग करने वाली याचिका खारिज करते हुए पिछले सप्ताह कहा कि वकील को सीनियर एडवोकेट का दर्जा प्रदान करना विशेषाधिकार है, पद नहीं।'द एडवोकेट्स एक्ट, 1961 (1961 का 25)' की धारा 16 के तहत एडवोकेट को सीनियर एडवोकेट डेजिग्नेशन का दर्जा देना स्पष्ट रूप से विशेषाधिकार है, न कि पद। इसलिए आरक्षण की कोई भी प्रार्थना गलत है।जस्टिस एम सुंदर और जस्टिस एन सतीश कुमार की खंडपीठ एस लॉरेंस विमलराज की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीनियर...

एनआईए एक्ट- हाईकोर्ट उपयुक्त मामलों में अपील दायर करने में 90 दिनों से अधिक देरी को माफ कर सकता है: जम्म-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट
एनआईए एक्ट- 'हाईकोर्ट उपयुक्त मामलों में अपील दायर करने में 90 दिनों से अधिक देरी को माफ कर सकता है': जम्म-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

जम्म-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट उपयुक्त मामलों में अपील दायर करने में 90 दिनों से अधिक देरी को माफ कर सकता है, बशर्ते अपीलकर्ता को कोर्ट को संतुष्ट करना होगा कि उसके पास 90 दिनों की अवधि समाप्त होने के बाद भी अपील को प्राथमिकता नहीं देने का पर्याप्त कारण था।कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अधिनियम की धारा 21 की उप-धारा 5 के दूसरे परंतुक में प्रयुक्त शब्द "करेगा" को "हो सकता है" के रूप में पढ़ा जाना चाहिए।जस्टिस संजीव कुमार औरन जस्टिस मोहन लाल की खंडपीठ ने फरहान...