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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मुकदमा दायर करने के 7 साल बाद मुकदमे को वापस लेने और नए सिरे से दायर करने की अनुमति दी
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मुकदमा दायर करने के 7 साल बाद मुकदमे को वापस लेने और नए सिरे से दायर करने की अनुमति दी

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने हाल ही में सीपीसी के आदेश 23 नियम 1 और 3 के तहत एक याचिकाकर्ता द्वारा अपने मुकदमे को नए सिरे से दायर करने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दी। सात साल से अधिक समय बाद एक सिविल न्यायाधीश के समक्ष मामला दायर किया गया था।आवेदन की अनुमति देते हुए जस्टिस प्रणय वर्मा ने कहा कि वादी के आचरण और मुकदमे की कार्यवाही के चरण को देखते हुए, उसे वापस लेने और नए सिरे से मुकदमा चलाने की अनुमति देना ही उचित होगा।कोर्ट ने कहा,"मामले में किसी भी तरीके से मैरिट...

बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई
संदर्भ मुआवजे की मात्रा तक सीमित; यदि बीमाकर्ता देयता पर विवाद करता है तो यह मध्यस्थता-योग्य नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि जहां केवल बीमा पॉलिसी के तहत देय मुआवजे की मात्रा से संबंधित विवाद के संदर्भ में ही मध्यस्थत खंड का प्रावधान किया गया है, बीमा कंपनी द्वारा दायर याचिका में पॉलिसी के तहत अपनी देनदारी पर किया गया विवाद, विवाद को नॉन-अर्बिट्रेबल बना देता है।जस्टिस भारती डांगरे की पीठ ने दोहराया कि मध्यस्थता खंड की सख्ती से व्याख्या की जानी चाहिए। न्यायालय ने पाया कि पॉलिसी के तहत बीमाकर्ता की स्पष्ट देयता की स्वीकृति मध्यस्थता खंड को लागू करने के लिए अनिवार्य है, जिसके अभाव...

मोटर वाहन अधिनियम | चश्मदीद के बयान दर्ज करने में देरी उसके बयान पर अविश्वास करने के लिए पर्याप्त नहीं: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
मोटर वाहन अधिनियम | चश्मदीद के बयान दर्ज करने में देरी उसके बयान पर अविश्वास करने के लिए पर्याप्त नहीं: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि मोटर दुर्घटना के मामलों में चश्मदीद के बयान पर विश्वास न करने के लिए उसके बयान दर्ज करने में देरी महत्वपूर्ण नहीं है। जस्टिस सैम कोशी ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 173 के तहत बीमा कंपनी द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की। "केवल इसलिए कि चश्मदीद गवाह का बयान देर से दर्ज किया गया था या चश्मदीद गवाह ने पुलिस अधिकारियों के सामने बयान दर्ज किए जाने तक किसी अन्य व्यक्ति को इस तथ्य का खुलासा नहीं किया था, उसके बयान पर अविश्वास करने का...

Consider The Establishment Of The State Commission For Protection Of Child Rights In The UT Of J&K
लोक सेवक द्वारा जारी दस्तावेज सार्वजनिक माने जाते हैं, जेएंडके एंड एल हाईकोर्ट ने डिटेंशन ऑर्डर के स्रोत पर पूछताछ के लिए दिए निर्देशों को रद्द किया

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने बुधवार को एक आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एंटी करप्शन ब्यूरो को यह जांच करने का निर्देश दिया गया था कि याचिकाकर्ता ने आदेश के निष्पादन से पहले डिटेंशन ऑर्डर और कुछ आधिकारिक पत्राचार कैसे हासिल किया। हाईकोर्ट ने कहा, लोक सेवक द्वारा जारी ऐसे दस्तावेज सार्वजनिक डोमेन में होने चाहिए और वे न तो वर्गीकृत थे और न ही आधिकारिक गोपनीयता से संबंधित थे।कोर्ट ने कहा, "माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के मद्देनजर, कि अदालत को प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों की...

सेवा में कमी के लिए डेवलपर के साथ-साथ भूस्वामी संयुक्त रूप से उत्तरदायी: एनसीडीआरसी
सेवा में कमी के लिए डेवलपर के साथ-साथ भूस्वामी संयुक्त रूप से उत्तरदायी: एनसीडीआरसी

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष बिनॉय कुमार और सदस्य सुदीप अहलूवालिया की पीठ ने कहा कि सेवा में कमी के लिए डेवलपर के साथ-साथ किसी भी मुआवजे के लिए एक भूस्वामी संयुक्त रूप से उत्तरदायी है। आयोग फ्लैटों के कब्जे में देरी के बारे में एक शिकायत पर सुनवाई कर रहा था।शिकायतकर्ताओं ने कर्नाटक में स्थित "एनडी लॉरेल" परियोजना में एक इकाई बुक की। यह प्रस्तुत किया गया कि खरीदार फ्लैटों के निर्माण और उनके विकास के लिए विपरीत पक्ष नंबर 1 (एनडी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड) के साथ समझौते में...

बोली लगाने वाले की पात्रता का पुनर्मूल्यांकन करते समय टेंडरिंग अथॉरिटी को प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए, केवल चयन को दोहराया नहीं जा सकता: कलकत्ता हाईकोर्ट
बोली लगाने वाले की पात्रता का पुनर्मूल्यांकन करते समय टेंडरिंग अथॉरिटी को प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए, केवल चयन को दोहराया नहीं जा सकता: कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि बोली लगाने वालों की योग्यता का पुनर्मूल्यांकन करते समय टेंडरिंग अथॉरिटी को प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए और सत्यनिष्ठा के बेंचमार्क को पूरा करना चाहिए।जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य ने पिछले महीने चित्तरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान द्वारा पारित आदेश को खारिज करते हुए कहा कि टेंडरिंग अथॉरिटी अपने पहले के फैसले को दोहरा नहीं सकता।अदालत ने कहा,"नया निर्णय लेने में संस्थान विशिष्ट निविदा शर्तों के खिलाफ निजी प्रतिवादी की पात्रता का पुनर्मूल्यांकन करके...

आईसीआईसीआई लोम्बार्ड ने बीमा दावे का गलत तरीके से खंडन किया, एनसीडीआरसी ने सेवा में कमी की पुष्टि की
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड ने बीमा दावे का गलत तरीके से खंडन किया, एनसीडीआरसी ने सेवा में कमी की पुष्टि की

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) की जस्टिस आर.के. अग्रवाल (अध्यक्ष) की पीठ ने कहा कि मुआवजे को कई मदों के तहत नहीं दिया जा सकता। पीठ ने यह टिप्पणी दिल्ली राज्य आयोग के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए की।दिल्ली राज्य आयोग ने शिकायत को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया और आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को दावे के खंडन की तारीख से 6% प्रति वर्ष के ब्याज के साथ रु. 75,00,000/- का भुगतान करने का निर्देश दिया।दिल्ली राज्य आयोग ने आगे निर्देश दिया कि मानसिक पीड़ा...

गवाहों का पक्षद्रोही हो जाना आरोपी को जमानत देने का नया आधार नहीं हो सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
गवाहों का पक्षद्रोही हो जाना आरोपी को जमानत देने का नया आधार नहीं हो सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि जमानत के मामले में अदालत का यह अधिकार नहीं कि वह पक्षद्रोही गवाहों (Hostile Witnesses) द्वारा दिए गए सबूतों के आधार पर कोई राय बनाए, क्योंकि यह सबूतों का मूल्यांकन करने जैसा होगा।जस्टिस शेखर कुमार यादव की पीठ ने हत्या के आरोपी (कृष्णकांत) द्वारा दायर की गई दूसरी जमानत याचिका को इस नए आधार पर खारिज कर दिया कि चूंकि अंतिम देखे गए साक्ष्यों में से 2 गवाहों ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया और पक्षद्रोही घोषित किया गया, इसलिए उसे जमानत दी जानी...

आईपीसी की धारा 307- घायल पीड़ित का एग्जामिनेशन न कराने से आरोपी को क्रॉस एग्जामिनेशन का अधिकार नहीं मिलता; अभियोजन पक्ष के लिए घातक: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
आईपीसी की धारा 307- घायल पीड़ित का एग्जामिनेशन न कराने से आरोपी को क्रॉस एग्जामिनेशन का अधिकार नहीं मिलता; अभियोजन पक्ष के लिए घातक: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने हाल ही में कहा कि आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) से जुड़े एक मामले में घायलों का एग्जामिनेशन न करना अभियोजन पक्ष के लिए घातक है क्योंकि यह अभियुक्तों को क्रॉस एग्जामिनेशन के अधिकार से वंचित करता है।जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस राकेश मोहन पांडे की खंडपीठ ने कहा कि घायल का एग्जामिनेशन यह साबित करने के लिए आवश्यक है कि क्या आरोपी ने उस पर हमला किया था और क्या उसकी चोट इतनी गंभीर थी कि उसकी मौत हो सकती है।कोर्ट ने कहा,"उक्त घायल की अभियोजन...

मप्र हाईकोर्ट ने भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए फार्मा फर्म के प्रमुख के खिलाफ मामला खारिज किया
मप्र हाईकोर्ट ने 'भावनाओं को ठेस पहुंचाने' के लिए फार्मा फर्म के प्रमुख के खिलाफ मामला खारिज किया

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फार्मा फर्म के प्रमुख के खिलाफ कंडोम एड प्रकाशित करने के लिए शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही खारिज कर दी। इस एड की पृष्ठभूमि में युगल गरबा खेल रहे है। इस एड पर कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने के आरोप लगाए गए।जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की पीठ ने एड की सामग्री पर गौर करने के बाद पाया कि आरोपी का इरादा सिर्फ अपनी कंपनी के प्रोडक्ट को बढ़ावा देना है और किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।नतीजतन, यह माना जा सकता है कि भारतीय दंड...

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने जयपुर स्थित विश्वविद्यालय की प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना के तहत प्रतिपूर्ति की मांग वाली याचिका खारिज की
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने जयपुर स्थित विश्वविद्यालय की प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना के तहत प्रतिपूर्ति की मांग वाली याचिका खारिज की

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने प्रधान मंत्री विशेष छात्रवृत्ति के तहत जम्मू और कश्मीर के छात्रों को एडमिशन देने के बाद ट्यूशन फीस, छात्रावास शुल्क और किताबों के संबंध में किए गए खर्चों की प्रतिपूर्ति की मांग वाली जयपुर स्थित एक विश्वविद्यालय की याचिका खारिज कर दी है।जस्टिस एमए चौधरी ने कहा कि केवल इसलिए कि छात्र जम्मू-कश्मीर से हैं, हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर करने के लिए कोई कारण नहीं देंगे।पीठ ने आगे कहा कि अदालत संविधान के भाग III द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों में से किसी के...

निर्वाचित प्रतिनिधियों को शिकायत बताए बिना जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गांव में पक्की सड़क बनाने की मांग वाली याचिका खारिज की
निर्वाचित प्रतिनिधियों को शिकायत बताए बिना जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गांव में पक्की सड़क बनाने की मांग वाली याचिका खारिज की

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें गांव में पक्की सड़क के निर्माण के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई थी।चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि याचिकाकर्ता ने निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपनी शिकायतों का प्रपत्र भेजा।खंडपीठ ने कहा,"मात्र सड़क निर्माण के लिए प्रतिवादी अधिकारियों को प्रतिनिधित्व दाखिल करने से याचिकाकर्ता को कोई मदद नहीं मिलती। याचिकाकर्ता ने खुद को सामाजिक...

God Does Not Recognize Any Community, Temple Shall Not Be A Place For Perpetuating Communal Separation Leading To Discrimination
मद्रास हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्य को टास्क फोर्स गठित करने को कहा

मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को छात्रवृत्ति राशि का देरी से वितरण संवैधानिक उद्देश्य को विफल करता है जिसके लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना तैयार की गई है।जस्टिस आर महादेवन और जस्टिस सत्य नारायण प्रसाद की पीठ हर शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में तमिलनाडु के सभी कॉलेजों के एससी / एसटी / एससीए छात्रों को पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के वितरण के लिए निर्देश देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।कोर्ट ने कहा,"हमारा विचार है कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा...

मद्रास हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्य को टास्क फोर्स गठित करने के लिए कहा
मद्रास हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्य को टास्क फोर्स गठित करने के लिए कहा

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में तैयार की गई पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम पर कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को स्कॉलरशिप राशि का देर से वितरण संवैधानिक उद्देश्य को विफल करता है।जस्टिस आर महादेवन और जस्टिस सत्य नारायण प्रसाद की खंडपीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हर शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में तमिलनाडु के सभी कॉलेजों के एससी/एसटी/एससीए छात्रों को पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप के वितरण के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।अदालत ने कहा,"हमारा विचार है कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा बनाई...

जब तक डॉक्टर चिकित्सा पेशे के लिए स्वीकार्य प्रैक्टिस का पालन करता है, तब तक वह लापरवाही के लिए उत्तरदायी नहीं हो सकता: एनसीडीआरसी
जब तक डॉक्टर चिकित्सा पेशे के लिए स्वीकार्य प्रैक्टिस का पालन करता है, तब तक वह लापरवाही के लिए उत्तरदायी नहीं हो सकता: एनसीडीआरसी

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के पीठासीन सदस्य डॉ. एस.एम. कांतिकर और सदस्य बिनॉय कुमार की पीठ ने चिकित्सकीय लापरवाही और सेवा में कमी की शिकायत का निस्तारण करते हुए कहा कि एक चिकित्सक को केवल इसलिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि दुस्साहस या या निर्णय की त्रुटि के कारण उपचार के एक उचित पाठ्यक्रम को चुनने में गलती हो गई।1998 में रोगी सीढ़ी से गिर गया और उसके अग्रभाग में मामूली चोटें आईं और उसे स्कीन डिफेक्ट को दूर करने के लिए सूक्ष्मवाहिकीय मरम्मत और प्लास्टिक सर्जरी कराने के लिए...

पीएमएलए- कोर्ट समन के जवाब में पेश होने वाले व्यक्ति की जमानत में तब तक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता जब तक कि निगरानी की परिस्थितियों को रिकॉर्ड पर नहीं लाया जाता: कलकत्ता हाईकोर्ट
पीएमएलए- कोर्ट समन के जवाब में पेश होने वाले व्यक्ति की जमानत में तब तक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता जब तक कि निगरानी की परिस्थितियों को रिकॉर्ड पर नहीं लाया जाता: कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि अभियुक्तों के संबंध में विशेष पीएमएलए अदालत द्वारा जारी जमानत का आदेश, जो समन के अनुसार उसके सामने पेश हुआ था, तब तक हस्तक्षेप के लिए खुला नहीं है जब तक कि निगरानी की परिस्थितियों को रिकॉर्ड पर नहीं लाया जाता है।जस्टिस तीर्थंकर घोष ने कहा कि पीएमएलए के तहत जांच एजेंसी द्वारा गिरफ्तारी के बाद किसी व्यक्ति को जमानत पर रिहा करने और अदालत से समन के जवाब में पेश होने के संबंध में अंतर है।अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 10 अभियुक्तों के जमानत को बरकरार...

दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने बीएमडब्ल्यू इंडिया को सेवा में कमी के लिए भारी मुआवजा देने का निर्देश दिया
दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने बीएमडब्ल्यू इंडिया को सेवा में कमी के लिए भारी मुआवजा देने का निर्देश दिया

दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग की पीठ, जिसमें सुश्री पिंकी और सुश्री बिमला कुमारी शामिल थीं, उन्होंने बीएमडब्ल्यू इंडिया प्रा लिमिटेड (विपक्षी पार्टी नंबर 2) को कार की पूरी खरीद राशि 26,26,462/- का शिकायतकर्ता को भुगतान करने का आदेश दिया। साथ में सेवा में कमी के मुआवजे के रूप में भुगतान की तिथि से निर्णय की तिथि तक 6% ब्याज के भुगतान का आदेश दिया।23.01.2023 तक ऐसा करने में विफल रहने पर, 9% की ब्याज दर की गणना उस तारीख से की जाएगी, जिस दिन कार खरीदी गई थी।आयोग ने कंपनी को निर्देश दिया...