बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिका में रेप पीड़िता का नाम डिस्क्लोज करने पर लॉ फर्म पर 5000 रुपए का जुर्माना लगाया
Brij Nandan
27 Dec 2022 1:17 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने हाल ही में याचिका में रेप पीड़िता का नाम डिस्क्लोज करने पर ऐतराज जताया और उस याचिका का मसौदा तैयार करने वाली कानूनी फर्म पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया।
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने पाया कि आईपीसी की धारा 228ए के तहत बलात्कार पीड़िता के नाम का खुलासा न करने और अगर कोई नाम डिक्स्लोज करता है तो 2 साल की सजा के बावजूद वकील अक्सर पीड़िता के नाम का उपयोग करने से परहेज नहीं करते हैं।
कोर्ट ने कहा,
"भारतीय दंड संहिता की धारा 228A के बावजूद और वकीलों को बार-बार यह कहने के बावजूद कि अभियोक्ता के नाम का खुलासा करना अपराध है, जो दो साल की सजा के साथ दंडनीय है, उक्त याचिका में रेप पीड़िता के नाम का खुलासा किया गया है। इसलिए, लॉ फर्म, जिसने याचिका का मसौदा तैयार किया था, आज से दो सप्ताह के भीतर कीर्तिकर लॉ लाइब्रेरी में 5,000/-रुपये जमा करना होगा।"
पीठ ने पुणे पुलिस द्वारा उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 406 (आपराधिक विश्वासघात), और 420 (धोखाधड़ी) के तहत दर्ज एक प्राथमिकी को रद्द करने के लिए एक आरोपी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया।
कानूनी फर्म हुल्यालकर एंड एसोसिएट्स द्वारा निर्देशित एडवोकेट ज़ैद अनवर कुरैशी याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। उन्होंने याचिका में संशोधन करने की अनुमति मांगी और याचिका में जहां कहीं भी अभियोजिका का नाम डिस्क्लोज होता है, जिसमें पूर्वोक्त याचिका के कारण शीर्षक भी शामिल है।
अदालत ने संशोधन को मंजूरी दे दी, हालांकि लॉ फर्म पर जुर्माना लगाया। कोर्ट ने आगे याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधन करने के लिए कहा और प्रतिवादियों को नोटिस भी जारी किया।
अदालत ने कहा,
"संशोधन किए जाने पर, प्रतिवादियों को नोटिस जारी करें। जिस पर 8 फरवरी, 2023 तक जवाब देना है।"
इस बीच, बेंच ने 8 फरवरी, 2023 को सुनवाई की अगली तारीख तक ट्रायल कोर्ट के समक्ष मामले की कार्यवाही टाल दी।
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