निर्वाचित प्रतिनिधियों को शिकायत बताए बिना जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गांव में पक्की सड़क बनाने की मांग वाली याचिका खारिज की

Shahadat

28 Dec 2022 6:58 AM GMT

  • मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें गांव में पक्की सड़क के निर्माण के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई थी।

    चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि याचिकाकर्ता ने निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपनी शिकायतों का प्रपत्र भेजा।

    खंडपीठ ने कहा,

    "मात्र सड़क निर्माण के लिए प्रतिवादी अधिकारियों को प्रतिनिधित्व दाखिल करने से याचिकाकर्ता को कोई मदद नहीं मिलती। याचिकाकर्ता ने खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताते हुए यह रिट याचिका दायर की, लेकिन उसके द्वारा यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेज दायर नहीं किया गया कि वह अपनी शिकायतों के निवारण के लिए कभी भी निर्वाचित प्रतिनिधियों यानी संसद सदस्य या विधान सभा के सदस्य से संपर्क किया। निर्वाचित प्रतिनिधि नागरिकों की शिकायतों के निवारण के लिए कर्तव्यबद्ध हैं। वे व्यक्ति हैं, जो बड़े पैमाने पर जनता के हित में सड़कों के निर्माण आदि की देखभाल के लिए जिम्मेदार हैं।"

    याचिकाकर्ता ने खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताते हुए कहा कि वह अहीर टोला गांव का रहने वाला है। उसकी शिकायत है कि उसके गांव को दूसरे गांव से जोड़ने वाली कच्ची सड़क के कारण उसके गांव के निवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जनहित याचिका के अनुसार, निवासियों ने पक्की सड़क के निर्माण के लिए अधिकारियों को कई पत्र लिखे, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया।

    पक्षकारों की दलीलों और रिकॉर्ड में मौजूद दस्तावेजों की जांच करते हुए अदालत ने याचिका सुनवाई योग्य नहीं पाया। यह देखा गया कि याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं दी जा सकती, क्योंकि उसे अपनी शिकायत के साथ निर्वाचित प्रतिनिधियों से संपर्क करना चाहिए।

    खंडपीठ ने आगे कहा,

    "किसी भी प्रतिनिधित्व के अभाव में या उनके चुने हुए प्रतिनिधियों यानी संसद सदस्य या विधान सभा के सदस्य से संपर्क करने की स्थिति में याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। न्यायालय भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत सड़कों के निर्माण के लिए कोई निर्देश जारी नहीं कर सकते। इन परिस्थितियों में याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं दी जा सकती।"

    उपरोक्त टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने याचिका सुनवाई योग्य न मानते हुए खारिज कर दिया।

    केस टाइटल- विजय सिंह बनाम प्रधान सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग

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