सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : जानिए सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह

LiveLaw News Network

20 March 2021 3:01 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : जानिए सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह

    15 मार्च 2021 से 19 मार्च 2021 तक सुप्रीम कोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    सुप्रीम कोर्ट ने 102 वें संवैधानिक संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

    मराठा आरक्षण के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 102 वें संवैधानिक संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। ये नोटिस महाराष्ट्र के राजनीतिक दल शिव संग्रामऔर उसके नेता विनायकराव टी मेटे के द्वारा दायर इस रिट याचिका पर जारी हुआ है और इसे मराठा कोटा मामलों के साथ टैग किया गया है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने आदेश में कहा, इस तथ्य के मद्देनज़र, 102 वें संवैधानिक संशोधन को देखते हुए विद्वान अटॉर्नी जनरल को औपचारिक नोटिस भी जारी किया जाए।

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    क्या उनको एक राय व्यक्त करने का अधिकार नहीं है" : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय कानूनों के खिलाफ राज्यों द्वारा प्रस्ताव पास करने पर याचिकाकर्ता को और शोध करने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संसद द्वारा पारित कानूनों को खिलाफ प्रस्ताव पास करने की राज्य विधान सभाओं की क्षमता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई को ये कहते हुए टाल दिया कि इस मामले में याचिकाकर्ता और अधिक शोध करे। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सौम्या चक्रवर्ती को बताया, "आप अधिक शोध करें। हम हल करने की तुलना में अधिक समस्याएं पैदा नहीं करना चाहते हैं।"

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    धारा 482 के तहत गिरफ्तारी पर रोक : हाईकोर्ट को कारण देने चाहिए कि किस भार के चलते वे राहत दे रहे हैं : सुप्रीम कोर्ट

    रुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "अंतरिम चरण में, उच्च न्यायालयों को एक छोटे पैराग्राफ को शामिल करना चाहिए कि किस भार के चलते वो राहत दे रहे हैं। हम यह बिल्कुल नहीं कह रहे हैं कि उच्च न्यायालय इस शक्ति से वंचित हैं! लेकिन क्योंकि यह एक व्यापक शक्ति है, इसलिए उम्मीद है कि इसका जिम्मेदारी से प्रयोग किया जाएगा।" न्यायमूर्ति चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की बेंच धारा 482, सीआरपीसी के तहत रद्द करने की शक्ति और जमानत / अग्रिम जमानत के जरिए जो अंतरिम राहत देने के लिए एक लंबित याचिका में रोक के तौर पर अंतरिम राहत या कठोर कार्यवाही ना करने के आदेश देने पर विचार कर रही थी।

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    धारा 482 के तहत गिरफ्तारी पर रोक : हाईकोर्ट को कारण देने चाहिए कि किस भार के चलते वे राहत दे रहे हैं : सुप्रीम कोर्ट

    गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "अंतरिम चरण में, उच्च न्यायालयों को एक छोटे पैराग्राफ को शामिल करना चाहिए कि किस भार के चलते वो राहत दे रहे हैं। हम यह बिल्कुल नहीं कह रहे हैं कि उच्च न्यायालय इस शक्ति से वंचित हैं! लेकिन क्योंकि यह एक व्यापक शक्ति है, इसलिए उम्मीद है कि इसका जिम्मेदारी से प्रयोग किया जाएगा।" न्यायमूर्ति चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की बेंच धारा 482, सीआरपीसी के तहत रद्द करने की शक्ति और जमानत / अग्रिम जमानत के जरिए जो अंतरिम राहत देने के लिए एक लंबित याचिका में रोक के तौर पर अंतरिम राहत या कठोर कार्यवाही ना करने के आदेश देने पर विचार कर रही थी।

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    चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 24 मार्च को सुनवाई के लिए तैयार

    केरल, पश्चिम बंगाल, पुड्डुचेरी और असम में विधानसभा चुनावों से पहले, चुनावी बॉन्ड के नए सेट को जारी करने पर रोक की मांग के आवेदन पर सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च को सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के वकील एडवोकेट प्रशांत भूषण ने तत्काल सुनवाई के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष आवेदन का उल्लेख किया। "मैं चुनावी बॉन्ड मामले का उल्लेख करना चाहता हूं। जो 2017 से यहां लंबित है। अंतिम सुनवाई दो साल पहले हुई थी। जब भी चुनावी बॉन्ड जारी किए जाते हैं, तो हम रोक के लिए आवेदन दायर करते हैं। अब बॉन्ड के नए सेट अप्रैल में जारी किए जाने हैं। हम चाहते हैं कि आवेदन को बहुत जल्द सुना जाए। ईसीआई, आरबीआई ने कहा है कि ये बॉन्ड शेल कंपनियों से अवैध काले धन के हस्तांतरण की अनुमति देते हैं।

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    सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 वैक्सीन के लिए कानूनी बिरादरी को प्राथमिकता सूची में रखने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट की स्वत: संज्ञान सुनवाई पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को COVID-19 वैक्सीन के लिए कानूनी बिरादरी को प्राथमिकता सूची में रखने पर विचार करने के लिए शुरू की गई स्वत: संज्ञान सुनवाई पर आगे बढ़ने से रोक दिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक लिमिटेड और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा दायर याचिकाओं पर नोटिस जारी किया और जिमसें दिल्ली उच्च न्यायालय के मामले को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की गई है।

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    एडवोकेट आजीविका तभी कमा सकते हैं, जब लोगों के संपर्क में आएंः सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को प्राथमिकता के आधार पर कोरोना वैक्सीन दिए जाने की मांग पर कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मौखिक रूप से कहा कि COVID-19 वैक्सीनेशन के लिए प्राथमिकता के बारे में कानूनी बिरादरी की चिंता वास्तविक है, जिस पर विचार करने की आवश्यकता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, "अधिवक्ता केवल तभी आजीविका कमा सकते हैं जब वे लोगों के संपर्क में आते हैं। उन्हें आश्वासन की आवश्यकता है कि अगर वे लोगों के संपर्क में आते हैं तो वे मरेंगे नहीं।"

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    बीमाकर्ता एमएसीटी द्वारा बनाए गए बैंक खाते में अवार्ड राशि आरटीजीएस/ एनईएफटी के जरिए जमा कराएं : सुप्रीम कोर्ट ने मोटर दुर्घटना में मुआवजे के लिए समान दिशा-निर्देश जारी किए

    सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में एमएसीटी के समक्ष मामलों के शीघ्र निपटारे के साथ-साथ मुआवजा देने की प्रक्रिया के संबंध में कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के अनुसार, क्षेत्राधिकार पुलिस स्टेशन को दुर्घटना के बारे में ट्रिब्यूनल और बीमाकर्ता को पहले 48 घंटे के भीतर ईमेल या एक समर्पित वेबसाइट पर दुर्घटना सूचना रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। वे तीन महीने के भीतर उन्हें एक विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट भी सौंपेंगे।

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    केस: बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी प्राइवेट लिमिटेड बनाम भारत संघ [डब्ल्यूपीसी 534/2020]

    "स्वतंत्रता बहुत कीमती है लेकिन हमें उच्च न्यायालयों को जिम्मेदारी की भावना देनी चाहिए": सुप्रीम कोर्ट ने सीआरपीसी 482 में ' आम' स्टे आदेशों पर कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश भर में उच्च न्यायालयों में बढ़ती प्रवृत्ति के बारे में चिंता व्यक्त की, जो अंतरिम राहत देने के लिए एक रिट याचिका या आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने के लिएसीआरपीसी की धारा 482 के तहत एक लंबित याचिका पर रोक के तौर पर अंतरिम राहत या कठोर कार्यवाही ना करने के आदेश दे रहे हैं। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ एक एसएलपी पर विचार कर रही थी, जो एक रिट याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट के सितंबर, 2020 के आदेश से उत्पन्न हुई थी। अतिरिक्त दस्तावेजों के साथ एक जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देते समय, उच्च न्यायालय ने अंतरिम निर्देश दिया था कि एफआईआर के संबंध में वर्तमान उत्तरदाताओं (एक रियल एस्टेट डेवलपमेंट कंपनी के निदेशक और उनके व्यापार भागीदारों) के खिलाफ कोई कठोर उपाय नहीं अपनाया जाएगा। वर्तमान याचिकाकर्ता (निहारिका इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड) द्वारा आईपीसी की धारा 406, 420, 465, 468, 471 और 120 बी के तहत कथित अपराधों के लिए आर्थिक अपराध शाखा में एफआईआर दर्ज की गई थी।

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    "ये एक अच्छा विचार है, हम देखेंगे" : सुप्रीम कोर्ट ने राजमार्ग और अन्य रोडवेज़ की निर्माण योजना में सामान्य उपयोगिता नलिका बनाने की याचिका पर नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजमार्ग और अन्य रोडवेज की निर्माण योजना में सभी सार्वजनिक उपयोगिताओं के लिए सरकार को अनिवार्य रूप से सामान्य उपयोगिता नलिका उपलब्ध कराने के लिए सरकार को निर्देश देने के लिए दायर याचिका में नोटिस जारी किया है। सीजेआई बोबडे, न्यायमूर्ति बोपन्ना और न्यायमूर्ति रामासुब्रमण्यम की तीन-न्यायाधीश पीठ ने चार सप्ताह में नोटिस का जवाब देने का आदेश जारी किया है, जिसमें याचिका में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी 2016 के दिशानिर्देशों को लागू करने के बारे में भी निर्देश मांगा गया है।

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    "ये बहुत गंभीर मामला है " : सुप्रीम कोर्ट ने आधार से गैर-लिंकिंग के कारण 3 करोड़ राशन कार्ड रद्द करने और भुखमरी से मौत की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार द्वारा आधार कार्ड के साथ गैर-लिंकिंग के कारण 3 करोड़ राशन कार्ड रद्द करने और इससे होने वाली भुखमरी से मौतें होने का आरोप लगाने वाली याचिका पर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी है। सीजेआई बोबड़े की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सभी को भोजन सुनिश्चित करने के लिए शिकायत निवारण तंत्र के कार्यान्वयन के मुद्दे पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया।

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    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार की अवैध हिरासत और कस्टोडियल टॉर्चर के आरोपों की जांच का आदेश दिया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार (16 मार्च) को जिला और सत्र न्यायाधीश, फरीदाबाद को निर्देश दिया कि वे लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार की अवैध हिरासत और कस्टोडियल टॉर्चर के आरोपों के संबंध में जांच करें। न्यायमूर्ति अवनीश झिंगन की खंडपीठ ने सभी संबंधित पक्षों को सत्र न्यायाधीश को अपना पूरा सहयोग देने का निर्देश दिया है, ताकि जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। कोर्ट के समक्ष मामला कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जो लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार के पिता द्वारा सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर की गई थी। इस याचिका में शिव कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न गंभीर धाराओं के तहत दर्ज तीन अलग-अलग एफआईआर में मामलों की जांच को एक स्वतंत्र एजेंसी को हस्तांतरित करने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

    केस का शीर्षक - राजबीर बनाम हरियाणा राज्य और अन्य

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    डिफ़ॉल्ट जमानत : राज्य पहले एक चार्जशीट दाखिल करके पूरक चार्जशीट दाखिल करने के लिए धारा 167 (2) समय मांगकर फायदा नहीं ले सकता : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 के तहत निर्दिष्ट जांच की समय अवधि को यूएपीए अपराधों के लिए पूरक आरोप पत्र दायर करने की मांग करके बढ़ाया नहीं जा सकता है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने, फखरे आलम को जो यूएपीए अधिनियम की धारा 18 के तहत आरोपी था, डिफ़ॉल्ट जमानत देते हुए दोहराया कि सीआरपीसी की धारा 167 (2) के पहले प्रोविज़ो के तहत डिफ़ॉल्ट जमानत एक मौलिक अधिकार है और ये केवल एक वैधानिक अधिकार नहीं है।

    केस: फखरे आलम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य [सीआरए 319 / 2021 ]

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    ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का संरक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने कम वोल्टेज वाले ट्रांसमिशन लाइनों को अंडर-ग्राउंड करने का आदेश दिया

    सुप्रीम कोर्ट ने (सोमवार) निर्देश दिया कि गोडावणा ( ग्रेट इंडियन बस्टर्ड; वैज्ञानिक नाम: Ardeotis nigriceps) के संरक्षण के लिए राजस्थान और गुजरात राज्यों में कम वोल्टेज वाली ट्रांसमिशन लाइनों को भूमिगत (अंडर ग्राउंडिंग) करने और उच्च वोल्टेज वाली ट्रांसमिशन लाइनों के मामले में बर्ड डायवर्टर लगाने पर विचार किया जाना चाहिए। सीजेआई एसए बोबड़े, न्यायमूर्ति बोपन्ना और न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम की तीन सदस्य न्यायाधीश पीठ ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और खरमोर (लेसर फ्लोरिकन; वैज्ञानिक नाम: Sypheotides indicus) की गिरावट के मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणियां कीं।

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    सुप्रीम कोर्ट ने हाईब्रिड सुनवाई की एसओपी पर मतभेद सुलझाने के लिए जजों की समिति और एससीबीए के बीच बैठक की आवश्यकता जताई

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि हाइब्रिड सुनवाई के लिए तैयार की गई विवादास्पद एसओपी पर जजों की समिति और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच एक बैठक होनी चाहिए। आदेश में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और आर सुभाष रेड्डी की एक पीठ ने कहा, "सार्थक परामर्श केवल न्यायाधीशों की समिति के साथ हो सकता है।" पीठ ने आदेश दिया, "हम मानते हैं कि यह उन चीजों की फिटनेस में होगा कि बार के सदस्य एसओपी की धारणा में अपने मतभेदों को दूर करें, जिसके लिए उपयुक्त पाठ्यक्रम बार के नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों को सुनना होगा। सार्थक परामर्श केवल जजों की समिति के साथ हो सकता है। हम सेकेट्री जनरल से अनुरोध करेंगे कि जजों की समिति से अनुरोध करें कि वह बार के साथ एक औपचारिक बैठक तय करें।"

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    जमानत देने पर विचार करते समय अपराध की गंभीरता प्रासंगिक विचारों में से एक है: सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया

    जमानत देने पर विचार करते समय अपराध की गंभीरता प्रासंगिक विचारों में से एक है, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पारित एक फैसले में दोहराया। इस मामले में, आरोपियों ने कोर्ट रिकॉर्ड में फर्जीवाड़ा किया था। यह आरोप लगाया गया था कि आईपीसी की धारा 307, 504 और 506, क्राइम केस नंबर -152 / 2000, पुलिस स्टेशन माखी, जिला उन्नाव, के तहत सेशन ट्रायल नंबर 9 ए / 01, राज्य बनाम महेश में व्हाइटनर का उपयोग करके कोर्ट रिकॉर्ड को गढ़ा गया था।

    केस: नवीन सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य [सीआरए 320 / 2021 ]

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    अनुच्छेद 226 के तहत राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा पारित आदेशों पर रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट

    प्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा पारित निर्णय और आदेशों को चुनौती देने वाली रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इस मामले में, एम.पी. राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग [जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम के आदेश को बरकरार रखते हुए एक संशोधन याचिका को खारिज करते हुए] के आदेश को एक रिट याचिका दायर करके उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी। रजिस्ट्री ने आपत्ति जताई और कहा कि सिसिली कल्लारकाल बनाम वाहन कारखाना [(2012) 8 SCC [ 524] में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनज़र राज्य आयोग के आदेश के खिलाफ कोई रिट याचिका दाखिल नहीं हो सकती।

    केस: मेहरा बाल चिकित्सालय एवं नवजात शिशु आई.सी.यू. बनाम मनोज उपाध्याय [एसएलपी (सी) 4127/2021]

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    सीआरपीसी 319 के तहत मुख्य गवाह के परीक्षण के आधार पर भी आरोपी को समन जारी किया जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यहां तक कि मुख्य गवाह के परीक्षण के आधार पर भी एक अभियुक्त को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत समन जारी किया जा सकता है और अदालत को उसके साथ जिरह तक इंतजार करने की जरूरत नहीं है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि यदि मुख्य गवाह के परीक्षण के आधार पर न्यायालय संतुष्ट है कि प्रस्तावित अभियुक्त के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला है, तो न्यायालय धारा 319 सीआरपीसी के तहत शक्तियों का प्रयोग कर सकता है और ऐसे व्यक्ति को आरोपी के रूप में नियुक्त कर उसे मुकदमे का सामना करने के लिए बुला सकता है।

    केस: सरताज सिंह बनाम हरियाणा राज्य [सीआरए 298-299/ 2021]

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    आईबीसी 29 ए के तहत प्रस्ताव योजना प्रस्तुत करने के लिए अयोग्य व्यक्ति कंपनी अधिनियम की धारा 230 के तहत समझौता और व्यवस्था की योजना का प्रस्ताव नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक व्यक्ति जो दिवाला दिवालियापन संहिता की धारा 29 ए के तहत प्रस्ताव योजना प्रस्तुत करने के लिए अयोग्य है, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 230 के तहत समझौता और व्यवस्था की योजना का प्रस्ताव नहीं कर सकता है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (लिक्विडेशन प्रोसेस) रेगुलेशंस, 2016 की संवैधानिक वैधता को भी बरकरार रखा है, जिसमें कहा गया है कि वह व्यक्ति जो आईबीसी के तहत कॉरपोरेट देनदार के लिए प्रस्ताव योजना प्रस्तुत करने के लिए पात्र नहीं है, किसी भी तरह से इस तरह के समझौते या व्यवस्था के लिए पक्ष नहीं होगा।

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