पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार की अवैध हिरासत और कस्टोडियल टॉर्चर के आरोपों की जांच का आदेश दिया

LiveLaw News Network

16 March 2021 4:13 PM GMT

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार की अवैध हिरासत और कस्टोडियल टॉर्चर के आरोपों की जांच का आदेश दिया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार (16 मार्च) को जिला और सत्र न्यायाधीश, फरीदाबाद को निर्देश दिया कि वे लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार की अवैध हिरासत और कस्टोडियल टॉर्चर के आरोपों के संबंध में जांच करें।

    न्यायमूर्ति अवनीश झिंगन की खंडपीठ ने सभी संबंधित पक्षों को सत्र न्यायाधीश को अपना पूरा सहयोग देने का निर्देश दिया है, ताकि जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

    कोर्ट के समक्ष मामला

    कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जो लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार के पिता द्वारा सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर की गई थी। इस याचिका में शिव कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न गंभीर धाराओं के तहत दर्ज तीन अलग-अलग एफआईआर में मामलों की जांच को एक स्वतंत्र एजेंसी को हस्तांतरित करने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

    इसके अलावा, शिव कुमार की अवैध हिरासत और दी गई यातनाओं की स्वतंत्र जांच के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी और यह भी प्रार्थना की गई थी कि शिव कुमार की चिकित्सकीय जांच की जाए।

    19 फरवरी, 2021 को नोटिस का प्रस्ताव जारी किया गया था और कोर्ट ने शिव कुमार की मेडिकल जांच के लिए भी आदेश दिया था।

    22 फरवरी, 2021 की रिपोर्ट 24 फरवरी, 2021 को रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट को सोनीपत के जिला जेल के अधीक्षक सतविंदर कुमार के हलफनामे में दिए गए जवाब के साथ पेश किया गया।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि 22 फरवरी, 2021 की प्रारंभिक एमएलआर और उसके बाद की एमएलआर रिपोर्ट की तुलना से साबित होता है और इस तरह एक अनुरोध किया कि जांच का आदेश दिया जाए और चल रही जांच पर रोक लगाया जाए।

    राज्य सरकार ने प्रस्तुत किया कि प्राथमिकी की जांच विशेष जांच दल (SIT) को सौंप दी गई है।

    कोर्ट का अवलोकन

    दोनों चिकित्सा रिपोर्टों की तुलना करते हुए ऐसा न हो कि यह आगे की कार्यवाही या पूछताछ प्रभावित हो कोर्ट ने कहा कि जांच की आवश्यकता है।

    पीठ ने टिप्पणी की कि,

    "भारत के संविधान का भाग- III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सुरक्षा की गारंटी देता है। कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किसी भी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता है।"

    कोर्ट के समक्ष एसआईटी द्वारा की जा रही जांच पर संदेह करने के लिए कुछ भी नहीं है। पीठ ने कहा कि, "हालांकि ऐसा हो सकता है कि निष्कर्ष के लिए एसआईटी और जांच रिपोर्ट को एक साथ लाया जाए, जिसमें दोनों मेडिकल रिपोर्ट एक दूसरे पर छाया डाल सकते हैं।"

    बेंच ने इस पृष्ठभूमि में तथ्यों और परिस्थितियों की संपूर्णता को देखते हुए जिला और सत्र न्यायाधीश को शिव कुमार के अवैध हिरासत और हिरासत में दी गई याताओं के आरोपों के संबंध में जांच करने का निर्देश दिया।

    इस बीच एसआईटी को जांच जारी रखने की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन इस अदालत से अनुमति के बिना अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करने का निर्देश दिया गया है।

    रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए मामले को 11 मई, 2021 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।

    पृष्ठभूमि

    दलित लेबर एक्टविस्ट नौदीप कोर के साथी और लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार को उनके खिलाफ दर्ज तीनों मामलों में 4 मार्च को सोनीपत जिले (हरियाणा) की एक स्थानीय अदालत से जमानत मिल चुकी है।

    सोनीपत के कुंडली इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्री कर्मचारियों के कथित उत्पीड़न के खिलाफ उनके विरोध के बाद शिव कुमार और नौदीप कौर दोनों को 12 जनवरी को हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

    पुलिस ने दोनों को 12 जनवरी की घटना के संबंध में दायर तीन एफआईआर में नामजद किया था, जिसमें उन पर हत्या के प्रयास, चोरी और जबरन वसूली के आरोप लगाए गए थे।

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 26 फरवरी को उनके खिलाफ दर्ज की गई तीसरी एफआईआर में दलित लेबर एक्टिविस्ट नौदीप कौर को जमानत दे दी थी।

    नौदीप कौर ने याचिका में कहा था कि उन्हें इस मामले में टारगेट किया गया और झूठा फंसाया गया है, क्योंकि वह किसान आंदोलन के पक्ष में बड़े पैमाने पर समर्थन हासिल करने में सफल रही थीं, दलित लेबर एक्टिविस्ट नौदीप कौर ने अपनी जमानत याचिका (पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष दायर) में दावा किया था कि उसे जेल में पीटा गया, प्रताड़ित किया गया, जिससे उनके शरीर पर कई चोटों के निशान मौजूद है।

    अपनी जमानत याचिका में उसने दावा किया था कि उसे गिरफ्तार करने के बाद पुलिस अधिकारी उसे "बिना किसी महिला पुलिस अधिकारी के मौजूदगी" के पुलिस स्टेशन ले गए और पुलिस अधिकारियों द्वारा उसे ब्लैक एंड ब्लू रूप से पीटा गया।"

    केस का शीर्षक - राजबीर बनाम हरियाणा राज्य और अन्य

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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