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PC Act | धारा 319 CrPC के तहत लोक सेवक को अतिरिक्त आरोपी के रूप में बुलाने के लिए मंजूरी आवश्यक : सुप्रीम कोर्ट
PC Act | धारा 319 CrPC के तहत लोक सेवक को अतिरिक्त आरोपी के रूप में बुलाने के लिए मंजूरी आवश्यक : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि अभियोजन स्वीकृति के अभाव में न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत लोक सेवक द्वारा किए गए अपराध का संज्ञान नहीं ले सकता।कोर्ट ने कहा कि यह शर्त दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत लोक सेवक को अतिरिक्त आरोपी के रूप में बुलाने पर भी लागू होती है।कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) की धारा 19 की अनिवार्य आवश्यकता का पालन किए बिना आरोपी को धारा 319 सीआरपीसी (अब BNSS की धारा 358) के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए नहीं बुलाया जा सकता।जस्टिस सुधांशु...

ट्रायल कोर्ट को बिना TIP के गवाह द्वारा आरोपी की पहचान स्वीकार करने में सावधानी बरतनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
ट्रायल कोर्ट को बिना TIP के गवाह द्वारा आरोपी की पहचान स्वीकार करने में सावधानी बरतनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि आरोपी गवाह के लिए अजनबी है तो टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड (TIP) के बिना अदालत में गवाह द्वारा आरोपी की पहचान दोषसिद्धि तय करने के लिए अच्छा सबूत नहीं माना जा सकता है।अदालत ने कहा,“ऐसे मामलों में जहां आरोपी गवाह के लिए अजनबी है और कोई TIP नहीं हुआ है, ऐसे मामलों में ट्रायल कोर्ट को ऐसे गवाह द्वारा पहचान स्वीकार करते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।”अदालत ने कहा कि यदि कोई TIP नहीं है, तो केवल अदालत में गवाह द्वारा की गई आरोपी की पहचान के आधार पर दोषसिद्धि तय नहीं की जा सकती।...

हाथरस भगदड़ की जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट जाने को कहा
हाथरस भगदड़ की जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट जाने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस भगदड़ की घटना के संबंध में दायर जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा कि हर मामले को अनुच्छेद 32 के तहत दायर करने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट मजबूत न्यायालय हैं और वे इस तरह के मामलों से निपटने के लिए बने हैं।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता एडवोकेट विशाल तिवारी से कहा,"हर चीज अनुच्छेद 32 के तहत जनहित याचिका में आने की आवश्यकता नहीं है; आप हाईकोर्ट में दायर करें। इन सबका उद्देश्य घटनाओं को लेकर बड़ा मुद्दा बनाना है। जाहिर है (वे)...

न्यायिक अधिकारियों का वेतन: सुप्रीम कोर्ट ने बकाया भुगतान न करने वाले राज्यों के मुख्य सचिवों और वित्त सचिवों को तलब किया
न्यायिक अधिकारियों का वेतन: सुप्रीम कोर्ट ने बकाया भुगतान न करने वाले राज्यों के मुख्य सचिवों और वित्त सचिवों को तलब किया

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (11 जुलाई) को दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (SNJPC) की सिफारिशों के अनुसार न्यायिक अधिकारियों के वेतन और भत्तों के बकाया भुगतान के लिए जारी निर्देशों का पालन न करने पर कई राज्य सरकारों को कड़ी फटकार लगाई।न्यायालय ने चूक करने वाले राज्यों से 20 अगस्त, 2024 तक निर्देशों का पालन करने को कहा। इसने आगे निर्देश दिया कि इन चूक करने वाले राज्यों (नीचे विस्तार से सूचीबद्ध) के मुख्य सचिव और वित्त सचिव 23 अगस्त, 2024 को अनुपालन हलफनामे के साथ व्यक्तिगत रूप से न्यायालय के समक्ष...

लीज पेंडेंस सिद्धांत संपत्ति क्रेता को मुकदमे में पक्षकार बनने से नहीं रोकता : सुप्रीम कोर्ट
लीज पेंडेंस सिद्धांत संपत्ति क्रेता को मुकदमे में पक्षकार बनने से नहीं रोकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि रजिस्टर्ड सेल्स डीड केवल इसलिए शून्य नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसे संपत्ति के संबंध में मुकदमे के लंबित रहने के दौरान निष्पादित किया गया। संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम 1882 की धारा 52 के तहत लीज पेंडेंस का सिद्धांत पेंडेंट लाइट हस्तांतरण को शून्य नहीं बनाता।कोर्ट ने यह भी माना कि मुकदमे के लंबित रहने के दौरान रजिस्टर्ड सेल्स डीड के माध्यम से मुकदमे की संपत्ति खरीदने वाले हस्तांतरी को पक्षकार बनाने पर कोई रोक नहीं है।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हस्तांतरी को अंतर्निहित मुकदमे...

भूमि अधिग्रहण कार्यवाही में मुआवज़े का आकलन करने के लिए प्रासंगिक कारक: सुप्रीम कोर्ट ने बताया
भूमि अधिग्रहण कार्यवाही में मुआवज़े का आकलन करने के लिए प्रासंगिक कारक: सुप्रीम कोर्ट ने बताया

सुप्रीम कोर्ट ने प्रासंगिक कारकों की तीन श्रेणियां निर्धारित कीं, जिन्हें भूमि अधिग्रहण कार्यवाही में मुआवज़े की उचित राशि निर्धारित करने के लिए भूमि के अनुमानित मूल्य का निर्धारण करते समय विचार किया जाना चाहिए।अदालत ने कारकों की नीचे उल्लिखित श्रेणियों को विकसित किया है ताकि इन कारकों के आधार पर भूमि का मूल्यांकन सुनिश्चित किया जा सके, और अटकलों के आधार पर भूमि मूल्यांकन निर्धारित करने के लिए न्यायिक विवेक के लिए कोई जगह नहीं बचेगी।न्यायालय ने ऐसे कारकों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया: -"i....

सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस संजय कुमार ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका से खुद को अलग किया
सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस संजय कुमार ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका से खुद को अलग किया

सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस संजय कुमार ने निजी कारणों का हवाला देते हुए दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। सिसोदिया की जमानत याचिका शराब नीति मामले में उनके खिलाफ दर्ज धन शोधन और भ्रष्टाचार के मामलों से संबंधित है।जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संजय कुमार की तीन जजों वाली पीठ आज मामले की सुनवाई करने वाली थी। हालांकि, जस्टिस कुमार के मामले से अलग होने के बाद न्यायालय ने मामले को 15 जुलाई से शुरू होने वाले सप्ताह में फिर से...

BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने NEET-UG 2024 रद्द करने की याचिका पर सुनवाई स्थगित की; अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने NEET-UG 2024 रद्द करने की याचिका पर सुनवाई स्थगित की; अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (11 जुलाई) को NEET-UG 2024 परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं की सुनवाई अगले गुरुवार (18 जुलाई) तक के लिए स्थगित कर दी।कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा दायर हलफनामों पर अपने जवाब दाखिल करने का मौका देने के लिए स्थगन दिया।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने शुरू में मामलों को अगले सोमवार (15 जुलाई) को सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने व्यक्तिगत कठिनाई का...

हम क्या संकेत दे रहे हैं? : सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा बिना कोई कारण बताए नियमित जमानत आदेश पर रोक लगाने पर हैरानी जताई
'हम क्या संकेत दे रहे हैं?' : सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा बिना कोई कारण बताए नियमित जमानत आदेश पर रोक लगाने पर हैरानी जताई

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (11 जुलाई) को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा बिना कोई कारण बताए नियमित जमानत आदेश पर रोक लगाने पर हैरानी जताई।कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा जमानत आदेश पर अंतरिम रोक बढ़ाने के हाईकोर्ट के आदेशों का बचाव करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) से सवाल किया।सुनवाई के दौरान, जस्टिस अभय एस ओक ने टिप्पणी की,"जब जमानत देने का तर्कपूर्ण आदेश होता है तो क्या उस आदेश पर आराम से रोक लगाई जा सकती है? क्या इसे एक साल के लिए आसानी से रोका जा सकता है? हम क्या संकेत दे रहे हैं?"जस्टिस अभय एस ओक और...

सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में रिक्त पदों को न भरने वाले राज्यों पर नाराजगी जताई
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में रिक्त पदों को न भरने वाले राज्यों पर नाराजगी जताई

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली सरकार को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में नियमित नियुक्तियां करने के बजाय संविदा कर्मचारियों को नियुक्त करने का “शॉर्टकट अपनाने” के लिए फटकार लगाई।जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,“कर्मचारियों को नियमित रूप से नियुक्त करने का प्रयास करने के बजाय सरकार ने संविदा कर्मचारियों को नियुक्त करने का शॉर्टकट तरीका अपनाया। इस प्रथा की निंदा की जानी चाहिए।”अदालत ने राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को...

सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को सार्वजनिक निविदाओं को मनमाने ढंग से रद्द करने के खिलाफ चेताया; कहा- इससे निजी-सार्वजनिक भागीदारी प्रभावित हो सकती है
सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को सार्वजनिक निविदाओं को मनमाने ढंग से रद्द करने के खिलाफ चेताया; कहा- इससे निजी-सार्वजनिक भागीदारी प्रभावित हो सकती है

एक उल्लेखनीय फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक निविदाओं को मनमाने ढंग से रद्द करने के खिलाफ सार्वजनिक अधिकारियों को चेताया और अनुबंधों की पवित्रता को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया।न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक निविदाएं सार्वजनिक विश्वास के सिद्धांत से निकलती हैं और सभी संभावित बोलीदाताओं के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।न्यायालय ने कहा, "अनुबंधों की पवित्रता एक मौलिक सिद्धांत है जो कानूनी और वाणिज्यिक संबंधों की स्थिरता और पूर्वानुमान को रेखांकित करता है। जब...

डेटा एनालिटिक्स के अनुसार NEET-UG 2024 में कोई सामूहिक गड़बड़ी नहीं हुई : सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार
डेटा एनालिटिक्स के अनुसार NEET-UG 2024 में कोई सामूहिक गड़बड़ी नहीं हुई : सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार

केंद्र सरकार ने NEET-UG 2024 परीक्षा में किसी भी तरह की सामूहिक गड़बड़ी से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। केंद्र ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास द्वारा किए गए डेटा एनालिटिक्स से पता चला है कि अंकों का वितरण घंटी के आकार के वक्र का अनुसरण करता है, जो किसी भी बड़े पैमाने की परीक्षा में देखा जाता है, जो किसी भी असामान्यता का संकेत नहीं देता।IIT मद्रास के विशेषज्ञों की टीम द्वारा दी गई रिपोर्ट में कहा गया,"न तो सामूहिक गड़बड़ी का कोई संकेत है और न ही...

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जेलों में जाति-आधारित भेदभाव और श्रम विभाजन पर अफसोस जताया; फैसला सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जेलों में जाति-आधारित भेदभाव और श्रम विभाजन पर अफसोस जताया; फैसला सुरक्षित रखा

भारतीय जेलों में जाति-आधारित भेदभाव के मुद्दे को उजागर करने वाली जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य जेल मैनुअल में निहित कुछ प्रावधानों पर नाराजगी व्यक्त की और टिप्पणी की कि वे "बहुत परेशान करने वाले" हैं।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई की और दोनों पक्षों की ओर से दलीलें पूरी कीं।संक्षेप में, यह याचिका पत्रकार सुकन्या शांता द्वारा दायर की गई, जिसमें भारत के कुछ राज्यों/केंद्र शासित...

हिंदुस्तानी पतियों को अपनी उन पत्नियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
हिंदुस्तानी पतियों को अपनी उन पत्नियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

CrPC की धारा 125 के तहत मुस्लिम महिला द्वारा अपने पति से भरण-पोषण का दावा करने के अधिकार के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए उल्लेखनीय निर्णय में न्यायालय ने भारत में विवाहित महिलाओं, विशेष रूप से 'गृहणियों' द्वारा झेली जाने वाली भेद्यता पर ध्यान दिया, जिनके पास आय का स्वतंत्र स्रोत नहीं है और उनके वैवाहिक घर में मौद्रिक संसाधनों तक पहुंच नहीं होने के कारण उन्हें दैनिक जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना करना पड़ता है।न्यायालय ने भारतीय विवाहित पुरुषों से इस तथ्य के प्रति जागरूक होने और...

सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा की गई अवैध नीलामी बिक्री को अनुच्छेद 226 के तहत रद्द किया जा सकता है; रिट कोर्ट सीपीसी के आदेश 21 नियम 90 से बाध्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा की गई अवैध नीलामी बिक्री को अनुच्छेद 226 के तहत रद्द किया जा सकता है; रिट कोर्ट सीपीसी के आदेश 21 नियम 90 से बाध्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक अधिकारी द्वारा कानून के अनिवार्य प्रावधानों का घोर उल्लंघन करके की गई नीलामी बिक्री से व्यथित व्यक्ति को नीलामी बिक्री रद्द करने के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (सीपीसी) के आदेश XXI नियम 90 में निर्धारित दोहरी शर्तों को स्थापित करने के लिए नहीं कहा जा सकता।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा,“हमारा विचार है कि ऐसे मामलों में, जैसे कि वर्तमान में, जिसमें राज्य द्वारा अपने अधिकारियों के माध्यम से की गई नीलामी बिक्री की वैधता और औचित्य पर...

तीन तलाक द्वारा अवैध रूप से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं धारा 125 CrPC के तहत भरण-पोषण की मांग कर सकती हैं: सुप्रीम कोर्ट
तीन तलाक द्वारा अवैध रूप से तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं धारा 125 CrPC के तहत भरण-पोषण की मांग कर सकती हैं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि तीन तलाक के माध्यम से अवैध रूप से तलाकशुदा मुस्लिम महिला दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के अनुसार अपने पति से भरण-पोषण की मांग करने की हकदार है।यह अधिकार मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 के तहत दिए गए उपाय के अतिरिक्त है, जो निर्दिष्ट करता है कि महिला, जिसे तीन तलाक के अधीन किया गया, वह अपने पति से निर्वाह भत्ता का दावा करने की हकदार होगी।गौरतलब है कि 2019 अधिनियम ने तीन तलाक की प्रथा को आपराधिक बना दिया, जिसे 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने अमान्य...

विवाह समानता मामला: जस्टिस संजीव खन्ना ने पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग किया
विवाह समानता मामला: जस्टिस संजीव खन्ना ने पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग किया

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार करने वाले फैसले की पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं की सुनवाई स्थगित कर दी गई, क्योंकि नवगठित पीठ के सदस्य जस्टिस संजीव खन्ना ने मामले से खुद को अलग कर लिया।इन पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार के लिए चैंबर सुनवाई निर्धारित की गई। याद रहे कि फैसला सुनाने वाली 5 जजों वाली पीठ के दो जजों- जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एस रवींद्र भट- के रिटायरमेंट होने के बाद नई पीठ का गठन किया गया।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीवी नागरत्ना ने खंडपीठ के रिटायरमेंट सदस्यों की...

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में ऑटो रिक्शा की अधिकतम सीमा बढ़ाने की मांग वाली याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में ऑटो रिक्शा की अधिकतम सीमा बढ़ाने की मांग वाली याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने बजाज ऑटो की याचिका खारिज की, जिसमें दिल्ली में ऑटो रिक्शा की अधिकतम सीमा बढ़ाने की मांग की गई थी।जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने कहा कि यह सीमा पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लगाई गई और अगर कोर्ट अपने कारोबार को बढ़ाने में रुचि रखने वाले ऑटो निर्माता की याचिका पर विचार करता है तो इससे गलत संकेत जाएगा।कोर्ट ने कहा,"ऑटो रिक्शा निर्माता के कहने पर इस आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता। अगर यह कोर्ट पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लगाए गए मानदंडों में ढील देने के लिए...