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स्पोर्ट्स कोटा में दाखिले के लिए 75% योग्यता शर्त गैर-जरूरी और भेदभावपूर्ण: सुप्रीम कोर्ट
स्पोर्ट्स कोटा में दाखिले के लिए 75% योग्यता शर्त 'गैर-जरूरी और भेदभावपूर्ण': सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (9 अगस्त) को कहा कि स्पोर्ट्स कोटा के माध्यम से प्रवेश के लिए पीईसी (पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज) प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा ली गई योग्यता परीक्षा में न्यूनतम 75% की आवश्यकता यानी छात्रों के प्रवेश का 2% भेदभावपूर्ण' और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ का विचार था कि स्पोर्ट्स कोटा का उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों में खेल और खेल कौशल को बढ़ावा देना और प्रोत्साहित करना है। न्यायालय ने कहा कि सामान्य अभ्यर्थियों के...

महिलाओं के खिलाफ चार मई से हुई हिंसा की जांच करें: सुप्रीम कोर्ट ने तीन महिला जजों की समिति के आदेश के बारे में बताया
'महिलाओं के खिलाफ चार मई से हुई हिंसा की जांच करें': सुप्रीम कोर्ट ने तीन महिला जजों की समिति के आदेश के बारे में बताया

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (10 अगस्त) देर रात मणिपुर जातीय हिंसा के संबंध में सुनाया फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) की अगुवाई वाली खंडपीठ ने सोमवार (7 अगस्त) को पीड़ितों के लिए मानवीय कार्यों की निगरानी के लिए तीन महिला जजों का पैनल गठित करने और आपराधिक मामलों की जांच की निगरानी के लिए अन्य राज्यों के अधिकारियों को नियुक्त करने की अपनी योजना का संकेत दिया।अपने फैसले में कोर्ट ने मणिपुर पुलिस की जांच को 'धीमा' बताया और सांप्रदायिक संघर्ष के बीच महिलाओं के खिलाफ होने वाली यौन हिंसा पर...

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बड़े बदलाव के तहत 23 हाईकोर्ट जजों के तबादले की सिफारिश की
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बड़े बदलाव के तहत 23 हाईकोर्ट जजों के तबादले की सिफारिश की

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 3 अगस्त 2023 को हुई अपनी बैठक में 23 हाईकोर्ट के जजों के ट्रांसफर की सिफारिश की है।ट्रांसफर होने वाले जजों में शामिल हैं:गुजरात हाईकोर्टजस्टिस अल्पेश वाई कोग्जे को गुजरात हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट।जस्टिस कुमारी गीता गोपी गुजरात हाईकोर्ट से मद्रास हाईकोर्ट।जस्टिस हेमन्त एम प्रच्छक गुजरात हाईकोर्ट से पटना हाईकोर्ट।जस्टिस समीर जे दवे...

धारा 482 सीआरपीसी | आरोपी के आपराधिक इतिहास ही आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से इनकार का एकमात्र आधार नहीं माना जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
धारा 482 सीआरपीसी | आरोपी के आपराधिक इतिहास ही आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से इनकार का एकमात्र आधार नहीं माना जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार करने के लिए आरोपी के आपराधिक इतिहास को ही एकमात्र आधार नहीं माना जा सकता।जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा, "किसी अभियुक्त को अदालत के सामने यह कहने का वैध अधिकार है कि उसका इतिहास कितना भी बुरा क्यों न हो, फिर भी यदि एफआईआर किसी अपराध के घटित होने का खुलासा करने में विफल रहती है या उसका मामला भजन लाल (सुप्रा) मामले में इस न्यायालय द्वारा निर्धारित मापदंडों में से एक के अंतर्गत आता है, तो अदालत को केवल इस...

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने नई सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग के निर्माण की घोषणा की, कहा कि ग्राउंड फ्लोर SCBA, SCAORA को समर्पित
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने नई सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग के निर्माण की घोषणा की, कहा कि ग्राउंड फ्लोर SCBA, SCAORA को समर्पित

सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की चुनौती से संबंधित संवैधानिक सुनवाई के दौरान, भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने घोषणा की कि सुप्रीम कोर्ट के लिए एक नई इमारत सुविधा वर्तमान में निर्माणाधीन है। उन्होंने कहा कि इमारत मौजूदा इमारत के पीछे स्थित होगी और इसमें विभिन्न आवश्यक घटक होंगे। आगामी भवन का ग्राउंड फ्लोर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए), सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) जैसी संस्थाओं के लिए नामित किया जाएगा और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस...

अनुच्छेद 370 मामला - सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, जम्मू-कश्मीर का भारत को संप्रभुता का समर्पण बिल्कुल पूर्ण था
अनुच्छेद 370 मामला - सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, जम्मू-कश्मीर का भारत को संप्रभुता का समर्पण बिल्कुल पूर्ण था

अनुच्छेद 370 मामले में चल रही सुनवाई के पांचवें दिन के दौरान, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता का भारत को समर्पण बिना शर्त और पूर्ण था।पीठ ने आगे यह भी रेखांकित किया कि जम्मू-कश्मीर के संबंध में कानून बनाने की शक्तियों के संदर्भ में भारतीय संसद पर लगाई गई बेड़ियों का मतलब भारत में निहित संप्रभुता को कम करना नहीं है।यह चर्चा जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट जफर शाह द्वारा की गई दलीलों के दौरान उठी।सीनियर एडवोकेट ने...

जब सरकारी भूमि पर प्रतिकूल कब्जे का दावा किया जाता है, तो अदालतों को अधिक सावधानी से कार्य करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
जब सरकारी भूमि पर प्रतिकूल कब्जे का दावा किया जाता है, तो अदालतों को अधिक सावधानी से कार्य करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान राज्य बनाम हरफूल सिंह (2000) 5 एससीसी 652 के फैसले पर भरोसा करते हुए कहा कि जब विवादित भूमि, जिस पर प्रतिकूल कब्जे का दावा किया गया है, सरकार की है तो कोर्ट की जांच की प्रकृति अधिक गंभीर एवं प्रभावी होना चाहिए। कोर्ट ने कहा,"जब कार्यवाही में शामिल भूमि , जिस पर प्रतिकूल कब्जे का दावा किया गया है, सरकार का है तो न्यायालय अधिक गंभीरता, प्रभावशीलता और सावधानी के साथ कार्य करने के लिए बाध्य है क्योंकि इससे अचल संपत्ति में राज्य का अधिकार/स्वामित्व नष्ट हो सकता है।" जस्टिस...

गुजरातः पूर्व एएसजी और सीनियर एडवोकेट आईएच सैयद के ‌ख़िलाफ़ एफआईआर रद्द; सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हलफ़नामे में शिकायतकर्ता ने माना कि आरोप ग़लत धाराणाओं पर आधारित
गुजरातः पूर्व एएसजी और सीनियर एडवोकेट आईएच सैयद के ‌ख़िलाफ़ एफआईआर रद्द; सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हलफ़नामे में शिकायतकर्ता ने माना कि आरोप ग़लत धाराणाओं पर आधारित

सुप्रीम कोर्ट ने एक साल से अधिक चली कानूनी लड़ाई के बाद हाल ही में गुजरात हाईकोर्ट में नामित सीनियर एडवोकेट और पूर्व सहायक सॉलिसिटर-जनरल इकबाल हसन अली सैयद के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी। अहमदाबाद स्थित व्यवसायी विरल शाह की शिकायत पर सैयद पर पांच अन्य लोगों के साथ, चोट पहुंचाने, आपराधिक धमकी, जबरन वसूली, गलत तरीके से कैद करने आदि के आरोप लगाए गए थे।जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 482 के तहत सैयद की ओर से एफआईआर रद्द करने के...

न तो पारदर्शी, न ही कुशल: एससीएओआरए ने तत्काल मामलों का उल्लेख करने के लिए अपनाई गई नई प्रक्रिया का विरोध किया
'न तो पारदर्शी, न ही कुशल': एससीएओआरए ने तत्काल मामलों का उल्लेख करने के लिए अपनाई गई नई प्रक्रिया का विरोध किया

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) से सुप्रीम कोर्ट में जरूरी मामलों का उल्लेख करने के लिए नए अपनाए गए सिस्टम को बदलने का आग्रह किया।जुलाई में वार्षिक ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद सामान्य अदालती कामकाज फिर से शुरू होने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामलों के उल्लेख की पिछली सिस्टम में बड़े बदलाव की अधिसूचना जारी की थी। अन्य बातों के अलावा, असूचीबद्ध उल्लेख की प्रथा को अस्वीकार कर दिया गया था।नई व्यवस्था के तहत वकील केवल उन सत्यापित नए मामलों की...

सुप्रीम कोर्ट एंट्री पास के लिए अब कतार नहीं, ई-पास के लिए ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च
सुप्रीम कोर्ट एंट्री पास के लिए अब कतार नहीं, ई-पास के लिए ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च

सुप्रीम कोर्ट ने "सुस्वागतम" नाम से एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया है जिसके माध्यम से वकील, वादकारी और आगंतुक न्यायालय में प्रवेश के लिए पास के लिए आवेदन कर सकते हैं। अनुच्छेद 370 मामले में संविधान पीठ की सुनवाई शुरू होने से पहले गुरुवार सुबह भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पोर्टल लॉन्च करने की घोषणा की। वर्तमान में वकीलों सहित सुप्रीम कोर्ट परिसर में प्रवेश करने के इच्छुक व्यक्तियों को काउंटर से प्रवेश पास प्राप्त करना होता है। पास पाने के लिए हर सुबह लंबी कतारें आम बात हैं। ई-पोर्टल...

एनसीडीआरसी ने ऐसे काम किया जैसे कि वे एक्सपर्ट हों: सुप्रीम कोर्ट ने बीमा दावा खारिज करने का आदेश पलटा
'एनसीडीआरसी ने ऐसे काम किया जैसे कि वे एक्सपर्ट हों': सुप्रीम कोर्ट ने बीमा दावा खारिज करने का आदेश पलटा

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई करते हुए एनसीडीआरसी के फैसले पर अपना असंतोष व्यक्त किया।जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। खंडपीठ यह देखकर आश्चर्यचकित रह गई कि वर्तमान मामले में ट्रिब्यूनल के सदस्यों ने टिप्पणियां कीं, जैसे वे विवादित मामले के एक्सपर्ट हैं।न्यायालय ने कहा,“हम यह देखकर आश्चर्यचकित हैं कि शिकायत सुनने वाले सदस्यों ने ऐसी टिप्पणियां की हैं जैसे कि वे हानि...

बिलकिस बानो केस सुनवाई - सजा में छूट प्रशासनिक आदेश है, आपराधिक मामलों में तीसरे पक्ष की मिसाल इसमें लागू नहीं होगी : सुप्रीम कोर्ट
बिलकिस बानो केस सुनवाई - सजा में छूट प्रशासनिक आदेश है, आपराधिक मामलों में तीसरे पक्ष की मिसाल इसमें लागू नहीं होगी : सुप्रीम कोर्ट

सीनियर एडवोकेट ऋषि मल्होत्रा ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जनहित याचिका में सजा में छूट के आदेशों को चुनौती देने के लिए तीसरे पक्ष को अनुमति देना 'मुकदमेबाजी का द्वार' खोलकर एक 'खतरनाक मिसाल' स्थापित करेगा। उन्होंने बिलकिस बानो के बलात्कारियों की समयपूर्व रिहाई के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के सुनवाई योग्य होने पर प्रारंभिक आपत्ति जताई।जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ गुजरात में 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान कई हत्याओं और हिंसक यौन उत्पीड़न के लिए...

जम्मू और कश्मीर मामला - 2019 के राष्ट्रपति आदेश ने अप्रत्यक्ष रूप से अनुच्छेद 370 में संशोधन किया, जो अस्वीकार्य है: गोपाल सुब्रमण्यम ने सुप्रीम कोर्ट से कहा
जम्मू और कश्मीर मामला - 2019 के राष्ट्रपति आदेश ने अप्रत्यक्ष रूप से अनुच्छेद 370 में संशोधन किया, जो अस्वीकार्य है: गोपाल सुब्रमण्यम ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के बैच में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के चौथे दिन सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम ने तर्क दिया कि असममित संघवाद, स्वायत्तता और सहमति अनुच्छेद 370 के तीन स्तंभ थे। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 356 के तहत शक्ति का प्रयोग सरकार को अनुच्छेद 370 के तहत कानूनी अधिकार प्रदान नहीं कर सकता। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की संविधान पीठ इस मामले की...

हमारे कॉलेज और यूनिवर्सिटी हमारे उदार लोकतंत्र के लिए अत्यावश्यक हैं : जस्टिस बीवी नागरत्ना
हमारे कॉलेज और यूनिवर्सिटी हमारे उदार लोकतंत्र के लिए अत्यावश्यक हैं : जस्टिस बीवी नागरत्ना

सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के 12वें दीक्षांत समारोह और संस्थापक दिवस पर अपना भाषण दिया, जिसका शीर्षक: 'हमारी संवैधानिक संस्कृति का पोषण, विश्वविद्यालयों के लिए एक उच्च आह्वान था।' उन्होंने ग्रैजुएट स्टूडेंट्स को शैक्षणिक कठोरता से गुजरने के लिए बधाई दी। उन्होंने अपना संबोधन यह कहते हुए शुरू किया: “हमारे मूल लोकतांत्रिक संस्थान नागरिकों और सरकारों के बीच महत्वपूर्ण मध्यस्थ हैं; हमारे पास विधानमंडलों में राजनीतिक संस्थाएं हैं, हमारे पास...

किसी व्यक्ति को शिकायत/ एफआईआर वापस लेने या विवाद सुलझाने के लिए धमकी देने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 195ए नहीं लगेगी : सुप्रीम कोर्ट
किसी व्यक्ति को शिकायत/ एफआईआर वापस लेने या विवाद सुलझाने के लिए धमकी देने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 195ए नहीं लगेगी : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति को शिकायत या एफआईआर वापस लेने या विवाद सुलझाने के लिए धमकी देने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 195ए नहीं लगेगी।जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि धारा 195ए का बाद वाला हिस्सा यह स्पष्ट करता है कि झूठे साक्ष्य का मतलब अदालत के समक्ष झूठा साक्ष्य देना है।इस मामले में, एफआईआर में आरोप यह है कि आरोपी व्यक्तियों ने आईपीसी की धारा 376 डी, 323, 120 बी, 354 ए और 452 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दर्ज की गई पहली एफआईआर को वापस लेने के लिए पहली...

अपर्याप्त मुद्रांकित समझौते में मध्यस्थता खंड पर कार्रवाई नहीं की जा सकती, सुप्रीम कोर्ट अपने इस फैसले के खिलाफ सुनवाई करेगा
अपर्याप्त मुद्रांकित समझौते में मध्यस्थता खंड पर कार्रवाई नहीं की जा सकती, सुप्रीम कोर्ट अपने इस फैसले के खिलाफ सुनवाई करेगा

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने 2020 के एक फैसले के खिलाफ एक क्यूरेटिव पीटिशन (उपचारात्मक याचिका) सूचीबद्ध की। शीर्ष अदालत ने 2020 के अपने फैसले में कहा था कि अपर्याप्त रूप से मुद्रांकित समझौते में मध्यस्थता खंड पर अदालत कार्रवाई नहीं कर सकती है। याचिका पर 24 अगस्त 2023 को सुनवाई होगी।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने मामले में नोटिस जारी किया। उक्त फैसले के खिलाफ एक पुनर्व‌िचार याचिका को जस्टिस एन वी...

अगर अभियुक्तों को पहले ही पुलिस स्टेशन में गवाहों के दिखाया गया है तो परीक्षण पहचान परेड की पवित्रता संदिग्ध: सुप्रीम कोर्ट
अगर अभियुक्तों को पहले ही पुलिस स्टेशन में गवाहों के दिखाया गया है तो परीक्षण पहचान परेड की पवित्रता संदिग्ध: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर किसी मामले को साबित करने के सिद्धांतों को दोहराया। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि परिस्थितयों को स्‍थापित "अवश्य होना चाहिए/होना चाहिए" न कि "शायद" स्थापित होना चाहिए। इन्हीं टिप्पणियों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा हत्या के आरोपी 3 व्यक्तियों को दी गई दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया गया। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर सजा के खिलाफ अपील पर...

बीमा कंपनियों को प्रामाणिक और उचित तरीके से व्यवहार करना चाहिए, केवल अपने फायदे की परवाह नहीं करनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
बीमा कंपनियों को प्रामाणिक और उचित तरीके से व्यवहार करना चाहिए, केवल अपने फायदे की परवाह नहीं करनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बीमा कंपनी से यह उम्मीद की जाती है कि वह बीमाधारक के साथ वास्तविक और निष्पक्ष व्यवहार करेगा, न कि केवल अपने मुनाफे की परवाह करेगा। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा, "बीमा कंपनी का यह कर्तव्य है कि वह अपनी जानकारी में मौजूद सभी भौतिक तथ्यों का खुलासा करे, क्योंकि सद्भावना का दायित्व दोनों पर समान रूप से लागू होता है।"मामले में शिकायतकर्त ने 100 एकड़ क्षेत्र में झींगा उत्पादन किया था। उन्होंने एक बीमा कंपनी से बीमा कवरेज लिया...

राष्ट्रीयकृत बैंक कर्मचारी लोक सेवक, लेकिन सीआरपीसी की धारा 197 के तहत सुरक्षा उसे उपलब्ध नहीं: सुप्रीम कोर्ट
राष्ट्रीयकृत बैंक कर्मचारी 'लोक सेवक', लेकिन सीआरपीसी की धारा 197 के तहत सुरक्षा उसे उपलब्ध नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीयकृत बैंक में कार्यरत व्यक्ति को सीआरपीसी की धारा 197 की सुरक्षा उपलब्ध नहीं है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 197 केवल उन मामलों में लागू होती है, जहां लोक सेवक ऐसा होता है, जिसे सरकार की अनुमति के बिना सेवा से हटाया नहीं जा सकता है।मौजूदा मामले में आरोपी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ओवरसीज बैंक, हैदराबाद में सहायक महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत थे। उन पर आरोप था कि उन्होंने अन्य सह-अभियुक्तों के साथ मिलकर मेसर्स स्वेन...

धारा 482 सीआरपीसी -एफआईआर रद्द करने की याचिका पर विचार करते समय हाईकोर्ट गूढ़ अर्थ निकालने की कोशिश करें
धारा 482 सीआरपीसी -एफआईआर रद्द करने की याचिका पर विचार करते समय हाईकोर्ट गूढ़ अर्थ निकालने की कोशिश करें

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एफआईआर/आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर विचार करते समय हाईकोर्ट को मामले की शुरुआत/रजिस्ट्रेशन के साथ-साथ जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री की समग्र परिस्थितियों को ध्यान में रखने का अधिकार है।जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा, "तुच्छ या परेशान करने वाली कार्यवाहियों में न्यायालय का कर्तव्य है कि वह मामले के रिकॉर्ड से निकली कई अन्य परिस्थितियों पर गौर करे और यदि आवश्यक हो, तो उचित देखभाल और...