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निर्वाचन अपराधों के 100 साल  : समयानुसार बदलाव की आवश्यकता
निर्वाचन अपराधों के 100 साल : समयानुसार बदलाव की आवश्यकता

शरीर में मेरुदंड का जो स्थान है वही स्थान जनतंत्र में चुनावों का है। यदि मेरुदंड में कहीं भी कोई विकार पैदा होता है तो शरीर की शक्ति क्षीण होने लगती है, ठीक उसी तरह जब चुनाव प्रक्रिया में कोई विकार पैदा होता है तो जनतंत्र की नींव भी हिल जाती है। इतिहास गवाह है कि भारत ही नहीं, पूरे विश्व की जितनी भी जनतांत्रिक सरकारें हैं, वहां पर चुनाव प्रक्रिया को दूषित करने का प्रायः प्रयास किया जाता रहा है। चुनाव की सुचिता बनाए रखने के लिए प्रत्येक देश में विभिन्न मानवीय गतिविधियों को विभिन्न अपराधों की...

किसी महिला को सीआरपीसी (CrPC) के तहत गिरफ्तार करने के प्रावधान:- पुलिस कैसे एक महिला को गिरफ्तार कर सकती है?
किसी महिला को सीआरपीसी (CrPC) के तहत गिरफ्तार करने के प्रावधान:- पुलिस कैसे एक महिला को गिरफ्तार कर सकती है?

अपराध की घटनाओं और महिलाओं के विकास के बीच संबंध आवर्ती है, जहां खराब सामाजिक और आर्थिक स्थिति महिलाओं के बीच कमजोरियों में वृद्धि का कारण बनती है। भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा ने हाल के वर्षों में पर्याप्त कानूनी सुधारों की तत्काल आवश्यकता पर कई सार्वजनिक नीतिगत बहसों के साथ व्यापक ध्यान आकर्षित किया है। हालांकि, अधिकांश मामलों में यह देखा गया है कि पुलिस द्वारा महिलाओं की गिरफ्तारी के समय अनुपयुक्त व्यवहार किया है।हर कानून किसी एक मंशा से बनाया जाता है जिसके माध्यम से एक लक्ष्य को हासिल...

सुप्रीम कोर्ट में जजों ‌की नियुक्तियांः रुझानों और प्रवृत्त‌ियों की पहचान
सुप्रीम कोर्ट में जजों ‌की नियुक्तियांः रुझानों और प्रवृत्त‌ियों की पहचान

स्वप्‍निल त्रिपाठीहाल में खबरें आईं कि कानून मंत्रालय (भारत सरकार) सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों का इंतजार कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट में जजों की अनुमोद‌ित संख्या 34 (चीफ जस्टिस समेत) है। हालांकि, कोर्ट वर्तमान में 30 जजों के साथ ही कार्यरत है, क्योंकि जस्ट‌िस गोगोई, जस्ट‌िस गुप्ता, जस्ट‌िस भानुमति और जस्ट‌िस मिश्रा की सेवानिवृत्ति के बाद अब तक एक भी नियुक्ति नहीं हो पाई है। जस्ट‌िस गोगोई 2019 में सेवानिवृत्त हुई थी, जबकि शेष इस वर्ष की शुरुआत में...

असंज्ञेय रिपोर्ट के बारे में विस्तृत जानकारी : कैसे असंज्ञेय रिपोर्ट प्रथम सूचना रिपोर्ट से अलग है
असंज्ञेय रिपोर्ट के बारे में विस्तृत जानकारी : कैसे असंज्ञेय रिपोर्ट प्रथम सूचना रिपोर्ट से अलग है

भारतीय कानून में अपराधों को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है, यह विभाजन अपराधों की प्रकृति के आधार पर किया गया है।· संज्ञेय अपराध और असंज्ञेय अपराध· जमानतीय अपराध और गैर जमानतीय अपराध· समझौते योग्य अपराध और असमझौते योग्य अपराधजब असंज्ञेय अपराध से सम्बंधित घटना की सूचना थाने में देकर उस सूचना के आधार पर शिकायत दर्ज कराई जाती है तो ऐसे में पुलिस उस सूचना के आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करती है और उसकी एक कॉपी शिकायतकर्ता को बिना कोई शुल्क लिए देती है। एफआईआर ...

मोटर वाहन दुर्घटना में क्लेम करने की प्रोसेस, ट्रिब्यून और अपील के बारे में विस्तृत जानकारी
मोटर वाहन दुर्घटना में क्लेम करने की प्रोसेस, ट्रिब्यून और अपील के बारे में विस्तृत जानकारी

21 वी सदी में जब टेक्नोलॉजी अपने उन्नति के नए आयाम पर है तो वर्तमान समय में परिवहन की भूमिका चाहे वह सार्वजनिक हो या निजी, हमारे सामाजिक संपर्कों तथा कमर्शियल लेनदेन के लिए आवश्यक हो गई है। परिवहन तकनीकी रूप से हर दूसरे दिन और अधिक उन्नत हो रहा है। मोटर वाहनों के उपयोग में एक बड़ा विस्तार हो रहा है क्यों की बदलते समय की मांग है समय की बचत और समय के बचत के लिए लोग उन्नत किस्म के परिवहन की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं पर कहते है है हर सुविधा के दो पहलू होते है-तकनीक की उन्नति के साथ भी हमें सड़क...

जब महात्मा गांधी ने माफी मांगने से इनकार किया और अवमानना की कार्रवाई का सामना किया
जब महात्मा गांधी ने माफी मांगने से इनकार किया और अवमानना की कार्रवाई का सामना किया

अशोक किनीअवमानना मामले में एडवोकेट प्रशांत भूषण ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में दिए बयान में महात्मा गांधी के कथन को उद्धृत किया था। महात्मा गांधी के उक्त कथन की काफी चर्चा हुई। दरअसल महात्मा गांधी ने उक्त कथन 1919 में बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष दिया था। तब गांधी के खिलाफ़ उस कोर्ट ने अवमानना ​​कार्यवाही शुरु की थी। आलेख गांधी के खिलाफ चलाए गए अवमानना ​​मामले और उस मामले में फैसले पर चर्चा की गई है। मोहनदास करमचंद गांधी और महादेव हरिभाई देसाई "यंग इंडिया" नामक एक साप्ताहिक समाचार पत्र के...

मेरे प्यारे दोस्त, कल केस है! आपके वकील ने ब्रीफ तक नहीं पढ़ी है भूलाभाई देसाई की कहानी, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए जिरह की
"मेरे प्यारे दोस्त, कल केस है! आपके वकील ने ब्रीफ तक नहीं पढ़ी है" भूलाभाई देसाई की कहानी, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए जिरह की

संजोय घोष"और यह न्याय का मज़ाक होगा, अगर हमें किसी फैसले के नतीजे रूप में बताया जाए या अन्य‌था हो, कि भारतीय, एक सैनिक के रूप में जर्मनी के खिलाफ इंग्लैंड की आज़ादी के लिए लड़ सकता है, इंग्लैंड की आज़ादी के लिए इटली के खिलाफ, जापान के खिलाफ लड़ सकता है, और अभी तक ऐसी स्थिति नहीं आई है कि जब एक आज़ाद भारतीय राज्य खुद को इंग्लैंड सहित किसी भी देश से आज़ाद करने की इच्छा व्यक्त नहीं कर सकता है।" यह ऐसा ट्रायल था, जिस पर सभी की ‌निगाह थी। खचाखच भरे कोर्ट रूप में उस गुजराती वकील के एक-एक शब्द गूंज...

संविधान की पवित्रता अनिवार्य रूप से धर्मनिरपेक्षता की पुष्टि में है: संविधान सभा की एकमात्र मुस्लिम महिला बेगम ऐज़ाज़ रसूल के भाषण के अंश
'संविधान की पवित्रता अनिवार्य रूप से धर्मनिरपेक्षता की पुष्टि में है': संविधान सभा की एकमात्र मुस्लिम महिला बेगम ऐज़ाज़ रसूल के भाषण के अंश

('संविधान सभा में महिलाएं' श्रृंखला में भारत की संविधान सभा में महिलाओं द्वारा निभाई गई भूमिका की चर्चा की जा रही है। यह श्रृंखला का चौथा लेख है।) "संविधान की सर्वोत्कृष्ट विशेषता यह है कि भारत विशुद्ध धर्मनिरपेक्ष राज्य है। संविधान की पवित्रता अनिवार्य रूप से धर्मनिरपेक्षता की पुष्टि में निहित है और हमें इस पर गर्व है। मुझे पूरा विश्वास है कि धर्मनिरपेक्षता संरक्षित और अक्षुण्‍ण रहेगी, भारत के लोगों की पूर्ण एकता इसी पर निर्भर है, इसके बिना प्रगति की सभी आशाएं व्यर्थ हैं।" [1] 22 नवंबर 1949...