हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (08 सितंबर, 2025 से 12 सितंबर, 2025) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।
इस्लाम में बहुविवाह तभी मान्य जब पति पत्नियों के बीच न्याय कर सके: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की है कि इस्लाम में बहुविवाह (Polygamy) केवल तभी मान्य है जब पुरुष अपनी पत्नियों के साथ समान न्याय करने में सक्षम हो। जस्टिस पी.वी. कुन्हिकृष्णन ने यह अवलोकन उस समय किया जब उन्होंने एक पुनरीक्षण याचिका का निपटारा करते हुए परिवार न्यायालय (Family Court) के आदेश को बरकरार रखा। परिवार न्यायालय ने पत्नी की उस मांग को खारिज कर दिया था जिसमें उसने अपने पति से ₹10,000 मासिक भरण-पोषण की मांग की थी। पति एक नेत्रहीन व्यक्ति है, जो भीख और पड़ोसियों की कभी-कभी मिलने वाली मदद से जीवनयापन करता है।
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भिखारी पति से पत्नी को गुज़ारा भत्ता नहीं दिलवाया जा सकता: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि जो व्यक्ति भिक्षा पर निर्भर है, उसे दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत पत्नी को भरण-पोषण (maintenance) देने का आदेश नहीं दिया जा सकता, भले ही पत्नी उससे गुज़ारा भत्ता की मांग करे। जस्टिस पी.वी कुनहीकृष्णन ने पुनरीक्षण याचिका का निपटारा करते हुए फैमिली कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें याचिकाकर्त्री द्वारा अपने पति से ₹10,000 मासिक गुज़ारा भत्ता मांगने की अर्जी खारिज कर दी गई थी। पति नेत्रहीन है और भिक्षा तथा पड़ोसियों से मिलने वाली कभी-कभार की मदद पर जीवन यापन करता है।
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चार्जशीट या निलंबन के बिना सील्ड कवर प्रक्रिया लागू नहीं की जा सकती: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि पदोन्नति मामलों में सील्ड कवर प्रक्रिया केवल तभी अपनाई जा सकती है, जब कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही में चार्जशीट जारी की गई हो, आपराधिक अभियोजन में आरोपपत्र दाखिल हुआ हो या वह निलंबित किया गया हो। महज़ FIR दर्ज होने या जांच लंबित रहने की स्थिति में यह प्रक्रिया लागू नहीं की जा सकती।
जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की खंडपीठ ने यह निर्णय उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें केंद्र सरकार ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) के आदेश को चुनौती दी थी। अधिकरण ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सील्ड कवर खोला जाए और यदि सिफारिश की गई हो तो संबंधित अधिकारी को 1 जनवरी, 2021 से संयुक्त आयुक्त पद पर पदोन्नति दी जाए।
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भाई की पत्नी को साझा घर में रहने से मना करना घरेलू हिंसा के समान: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि यदि किसी महिला को उसके साझा घर (शेयर्ड हाउसहोल्ड) में रहने से रोका जाता है तो यह घरेलू हिंसा की श्रेणी में आता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 17 के तहत महिला को साझा घर में रहने का अधिकार है। चाहे उस घर में उसका कोई स्वामित्व, हक या लाभकारी हित क्यों न हो। मामले के अनुसार गैर-आवेदक नंबर 1 अपने पति की मृत्यु के बाद साझा घर में रहने के लिए गई थी लेकिन पति के भाई यानी आवेदक ने उसे वहां रहने से रोक दिया।
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योग्य आवेदक को निकाह के लिए NOC जारी न करना अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का उल्लंघन: मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि यदि आवेदक अन्यथा अयोग्य नहीं है तो क्षेत्राधिकार प्राप्त जमात निकाह कराने के लिए आवेदक को अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी करने के लिए बाध्य है। जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन ने कहा कि योग्य आवेदक को NOC जारी न करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आवेदक के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा। अदालत ने कहा कि इस्लामी परंपरा के अनुसार, निकाह संपन्न कराने के लिए क्षेत्राधिकार प्राप्त जमात द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना आवश्यक है। इसलिए न्यायालय ने कहा कि जब यह प्रथा लागू हो तो जमात का कर्तव्य है कि वह अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करे, जब तक कि आवेदक अन्यथा अयोग्य न हो।
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असफल सगाई 'सहमति से संबंध' नहीं बनाती, शादी के झूठे वादे पर बलात्कार: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि वयस्कों के बीच सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध को केवल इसलिए बलात्कार नहीं माना जा सकता, क्योंकि वह विवाह में परिणत नहीं हुआ। अदालत ने कथित बलात्कार के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज FIR यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसने अपनी मंगेतर के साथ सहमति से संबंध बनाए, जिसमें रोका समारोह के बाद दोनों पक्षों के बीच मतभेदों के कारण विवाह नहीं हो सका।
'र***ी' शब्द का इस्तेमाल महिला के यौन सम्मान पर हमला, शील भंग के समान: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि किसी महिला को 'र***ी' कहना उसके यौन सम्मान पर सवाल उठाकर उसके चरित्र पर हमला करता है। यह शील भंग (Modesty) के अपराध के बराबर है। जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा कि जब यह शब्द किसी महिला के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो यह यौन व्यंजना से भरा होता है और सीधे तौर पर उसकी पवित्रता पर लांछन लगाता है।
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सुप्रीम कोर्ट से पुष्टि प्राप्त भूमि अधिग्रहण धारा 24(2) के तहत न तो निरस्त होगा, न ही पुनर्जीवित: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन भूमि अधिग्रहण कार्यवाहियों को सुप्रीम कोर्ट पहले ही वैध ठहरा चुका है, उन्हें भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन में न्यायसंगत मुआवज़ा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 की धारा 24(2) के आधार पर न तो पुनर्जीवित किया जा सकता है और न ही अमान्य घोषित।
जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने यह टिप्पणी मेरठ ज़िले की भूमि अधिग्रहण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए दी। अदालत ने कहा कि अधिग्रहण की कार्यवाही 1990 में पूरी हो चुकी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में इसे बरकरार रखा था। ऐसे में अब धारा 24(2) का सहारा लेकर उसे चुनौती नहीं दी जा सकती।
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बॉम्बे हाईकोर्ट का अहम फैसला: हाईकोर्ट के निर्देश पर मजिस्ट्रेट को CrPC की धारा 145 के तहत अलग से प्रारंभिक आदेश की जरूरत नहीं
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया कि यदि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 145 के तहत किसी जांच का विशेष निर्देश दिया तो मजिस्ट्रेट को धारा 145(1) के तहत अलग प्रारंभिक आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों में शांति भंग होने की संभावना वाले विवाद के बारे में संतुष्टि पहले ही हाईकोर्ट द्वारा दर्ज कर ली जाती है और मजिस्ट्रेट का कर्तव्य केवल निर्देशानुसार जांच करना होता है।
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दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला: पिता की वसीयत न होने पर संपत्ति पर बेटे का निजी हक
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया कि जिस पिता की मृत्यु बिना वसीयत बनाए होती है, उसकी संपत्ति उसके बेटे को उसकी व्यक्तिगत हैसियत से मिलती है, न कि उसके अपने परिवार के 'कर्ता' के रूप में। इस फैसले के अनुसार जब तक पिता जीवित है, तब तक उसका बेटा उस संपत्ति में कोई अधिकार नहीं जता सकता।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 बिना वसीयत वाले उत्तराधिकार के मामले में जन्मसिद्ध अधिकार की अवधारणा को बाहर कर देती है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पोते का अधिकार उसके पिता की मृत्यु के बाद ही उत्पन्न होता है, जब उत्तराधिकार वास्तव में खुलता है।
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हाईकोर्ट ने बिहार कांग्रेस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माँ वाली वीडियो हटाने का निर्देश दिया
पटना हाईकोर्ट ने बुधवार (17 सितंबर) को बिहार कांग्रेस द्वारा पोस्ट किए गए AI-जनरेटेड वीडियो को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने का निर्देश दिया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत माँ हीराबेन मोदी दिखाई दे रही हैं। अदालत ने मध्यस्थों को निर्देश दिया कि यदि वीडियो अभी भी प्रसारित हो रहा है तो उसे "केएस पुट्टस्वामी", "नालसा फाउंडेशन", "सुब्रमण्यम स्वामी" आदि जैसे सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों के आलोक में प्रसारित होने से रोकें, जिनमें कहा गया कि निजता और सम्मान का अधिकार व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हिस्सा हैं।
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Hindu Marriage Act | अपील अवधि के दौरान पूर्व पति/पत्नी द्वारा डाइवोर्स डिक्री को चुनौती नहीं दिए जाने पर दूसरा विवाह वैध: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में व्यवस्था दी कि पूर्व विवाह को भंग करने वाले डाइवोर्स डिक्री के विरुद्ध अपील करने के लिए निर्धारित समय-सीमा के भीतर किया गया विवाह अवैध नहीं माना जाएगा, यदि पूर्व पति/पत्नी द्वारा आदेश को चुनौती नहीं दी जाती। जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस एम.बी. स्नेहलता की खंडपीठ ने यह निर्णय फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली पत्नी (याचिकाकर्ता) की मूल याचिका पर विचार करते हुए पारित किया।
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जिस फैसले के आधार पर नौकरी मिली, वह रद्द होने पर नियुक्ति भी रद्द: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अगर किसी व्यक्ति को अदालत के एक फैसले के आधार पर नौकरी मिलती है और बाद में वह फैसला रद्द हो जाता है तो उसकी नियुक्ति भी बरकरार नहीं रह सकती। जस्टिस रेखा बोराना याचिका पर सुनवाई कर रही थीं, जिसमें याचिकाकर्ता की नियुक्ति रद्द करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता को यादवेंद्र शांडिल्य बनाम राज्य मामले में दिए गए फैसले के आधार पर भर्ती प्रक्रिया में बोनस अंक और बाद में नौकरी मिली थी।
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सिर्फ़ रुपये की बरामदगी रिश्वत नहीं मानी जाएगी, मांग का सबूत ज़रूरी: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक वन अधिकारी की बरी होने की सज़ा को बरकरार रखा है, जिस पर ₹3000 रिश्वत मांगने और लेने का आरोप था। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ़ आरोपी के पास रंगे हाथ पकड़े गए नोट मिलना रिश्वत साबित करने के लिए काफ़ी नहीं है, जब तक अवैध मांग और स्वेच्छा से स्वीकार करने का सबूत न हो। जस्टिस सुशील कुक्रेजा ने कहा कि मांग और स्वीकार्यता के अभाव में अभियोजन अपना केस संदेह से परे साबित करने में नाकाम रहा और ट्रायल कोर्ट ने सही ढंग से आरोपी को बरी किया।
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पुनः जांच का आदेश केवल हाईकोर्ट जैसी श्रेष्ठ अदालत ही दे सकती है, मजिस्ट्रेट नहीं : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पुनः जांच का आदेश केवल हाईकोर्ट जैसी श्रेष्ठ अदालत ही दे सकती है, मजिस्ट्रेट नहीं : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी मामले में पुनः जांच का आदेश केवल हाईकोर्ट जैसी श्रेष्ठ अदालत ही दे सकती है। मजिस्ट्रेट को ऐसा आदेश देने का अधिकार प्राप्त नहीं है।
जस्टिस जसजीत सिंह बेदी ने कहा, “पुनः जांच के आदेश केवल हाईकोर्ट जैसी श्रेष्ठ अदालत ही पारित कर सकती है। मजिस्ट्रेट ऐसा आदेश नहीं दे सकता। वहीं फर्दर इन्वेस्टिगेशन जांच एजेंसी का अधिकार क्षेत्र है। हालांकि बेहतर यही है कि इसका पूर्व सूचना मजिस्ट्रेट को दी जाए, क्योंकि धारा 173(2) दंड प्रक्रिया संहिता के तहत प्राथमिक रिपोर्ट पहले ही दायर हो चुकी होती है।”
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एक धर्म के व्यक्ति का दूसरे धर्म के त्योहारों में भाग लेना किसी भी संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि "किसी विशेष धर्म या आस्था को मानने वाले व्यक्ति का दूसरे धर्म के त्योहारों में भाग लेना भारत के संविधान के तहत प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन नहीं है।" यह टिप्पणी मैसूर में दशहरा उत्सव के उद्घाटन के लिए मुख्य अतिथि के रूप में बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को राज्य द्वारा आमंत्रित किए जाने को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को खारिज करते हुए की गई।
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ससुराल वालों से न बन पाने के कारण अलग रहना मानसिक क्रूरता नहीं : कलकत्ता हाईकोर्ट
कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि पत्नी अपने ससुराल वालों के साथ सामंजस्य स्थापित करने में असमर्थ रहती है। इस वजह से अलग रहने लगती है तो इसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498ए के तहत मानसिक क्रूरता नहीं माना जा सकता। जस्टिस डॉ. अजय कुमार मुखर्जी ने कहा कि ऐसा कोई ठोस साक्ष्य नहीं है, जिससे यह साबित हो कि पति या अन्य ससुराल वालों ने ऐसा जानबूझकर कोई कृत्य किया हो, जो पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाए या उसके जीवन, अंग-भंग या मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचाए।
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केवल FIR दर्ज होना पदोन्नति रोकने का आधार नहीं: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी की खंडपीठ ने कहा कि केवल FIR दर्ज होना आपराधिक कार्यवाही का लंबित होना नहीं माना जाता है और पदोन्नति केवल आरोप-पत्र दाखिल होने या आरोप तय होने के बाद ही रोकी जा सकती है।
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तीन दशक से अलग रह रहे दंपति को साथ रहने को मजबूर करना मानसिक क्रूरता: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की कि जब पति-पत्नी में से कोई भी पक्ष “तीन दशकों से अधिक समय तक अलग रह रहा हो और सुलह या सहवास का कोई प्रयास भी न किया गया हो, तो विवाह का मूल सार ही नष्ट हो जाता है।” अदालत ने कहा, “ऐसे में केवल एक कानूनी बंधन शेष रह जाता है, जिसमें कोई वास्तविकता नहीं होती। इतने लंबे अलगाव के बाद पक्षों को साथ रहने के लिए बाध्य करना अव्यावहारिक होगा और वास्तव में दोनों पक्षों पर और अधिक मानसिक क्रूरता थोपने जैसा होगा।”
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नाम बदलने का अधिकार मौलिक अधिकार, बोर्ड वैधानिक दस्तावेजों को अनदेखा कर अनुरोध खारिज नहीं कर सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति को अपना नाम बदलने या अपनाने का अधिकार संविधान के तहत मिले मौलिक अधिकारों का हिस्सा है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि शिक्षा बोर्ड वैधानिक दस्तावेजों पर विचार किए बिना मनमाने ढंग से ऐसे अनुरोधों को खारिज नहीं कर सकता।
जस्टिस संजय धर की पीठ मोहम्मद हसन (पहले राज वली) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने बोर्ड द्वारा जारी उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें उसके हाई स्कूल और इंटरमीडिएट प्रमाणपत्रों में नाम बदलने के उसके अनुरोध को खारिज कर दिया गया था।
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पिता के जीवित रहते दादा की संपत्ति में हिस्सा नहीं मांग सकते: दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि एक हिंदू व्यक्ति अपने दादा की संपत्ति में तब तक हिस्सा नहीं मांग सकता, जब तक कि उसके माता-पिता जीवित हों। कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 8 का हवाला देते हुए यह बात कही। जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने हिंदू महिला द्वारा अपने पिता और बुआ के खिलाफ दायर याचिका खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। महिला ने अपने दादा की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति में हिस्सा मांगा था।
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एक मुस्लिम महिला तलाक के बाद भी CrPC की धारा 125 के तहत अपने पति से भरण-पोषण मांग सकती है: पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने कहा है कि एक मुस्लिम महिला तलाक के बाद भी धारा 125 CrPC के तहत अपने पति से भरण-पोषण (maintenance) मांग सकती है, अगर तलाक के बाद इद्दत अवधि में उसके भविष्य के लिए पति ने “उचित और न्यायसंगत प्रावधान” नहीं किया। जस्टिस जितेंद्र कुमार ने फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराया, जिसमें एक मुस्लिम पुरुष को अपनी पत्नी को महीने ₹7,000 देने का निर्देश दिया गया था। पति ने दलील दी थी कि उनकी शादी आपसी सहमति (mubarat) से खत्म हो गई थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
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मजिस्ट्रेट को BNSS की धारा 358 के तहत अपराध का संज्ञान लेने का अधिकार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 358 (पहले CrPC की धारा 319) किसी मजिस्ट्रेट को किसी अपराध का संज्ञान लेने का अधिकार नहीं देती। BNSS की धारा 358 अदालत को ऐसे किसी भी व्यक्ति को समन जारी करने का अधिकार देती है, जो अभियुक्त नहीं है। हालांकि, साक्ष्यों से किसी अपराध का दोषी प्रतीत होता है।