'र***ी' शब्द का इस्तेमाल महिला के यौन सम्मान पर हमला, शील भंग के समान: दिल्ली हाईकोर्ट

Amir Ahmad

19 Sept 2025 12:54 PM IST

  • र***ी शब्द का इस्तेमाल महिला के यौन सम्मान पर हमला, शील भंग के समान: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि किसी महिला को 'र***ी' कहना उसके यौन सम्मान पर सवाल उठाकर उसके चरित्र पर हमला करता है। यह शील भंग (Modesty) के अपराध के बराबर है।

    जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा कि जब यह शब्द किसी महिला के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो यह यौन व्यंजना से भरा होता है और सीधे तौर पर उसकी पवित्रता पर लांछन लगाता है।

    कोर्ट ने कहा कि यह शब्द गाली का एक सामान्य रूप नहीं है बल्कि यह एक महिला को ढीले चरित्र वाली के रूप में चित्रित करता है। जब इसका उपयोग किया जाता है तो यह एक महिला को अपमानित करने और दूसरों की नज़र में उसकी प्रतिष्ठा को गिराने के लिए होता है।

    जस्टिस शर्मा ने कहा,

    "IPC की धारा 509 का सार एक महिला के शील का अपमान करने का इरादा है और शील को न्यायिक रूप से उसके जेंडर से जुड़ी गरिमा के रूप में समझा गया है।"

    कोर्ट एक महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 की धारा 509 (एक महिला के शील भंग) के तहत तीन पुरुषों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।

    शिकायतकर्ता स्कूल की उप-प्रधानाचार्य हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जब उन्हें पता चला कि उनके उपस्थिति रिकॉर्ड में छेड़छाड़ की गई तो वह प्रधानाचार्य के पास गईं। वहां एक पुरुष ने उनके खिलाफ अपमानजनक और अश्लील टिप्पणी की, जबकि अन्य दो पुरुषों ने भी अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया, आपत्तिजनक हावभाव दिखाए और उन्हें काबू में करने की कोशिश की।

    शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि स्कूल के प्रबंधक से बार-बार शिकायत करने के बावजूद प्रधानाचार्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

    कोर्ट का फैसला

    ट्रायल कोर्ट ने तीनों पुरुषों को इस आधार पर बरी कर दिया कि शिकायतकर्ता ने अपनी पहली दो शिकायतों में उनके नाम का उल्लेख नहीं किया।

    इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड से पता चला है कि शिकायतकर्ता ने घटना के अगले ही दिन अपनी बाद की शिकायत में तीनों पुरुषों का नाम लिया था। हालांकि उन्होंने दुर्व्यवहार की प्रकृति को स्पष्ट नहीं किया।

    कोर्ट ने दो पुरुषों को बरी करने का ट्रायल कोर्ट का फैसला बरकरार रखा, जिनके बारे में आरोप था कि उन्होंने साली कहकर गाली दी थी और धमकी दी थी कि उन्हें पदोन्नति नहीं मिलेगी या उन्हें स्कूल से निकाल दिया जाएगा।

    कोर्ट ने कहा,

    "पदोन्नति रोकने या याचिकाकर्ता को नौकरी से निकालने की धमकी, हालांकि जबरदस्ती और धमकाने वाली हैं लेकिन वे याचिकाकर्ता के यौन सम्मान से जुड़ी नहीं हैं। इस प्रकार, IPC की धारा 509 के दायरे में नहीं आती हैं।"

    कोर्ट ने तीसरे पुरुष को IPC की धारा 509 के तहत मुकदमे के लिए उत्तरदायी पाया यह देखते हुए कि उसने शिकायतकर्ता को 'र***ी' कहा और उनके साथ गाली-गलौज की थी। कोर्ट ने कहा कि इस शब्द को केवल एक गाली या सामान्य अपमान नहीं माना जा सकता।

    कोर्ट ने आदेश दिया,

    "रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री को प्रथम दृष्टया देखते हुए यह न्यायालय इस राय का है कि प्रतिवादी नंबर 2 के खिलाफ IPC की धारा 509 के तहत आरोप तय किए जा सकते हैं। हालांकि यह कि क्या दिए गए तथ्यों और परिस्थितियों में इस तरह की अभिव्यक्ति वास्तव में याचिकाकर्ता के शील को भंग करने का परिणाम थी, यह एक ट्रायल का मामला है।"

    Next Story