सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Update: 2022-09-25 06:30 GMT

सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (19 सितंबर, 2022 से 23 सितंबर, 2022 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

प्रशासनिक/कार्यकारी आदेश/परिपत्र को किसी भी विधायी योग्यता के अभाव में पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं दिया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी विधायी क्षमता के अभाव में प्रशासनिक/कार्यकारी आदेश या परिपत्र को पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता है। मामले में विवाद बीएसएनएल द्वारा दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के बैच को प्रदान की जा रही बुनियादी सुविधाओं के लिए शुल्क से संबंधित है, जिसे 12 जून, 2012 के एक परिपत्र द्वारा एक अप्रैल 2009 से बढ़ा दिया गया।

दूरसंचार विवाद निस्तारण और अपीलीय न्यायाधिकरण ने बुनियादी सुविधाओं की दरों को संशोधित करने के लिए बीएसएनएल के अधिकार को बरकरार रखते हुए कहा कि 12 जून, 2012 का परिपत्र संभावित रूप से प्रभावी होगा यानी 1 अप्रैल, 2009 के बजाय 1 अप्रैल, 2013 से प्रभावी होगा।

केस डिटेलः भारत संचार निगम लिमिटेड बनाम टाटा कम्युनिकेशंस लिमिटेड | 2022 लाइव लॉ (SC) 792 | CA 1699 - 1723 OF 2015 | 22 सितंबर 2022 | जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्न

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जांच के लिए समय बढ़ाने के आवेदन पर विचार करते हुए आरोपी को अदालत के समक्ष पेश करने में विफलता मौलिक अधिकार का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि जांच के लिए समय बढ़ाने के आवेदन पर विचार के समय आरोपी को अदालत के समक्ष पेश करने में विफलता संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अभय एस. ओका की पीठ ने कहा, "अदालत के समक्ष या तो भौतिक रूप से या वर्चुअल अभियुक्त की उपस्थिति प्राप्त करने में विफलता और उसे यह सूचित करने में विफलता कि लोक अभियोजक द्वारा समय विस्तार के लिए किए गए आवेदन पर विचार किया जा रहा है। यह केवल प्रक्रियात्मक अनियमितता नहीं है। यह सकल अवैधता है, जो अनुच्छेद 21 के तहत आरोपी के अधिकारों का उल्लंघन करती है।"

केस टाइटलः जिगर @ जिमी प्रवीणचंद्र अदतिया बनाम गुजरात राज्य | लाइव लॉ (एससी) 794/2022 | 2022 का सीआरए 1656 | 23 सितंबर 2022 | जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अभय एस ओका।

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सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब मामले में सुनवाई पूरी की, फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज 10 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर अपना फैसला सुरक्षित रखा, जिसने शैक्षणिक संस्थानों में मुस्लिम छात्रों द्वारा हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को बरकरार रखा था।

जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, कर्नाटक के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी और राज्य के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को सुना।

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अनुच्छेद 370 याचिकाओं को "निश्चित रूप से सूचीबद्ध करेंगे": सुप्रीम कोर्ट दशहरे के बाद जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के हनन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह दशहरा की छुट्टियों के बाद अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सूचीबद्ध करेगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने कहा, "हम निश्चित रूप से इसे सूचीबद्ध करेंगे।" चीफ जस्टिस ने ऐसा तब कहा जब इन मामलों को जल्दी सूचीबद्ध करने के लिए एक वकील ने उल्लेख किया।

यह ध्यान दिया जा सकता है कि 2019 में याचिकाओं को एक संविधान पीठ को भेजा गया था जिसमें जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्य कांत शामिल थे। बेंच के सदस्यों में से एक जस्टिस सुभाष रेड्डी इस साल जनवरी में सेवानिवृत्त हुए। सीजेआई शायद इस तथ्य का जिक्र करते हुए कह रहे थे कि उन्हें बेंच का पुनर्गठन करना होगा।

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पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी: सुप्रीम कोर्ट ने टाइम्स नाउ की एंकर नविका कुमार के खिलाफ सभी वर्तमान और भविष्य की एफआईआर दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर की

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक चैनल डिबेट में पैगंबर मोहम्मद पर नूपुर शर्मा की टिप्पणी मामले में टाइम्स नाउ की एंकर, नविका कुमार के खिलाफ दर्ज एफआईआर को दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर किया। दिल्ली पुलिस की IFSO यूनिट द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी को मुख्य मामले के रूप में लिया जाएगा।

यह निर्देश भविष्य की उन एफआईआर पर लागू होगा जो उसी प्रसारण के संबंध में दर्ज की जा सकती हैं। 8 सप्ताह की अवधि के लिए एक ही प्रसारण के संबंध में वर्तमान एफआईआर और भविष्य में दर्ज की जा सकने वाली एफआईआर के संबंध में नविका कुमार के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

केस टाइटल: नविका कुमार बनाम भारत सरकार डब्ल्यूपी (सीआरएल।) नंबर 286/2022

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आर्थिक पिछड़ापन अस्थायी हो सकता है, दूसरे पिछड़ेपन पीढ़ियों से जुडे़ : सुप्रीम कोर्ट ने ईडब्लयूएस केस की सुनवाई के दौरान कहा [ दिन -6]

भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बुधवार को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामलों पर सुनवाई जारी रखी। भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें शुरू कीं, जिन्होंने पिछली सुनवाई में अपने तर्कों का एक संक्षिप्त ढांचा प्रदान किया था।

केस: जनहित अभियान बनाम भारत संघ 32 जुड़े मामलों के साथ | डब्ल्यू पी (सी)सं.55/2019 और जुड़े मुद्दे

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हाईकोर्ट्स को वैधानिक वैकल्पिक उपायों को दरकिनार करते हुए दायर रिट याचिकाओं पर विचार नहीं करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि उच्च न्यायालयों को रिट क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने से बचना चाहिए, एक वैकल्पिक उपाय उपलब्ध है। जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि जब कोई वैकल्पिक उपाय उपलब्ध होता है, तो न्यायिक विवेक मांग करता है कि अदालत संवैधानिक प्रावधानों के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने से परहेज करती है।

पीठ ने उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ दायर एक अपील की अनुमति देते हुए यह टिप्पणी, जिसने महाराष्ट्र मूल्य वर्धित कर, 2002 और केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम 1956 के तहत ब्याज और दंड के साथ कर देयता का निर्धारण करने वाले निर्धारण अधिकारी द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ दायर एक रिट याचिका की अनुमति दी।

महाराष्ट्र राज्य बनाम ग्रेटशिप (इंडिया) लिमिटेड | 2022 लाइव लॉ (एससी) 784 | सीए 4956 ऑफ 2022 | 20 सितंबर 2022 | जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्न

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बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम की धारा 16 के तहत अपराध स्थापित करने के लिए यह दिखाना जरूरी है कि पीड़ित को बंधुआ मजदूरी करने के लिए मजबूर किया: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम, 1976 की धारा 16 के प्रावधान को आकर्षित करने के लिए, अभियोजन पक्ष को यह स्थापित करना होगा कि आरोपी ने पीड़ित को बंधुआ मजदूरी करने के लिए मजबूर किया है। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा कि मजबूरी आरोपी के कहने पर होनी चाहिए और अभियोजन पक्ष को इसे उचित संदेह से परे स्थापित करना चाहिए।

सेल्वाकुमार बनाम मंजुला | 2022 लाइव लॉ (एससी) 786 | सीआरए 1603-1604 ऑफ 2022 | 19 सितंबर 2022 | जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा

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विशिष्ट मामलों में मौत की सजा के विकल्प के तौर पर 14 साल से अधिक की निश्चित अवधि की सजा दी जा सकती है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि न्याय के लिए पीड़ितों की याचिका और दोषियों के पुनर्वास न्याय के बीच एक नाजुक संतुलन बनाने के लिए उपयुक्त मामलों में 14 साल से अधिक की निश्चित अवधि की सजा को लागू किया जा सकता है।

जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि यह निश्चित अवधि की सजा केवल हाईकोर्टया इस न्यायालय द्वारा हो सकती है, न कि ट्रायल कोर्ट द्वारा। इस मामले में निचली अदालत ने मृतक के 'विश्वसनीय कर्मचारी' रहने वाले आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी।

हरियाणा राज्य बनाम आनंद किंडू | 2022 लाइव लॉ (SCC) 780 | सीआरए 1797-1798/2010 | 8 सितंबर 2022 | जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस विक्रम नाथ

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हमने "बेटी बचाओ बेटी पढाओ" का नारा दिया है, लड़कियों के लिए शिक्षा सुनिश्चित करना राज्य की प्राथमिकता होनी चाहिए: हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में हुज़ेफ़ा अहमदी

सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट हुज़ेफ़ा अहमदी ने गुरुवार को बताया कि कर्नाटक सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के परिणामस्वरूप मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखा गया। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष उन्होंने तर्क दिया कि लड़कियों की शिक्षा सुनिश्चित करना राज्य की प्राथमिकता होनी चाहिए।

"हमारे पास "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" का नारा है। क्या यह राज्य की प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए कि वह अनुशासन पर एक गलत प्राथमिकता के बजाय लड़कियों की शिक्षा सुनिश्चित करे जो स्वायत्तता को कमजोर करती है और अंततः शिक्षा से वंचित हो जाती है?

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'हमने बीजेपी नेता का ट्वीट पढ़ा, ऐसा नहीं लगता कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया एक भ्रष्ट व्यक्ति हैं': सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता द्वारा पोस्ट किए गए ट्वीट से यह नहीं लगता कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया एक भ्रष्ट व्यक्ति हैं।

जस्टिस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की खंडपीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली गुप्ता की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें सिसोदिया द्वारा दायर मानहानि मामले में मजिस्ट्रेट द्वारा जारी समन आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया था।

केस टाइटल: मनोज कुमार तिवारी बनाम मनीष सिसोदिया एंड अन्य | एसएलपी (सीआरएल) नंबर 351/2021 आईआई-सी, विजेंद्र गुप्ता बनाम राज्य सरकार दिल्ली | एसएलपी (सीआरएल) संख्या 658/2021 II-सी

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क्या ईडब्ल्यूएस कोटा उनका हिस्सा कम नहीं करता जो योग्यता पर प्रतियोगिता करते हैं ? क्या ये सामान्य श्रेणी में जाति- आधारित बहिष्करण नहीं है ? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा [ दिन- 5]

भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बुधवार को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामलों पर सुनवाई जारी रखी।

केस: जनहित अभियान बनाम भारत संघ 32 जुड़े मामलों के साथ | डब्ल्यू पी (सी)सं.55/2019 और जुड़े मुद्दे

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जब पेंशन नियमों की एक से अधिक व्याख्याएं संभव हों तो नियमों की व्याख्या कर्मचारी के पक्ष में की जानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि जब पेंशन नियम एक से अधिक व्याख्याओं में सक्षम हों, तो न्यायालयों को उस व्याख्या की ओर झुकना चाहिए जो कर्मचारी के पक्ष में जाती है। इस मामले में उच्च न्यायालय के समक्ष दायर रिट याचिका में यह मुद्दा उठाया गया था कि क्या राजस्थान राज्य कृषि उद्योग निगम से इस्तीफे से पहले रिट याचिकाकर्ता द्वारा की गई सेवा को पेंशन के उद्देश्य से गिना जाना चाहिए।

राजस्थान राज्य बनाम ओपी गुप्ता | 2022 लाइव लॉ (एससी) 785 | एसएलपी (डायरी) 27824 ऑफ 2020 | 19 सितंबर 2022 | जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी

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"इनसाइडर ट्रेडिंग " के लिए सिर्फ संवेदनशील जानकारी रखना काफी नहीं, वास्तविक लाभ का मकसद अनिवार्य : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि केवल इसलिए कि किसी व्यक्ति के पास सिक्योरिटीज़ में ट्रेडिंग के समय अप्रकाशित मूल्य की संवेदनशील जानकारी थी, यह नहीं माना जा सकता है कि ये लेनदेन "इनसाइडर ट्रेडिंग " की शरारत बन जाता है, जब तक कि यह स्थापित नहीं हो जाता कि जानकारी का लाभ उठाने का इरादा था। केवल शेयरों की संकटपूर्ण बिक्री "इनसाइडर ट्रेडिंग" नहीं बन जाएगी क्योंकि व्यक्ति के पास अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील जानकारी थी।

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यूनिफॉर्म नियम का उल्लंघन करके क्लास में हिजाब पहनने का कोई मौलिक अधिकार नहीं : कर्नाटक एजी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा [दिन 9]

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखी, जिसमें मुस्लिम छात्रों द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को बरकरार रखा गया था।

जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच की सुनवाई का आज नौवां दिन था । याचिकाकर्ताओं के पक्ष ने मंगलवार को अपनी दलीलें पूरी कर ली थीं और पीठ अब राज्य के वकीलों की सुनवाई कर रही है ।

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आम आदमी पार्टी बनाम बीजेपी मानहानि मामला- 'आम आदमी यह जानने में दिलचस्पी रखते हैं कि क्या लोक सेवकों पर लगाए गए आरोप सही हैं या नहीं': सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि एक आम आदमी को कानूनी प्रावधानों के इतिहास को जानने में दिलचस्पी नहीं है, लेकिन लोक सेवकों के खिलाफ लगाए गए आरोप सही हैं या नहीं, यह जानने में अधिक दिलचस्पी होती है।

सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया द्वारा दायर मानहानि मामले में मजिस्ट्रेट द्वारा जारी समन आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया था।

केस टाइटल: मनोज कुमार तिवारी बनाम मनीष सिसोदिया एंड अन्य | एसएलपी (सीआरएल) संख्या 351/2021 द्वितीय-सी

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कृषि भूमि के पट्टे से संबंधित कोई भी राज्य अधिनियम एक विशेष कानून है : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम की धारा 50 (ए) की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम, 1954 की धारा 50 (ए) की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि कृषि भूमि के पट्टे से संबंधित कोई भी राज्य अधिनियम एक विशेष कानून है। अदालत ने कहा कि 1954 का अधिनियम केवल कृषि जोतों पर काश्तकारी अधिकारों के विखंडन, सीमा और हस्तांतरण से संबंधित है।

हर नारायणी देवी बनाम भारत संघ | 2022 लाइव लॉ (SC) 783 | सीए 22957/ 2017 | 20 सितंबर 2022 | जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विक्रम नाथ

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एससी/ एसटी से लाभ से लदे हुए हैं, ईडब्लूएस कोटा उनके अधिकारों में कटौती नहीं करता : अटार्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा [दिन- 4]

भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की संविधान पीठ ने मंगलवार को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामलों पर सुनवाई जारी रखी।

याचिकाकर्ताओं ने आज की कार्यवाही में अपनी दलीलें समाप्त कीं। इस बीच भारत संघ की ओर से पेश अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अपनी दलीलें शुरू कीं और कहा कि एससी और एसटी सकारात्मक कार्यों के माध्यम से "लाभ से लदे हुए" हैं।

केस: जनहित अभियान बनाम भारत संघ 32 जुड़े मामलों के साथ | डब्ल्यू पी (सी)सं.55/2019 और जुड़े मुद्दे

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हिजाब मामला - कर्नाटक हाईकोर्ट को आवश्यक धार्मिक प्रैक्टिस परीक्षण में नहीं जाना चाहिए था : जस्टिस सुधांशु धूलिया [दिन 8]

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सुधांशु धूलिया ने हिजाब मामले में सुनवाई के आठवें दिन मौखिक रूप से टिप्पणी की कि कर्नाटक हाईकोर्ट को आवश्यक धार्मिक प्रथा के सवाल में नहीं जाना चाहिए था।

जस्टिस धूलिया ने यह भी टिप्पणी की कि हाईकोर्ट ने फैसले में एक छात्र के टर्म पेपर पर भरोसा किया। जस्टिस धूलिया ने कहा, "हाईकोर्ट को इसमें (आवश्यक धार्मिक अभ्यास परीक्षण) नहीं जाना चाहिए था। उन्होंने एक छात्र के टर्म पेपर पर भरोसा किया है, और वे मूल पाठ पर नहीं गए हैं। दूसरा पक्ष एक और टिप्पणी दे रहा है। कौन तय करेगा कि कौन सी टिप्पणी है सही?"

केस: ऐशत शिफा बनाम कर्नाटक राज्य एसएलपी (सी) 5236/2022 और जुड़े मामले

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सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) एक्ट 2014 की वैधता को बरकरार रखा

सुप्रीम (Supreme Court) ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम 2014 की वैधता को बरकरार रखा और अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने 2014 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के सदस्य हरभजन सिंह नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर एक रिट याचिका में फैसला सुनाया।

केस टाइटल: हरभजन सिंह बनाम हरियाणा राज्य एंड अन्य (WP(c) 735/2014)

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हिजाब पहनने वाली मुस्लिम लड़कियों के बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाई : दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा (सुनवाई दिन 7)

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखी, जिसमें मुस्लिम छात्राओं द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को बरकरार रखा गया था। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच की सुनवाई का आज सातवां दिन था।

याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता, संविधान सभा की बहस और धार्मिक अधिकारों के संरक्षण पर विस्तृत प्रस्तुतियां दीं।

केस: ऐशत शिफा बनाम कर्नाटक राज्य एसएलपी (सी) 5236/2022 और जुड़े मामले

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सीआरपीसी की धारा 195/340 के तहत कोर्ट द्वारा शिकायत करने से पहले आरोपी को सुनवाई का मौका देना जरूरी नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 195/340 के तहत शिकायत करने से पहले किसी संभावित-आरोपी को सुनवाई का मौका देना जरूरी नहीं है।

जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस विक्रम नाथ की खंडपीठ दो न्यायाधीशों की पीठ की ओर से भेजे गये संदर्भ का जवाब दे रही थी। संदर्भित मुद्दे थे- (i) क्या दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 340 किसी कोर्ट द्वारा संहिता की धारा 195 के तहत शिकायत किए जाने से पहले प्रारंभिक जांच और संभावित आरोपी को सुनवाई का अवसर प्रदान करती है? (ii) ऐसी प्रारंभिक जांच का दायरा और परिधि क्या है?

पंजाब सरकार बनाम जसबीर सिंह | 2022 लाइव लॉ (एससी) 776 | क्रिमिनल अपील 335/2020 | 15 सितंबर 2022 | जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस विक्रम नाथ

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मेजोरिटी में जजों की संख्या के बावजूद बड़ी बेंच का फैसला मान्य होगा: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की एक संविधान पीठ ने सोमवार को फैसला सुनाया कि मेजोरिटी में जजों की संख्या के बावजूद बड़ी बेंच का फैसला मान्य होगा। उदाहरण के लिए, 7-जजों की खंडपीठ का 4:3 बहुमत के साथ दिया गया निर्णय सर्वसम्मति से 5-जजों की पीठ पर प्रबल होगा।

जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस हेमंत गुप्ता, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस सुधांशु धूलिया की 5 जजों की बेंच ने त्रिमूर्ति फ्रैग्रेंस (पी) लिमिटेड बनाम एनसीटी ऑफ दिल्ली सरकार के मामले में दूसरे मुद्दे का जवाब देते हुए यह फैसला दिया।

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