स्टेट बार काउंसिल डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के चुनावों को कंट्रोल या रेगुलेट नहीं कर सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Shahadat
16 Dec 2025 8:03 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि स्टेट बार काउंसिल के पास बार एसोसिएशन के चुनावों को "कंट्रोल या रेगुलेट" करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि वे अपने खुद के नियमों से चलते हैं।
जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की बेंच ने इस तरह उत्तर प्रदेश बार काउंसिल (प्रतिवादी नंबर 3) द्वारा जारी निर्देश रद्द कर दिया, जिसमें 15 नवंबर, 2025 और फरवरी 2026 के बीच राज्य के सभी बार एसोसिएशन के चुनाव कराने पर अस्थायी रोक लगाई गई थी।
कोर्ट ने कहा कि हालांकि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के पास स्टेट बार काउंसिल पर "सामान्य निगरानी और नियंत्रण" की शक्ति है, लेकिन यह अधिकार स्टेट बार काउंसिल को डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के चुनावों को रेगुलेट करने का निर्देश देने तक नहीं है।
संक्षेप में मामला
इस मामले में कानपुर बार एसोसिएशन के प्रैक्टिसिंग वकील और सदस्य रमा नंद श्रीवास्तव ने एक याचिका दायर की थी। वह आने वाले 2025-26 बार एसोसिएशन चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए संभावित उम्मीदवार भी हैं।
उनकी याचिका में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के उस आदेश पर आपत्ति जताई गई, जिसमें राज्य के सभी बार एसोसिएशन को 15 नवंबर, 2025 से फरवरी 2026 तक की अवधि के दौरान चुनाव न कराने या अधिसूचित न करने का निर्देश दिया गया।
यह निर्देश बार काउंसिल ऑफ इंडिया (प्रतिवादी नंबर 2) के एक कम्युनिकेशन के बाद जारी किया गया, जिसका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि उत्तर प्रदेश बार काउंसिल की चुनावी प्रक्रिया "बिना किसी रुकावट या उसी समय प्रस्तावित बार एसोसिएशन चुनावों के टकराव वाले शेड्यूल के बिना" आगे बढ़े।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने BCI और स्टेट बार काउंसिल से उस खास अधिकार या कानून के प्रावधान के बारे में सवाल किया, जिसने उन्हें ऐसी रोक लगाने का अधिकार दिया था।
BCI के वकील ने HC का ध्यान एडवोकेट्स एक्ट की धारा 7(g) और धारा 48-B की ओर यह तर्क देते हुए दिलाया कि BCI स्टेट बार काउंसिल पर सामान्य निगरानी और नियंत्रण रखता है और आवश्यक निर्देश जारी कर सकता है, जिनका स्टेट बार काउंसिल को पालन करना चाहिए।
हालांकि, कोर्ट ने इस वजह को गलत पाया, जैसा कि उसने कहा:
"इन हालात में इस कोर्ट की राय है कि बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया के पास बार एसोसिएशन के चुनावों को कंट्रोल करने या रेगुलेट करने का अधिकार नहीं है, जो उनके अपने बाय-लॉज़ से चलते हैं। उनके पास स्टेट बार काउंसिल को वह लेटर जारी करने का अधिकार है, लेकिन मौजूदा कानून के तहत स्टेट बार काउंसिल के पास राज्य की बार एसोसिएशनों को ऊपर बताई गई अवधि के लिए अपने चुनाव रोकने का निर्देश देने का कोई अधिकार नहीं है।"
इस तरह याचिका निपटाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी कानून या नियम के तहत स्टेट बार काउंसिल के पास बार एसोसिएशन के चुनावों को रेगुलेट करने का कोई अधिकार नहीं है। नतीजतन, कानपुर बार एसोसिएशन को अपने बाय-लॉज़ के अनुसार सख्ती से अपने चुनाव कराने की इजाज़त दी गई।
हालांकि, प्रशासनिक सही तरीके को पक्का करने के लिए कोर्ट ने निर्देश दिया कि शेड्यूल जारी करते समय बार एसोसिएशन को यह पक्का करना होगा कि यूपी बार काउंसिल और बार एसोसिएशन के चुनाव शेड्यूल के बीच कोई टकराव न हो। हाईकोर्ट ने दोनों चुनावों के बीच 10 दिन का गैप ज़रूरी किया।
Case title - Dinesh Kumar Shukla vs. State Of U.P. And 4 Others

