अफसरों के नाम के आगे 'माननीय' लगाने का मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- अदालतों का दर्जा कम करने का 'सूक्ष्म' तरीका
Shahadat
18 Dec 2025 9:56 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में नौकरशाहों और प्रशासनिक अधिकारियों के नामों के आगे 'माननीय' टाइटल लगाने की प्रथा पर कड़ी आपत्ति जताई।
जस्टिस अजय भनोट और जस्टिस गरिमा प्रसाद की डिवीजन बेंच ने इस 'ट्रेंड' को "संवैधानिक अधिकारियों और अदालतों का दर्जा कम करने का एक सूक्ष्म लेकिन पक्का तरीका" बताया।
संक्षेप में मामला
हाईकोर्ट क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें एडिशनल कमिश्नर अपील के डेजिग्नेशन के बारे में मुद्दा उठा था। बेंच ने देखा कि अधिकारी को "माननीय एडिशनल कमिश्नर, अपील" कहा गया था।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के राज्य कर विभाग के प्रधान सचिव को पर्सनल हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें यह बताया जाए कि किस कानून के तहत एक एडिशनल कमिश्नर को 'माननीय' कहा गया था।
बेंच ने कहा कि यह एक नया ट्रेंड है, जिसमें राज्य नौकरशाही के सबसे निचले से लेकर उच्चतम स्तर तक के अधिकारियों को पत्राचार और सरकारी आदेशों दोनों में 'माननीय' उपसर्ग से संबोधित किया जाता है।
बेंच ने साफ किया कि 'माननीय' शब्द केवल माननीय मंत्रियों और अन्य संप्रभु पदाधिकारियों के मामले में ही लगाया जाना चाहिए, न कि राज्य सरकार के नौकरशाहों या अधिकारियों के लिए।
इस संबंध में बेंच ने हाईकोर्ट के एक सिंगल जज द्वारा पारित पिछले आदेश का हवाला दिया, जहां इसी तरह के एक मामले में इटावा के कलेक्टर ने कानपुर के डिवीजनल कमिश्नर को "माननीय कमिश्नर" कहा था।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यह भी कहा कि यह तय है कि मंत्रियों और संप्रभु पदाधिकारियों के लिए 'माननीय' लगाया जाना है, लेकिन यह साफ नहीं है कि क्या यह प्रोटोकॉल राज्य सरकार में सेवारत सचिवों पर भी लागू होता है।
इस मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी।

