इलाहाबाद हाईकोट

मृतका ने खुद को बचाया, इसके संकेत नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खाना पकाने की आग की थ्योरी खारिज की, दहेज हत्या मामले में पति की दोषसिद्धि बरकरार रखी
'मृतका ने खुद को बचाया, इसके संकेत नहीं': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खाना पकाने की आग की थ्योरी खारिज की, दहेज हत्या मामले में पति की दोषसिद्धि बरकरार रखी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह 1991 के दहेज हत्या के एक मामले में मृतक महिला के दुर्घटनावश आग पकड़ने के आरोपी के दावे को खारिज करते हुए एक व्यक्ति की दोषसिद्धि को बरकरार रखा। जस्टिस रजनीश कुमार की पीठ ने निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 304-बी और 498-ए के तहत दोषी ठहराया गया था और अपनी पत्नी की दहेज हत्या के लिए 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।न्यायालय ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 304-बी के सभी तत्व स्पष्ट रूप से सिद्ध हैं, और...

इसमें कोई नैतिक पतन शामिल नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोहत्या के आरोपों पर ग्राम प्रधान को हटाने का आदेश रद्द किया
'इसमें कोई नैतिक पतन शामिल नहीं': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोहत्या के आरोपों पर ग्राम प्रधान को हटाने का आदेश रद्द किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें गोहत्या के एक मामले में आरोपी 'ग्राम प्रधान' को पद से हटा दिया गया था। न्यायालय ने कहा कि केवल आरोप लगाने के आधार पर, विशेष रूप से नियामक प्रावधान के तहत, नैतिक पतन या पद के दुरुपयोग को दर्शाने वाले पर्याप्त साक्ष्य के बिना ऐसी 'कड़ी सजा' को उचित नहीं ठहराया जा सकता। इसके साथ ही, जस्टिस पंकज भाटिया की पीठ ने याचिकाकर्ता (राज किशोर यादव) की याचिका स्वीकार कर ली, जिसमें उन्होंने 28 जून को उत्तर प्रदेश पंचायत...

कर्मचारी की मृत्यु पर विभागीय अपील स्वतः समाप्त नहीं होती, रिटायरमेंट के बाद के लाभों से इनकार करने पर उत्तराधिकारियों पर प्रभाव पड़ता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
कर्मचारी की मृत्यु पर विभागीय अपील स्वतः समाप्त नहीं होती, रिटायरमेंट के बाद के लाभों से इनकार करने पर उत्तराधिकारियों पर प्रभाव पड़ता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कर्मचारी की मृत्यु पर विभागीय अपील स्वतः समाप्त नहीं होती, क्योंकि ऐसी कार्यवाही में आदेश के गंभीर दीवानी परिणाम होते हैं। मृतक कर्मचारी के कानूनी उत्तराधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद के लाभों पर प्रभाव पड़ता है।यह देखते हुए कि नियोक्ता-कर्मचारी संबंध कर्मचारी की रिटायरमेंट/मृत्यु के साथ समाप्त हो जाता है जस्टिस अजीत कुमार ने कहा,"ऐसी परिस्थितियों में यदि कोई कर्मचारी किसी ऐसे प्रतिष्ठान में कार्यरत है, जो पेंशन योग्य प्रतिष्ठान हो सकता है और जहां पारिवारिक पेंशन के...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगातार डिफॉल्टर की लीज बहाल करने से इनकार किया, कहा- राहत देने से भविष्य के आवंटियों के लिए गलत उदाहरण स्थापित होगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'लगातार डिफॉल्टर' की लीज बहाल करने से इनकार किया, कहा- राहत देने से भविष्य के आवंटियों के लिए गलत उदाहरण स्थापित होगा

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि रिट क्षेत्राधिकार में दी जाने वाली न्यायिक सहानुभूति (Equity) का लाभ उन व्यक्तियों को नहीं दिया जा सकता, जो अपने दायित्वों को लगातार निभाने में विफल रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में लीज की पुनर्बहाली भविष्य के आवंटियों को भुगतान कार्यक्रमों और अन्य दायित्वों की अनदेखी करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने कहा,“दीर्घकालिक चूक के बाद लीज की बहाली की नीति भविष्य के आवंटियों के लिए नकारात्मक उदाहरण...

यूपी में कैसे फल-फूल रही हैं फर्जी आर्य समाज संस्थाएं?: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण विरोधी कानून के खिलाफ अवैध शादियों की जांच के निर्देश दिए
'यूपी में कैसे फल-फूल रही हैं फर्जी आर्य समाज संस्थाएं?': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण विरोधी कानून के खिलाफ 'अवैध' शादियों की जांच के निर्देश दिए

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह गृह सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वे आर्य समाज समितियों के कामकाज की जांच करें, जो कथित तौर पर राज्य भर में नाबालिग लड़कियों सहित अन्य 'अवैध' विवाहों को अंजाम दे रही हैं, बिना उम्र की पुष्टि किए या राज्य के धर्मांतरण विरोधी कानून का पालन किए। जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ ने ऐसे मामलों की जांच पुलिस उपायुक्त से नीचे के पद के अधिकारी द्वारा करने का निर्देश दिया।इस प्रकार, न्यायालय ने पॉक्सो अधिनियम के तहत एक मामले में समन आदेश और पूरी कार्यवाही को...

वकीलों को अदालत की कार्यवाही में सहयोग करना चाहिए, व्यवधान नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुवक्किल की ज़मानत खारिज होने के बाद हंगामा करने वाले वकील को फटकार लगाई
वकीलों को अदालत की कार्यवाही में सहयोग करना चाहिए, व्यवधान नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुवक्किल की ज़मानत खारिज होने के बाद हंगामा करने वाले वकील को फटकार लगाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक वकील के आचरण की कड़ी निंदा की, जिसने अपने मुवक्किल की दूसरी ज़मानत याचिका खारिज होने के बाद अदालत कक्ष में हंगामा किया और कार्यवाही में बाधा डाली।जस्टिस कृष्ण पहल की पीठ ने न्यायालय में वकीलों की दोहरी ज़िम्मेदारियों पर ज़ोर दियाअदालत कक्ष में एक सम्मानजनक और अनुकूल माहौल बनाए रखना और साथ ही अपने मुवक्किलों के हितों का पूरी लगन से प्रतिनिधित्व करना।न्यायालय ने आगे कहा कि वकीलों को अदालत की कार्यवाही में व्यवधान डालने के बजाय उसकी सहायता करनी चाहिए...

बलिया एसपी ने खेद व्यक्त किया, सुधारात्मक कदम उठाए; इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस द्वारा अदालत आदेश को FIR मानने का अध्याय बंद किया
बलिया एसपी ने खेद व्यक्त किया, सुधारात्मक कदम उठाए; इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस द्वारा अदालत आदेश को FIR मानने का अध्याय बंद किया

हाईकोर्ट के आदेश की हूबहू नकल करके लिखित FIR दर्ज करने से जुड़े विवाद का पटाक्षेप करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 14 जुलाई को अपने पूर्व निर्देशों का पर्याप्त अनुपालन पाया और मामले के इस हिस्से को स्थगित करने का फैसला किया।बता दें, मामला एक स्कूल कर्मचारी की नियुक्ति में कथित हेराफेरी और मूल सेवा पुस्तिका के संदिग्ध गायब होने से संबंधित था। बलिया पुलिस ने कानून के अनुसार कार्यवाही करने के बजाय सीधे तौर पर अदालत के 29 मई के आदेश को ही लिखित प्राथमिकी मान लिया।इस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने 3 जुलाई...

अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र उम्मीदवार को अन्य आश्रितों की वित्तीय जरूरतों का ध्यान रखना होगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट
अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र उम्मीदवार को अन्य आश्रितों की वित्तीय जरूरतों का ध्यान रखना होगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र उम्मीदवार को मृतक के अन्य आश्रितों की वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु हलफनामे पर एक अपरिवर्तनीय वचन देना होगा। अनुकंपा नियुक्ति की मांग कर रहे मृतक कर्मचारी की मां और पत्नी के बीच मतभेद के मामले में जस्टिस अजय भनोट ने कहा,“अनुकंपा के आधार पर नियुक्त परिवार का सदस्य मृतक के स्थान पर आता है, और मृतक के दायित्वों को निभाने तथा अन्य आश्रित सदस्यों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए उत्तरदायी होता है। पात्र आवेदक द्वारा...

सुप्रीम कोर्ट के तहसीन पूनावाला संबंधी निर्देश राज्य और केंद्र पर बाध्यकारी, जनहित याचिका में मॉब लिंचिंग की घटनाओं की निगरानी नहीं की जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट
'सुप्रीम कोर्ट के 'तहसीन पूनावाला' संबंधी निर्देश राज्य और केंद्र पर बाध्यकारी, जनहित याचिका में मॉब लिंचिंग की घटनाओं की निगरानी नहीं की जा सकती': इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर आपराधिक जनहित याचिका (PIL) का निपटारा किया, जिसमें तहसीन एस. पूनावाला बनाम भारत संघ (2018) मामले में मॉब लिंचिंग और भीड़ हिंसा की घटनाओं को रोकने और उनसे निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का अनुपालन करने की मांग की गई थी।जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस अवनीश सक्सेना की खंडपीठ ने कहा कि मॉब लिंचिंग/भीड़ हिंसा की प्रत्येक घटना एक अलग घटना है और जनहित याचिका में इसकी निगरानी नहीं की जा सकती।खंडपीठ ने यह भी कहा कि...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेडिकल लापरवाही मामले में डॉक्टर को राहत देने से किया इनकार, कहा- प्राइवेट हॉस्पिटल पैसे ऐंठने के लिए मरीजों को ATM की तरह इस्तेमाल करते हैं
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेडिकल लापरवाही मामले में डॉक्टर को राहत देने से किया इनकार, कहा- 'प्राइवेट हॉस्पिटल पैसे ऐंठने के लिए मरीजों को ATM की तरह इस्तेमाल करते हैं'

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि निजी अस्पताल/नर्सिंग होम मरीजों को 'गिनी पिग/ATM' की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि उनसे पैसे ऐंठ सकें, गुरुवार को डॉक्टर द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी। इस याचिका में कथित तौर पर सर्जरी में देरी के कारण भ्रूण की मौत के संबंध में उसके खिलाफ 2008 में दर्ज एक मामले को रद्द करने की मांग की गई थी।जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ ने कहा कि आवेदक (डॉ. अशोक कुमार राय) सर्जरी के लिए सहमति प्राप्त करने और ऑपरेशन करने के बीच 4-5 घंटे की देरी को उचित ठहराने में विफल रहे, जिसके...

बुजुर्ग माता-पिता के प्रति उपेक्षा और क्रूरता अनुच्छेद 21 का उल्लंघन: सरकार द्वारा पिता को मुआवज़ा दिए जाने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेटों के आचरण की निंदा की
'बुजुर्ग माता-पिता के प्रति उपेक्षा और क्रूरता अनुच्छेद 21 का उल्लंघन': सरकार द्वारा पिता को मुआवज़ा दिए जाने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेटों के आचरण की निंदा की

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में बुजुर्ग माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि वृद्ध माता-पिता के प्रति क्रूरता, उपेक्षा या परित्याग संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानपूर्वक जीवन जीने के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बच्चों के लिए अपने वृद्ध माता-पिता की गरिमा, कल्याण और देखभाल की रक्षा करना एक पवित्र नैतिक कर्तव्य और वैधानिक दायित्व दोनों है।खंडपीठ ने आगे कहा कि जैसे-जैसे उनकी शारीरिक...

सीतापुर में स्कूलों के युग्मन की प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, 21 अगस्त तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश
सीतापुर में स्कूलों के युग्मन की प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, 21 अगस्त तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीतापुर ज़िले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चल रहे स्कूलों के युग्मन की प्रक्रिया के संबंध में 21 अगस्त तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया।चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने एकल जज के 7 जुलाई, 2025 के आदेश के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। सिंगल जज ने सीतापुर में स्कूलों के युग्मन की वैधता को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया था।अपीलकर्ताओं ने तर्क दिया कि युग्मित स्कूल बच्चों के निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा...

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड किसी व्यक्ति या उद्योग पर पर्यावरणीय मुआवज़ा नहीं थोप सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड किसी व्यक्ति या उद्योग पर पर्यावरणीय मुआवज़ा नहीं थोप सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

हाल ही में, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 178 रिट याचिकाओं को स्वीकार किया और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा याचिकाकर्ताओं पर पर्यावरणीय मुआवज़ा लगाने के आदेशों को रद्द कर दिया। जस्टिस अताउ रहमान मसूदी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने कहा कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास केवल प्रशासनिक निर्देश जारी करने की शक्ति है और उसके पास कोई न्यायिक शक्तियां नहीं हैं।पीठ ने कहा,"राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास किसी व्यक्ति या उद्योग पर पर्यावरणीय मुआवज़ा लगाने का कोई अधिकार नहीं है...

सीनियर सिटीजन भरण-पोषण न्यायाधिकरण संपत्ति स्वामित्व के दावों पर निर्णय नहीं दे सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोहराया
सीनियर सिटीजन भरण-पोषण न्यायाधिकरण संपत्ति स्वामित्व के दावों पर निर्णय नहीं दे सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोहराया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि सीनियर सिटीजन एक्ट, 2007 की धारा 7 के अंतर्गत भरण-पोषण न्यायाधिकरण को संपत्ति स्वामित्व के दावों पर विशेष रूप से तृतीय पक्ष विवाद के मामले में निर्णय लेने का अधिकार नहीं है और इसका निर्णय सिविल कोर्ट में ही किया जाना चाहिए।जस्टिस अरिंदम सिन्हा और डॉ. जस्टिस योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कहा कि सीनियर सिटीजन एक्ट का उद्देश्य सीनियर सिटीजन को भरण-पोषण प्रदान करना और उनका कल्याण करना है।खंडपीठ ने कहा,“इस अधिनियम के अंतर्गत गठित भरण-पोषण न्यायाधिकरणों को बच्चों...

मामला महीनों से लंबित: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जजों की समय पर नियुक्ति की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र और हाईकोर्ट प्रशासन से जवाब मांगा
'मामला महीनों से लंबित': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जजों की समय पर नियुक्ति की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र और हाईकोर्ट प्रशासन से जवाब मांगा

इलाहाबाद हाईकोर्ट में सभी मौजूदा न्यायिक रिक्तियों को शीघ्र भरने के निर्देश देने की मांग वाली एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए, सोमवार को केंद्र और हाईकोर्ट प्रशासन के वकीलों को एक सितंबर तक संबंधित पक्षों से निर्देश प्राप्त करने का निर्देश दिया। जस्टिस विवेक कुमार बिड़ला और जस्टिस जितेंद्र कुमार सिन्हा की पीठ ने निर्देश मांगे क्योंकि उसने पाया कि जनहित याचिका कई महीनों से लंबित है।पीठ ने अपने आदेश में कहा, "4. हम पाते हैं कि मामला कई महीनों से लंबित है और भारत संघ के विद्वान वकील को इस...

अदालती आदेशों का तभी ध्यान रखा जाता है, जब अधिकारी की व्यक्तिगत उपस्थिति का आदेश दिया जाता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की खिंचाई की
अदालती आदेशों का तभी ध्यान रखा जाता है, जब अधिकारी की व्यक्तिगत उपस्थिति का आदेश दिया जाता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की खिंचाई की

सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि अवमानना का नोटिस जारी होने के बाद भी अदालती आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है जब तक कि संबंधित अधिकारी की व्यक्तिगत उपस्थिति का आदेश अदालत द्वारा न दिया जाए।चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस जसप्रीत सिंह की पीठ ने कहा,“अवमानना याचिका में नोटिस जारी होने तक अदालत द्वारा पारित आदेशों की अनदेखी करने का अधिकारियों का रवैया स्वीकार्य नहीं है। कई बार अवमानना याचिका में नोटिस जारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जाती...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुंडा एक्ट के नोटिस में सामान्य प्रकृति के भौतिक आरोपों का उल्लेख न होने पर जताई नाराज़गी, यूपी सरकार से मांगा हलफनामा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुंडा एक्ट के नोटिस में सामान्य प्रकृति के भौतिक आरोपों का उल्लेख न होने पर जताई नाराज़गी, यूपी सरकार से मांगा हलफनामा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम 1970 की धारा 3 के तहत जारी एक कारण बताओ नोटिस पर रोक लगाते हुए कहा कि नोटिस में याचिकाकर्ता के खिलाफ सामान्य प्रकृति के सामग्रीगत आरोपों का उल्लेख नहीं किया गया है जो कि कानून के तहत अनिवार्य है।जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनीष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश 14 जुलाई को पारित किया, जबकि वह 25 जून 2025 को उन्नाव के जिलाधिकारी द्वारा जारी नोटिस को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी।याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि विवादित...

भर्ती के प्रत्येक चरण में शारीरिक रूप से दिव्यांग वर्ग के लिए अलग कट-ऑफ मार्क्स दिए जाने चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
भर्ती के प्रत्येक चरण में शारीरिक रूप से दिव्यांग वर्ग के लिए अलग कट-ऑफ मार्क्स दिए जाने चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

दोनों आंखों में दृष्टिदोष से पीड़ित व्यक्ति को राहत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि शारीरिक रूप से दिव्यांग उम्मीदवारों को सेवा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक चरण में शारीरिक रूप से दिव्यांग वर्ग के लिए अलग कट-ऑफ अंक दिए जाने चाहिए।न्यायिक सेवाओं में दृष्टिबाधितों की भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय, रेखा शर्मा बनाम राजस्थान हाईकोर्ट एवं अन्य तथा सौरव यादव एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य का संदर्भ लेते हुए जस्टिस अब्दुल मोइन ने कहा,"शारीरिक रूप से...

विभाजन वाद में पारित प्राथमिक डिक्री अंतरिम आदेश है या पक्षकारों के अधिकारों का अंतिम निर्णय? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामला बड़ी बेंच को भेजा
विभाजन वाद में पारित प्राथमिक डिक्री अंतरिम आदेश है या पक्षकारों के अधिकारों का अंतिम निर्णय? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामला बड़ी बेंच को भेजा

इलाहाबाद हाईकोर्ट के एकलपीठ ने यह महत्वपूर्ण प्रश्न एक बड़ी पीठ के पास भेजा कि क्या किसी विभाजन वाद में पारित प्राथमिक डिक्री (Preliminary Decree) को अंतरिम आदेश माना जाएगा या यह आदेश विवाद में पक्षकारों के हिस्से संबंधी ठोस अधिकारों का अंतिम और निर्णायक निर्णय माना जाएगा। साथ ही यह सवाल भी बड़ी बेंच को सौंपा गया कि क्या इस तरह की डिक्री के विरुद्ध उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 207 के अंतर्गत अपील की जा सकती है?विधिक पृष्ठभूमि:धारा 116 के अंतर्गत कोई भूमिधर (Co-Sharer) विभाजन...

अनादि काल से मान्यता प्राप्त और सांस्कृतिक सद्भाव को बढ़ावा देने वाले अनुष्ठानों को तुच्छ आधार पर बाधित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
अनादि काल से मान्यता प्राप्त और सांस्कृतिक सद्भाव को बढ़ावा देने वाले अनुष्ठानों को तुच्छ आधार पर बाधित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

बहराइच दरगाह में जेठ मेले के लिए जिलाधिकारी द्वारा अनुमति देने से इनकार करने को चुनौती देने वाली तीन याचिकाओं का निपटारा करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य द्वारा लंबे समय से चली आ रही अनुष्ठानिक प्रथाओं को बाधित करने की सीमाओं के संबंध में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की।न्यायालय ने कहा कि ऐसी प्रथाएं, जिन्हें अनादि काल से मान्यता प्राप्त है, राज्य द्वारा 'तुच्छ' आधार पर बाधित नहीं की जा सकतीं, खासकर जब वे समाज में 'सांस्कृतिक सद्भाव' को बढ़ावा देती हों।न्यायालय ने आगे कहा कि कभी-कभी ऐसी...