इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाहित लिव-इन-कपल की सुरक्षा याचिका खारिज की, कहा: 'ऐसे संबंधों को समर्थन देने से समाज में अराजकता पैदा होगी'

Shahadat

12 March 2024 7:45 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाहित लिव-इन-कपल की सुरक्षा याचिका खारिज की, कहा: ऐसे संबंधों को समर्थन देने से समाज में अराजकता पैदा होगी

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने जीवनसाथी को तलाक दिए बिना एक-दूसरे के साथ रहने वाले जोड़े द्वारा दायर सुरक्षा याचिका खारिज की और उन पर दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

    कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि अगर इस तरह के रिश्ते को कोर्ट का समर्थन मिलता है तो इससे समाज में अराजकता फैल जाएगी और हमारे देश का सामाजिक ताना-बाना नष्ट हो जाएगा।

    जस्टिस रेनू अग्रवाल की पीठ ने सुरक्षा याचिका खारिज करते हुए कहा,

    "न्यायालय इस प्रकार के रिश्ते का समर्थन नहीं कर सकता, जो कानून का उल्लंघन है। हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति का जीवनसाथी जीवित है, या तलाक की डिक्री प्राप्त करने से पहले वह किसी अन्य व्यक्ति से शादी नहीं कर सकता।"

    अदालत याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनके जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए निर्देश देने की मांग की गई। पीठ को सूचित किया गया कि याचिकाकर्ता नंबर 1 (महिला) पुष्पेंद्र कुमार की कानूनी रूप से पत्नी है और याचिकाकर्ता नंबर 2 (पुरुष) पूजा कुमारी का कानूनी रूप से विवाहित पति है।

    यह पता चलने पर कि याचिकाकर्ता नंबर 1 ने अपने पति से उचित अदालत से तलाक की डिक्री प्राप्त नहीं की, अदालत ने कहा कि वह कानूनी रूप से पुष्पेंद्र से विवाहित है।

    इसके अलावा, याचिकाकर्ता नंबर 2 की वैवाहिक स्थिति के संबंध में अदालत ने पाया कि हालांकि उसने रिट याचिका में अपनी पिछली शादी के बारे में कोई विवरण नहीं दिया, लेकिन अनीता कुमारी के आधार कार्ड में याचिकाकर्ता नंबर 2 का नाम उसके पति के रूप में दिखाया गया।

    इस पृष्ठभूमि में यह देखते हुए कि दोनों याचिकाकर्ता वर्तमान में अन्य व्यक्तियों से विवाहित हैं और उन्होंने इस समय अपने-अपने जीवनसाथी से तलाक नहीं लिया, न्यायालय ने उनकी सुरक्षा याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

    कोर्ट ने कहा कि अगर इस तरह के रिश्ते को कोर्ट का समर्थन मिलता है तो यह समाज में अराजकता पैदा करेगा और हमारे देश के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट कर देगा। इसे देखते हुए कोर्ट ने 2000/- रुपये के जुर्माने के साथ याचिका खारिज कर दी। 15 दिनों के भीतर इलाहाबाद हाईकोर्ट मध्यस्थता और सुलह केंद्र, इलाहाबाद में जमा करना होगा।

    संबंधित समाचार में, पिछले महीने इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाहित महिला और उसके लिव-इन पार्टनर द्वारा दायर सुरक्षा याचिका यह कहते हुए खारिज किया कि इस प्रकार के 'अवैध संबंध' को अदालत द्वारा संरक्षित करने की आवश्यकता नहीं है।

    जस्टिस रेनू अग्रवाल ने लिव-इन जोड़े (याचिकाकर्ताओं) पर 2,000/- रुपये का जुर्माना भी लगाया, क्योंकि यह पाया गया कि यदि यह "इस प्रकार के मामलों" में शामिल होगा और "अवैध संबंध" को संरक्षण देगा तो इससे समाज में 'अराजकता' पैदा होगी।

    केस टाइटल- पूजा कुमारी एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 3 अन्य

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