इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 2019 राम जन्मभूमि फैसले की 'आलोचना' करने के मामले में सांसद असदुद्दीन ओवैसी की अंतरिम सुरक्षा बढ़ाई

Shahadat

7 March 2024 5:02 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 2019 राम जन्मभूमि फैसले की आलोचना करने के मामले में सांसद असदुद्दीन ओवैसी की अंतरिम सुरक्षा बढ़ाई

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के 2019 राम जन्मभूमि फैसले पर उनके कथित विवादास्पद बयानों पर आपराधिक मामले में एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी को पिछले साल दी गई अंतरिम सुरक्षा अगले आदेश तक बढ़ाई।

    उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153-ए, 295-ए, 298 के तहत सिद्धार्थनगर कोर्ट में लंबित शिकायत मामला राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर अपने फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हुए समाचार चैनलों पर कथित तौर पर दिए गए उनके बयानों से संबंधित है।

    गौरतलब है कि नवंबर, 2019 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसला दिया कि अयोध्या में 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन राम मंदिर के निर्माण के लिए सौंप दी जानी चाहिए।

    साथ ही कोर्ट ने कहा कि मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ का वैकल्पिक भूखंड आवंटित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि 1992 में बाबरी मस्जिद का विध्वंस कानून का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने अनिवार्य रूप से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया।

    ओवैसी ने मामले की कार्यवाही को इस आधार पर चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया कि उन पर आईपीसी की धारा 153 (ए) के तहत अपराध के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है। हालांकि, सीआरपीसी की धारा 196 (1) के तहत संबंधित प्राधिकारी से आवश्यक मंजूरी नहीं ली गई। इस तरह, पूरी कार्यवाही कानून की नजर में खराब है।

    ओवैसी के वकील ने यह भी तर्क दिया कि उन्हें सीआरपीसी की धारा 202 के तहत बयान दर्ज किए बिना मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सिद्धार्थ नगर द्वारा बुलाया गया। यह तर्क दिया गया कि ओवैसी उत्तर प्रदेश राज्य के बाहर के निवासी हैं। इसलिए 23.06.2006 से 2005 के अधिनियम नंबर 25 द्वारा संशोधन के मद्देनजर धारा 202 (1) सीआरपीसी के तहत जांच अनिवार्य है।

    सीआरपीसी की धारा 196(1) के तहत मंजूरी न मिलने के बारे में पूछे जाने पर अपर शासकीय अधिवक्ता संजय कुमार सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि आवेदक के खिलाफ अभियोजन की कोई मंजूरी नहीं है। आगे यह प्रस्तुत किया गया कि चूंकि यह निजी व्यक्ति/विपक्षी पक्ष नंबर 2 द्वारा दायर शिकायत मामला है, इसलिए इस संबंध में एक उपयुक्त उत्तर शिकायतकर्ता/विपक्षी पक्ष नंबर 2 द्वारा दिया जा सकता है।

    जस्टिस संजय कुमार सिंह की पीठ ने इसे देखते हुए शिकायतकर्ता को मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कहा और अगले आदेश तक ओवैसी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को तय की।

    केस टाइटल- असदुद्दीन ओवैसी बनाम यूपी राज्य और अन्य [आवेदन यू/एस 482 नंबर - 9929 ऑफ़ 2023]

    Next Story