मूल निवासियों को भर्ती परीक्षाओं में अतिरिक्त अंक नहीं दे सकेगी हरियाणा सरकार, हाईकोर्ट के फैसले से सुप्रीम कोर्ट सहमत
Shahadat
24 Jun 2024 4:20 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (24 जून) को हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (SSC) द्वारा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर याचिका खारिज की, जिसमें 2022 की अधिसूचना खारिज कर दी गई थी, जिसमें "सामाजिक-आर्थिक" मानदंडों के आधार पर कुछ पदों पर भर्ती में हरियाणा के मूल निवासियों को 5% अतिरिक्त अंक दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि राज्य सरकार की नीति महज 'लोकलुभावन उपाय' है।
जस्टिस एएस ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की वेकेशन बेंच 31 मई को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (SSC) द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने 2023 की कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी 2023) के दौरान ग्रुप सी और डी पदों की भर्ती में हरियाणा के मूल निवासियों को अतिरिक्त अंक देने वाली अधिसूचना खारिज कर दी थी।
जस्टिस ओक ने टिप्पणी की कि हरियाणा में 'विमुक्त जनजाति' से संबंधित उम्मीदवार को अतिरिक्त 5 अंक देने की नीति, जिसका परिवार सार्वजनिक रोजगार में नहीं है, केवल जनता को आकर्षित करने के लिए लोकलुभावन उपाय है और योग्यता को प्राथमिकता देने के सिद्धांत से भटक गया है।
आगे कहा गया,
"अपने प्रदर्शन के बाद मेधावी उम्मीदवार को 60 अंक मिलते हैं, किसी और को भी 60 अंक मिले हैं, लेकिन केवल 5 अनुग्रह अंकों के कारण वह आगे बढ़ गया...ये सभी लोकलुभावन उपाय हैं...आप इस तरह की कार्रवाई का बचाव कैसे करेंगे कि किसी को 5 अंक अतिरिक्त मिल रहे हैं?"
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने प्रस्तुत किया कि ग्रेस मार्क्स पॉलिसी सरकार द्वारा उन परिवारों को अवसर देने के लिए शुरू की गई, जो सार्वजनिक रोजगार की सुरक्षा से वंचित हैं।
उन्होंने कहा,
"यह 5% अतिरिक्त लाभ किसे दिया जाता है? एक व्यक्ति जिसका परिवार रोजगार में नहीं है...सरकार यह कहना चाहती है कि जो परिवार सार्वजनिक रोजगार में नहीं है, उसे अवसर मिलना चाहिए। तो क्या उन्हें सार्वजनिक रोजगार पाने का अवसर नहीं मिलना चाहिए?"
याचिका पर आगे विचार करने के लिए अनिच्छुक प्रतीत होते हुए बेंच ने अपने खारिज करने के आदेश में कहा कि विवादित निर्णय में कोई त्रुटि नहीं है।
आगे कहा गया,
"विवादित निर्णय का अध्ययन करने के बाद हमें विवादित निर्णय में कोई त्रुटि नहीं मिली। एसएलपी खारिज की जाती है।"
एजी ने निर्देश सी के तहत लिखित परीक्षा फिर से आयोजित करने के हाईकोर्ट के निर्देश पर एक और चिंता जताई, जिसमें कहा गया:
"सी. वे अभ्यर्थी, जिन्हें पहले के परिणाम के आधार पर विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया, यदि वे सीईटी की नई मेरिट सूची में आते हैं तो उन्हें नई चयन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी। जब तक नए चयन की तैयारी नहीं हो जाती, उन्हें उन पदों पर अपने कर्तव्यों का पालन करना जारी रखने की अनुमति दी जाएगी, जिन पर उन्हें नियुक्त किया गया। हालांकि, यदि वे अंततः नई प्रक्रिया में चयनित नहीं होते हैं तो उन्हें पद छोड़ना होगा और उनकी नियुक्ति तुरंत समाप्त हो जाएगी। पदों पर बने रहने के कारण उनके पक्ष में कोई अधिकार नहीं बनाया जाएगा और न ही वे उस अवधि के लिए वेतन को छोड़कर किसी भी लाभ का दावा करने के हकदार होंगे, जिसके दौरान वे अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं।"
एजी ने कहा कि सामाजिक-आर्थिक मानदंड का आवेदन लिखित परीक्षा के चरण के बाद होता है, न कि सीईटी के बाद। उन्होंने आग्रह किया कि लिखित परीक्षा के परिणामों में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए।
2022 अधिसूचना के तहत अतिरिक्त वेटेज का अनुदान क्या?
इस "सामाजिक-आर्थिक" मानदंड के तहत हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा के निवासियों को अतिरिक्त वेटेज दिया गया, यदि:
- आवेदक के परिवार का कोई भी सदस्य नियमित सरकारी कर्मचारी नहीं है और परिवार की सभी स्रोतों से सकल वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये से कम है।
- आवेदक (i) विधवा है, (ii) पहली या दूसरी संतान है और उसके पिता की मृत्यु 45 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले हो गई, (iii) पहली या दूसरी संतान है और उसके पिता की मृत्यु आवेदक की आयु 15 वर्ष प्राप्त करने से पहले हो गई।
- आवेदक हरियाणा की "विमुक्त जनजाति" या घुमंतू जनजाति से संबंधित है, जो न तो अनुसूचित जाति है और न ही पिछड़ा वर्ग है।
अंत में, आवेदक को हरियाणा सरकार के अधीन किसी भी विभाग, बोर्ड निगम, कंपनी, सांविधिक निकाय, आयोग आदि में समान या उच्चतर पद पर 6 महीने से अधिक के अनुभव के एक वर्ष या उसके भाग के लिए आधा प्रतिशत वेटेज दिया जाना है।
अधिसूचना क्यों खारिज की गई?
हाईकोर्ट ने विवादित अधिसूचना खारिज करते हुए कहा कि सामाजिक-आर्थिक मानदंडों का लाभ केवल उसी व्यक्ति को दिया जाता है, जिसका अधिवास और निवास स्थान हरियाणा हो (यह परिवार पहचान पत्र में प्रविष्टियों के अधीन है, जो केवल हरियाणा के निवासियों के लिए उपलब्ध है)।
यह टिप्पणी करते हुए कि नियम वास्तविक आंकड़ों के आधार पर बनाए जाने चाहिए, न कि राजनीतिक एजेंडे के आधार पर, हाईकोर्ट ने कॉमन एंट्रेंस टेस्ट रिजल्ट 2023 में बोनस अंक (सामाजिक-आर्थिक मानदंडों के आधार पर) दिए जाने को भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन माना और निर्देश दिया कि नए सिरे से चयन प्रक्रिया अपनाई जाए।
हाईकोर्ट ने यह भी दोहराया कि संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के अनुसार राज्य सरकार द्वारा आरक्षण को अपनाया जाना आवश्यक है, जो उक्त राज्य में उपलब्ध किसी विशेष आरक्षित श्रेणी की आवश्यकताओं की सीमा तक सीमित है।
हाईकोर्ट ने कहा,
"जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया, राज्य के लिखित प्रस्तुतीकरण से हम पाते हैं कि वे भारत के संविधान के प्रावधानों के लोकाचार को समझने में बुरी तरह विफल रहे हैं। एक बार अनुच्छेद 15 और 16 और निर्देशक सिद्धांतों के तहत प्रावधान निर्धारित किए जाने के बाद वे पूरे भारत पर लागू होंगे और राज्य सरकार को सार्वजनिक रोजगार में विशेष प्रकार के आरक्षण शुरू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जहां सभी नागरिक भाग लेने और रोजगार पाने के हकदार हैं।"
केस टाइटल: हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग एवं अन्य बनाम सुकृति मलिक, एसएलपी(सी) नंबर 13275-13277/2024