हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

26 Jan 2025 4:30 AM

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (20 जनवरी, 2025 से 24 जनवरी, 2024) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    लोक अदालत के आदेश का उल्लंघन न्यायालय की अवमानना ​​नहीं माना जाएगा: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि लोक अदालत न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम के तहत न्यायालय नहीं है। इसके आदेश का उल्लंघन न्यायालय की अवमानना ​​नहीं माना जाएगा। जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस कीर्ति सिंह की खंडपीठ ने लोक अदालत के समक्ष दिए गए वचन का उल्लंघन करने के लिए जारी अवमानना ​​नोटिस के खिलाफ अपील स्वीकार कर ली।

    खंडपीठ ने कहा, "परिणामस्वरूप, लोक अदालत, जो न्यायालय नहीं है, उसके सुप्रा निकाले गए पुरस्कार के आधार पर विवादित आदेश बनाना, विवादित आदेश को घोर अवैधता और विकृति से ग्रस्त बनाता है।"

    केस टाइटल: अरुण कुमार गुप्ता एवं अन्य बनाम मेसर्स करनाल मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड

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    सेवा नियम मृतक रेलवे कर्मचारी की कानूनी रूप से विवाहित दूसरी पत्नी को पेंशन का दावा करने से नहीं रोकते: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

    आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि रेलवे सेवा (पेंशन) नियम, 1993 का नियम 75(6) हिंदू दूसरी पत्नी को पेंशन लाभ का दावा करने से नहीं रोकता है, खासकर तब जब पहली पत्नी की मृत्यु के बाद दूसरी शादी की गई हो।

    ज‌स्टिस रवि नाथ तिलहारी और ज‌स्टिस चल्ला गुणरंजन की खंडपीठ ने कहा, "उपर्युक्त नियम को पढ़ने से यह नहीं पता चलता है कि दूसरी पत्नी पारिवारिक पेंशन की हकदार नहीं है। नियम 75(6) (i) में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि "विधवा या विधुर के मामले में, मृत्यु या पुनर्विवाह की तिथि तक, जो भी पहले हो"। यहां प्रथम प्रतिवादी दूसरी पत्नी है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि वह विधवा नहीं है और पेंशन नियम, 1993 के नियम 75 (6) (i) के अंतर्गत नहीं आती है। प्रथम प्रतिवादी विधवा होने के कारण पेंशन नियमों के अंतर्गत भी हकदार है।"

    केस टाइटल: डिवीजनल रेलवे मैनेजर और अन्य बनाम कट्टेम प्रशांत कुमारी और अन्य

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    बिजली वितरण कंपनियों, राज्य बिजली बोर्ड द्वारा ली जाने वाली दरों को बाजार मूल्य निर्धारित करने के लिए माना जा सकता है: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि राज्य बिजली बोर्ड (SEB) या बिजली वितरण कंपनियों द्वारा जिस दर पर बिजली की आपूर्ति की जाती है, वह बिजली के बाजार मूल्य को निर्धारित करने के लिए उपयुक्त मीट्रिक है।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस विभु बाखरू और जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा की खंडपीठ ने आगे कहा कि भारतीय ऊर्जा एक्सचेंज (IEX) प्लेटफॉर्म पर जिस दर पर बिजली बेची जाती है, वह 'तुलनीय' नहीं है। इसे करदाता द्वारा अपनी औद्योगिक इकाइयों को आपूर्ति की जाने वाली बिजली के बाजार मूल्य को निर्धारित करने के लिए नहीं माना जाना चाहिए।

    केस टाइटल: प्रधान आयकर आयुक्त - 1, नई दिल्ली बनाम डीसीएम श्रीराम लिमिटेड।

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    कृष्ण जन्मभूमि विवाद: सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कृष्ण कूप में पूजा की याचिका खारिज की

    मथुरा में चल रहे कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते शाही ईदगाह मस्जिद में सीढ़ी के पास स्थित एक कुएं श्री कृष्ण कूप में पूजा करने की अनुमति मांगने वाले हिंदू उपासकों द्वारा दायर आवेदन पर कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।

    जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के 12 दिसंबर के उस अंतरिम आदेश के मद्देनजर याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी , जिसमें अदालतों को उपासना स्थल अधिनियम से संबंधित मुकदमों में सर्वेक्षण के आदेश सहित कोई भी प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने से रोका गया था।

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    धार्मिक स्थल प्रार्थना के लिए , लाउडस्पीकर का प्रयोग अधिकार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि धार्मिक स्थल मुख्य रूप से ईश्वर की पूजा के लिए हैं, इसलिए लाउडस्पीकर के उपयोग को अधिकार के रूप में नहीं माना जा सकता है, खासकर तब जब ऐसा उपयोग अक्सर निवासियों के लिए परेशानी का कारण बनता है।

    जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने मुख्तियार अहमद नामक व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें राज्य के अधिकारियों से मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई।

    केस टाइटल- मुख्तियार अहमद बनाम स्टेट ऑफ यूपी और 6 अन्य 2025 लाइवलॉ (एबी) 27

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    "लंबरदार" एक सिविल पद, बर्खास्तगी या निष्कासन संविधान के अनुच्छेद 311 को आकर्षित करता है: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना कि लंबरदार का पद एक नागरिक पद है और उसकी बर्खास्तगी या निष्कासन संविधान के अनुच्छेद 311 के प्रावधानों को आकर्षित करता है। जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस कीर्ति सिंह ने कहा कि एक लंबरदार जो एक सिविल पद पर है, इस प्रकार किसी अन्य सिविल पद के लिए अपनी नियुक्ति के लिए पात्रता का दावा नहीं कर सकता है।

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    जांच/मुकदमा लंबित रहने तक एनडीपीएस एक्ट के तहत जब्त वाहन की अंतरिम रिलीज़ पर कोई रोक नहीं: उड़ीसा हाईकोर्ट

    उड़ीसा हाईकोर्ट ने माना कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) या नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) के तहत अपराध करने के लिए जब्त किए गए वाहनों की अंतरिम रिहाई के लिए कोई रोक नहीं है और इसलिए, उचित शर्तें लगाकर जांच/परीक्षण के लंबित रहने के दौरान उन्हें छोड़ा जा सकता है।

    कानून की स्थिति को स्पष्ट करते हुए चीफ जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह (अब सेवानिवृत्त) और जस्टिस सावित्री राठो की खंडपीठ ने कहा - "एनडीपीएस एक्ट के प्रावधानों के तहत आपराधिक मामले के निपटान तक अंतरिम अवधि में मादक दवा या साइकोट्रोपिक पदार्थ के परिवहन के लिए इस्तेमाल किए गए किसी भी जब्त वाहन को वापस करने के लिए कोई विशेष रोक/प्रतिबंध नहीं है।"

    केस टाइटलः रवींद्र कुमार बेहरा बनाम ओडिशा राज्य

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    पुलिस एस्कॉर्ट के तहत कैदियों के परिवार से मिलने पर भौगोलिक प्रतिबंध मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने माना है कि कैदियों के परिवार से मिलने के लिए एस्कॉर्ट यात्राओं पर भौगोलिक प्रतिबंध इसे राज्य के भीतर ही सीमित करना, केवल निकट संबंधियों की मृत्यु के मामले को छोड़कर व्यावहारिक विचारों पर आधारित हैं और कैदियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते हैं। एस्कॉर्ट यात्रा आम तौर पर कैदी द्वारा किसी भी स्थान पर एस्कॉर्ट के तहत की जाने वाली यात्रा को दर्शाती है।

    याचिकाकर्ता, एक कैदी, ने केरल कारागार और सुधार सेवा (प्रबंधन) नियम 2014 के नियम 415(3) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। यह नियम उन कैदियों को अनुमति देता है जो अन्य छुट्टियों के लिए अपात्र हैं, उन्हें अपने परिवार से मिलने के लिए हर छह महीने में एक एस्कॉर्ट यात्रा करने की अनुमति देता है, लेकिन निकट संबंधी की मृत्यु के मामले को छोड़कर, ऐसी यात्राओं को केरल के भीतर ही सीमित करता है। यात्रा के समय को छोड़कर ये मुलाकातें 24 घंटे तक चलती हैं और यदि रात भर रुकने की आवश्यकता होती है, तो कैदियों को जेल या पास के पुलिस स्टेशन में रहना चाहिए, जहाँ कोई जेल नहीं है।

    केस टाइटल: बी.जी. कृष्णमूर्ति बनाम केरल राज्य

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    विदेशी नागरिक जमानत कार्यवाही में विदेशी अधिनियम के तहत 'कार्यकारी हिरासत' से रिहाई की मांग नहीं कर सकते: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि कोई विदेशी नागरिक जमानत कार्यवाही के तहत विदेशी अधिनियम की धारा 14 और धारा 14ए का हवाला देकर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए "कार्यकारी हिरासत" से रिहाई की मांग नहीं कर सकता है।

    जस्टिसअनूप जयराम भंभानी ने कहा, "इसलिए, जमानत कार्यवाही केवल 'न्यायिक हिरासत' से किसी व्यक्ति की रिहाई से संबंधित है और इसे 'कार्यकारी हिरासत' से रिहाई के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।"

    केस टाइटलः ऐज़ाज़ किलिचेवा @ अज़ीज़ा @ माया बनाम राज्य एनसीटी ऑफ़ दिल्ली

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    NDPS Act | अपराध स्थल पर मौजूद न रहने वाले आरोपियों को बिना किसी नरमी के समान रूप से जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि जो आरोपी व्यक्ति अपराध स्थल पर मौजूद नहीं हैं, उन्हें भी समान रूप से जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उन्हें नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) के तहत कोई रियायत नहीं दी जानी चाहिए।

    न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अपराध स्थल पर मौजूद नहीं रहने वाले व्यक्तियों को फंसाने की अक्सर प्रथा होती है और मादक पदार्थों की तस्करी के मास्टरमाइंड अक्सर "झूठे आरोप" के इस बचाव का दुरुपयोग करते हैं।

    केस टाइटलः जोगिंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य

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    RG Kar दोषी की उम्रकैद सजा के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची बंगाल सरकार, मांगा मृत्युदंड

    पश्चिम बंगाल सरकार ने RG Kar बलात्कार और हत्या मामले में दोषी को मृत्युदंड देने की मांग करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसे सेशन कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। न्यायालय ने माना था कि यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता है।

    मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने X हैंडल पर फैसले की आलोचना की और हाईकोर्ट के समक्ष इसके खिलाफ अपील करने की कसम खाई। उल्लेखनीय है कि सेशन जज अनिरबन दास ने अपने फैसले में जांच करते समय पुलिस द्वारा की गई चूक और अस्पताल अधिकारियों द्वारा मामले को छिपाने के प्रयासों पर भी आपत्ति जताई थी।

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    कानून के तहत निष्पादित निर्विवाद वसीयत का नगरपालिका रिकॉर्ड के लिए व्यक्तियों के नाम बदलने के लिए भरोसा किया जा सकता है: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने माना कि नगरपालिका रिकॉर्डों के प्रयोजनों के लिए, वसीयत का उपयोग उन व्यक्तियों के नाम बदलने के लिए किया जा सकता है जो इसके लाभार्थी हैं।

    जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने कहा, “कानून के अनुसार निष्पादित और नगरपालिका अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की गई वसीयत के संदर्भ में, न तो वसीयत साक्ष्य अधिनियम, 1872 के तहत साक्ष्य है और न ही नगरपालिका अधिकारी, न्यायालय है। इस प्रकार, नगरपालिका अभिलेखों के प्रयोजनों के लिए, एक वसीयत, जो कानून के अनुसार निष्पादित की गई है और विवादित नहीं है, उस पर उन व्यक्तियों के नाम बदलने के लिए भरोसा किया जा सकता है जो इसके लाभार्थी हैं, और पार्टियों को केवल अपने नाम बदलने के लिए सिविल मुकदमा दायर करने की कठोरता से गुजरने और काफी समय और पैसा खर्च करने के लिए बाध्य करने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।”

    केस टाइटल: गोपाल दास बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य, रिट पीटिशन नंबरः 38439/2024

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    RG Kar Rape-Murder case में मुख्य अभियुक्त को उम्र क़ैद की सजा

    RG Kar अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या मामले में कोर्ट ने मुख्य अभियुक्त संजय रॉय को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई। कोर्ट ने शनिवार को संजय रॉय को इस मामले में दोषी क़रार दिया था। पिछले साल अगस्त में हुई इस घटना ने पूरे पश्चिम बंगाल में जन आक्रोश को जन्म दिया था।

    9 अगस्त, 2024 को महिला ट्रेनी डॉक्टर का अस्पताल के कॉन्फ़्रेंस रूम में शव मिला था। जांच में पता चला कि इस डॉक्टर का पहले बलात्कार किया गया और फिर उनकी हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद कोलकाता में प्रदर्शन शुरू हो गए थे और दो महीने से भी ज़्यादा समय तक राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं ठप रहीं थीं।

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    धारा 42 PLMA परिसीमा अधिनियम की धारा 5 की प्रयोज्यता को बाहर करता है, अपील दायर करने में 120 दिनों से अधिक की देरी को माफ नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) की धारा 42 के तहत अपील दायर करने में देरी को हाईकोर्ट द्वारा प्रावधान में निर्धारित 120 दिनों से अधिक माफ नहीं किया जा सकता।

    जस्टिस बी. पी. कोलाबावाला और जस्टिस सोमशेखर सुंदरसन की खंडपीठ ने कहा कि धारा 42 PMLA परिसीमा अधिनियम, 1963 की धारा 5 की प्रयोज्यता को बाहर करता है, जो अदालत को देरी को माफ करने की अनुमति देता है, यदि आवेदक अपील को आगे बढ़ाने या निर्धारित अवधि के भीतर आवेदन करने के लिए पर्याप्त कारण दिखाता है।

    केस टाइटल: सहायक निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय बनाम शाखा प्रबंधक, गोवा स्टेट को-ऑप बैंक लिमिटेड (अंतरिम आवेदन संख्या 1958/2024 प्रथम अपील (धारा) संख्या 3056/2024 में)

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    ट्रैप मामले में CrPC की धारा 91 के तहत कॉल डिटेल रिकॉर्ड मांगने के लिए आरोपी का निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार पुलिस के निजता के अधिकार पर भारी पड़ता है: राजस्थान हाईकोर्ट

    ट्रैप कार्यवाही से संबंधित मामले में राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने दोहराया कि धारा 91 CrPC के तहत कॉल/टावर लोकेशन विवरण मांगने में अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच/ट्रायल का आरोपी का अधिकार पुलिस अधिकारियों के निजता के अधिकार पर भारी पड़ता है।

    कोर्ट ने कहा कि कॉल डिटेल प्रस्तुत करने, सच्चाई का पता लगाने और सभी हितधारकों के प्रति निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए निजता के इस अधिकार का कुछ हद तक उल्लंघन किया जा सकता है।

    केस टाइटल: नरेंद्र कुमार सोनी बनाम राजस्थान राज्य

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