राज�थान हाईकोट
अनुचित, दागी जांच: राजस्थान हाईकोर्ट ने 22 वर्षीय युवक की हत्या का मामला CBI को सौंपा
बाजरी (रेत) माफिया से जुड़े हत्या के मामले की सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने यह देखते हुए मामला CBI को सौंप दिया कि राज्य पुलिस और CID द्वारा की गई जांच इतनी "अनुचित, दागी और अधूरी" थी कि इसने न्यायालय की "न्यायिक अंतरात्मा को झकझोर दिया।"जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ आईपीसी और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (SC/ST Act) के विभिन्न प्रावधानों के तहत दर्ज मामले में दो व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह मामला "हाशिये पर पड़े एससी/एसटी समुदाय" से...
Industrial Disputes Act | विवाद उठाने वाला व्यक्ति कर्मचारी है या नहीं, इसका निर्णय केवल लेबर कोर्ट द्वारा किया जा सकता है, सरकार द्वारा नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारी को राहत प्रदान की, जिसे 15 वर्ष पहले बिना सुनवाई के नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया तथा सरकार को उसके औद्योगिक विवाद को लेबर कोर्ट में भेजने का निर्देश दिया।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ भारत सरकार ("प्रतिवादी") के उस आदेश के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए औद्योगिक विवाद के निपटारे के लिए संदर्भ देने से इनकार कर दिया था।याचिकाकर्ता का मामला यह था कि उसे 2008 में जलसेवक के रूप में नियुक्त किया गया था...
केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत एडिशनल डायरेक्टर के पास अस्पताल को पैनल से हटाने का कोई अधिकार नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने मेडिपल्स अस्पताल को राहत प्रदान की, जिसे भारत सरकार द्वारा केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस/योजना) से पांच साल के लिए पैनल से हटा दिया गया था। उन्हें रिटायर केंद्र सरकार के कर्मचारी द्वारा अस्पताल द्वारा खराब सेवाओं का आरोप लगाते हुए अस्पताल के खिलाफ शिकायत के बाद हटाया गया था।जस्टिस दिनेश मेहता की पीठ ने कहा कि किसी अस्पताल को पांच साल के लिए सीजीएचएस से हटाने के लिए कोई वैधानिक प्रावधान या शर्त नहीं है, जिसे सीजीएचएस के एडिशनल डायरेक्टर को योजना से अस्पताल को हटाने...
S. 413 BNSS | आरोपी को बरी किए जाने के खिलाफ अपील करने के लिए पीड़ित को विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 413 के तहत बरी किए जाने के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने के लिए किसी विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं, जिसमें मामले में शिकायतकर्ता स्वयं पीड़ित है।जस्टिस बीरेंद्र कुमार की पीठ ने कहा कि BNSS की धारा 413 सीआरपीसी की धारा 372 के अनुरूप है, जहां प्रावधान के तहत पीड़ित को बरी किए जाने के आदेश, या कम गंभीर अपराध के लिए आरोपी को दोषी ठहराए जाने या अपर्याप्त मुआवजा लगाए जाने के आदेश के खिलाफ अपील करने का अधिकार दिया...
छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट ने फार्मेसी कॉलेज के संबद्धता विवाद के बावजूद आरयूएचएस को परीक्षा परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया
राजस्थान हाईकोर्ट ने श्री सवाई कॉलेज ऑफ फार्मेसी में प्रवेश लेने वाले 60 छात्रों को राहत प्रदान की है, जिन्होंने कोर्स सीखने में दो साल बिताए थे, हालांकि परीक्षा प्राधिकरण यानी राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज ने उनके परिणामों की घोषणा रोक दी थी, क्योंकि फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडियाद्वारा कॉलेज को दी गई मंजूरी विवाद में थी। जस्टिस दिनेश मेहता की पीठ ने कहा कि भले ही कॉलेज द्वारा इन छात्रों को प्रवेश देना अनियमित था, लेकिन याचिका को खारिज करने से उन 60 छात्रों के भविष्य पर असर पड़ेगा,...
राजस्थान हाईकोर्ट ने गलत पहचान के कारण पुलिस द्वारा आरोपी के खिलाफ दर्ज NDPS मामले को रद्द किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस द्वारा एनडीपीएस मामले में गलत तरीके से दर्ज किए गए एक व्यक्ति को उसकी पहचान के बारे में कोई जांच किए बिना, केवल सह-आरोपी के बयान पर भरोसा करते हुए राहत दी।मामले में पुलिस ने एक व्यक्ति के पास से नशीले पदार्थ बरामद करने के बाद उसे गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार व्यक्ति ने पुलिस को बताया कि उसने एमपी के सुजानपुरा गांव में रहने वाले 'पप्पू राम' नाम के व्यक्ति से मादक पदार्थ खरीदे थे। इसके बाद, आगे की जांच किए बिना, पुलिस ने याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर लिया और उस पर एनडीपीएस...
परिवीक्षा पर चल रहे सरकारी कर्मचारी 'अस्थायी कर्मचारी' नहीं, विभागीय कार्रवाई के बिना उन्हें बर्खास्त नहीं किया जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने पुष्टि की है कि एक सरकारी कर्मचारी जो चयन के नियमित तरीके से नियुक्त किया गया है, और परिवीक्षा पर है, उसे एक अस्थायी सरकारी कर्मचारी नहीं माना जा सकता है, जिसकी सेवाओं को राजस्थान सेवा नियम 1951 ("नियम") के नियम 23-ए के तहत एक महीने का नोटिस देकर समाप्त किया जा सकता है, जो अस्थायी कर्मचारियों के लिए है।जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल की पीठ एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे राज्य सरकार द्वारा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन उसकी...
POCSO| राजस्थान हाईकोर्ट ने बेटी से बलात्कार के दोषी पिता को पैरोल दी, कहा-पीड़िता की भावनात्मक भलाई को आरोपी के अधिकारों के साथ संतुलित किया जाना चाहिए
राजस्थान हाईकोर्ट ने बेटी से बलात्कार के दोषी पिता द्वारा दायर 15 दिन की पैरोल की याचिका को स्वीकार कर लिया है। दोषी 2018 में दी गई अपनी पहली पैरोल के दौरान फरार हो गया था और उसके पिता ने 2022 में दूसरी पैरोल के लिए आवेदन के दौरान उसके आचरण के लिए कोई वचन देने से इनकार कर दिया था।जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण की खंडपीठ ने कहा कि POCSO की विधायी मंशा, दोषी और पीड़िता के बीच न्यूनतम संपर्क और दोषी के वैधानिक अधिकारों के बीच संतुलन हासिल करने की आवश्यकता है। तदनुसार, यह...
व्यक्तिगत स्वतंत्रता: राजस्थान हाईकोर्ट ने गैर जमानती वारंट जमानती वारंट में बदला, कहा- गिरफ्तारी का आदेश केवल अदालत में पेश करने के लिए यंत्रवत् पारित नहीं किया जा सकता
राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में निचली अदालत का आदेश संशोधित किया, जिसमें दहेज की शिकायत में व्यक्ति के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था, क्योंकि वह अदालत में पेश होने में विफल रहा था। भले ही मामले में जांच अधिकारी द्वारा नकारात्मक अंतिम रिपोर्ट दायर की गई हो।जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने कहा कि किसी नागरिक की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को इतना हल्के में नहीं लिया जा सकता कि उसे अदालत में पेश करने के लिए यंत्रवत् गिरफ्तार करने का आदेश पारित किया जाए, जब तक कि अदालती प्रक्रिया से बचने का जानबूझकर...
CPC NDPS Act का अनुपालन न करने पर अंतर्राष्ट्रीय ड्रग तस्करी मामलों में जमानत के चरण में बहस नहीं की जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने पाकिस्तान से ड्रग्स की तस्करी के प्रयास में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) के तहत दर्ज व्यक्ति को जमानत देने से इनकार किया।न्यायालय ने माना कि NDPS Act या CPC के तहत प्रावधानों का अनुपालन न करने पर अंतर्राष्ट्रीय तस्करी के मामले में जमानत के चरण में बहस नहीं की जा सकती।न्यायालय ने आगे कहा,"रिकॉर्ड के अवलोकन से प्रथम दृष्टया यह पता चला है कि NDPS Act और CrPc के विभिन्न प्रावधानों के कथित गैर-अनुपालन के बारे में...
खान एवं खनिज अधिनियम | यदि जब्ती कार्यवाही शुरू नहीं की जाती है तो वाहन को वर्तमान मूल्य के बराबर राशि का बांड प्रस्तुत करने पर छोड़ा जा सकता है: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 (एमएमडीआर अधिनियम) के तहत जब्त किए गए वाहनों को छोड़ने के नियम निर्धारित किए हैं। न्यायालय ने कहा कि यदि अधिनियम के तहत जब्ती की कार्यवाही शुरू की जाती है, तो संबंधित वाहन को केवल जुर्माना राशि और समझौता शुल्क का भुगतान करने पर ही छोड़ा जा सकता है।हालांकि, यदि ऐसी कोई कार्यवाही शुरू नहीं हुई है और खनन अधिकारी द्वारा पारित जुर्माना/समझौता आदेश के खिलाफ केवल अपील दायर की गई है, तो याचिकाकर्ता को वाहन को छोड़ने के लिए सक्षम...
राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल को उन स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन करने का निर्देश दिया, जिनके कॉलेज की संबद्धता खारिज कर दी गई
राजस्थान हाईकोर्ट ने तिरुपति कॉलेज ऑफ नर्सिंग के स्नातकों को राहत दी, जिन्हें राजस्थान नर्सिंग काउंसिल (RNC) द्वारा उनके कॉलेज की संबद्धता के कारण रजिस्ट्रेशन से वंचित कर दिया गया। तिरुपति कॉलेज ऑफ नर्सिंग को राज्य सरकार से अपेक्षित NOC के अभाव में RNC द्वारा रद्द कर दिया गया।न्यायालय ने निर्देश दिया कि स्टूडेंट्स ने कॉलेज में तब एडमिशन लिया था, जब इसकी संबद्धता वैध थी, जिसे इन स्टूडेंट्स द्वारा अपना कोर्स पूरा करने के बाद ही रद्द किया गया।जस्टिस दिनेश मेहता की पीठ कई स्टूडेंट द्वारा दायर...
कुछ सरकारी पदों की भर्ती में बोनस अंक देना विशुद्ध नीतिगत निर्णय, यदि सभी पदों के लिए नहीं दिया जाता तो यह भेदभावपूर्ण नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने मेडिकल अधिकारी (डेंटल) के पद पर नियुक्ति के लिए 30% बोनस अंक देने के लिए सरकार को निर्देश देने की प्रार्थना के साथ दायर याचिका खारिज कर दी, क्योंकि सरकार द्वारा विभिन्न अन्य पदों के लिए इस तरह का बोनस अंकन किया गया।न्यायालय ने कहा कि बोनस अंकन सहित पात्रता शर्तों को निर्धारित करना विशुद्ध रूप से नीतिगत निर्णय है, जो राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, जिसमें तब तक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता, जब तक कि यह स्पष्ट रूप से मनमानी और मनमाना न हो।जस्टिस विनीत कुमार माथुर की...
एफआईआर की अनुचित जांच से पीड़ित व्यक्ति धारा 36 CrPC के तहत सीनियर पुलिस अधिकारी से संपर्क कर सकता है: राजस्थान हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि एफआईआर की अनुचित या अनुचित जांच के मामले में पीड़ित व्यक्ति धारा 36 CrPC के अनुसार सीनियर पुलिस अधिकारी से संपर्क करके सहारा ले सकता है।जस्टिस अरुण मोंगा की एकल पीठ ने धीमी और अनुचित जांच का आरोप लगाते हुए सीधे उसके समक्ष दायर याचिका को खारिज किया।पीठ ने कहा,"जांच अभी भी बहुत प्रारंभिक चरण में है और ऐसा प्रतीत होता है कि याचिका इसके परिणाम की प्रतीक्षा किए बिना समय से पहले दायर की गई। मेरी राय में याचिकाकर्ता को इस न्यायालय में आने से पहले अपनी शिकायत के निवारण के...
भर्ती विज्ञापन में सेवा नियम शर्तों पर भारी पड़े: राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम प्राधिकारी द्वारा सफाई कर्मचारियों की बर्खास्तगी खारिज की
राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में विभिन्न सफाई कर्मचारियों को राहत प्रदान की, जिनकी सेवाएं इसलिए समाप्त कर दी गई थीं, क्योंकि उनके अनुभव पत्र को पद के लिए विज्ञापन/अधिसूचना में उल्लिखित सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रमाणित नहीं किया गया।जस्टिस विनीत कुमार माथुर की एकल पीठ ने 2 अगस्त के अपने आदेश में कहा कि चूंकि राजस्थान नगर पालिका (सफाई कर्मचारी सेवा) नियम, 2012 में ऐसी आवश्यकता निर्धारित नहीं की गई, इसलिए विज्ञापन/अधिसूचना में उल्लिखित शर्त नियमों के लिए विदेशी थी।नियम 6 का अवलोकन करते हुए जस्टिस...
निर्धारिती की ओर से कुछ कमी या देरी के बावजूद मेरिट के आधार पर फैसला किया जाएगा अपील: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि कानून के तहत प्रदान किए गए अपील के अधिकार को निर्धारिती की ओर से कुछ कमी या देरी के बावजूद योग्यता के आधार पर तय किया जाना चाहिए।जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस कुलदीप माथुर की खंडपीठ ने कहा है कि CGST Act की धारा 107 के तहत सीमा के वैधानिक प्रावधान वैधानिक प्राधिकरण को बाध्य करेंगे, जो CGST Act के तहत परिकल्पित परिस्थितियों को छोड़कर देरी को माफ नहीं कर सकता है, लेकिन रिट कार्यवाही में सीमाएं लागू नहीं होती हैं। याचिकाकर्ता/निर्धारिती ने जोधपुर में केंद्रीय माल और...
टेंडर प्रक्रिया में सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को चुनने के लिए अथॉरिटीज बाध्य नहीं, बिडर का अधिकार हमेशा अस्थायी: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है, जिसमें रत्न एवं आभूषण उद्योग स्थापित करने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र में भूखंड आवंटित करने के याचिकाकर्ता के आवेदन को खारिज कर दिया गया था।जस्टिस अवनीश झिंगन की पीठ ने कहा कि निविदा मामलों में अदालत के हस्तक्षेप का दायरा बहुत सीमित है क्योंकि यह भेदभाव या तर्कहीनता का मामला नहीं है। यह कहा गया था कि चूंकि संशोधित दरों पर भूखंडों को फिर से विळ्ापान देने के लिए सभी आवेदनों को समान रूप से खारिज कर दिया गया था, इसलिए...
साथी चुनने का अधिकारः राजस्थान हाईकोर्ट ने जारी की एसओपी, वयस्क जोड़ों को मिलेगी पुलिस सुरक्षा
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है, जिसमें उन युगलों द्वारा दायर कई याचिकाओं का संज्ञान लिया गया है, जो अपने परिवारों या अन्य सामाजिक अभिनेताओं या समूहों द्वारा अतिरिक्त-कानूनी उत्पीड़न और हिंसा के खतरों से डरते हैं और इसलिए पुलिस सुरक्षा मांग रहे हैं। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया है कि ऐसे खतरे वयस्क युगलों के संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला हैं, विशेष रूप से अनुच्छेद 14 और 21 के तहत। न्यायालय ने आगे इस बात पर जोर दिया है कि पुलिस की संस्थागत भूमिका ऐसे युगलों...
राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के आरोपी को जमानत देने से इनकार किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में कई आरोपियों में से एक की जमानत याचिका खारिज की। उक्त आरोपी का नाम न तो एफआईआर में था और न ही उसके खिलाफ कोई आरोप लगाया गया।न्यायालय ने कहा कि भले ही आवेदक ने पीड़ित पर वास्तव में और शारीरिक रूप से हमला करने में सक्रिय रूप से भाग नहीं लिया, लेकिन अपराध में अन्य तरीके से शामिल होने से उसकी भूमिका की गंभीरता कम नहीं हुई।जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ ऐसे मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि आवेदक ने मुख्य आरोपी सहित अन्य...
युवाओं में नशीली दवाओं के दुरुपयोग से सामाजिक सद्भाव प्रभावित होता है: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने NDPS Act के तहत दर्ज आरोपी की जमानत याचिका खारिज की और कहा कि NDPS Act की धारा 42 और 43 के उल्लंघन पर अदालत द्वारा जमानत देने के चरण में विचार नहीं किया जा सकता। इन सवालों का जवाब केवल सभी सबूतों के प्रकाश में परीक्षण चरण में दिया जा सकता है। उन्होंने कहा,"युवा समाज की मूल इकाई बनाते हैं। समाज का सामंजस्य उसके युवा सदस्यों पर निर्भर करता है। जब समाज के सदस्य नशीली दवाओं के आदी हो जाते हैं तो यह पूरे सामाजिक सामंजस्य को बिगाड़ देता है। ड्रग्स और अपराध को अलग-अलग नहीं माना जा...