एफआईआर की अनुचित जांच से पीड़ित व्यक्ति धारा 36 CrPC के तहत सीनियर पुलिस अधिकारी से संपर्क कर सकता है: राजस्थान हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार किया
Amir Ahmad
6 Aug 2024 1:23 PM IST
राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि एफआईआर की अनुचित या अनुचित जांच के मामले में पीड़ित व्यक्ति धारा 36 CrPC के अनुसार सीनियर पुलिस अधिकारी से संपर्क करके सहारा ले सकता है।
जस्टिस अरुण मोंगा की एकल पीठ ने धीमी और अनुचित जांच का आरोप लगाते हुए सीधे उसके समक्ष दायर याचिका को खारिज किया।
पीठ ने कहा,
"जांच अभी भी बहुत प्रारंभिक चरण में है और ऐसा प्रतीत होता है कि याचिका इसके परिणाम की प्रतीक्षा किए बिना समय से पहले दायर की गई। मेरी राय में याचिकाकर्ता को इस न्यायालय में आने से पहले अपनी शिकायत के निवारण के लिए अन्य उपलब्ध कानूनी उपायों का लाभ उठाना चाहिए था।"
पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि शिकायत धारा 36 CrPC के तहत अनसुलझी रहती है तो कोई व्यक्ति धारा 156(3) CrPC के तहत सक्षम क्षेत्राधिकार वाले मजिस्ट्रेट से संपर्क कर सकता है, जो पुलिस द्वारा जांच और रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दे सकता है।
इसके अतिरिक्त, यदि कोई पीड़ित पक्ष सलाह देता है तो वह सक्षम न्यायालय के समक्ष आपराधिक शिकायत दर्ज करने का विकल्प चुन सकता है।"
इस प्रकार न्यायालय ने धोखाधड़ी के एक मामले में जांच एजेंसी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पुलिस द्वारा निष्पक्ष और न्यायपूर्ण जांच करने में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया गया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि जांच एजेंसी निष्पक्ष तरीके से आगे नहीं बढ़ रही है और जानबूझकर जांच में देरी कर रही है।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता को उचित मंच से संपर्क करने के लिए कहते हुए याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल- कैलाश तोलानी बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य।