मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

निजी संस्थान अनुकंपा नियुक्ति दे सकते हैं, लेकिन वित्तीय बोझ राज्य पर नहीं पड़ेगा: एमपी हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया
निजी संस्थान अनुकंपा नियुक्ति दे सकते हैं, लेकिन वित्तीय बोझ राज्य पर नहीं पड़ेगा: एमपी हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर ने जस्टिस विवेक जैन की अध्यक्षता में एक मामले में अनुकंपा नियुक्ति से इनकार करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की। याचिकाकर्ता कौशल कुमार कछवाहा ने जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश के बाद अदालत से हस्तक्षेप करने की मांग की, जिसमें निजी संस्थान को अनुकंपा के आधार पर उन्हें नियुक्त करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन राज्य द्वारा वित्तपोषित वेतन सहायता के बिना।याचिकाकर्ता ने मध्य प्रदेश राज्य और अन्य के खिलाफ रिट याचिका नंबर 25164/2019 दायर की, जिसमें 23 सितंबर, 2017 के आदेश...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अभ्यार्थियों को अनुपयुक्त कॉलेज से अन्य सरकारी कॉलेजों में स्थानांतरित करने का मार्ग प्रशस्त किया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अभ्यार्थियों को 'अनुपयुक्त' कॉलेज से अन्य सरकारी कॉलेजों में स्थानांतरित करने का मार्ग प्रशस्त किया

मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता और संबद्धता देने की वैधता को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं के एक बैच में, हाईकोर्ट ने 'अनुपयुक्त' सरकारी कॉलेज के अभ्यार्थियों को 'उपयुक्त' सरकारी कॉलेजों में प्रवेश देने की अनुमति दी है।जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की खंडपीठ ने अपने पहले के आदेश को इस हद तक संशोधित किया कि इस 'अनुपयुक्त' सरकारी कॉलेज के छात्रों को किसी अन्य 'उपयुक्त' कॉलेजों में समायोजित किया जा सकता है। "उपरोक्त के मद्देनजर, समिति को इस सरकारी कॉलेज के...

जब तब असाधारण परिस्थितियां मौजूद न हों, बलात्कार की एफआईआर समझौते के आधार पर रूटीन तरीके से रद्द नहीं की जा सकतीः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
जब तब 'असाधारण परिस्थितियां' मौजूद न हों, बलात्कार की एफआईआर समझौते के आधार पर 'रूटीन तरीके' से रद्द नहीं की जा सकतीः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दोहराया कि बलात्कार के मामलों में 'रूटीन तरीके' से समझौता तब तक स्वीकार नहीं किया जा सकता जब तक कि 'असाधारण परिस्थितियां' न बन जाएं। जस्टिस प्रकाश चंद्र गुप्ता की एकल पीठ ने माना कि 20 वर्षीय पीड़िता द्वारा दर्ज बलात्कार के मामले को समझौते के बावजूद खारिज नहीं किया जा सकता, भले ही सहमति पर पहुंचने से पहले कोई दबाव या भय न हो।पीठ ने कहा, “…अभियोक्ता आवेदक के खिलाफ़ एफआईआर पर मुकदमा नहीं चलाना चाहती, लेकिन अपराध बलात्कार से संबंधित है जो गंभीर और जघन्य प्रकृति का है और...

विशेष प्रावधान या असाधारण परिस्थिति के अभाव में उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन की अनुमति नहीं दी जा सकती: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
विशेष प्रावधान या असाधारण परिस्थिति के अभाव में उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन की अनुमति नहीं दी जा सकती: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक छात्र की उत्तर पुस्तिका के पुनर्मूल्यांकन की मांग करने वाली रिट याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें स्थापित कानूनी सिद्धांत की पुष्टि की गई है कि विशिष्ट प्रावधान के अभाव में पुनर्मूल्यांकन अनिवार्य नहीं किया जा सकता है। जस्टिस जी.एस. अहलूवालिया ने 25 जुलाई को फैसला सुनाते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि संबंधित नियमों और विनियमों में उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन का कोई प्रावधान नहीं है।न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि यह एक सुस्थापित कानूनी स्थिति है, और...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने संदिग्ध बलात्कार की एफआईआर पर अनुमति देने से इनकार करने वाले एकल न्यायाधीश का आदेश रद्द किया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 'संदिग्ध' बलात्कार की एफआईआर पर अनुमति देने से इनकार करने वाले एकल न्यायाधीश का आदेश रद्द किया

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता की दादी द्वारा दायर रिट अपील को स्वीकार कर लिया है, जिसका गर्भ 28 सप्ताह तक पहुंच चुका था। कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने कहा कि यद्यपि गर्भ 28 सप्ताह से अधिक था, लेकिन यह बलात्कार के कथित अपराध का परिणाम था। इसके बाद न्यायालय ने महिला के प्रजनन स्वायत्तता के अधिकार पर जोर देने के लिए एक्स बनाम प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, एनसीटी दिल्ली सरकार, 2022 लाइव लॉ (एससी) 809 का हवाला...

लंबित आपराधिक मामला शस्त्र लाइसेंस रद्द करने का एकमात्र आधार नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
लंबित आपराधिक मामला शस्त्र लाइसेंस रद्द करने का एकमात्र आधार नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि लाइसेंसिंग प्राधिकरण को लगता है कि कोई व्यक्ति आपराधिक गतिविधि में शामिल है और सार्वजनिक सुरक्षा और सार्वजनिक शांति के लिए संभावित खतरा है तो वह ऐसे व्यक्ति का शस्त्र लाइसेंस रद्द कर सकता है।मजीद खान ने 2018 और 2019 में उनके खिलाफ दो आपराधिक मामले दर्ज होने के बाद उनके शस्त्र लाइसेंस को रद्द करने को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की। जिला मजिस्ट्रेट ने निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता का शस्त्र लाइसेंस जारी रखना सार्वजनिक शांति और सुरक्षा के हित में नहीं...

न्यायालय पुलिस जांच की निगरानी नहीं कर सकते, न ही गिरफ्तारी का आदेश दे सकते हैं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
न्यायालय पुलिस जांच की निगरानी नहीं कर सकते, न ही गिरफ्तारी का आदेश दे सकते हैं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आपराधिक मामले की जांच में हस्तक्षेप की मांग करने वाली याचिका खारिज की।जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायालय पुलिस जांच की निगरानी नहीं कर सकते या आरोपी व्यक्तियों की गिरफ्तारी का निर्देश नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले जांच अधिकारियों के विशेष अधिकार क्षेत्र में आते हैं।यह मामला ज्योत्सना मैती द्वारा दायर रिट याचिका से संबंधित है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी शिकायत पर पर्याप्त कार्रवाई नहीं की है। आरोपियों के खिलाफ दर्ज की गई...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने क्लर्क द्वारा लिखे गए गलत ऑर्डर शीट पर अंधाधुंध हस्ताक्षर करने वाले न्यायाधीश के खिलाफ जांच के आदेश दिए
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने क्लर्क द्वारा लिखे गए गलत ऑर्डर शीट पर अंधाधुंध हस्ताक्षर करने वाले न्यायाधीश के खिलाफ जांच के आदेश दिए

यह पता लगाने के बाद कि ट्रायल कोर्ट ने लापरवाही से धोखाधड़ी के मामले को आरोप तय करने के बजाय बार-बार अभियोजन पक्ष के साक्ष्य के लिए पोस्ट किया मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गलती करने वाले न्यायाधीश और संबंधित क्लर्क के खिलाफ जांच की सिफारिश की है।धारा 439 सीआरपीसी [483 BNSS] के तहत आवेदन पर निर्णय लेते समय हाईकोर्ट ने देखा कि ट्रायल कोर्ट ने एक से अधिक मौकों पर गलत तरीके से सबूत के लिए केस पोस्ट किया। करीब से निरीक्षण करने पर अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि गलत ऑर्डर शीट हाथ से लिखी गई थीं, जबकि अन्य...

वार्षिक वेतन वृद्धि प्राप्त करने वाला गैर-सरकारी कर्मचारी मोटर दुर्घटना दावे में भविष्य की संभावनाओं के अनुदान के लिए स्थायी नौकरी में है: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
वार्षिक वेतन वृद्धि प्राप्त करने वाला गैर-सरकारी कर्मचारी मोटर दुर्घटना दावे में भविष्य की संभावनाओं के अनुदान के लिए स्थायी नौकरी में है: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने संबोधित किया कि क्या केवल सरकारी कर्मचारी ही मोटर दुर्घटना मुआवजा दावों में भविष्य की संभावनाओं के अनुदान के उद्देश्य से स्थायी नौकरी में होने के योग्य हैं।जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की पीठ ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति ऐसी नौकरी में है, जिसमें उसका वेतन समय-समय पर बढ़ता है या उसे वार्षिक वेतन वृद्धि आदि मिलती है तो ऐसे व्यक्ति को स्थायी नौकरी में माना जाएगा।दावेदार ने भोपाल में मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल (MACT) द्वारा दिए गए मुआवजे में वृद्धि की मांग करते हुए इस तरह की अपील...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 10 साल से जेल में बंद बलात्कार के आरोपी को बरी किया, अभियोजन पक्ष की कहानी में विसंगतियों के कारण सजा रद्द
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 10 साल से जेल में बंद बलात्कार के आरोपी को बरी किया, 'अभियोजन पक्ष की कहानी में विसंगतियों' के कारण सजा रद्द

यह देखते हुए कि हाईकोर्ट में 'दुखद स्थिति' के लिए कोई बहाना नहीं हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप एक अभियुक्त को आपराधिक अपील के लंबित रहने के दौरान 10 साल की अपनी पूरी जेल अवधि पूरी करनी पड़ी, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 'अभियोजन पक्ष की कहानी में विसंगतियों' के कारण बलात्कार की सजा को रद्द कर दिया। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि इस स्थिति के लिए कोई बहाना नहीं हो सकता है क्योंकि अभियुक्त की सजा पूरी होने से पहले आपराधिक अपील पर निर्णय लिया जाना चाहिए। आपराधिक अपील 2014 से लगभग...

धारा 16 के तहत द्वितीयक साक्ष्य की अनुमति देना अपवाद, पक्षकार को उन परिस्थितियों को स्पष्ट करना चाहिए, जिसके तहत फोटोकॉपी तैयार की गई: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
धारा 16 के तहत द्वितीयक साक्ष्य की अनुमति देना अपवाद, पक्षकार को उन परिस्थितियों को स्पष्ट करना चाहिए, जिसके तहत फोटोकॉपी तैयार की गई: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65 के तहत फोटोकॉपी को द्वितीयक साक्ष्य के रूप में स्वीकार करने के लिए तथ्यात्मक आधार स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।याचिकाकर्ता संतोष चौहान ने अनुबंध के विशिष्ट प्रदर्शन के लिए सिविल मुकदमा दायर किया और दस्तावेजों की फोटोकॉपी को द्वितीयक साक्ष्य के रूप में पेश करने की मांग की। ट्रायल कोर्ट ने इस आवेदन को खारिज कर दिया, जिससे याचिकाकर्ता को वर्तमान विविध याचिका दायर करने के लिए प्रेरित किया गया।याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि ट्रायल...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेलवे को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद अमलाई कोल साइडिंग का संचालन फिर से शुरू करने की अनुमति दी
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेलवे को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद अमलाई कोल साइडिंग का संचालन फिर से शुरू करने की अनुमति दी

हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेलवे प्रशासन को बोर्ड द्वारा सुझाए गए प्रदूषण नियंत्रण उपायों का अनुपालन करने के बाद अमलाई कोल साइडिंग का संचालन फिर से शुरू करने की अनुमति दी है। 25.04.2024 को न्यायालय ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी क्लोजर रिपोर्ट पर संज्ञान लिया था और शहडोल जिले के अमलाई क्षेत्र में आगे की कोल साइडिंग गतिविधियों पर तत्काल रोक लगा दी थी। कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ अमलाई कोल साइडिंग संचालन के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर फैसला...

निर्माण स्थल पर सुरक्षा सावधानियां और चेतावनी संकेत सुनिश्चित करना मालिक का कर्तव्य, उनकी अनुपस्थिति में लापरवाही के लिए उन्हें उत्तरदायी ठहराया जा सकता है: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
निर्माण स्थल पर सुरक्षा सावधानियां और चेतावनी संकेत सुनिश्चित करना मालिक का कर्तव्य, उनकी अनुपस्थिति में लापरवाही के लिए उन्हें उत्तरदायी ठहराया जा सकता है: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस जी.एस. अहलूवालिया की एकल पीठ ने निर्माण स्थल पर चेतावनी संकेत न लगाने के कारण घातक दुर्घटना होने के लिए ठेकेदार के आपराधिक दायित्व के संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने माना कि कंपनी के मालिक का कर्तव्य था कि वह चेतावनी संकेत सहित सभी सुरक्षा सावधानियों को सुनिश्चित करे। सुरक्षा उपायों में लापरवाही जो सीधे घातक दुर्घटना में योगदान देती है, आईपीसी की धारा 304-ए के तहत आपराधिक अपराध बन सकती हैयह घटना मेसर्स पी.डी. अग्रवाल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दोहराया कि अदालत मुकदमे में प्रगति के बिना आरोपी को जेल में रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकती
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दोहराया कि अदालत मुकदमे में प्रगति के बिना आरोपी को जेल में रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकती

जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की अध्यक्षता में जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार किया कि क्या किसी अभियुक्त को उसके मुकदमे में किसी प्रगति के बिना जेल में रखा जा सकता है। यह निर्णय सुमा भास्करन (सुमा अनिल) द्वारा यूनियन ऑफ इंडिया के विरुद्ध दायर विविध आपराधिक मामला संख्या 27895/2024 के जवाब में आया। सुमा भास्करन को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत सीबीआई एसी-I, नई दिल्ली में पंजीकृत अपराध संख्या...

यदि दुर्घटना सड़कों के खाइयों को बंद करने में विफलता के परिणामस्वरूप हुई है तो NHAI के अधिकारी धारा 28 के तहत सद्भावना खंड के तहत संरक्षित नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
यदि दुर्घटना सड़कों के खाइयों को बंद करने में विफलता के परिणामस्वरूप हुई है तो NHAI के अधिकारी धारा 28 के तहत सद्भावना खंड के तहत संरक्षित नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

सिवनी में NH-7 पर खाई में गिरने वाले दुर्घटना पीड़ित द्वारा शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पाया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) या उसके अधिकारियों ने राजमार्ग के रखरखाव के लिए प्रथम दृष्टया सद्भावना में काम नहीं किया।जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि राजमार्ग के रखरखाव का मतलब है कि NHAI राजमार्ग को मोटर वाहन योग्य स्थिति में रखने के लिए पर्याप्त कदम उठाए। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि NHAI को कोई राजमार्ग मोटर वाहन योग्य या...

बलात्कार की एफआईआर संदिग्ध: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नाबालिग के 28 सप्ताह की टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी की अनुमति देने से किया इनकार
बलात्कार की एफआईआर संदिग्ध: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नाबालिग के 28 सप्ताह की टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी की अनुमति देने से किया इनकार

यह देखते हुए कि बलात्कार की घटना की तारीख के बारे में गलत जानकारी के कारण अभियोक्ता की दादी द्वारा दर्ज की गई एफआईआर संदिग्ध है, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अभियोक्ता के 28 सप्ताह के मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी करने की अनुमति देने से इनकार किया।जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की एकल पीठ ने याचिका खारिज करते हुए तर्क दिया कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट 24 सप्ताह से अधिक समय से गर्भ की पुष्टि करती है। इस कारक के साथ-साथ नाबालिग की हल्की बौद्धिक अक्षमता के अस्तित्व ने मेडिकल बोर्ड को चिकित्सकीय रूप से...

वैकल्पिक उपाय उपलब्ध होने पर पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने वाली रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दोहराया
वैकल्पिक उपाय उपलब्ध होने पर पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने वाली रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दोहराया

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जज जस्टिस जी.एस. अहलूवालिया ने दोहराया कि वैकल्पिक उपाय उपलब्ध होने पर पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने वाली रिट याचिकाओं पर हाईकोर्ट विचार नहीं कर सकते। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उन्होंने एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस से संपर्क किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। रिट याचिका में विशेष रूप से न्यायालय से पुलिस को शिकायत पर विचार करने और आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया।याचिकाकर्ता ने ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार में सुप्रीम कोर्ट...

5 महीने के अलगाव के बाद पत्नी में पति का वीर्य मिलना असंभव, यह केवल कुछ दिनों तक रहता है: एमपी हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 के तहत आरोप खारिज किया
5 महीने के अलगाव के बाद पत्नी में पति का वीर्य मिलना असंभव, यह केवल कुछ दिनों तक रहता है: एमपी हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 के तहत आरोप खारिज किया

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने विभिन्न फोरेंसिक अध्ययनों का हवाला देते हुए माना कि अलग होने के पांच महीने बाद पति का वीर्य पत्नी के गुदा और योनि के स्वाब में नहीं पाया जा सकता है, क्योंकि शुक्राणुओं का जीवन काल कुछ दिनों से अधिक नहीं होता है। जस्टिस आनंद पाठक की एकल पीठ ने कहा कि धारा 377 आईपीसी (अब बीएनएस में हटा दिया गया) के तहत आरोप याचिकाकर्ता-पति पर गलत तरीके से थोपा गया था।पीठ ने कहा,“…सभी अध्ययनों में यह स्पष्ट है कि कपड़ों/गुदा स्वाब/योनि स्वाब पर कोई भी शुक्राणु कुछ दिनों से अधिक नहीं पाया जा...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2007 के फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई जांच से इनकार किया, पुलिस विभाग की असंवेदनशीलता के लिए राज्य को एक लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2007 के फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई जांच से इनकार किया, पुलिस विभाग की असंवेदनशीलता के लिए राज्य को एक लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया

डकैतों को खत्म करने के लिए कथित तौर पर फर्जी पुलिस मुठभेड़ की आगे की जांच के लिए एक पीड़ित मां द्वारा दायर रिट अपील में, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपराध जांच शाखा के बजाय सीबीआई को जांच सौंपने से इनकार कर दिया है। मां के अनुसार, 2007 में मुठभेड़ में मारे गए दो लोगों में उसका बेटा भी शामिल था। हालांकि अदालत ने सीआईडी, भोपाल द्वारा क्लोजर रिपोर्ट दाखिल किए जाने के वर्षों बाद सीबीआई के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया, लेकिन खंडपीठ ने राज्य पुलिस विभाग पर 1,00,000/- रुपये का जुर्माना लगाना उचित...