सेंट्रल जेल जबलपुर में कैदियों के लिए पीने के पानी की क्षमता, भंडारण और आपूर्ति की जांच करें: हाईकोर्ट ने जेल अधीक्षक को निर्देश दिया
Amir Ahmad
9 Oct 2024 11:48 AM IST
जबलपुर में सेंट्रल जेल के कैदियों के लिए कथित रूप से अस्वास्थ्यकर पेयजल की स्थिति को उजागर करने वाली जनहित याचिका (PIL) याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जेल अधीक्षक को पीने के पानी की क्षमता की जांच करने और यह इंगित करने का निर्देश दिया कि इसे कैसे संग्रहीत किया जाता है और कैदियों को आपूर्ति की जाती है।
जनहित याचिका पर नोटिस जारी करते हुए जस्टिस संजीव सचदेवा (जो मामले के सूचीबद्ध होने के समय एक्टिंग चीफ जस्टिस थे) और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने 23 सितंबर के अपने आदेश में कहा
"जबलपुर केंद्रीय जेल के अधीक्षक को पीने के पानी की जांच किसी स्वीकृत लैब से करानी होगी और अगली सुनवाई से पहले रिपोर्ट पेश करनी होगी। जेल अधीक्षक को यह भी रिपोर्ट दाखिल करनी होगी कि पीने योग्य पानी का भंडारण कैसे किया जाता है और जेल के कैदियों को कैसे आपूर्ति की जाती है।"
हाईकोर्ट ने संबंधित जिला जज को जेल परिसर का निरीक्षण करने और एक रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी।
एडवोकेट अमिताभ गुप्ता द्वारा दायर जनहित याचिका में जेल में पानी के भंडारण और वितरण प्रणाली से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई। इसमें कहा गया कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत कैदियों के जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है। याचिका में अस्वच्छ भंडारण विधियों के कारण जलजनित बीमारियों के संभावित जोखिमों पर भी प्रकाश डाला गया, जो व्यापक मुद्दा उठाता है, जो मध्य प्रदेश की अन्य जेलों को प्रभावित कर सकता है।
याचिका के अनुसार वर्तमान जल वितरण व्यवस्था से गंभीर स्वास्थ्य संबंधी खतरे जुड़े हुए हैं, जो भंडारण के लिए बर्तनों, बाल्टियों और कैंपरों पर निर्भर है, क्योंकि वहां पर्याप्त स्वच्छता व्यवस्था नहीं है। याचिका में कहा गया कि भंडारण के ये तरीके पानी को दूषित होने के लिए छोड़ देते हैं, इसलिए कैदियों के स्वास्थ्य और गरिमा को खतरे में डालते हैं।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI Act) के तहत प्राप्त जानकारी से पता चलता है कि जिस तरह से जेल के कैदियों के लिए पीने का पानी संग्रहीत किया जाता है, उससे पानी दूषित हो जाएगा और उन्हें शायद पीने योग्य पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है।
याचिकाकर्ता ने RTI Act के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, याचिका में कहा गया कि जेल के लिए पानी नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराया जाता है और अलग बैरकों में रखा जाता है। जेल में स्वच्छतापूर्वक पानी वितरित करने के लिए डिपर जैसे उपकरण नहीं हैं। इसलिए कैदियों को सुरक्षा कारणों से अपने स्वयं के गिलास का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
याचिका में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों, विशेष रूप से कैदियों के उपचार के लिए संयुक्त राष्ट्र मानक न्यूनतम नियमों के उल्लंघन का भी उल्लेख किया गया। इन नियमों, खास तौर पर नियम 22 के अनुसार कैदियों को सुरक्षित पेयजल की निरंतर उपलब्धता होनी चाहिए। सेंट्रल जेल में मौजूदा व्यवस्था इन मानकों को पूरा नहीं करती, जिससे कैदियों के मूल अधिकारों का हनन होता है।
केस टाइटल: अमिताभ गुप्ता बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य