कर्मचारी को न बताई गई वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट पदोन्नति तय करने के लिए विचारणीय नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सीनियारिटी बहाल करने का निर्देश दिया
Amir Ahmad
10 Oct 2024 1:12 PM IST
इस बात पर जोर देते हुए कि किसी कर्मचारी की असंप्रेषित वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) को उनकी पदोन्नति तय करते समय विचारणीय नहीं माना जा सकता, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने राज्य सरकार को एक महिला कर्मचारी की वरिष्ठता बहाल करने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता राज्य सरकार की कर्मचारी को उसकी पदोन्नति प्रदान करने का निर्देश दिया> साथ ही कहा कि सुपर टाइम पे स्केल (निदेशक) के पद पर उसकी पदोन्नति तय करते समय 2020 के लिए उसकी असंप्रेषित ग्रेड-सी ACR पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा,
“ऐसी परिस्थितियों में याचिका आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। यह निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता के सुपर टाइम पे स्केल (निदेशक) के पद पर पदोन्नति के मामले पर निर्णय लेते समय याचिकाकर्ता की 2020 की असंचारित ACR को ध्यान में नहीं रखा जा सकता। तदनुसार, प्रतिवादी नंबर 1 को याचिकाकर्ता को 01.01.2023 से प्रभावी नियमित वेतनमान में सुपर टाइम पे स्केल (निदेशक) में नियुक्त करने का निर्देश दिया जाता है।”
हाईकोर्ट ने महफूज अहमद बनाम हाईकोर्ट मप्र में न्यायालय की खंडपीठ के निर्णय का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि असंचारित ACR को DPC द्वारा ध्यान में नहीं रखा जा सकता है।
इसके बाद न्यायालय ने कहा,
“यह स्पष्ट है कि पदोन्नति के लिए किसी कर्मचारी के मामले पर विचार करते समय असंचारित एसीआर को ध्यान में नहीं रखा जा सकता।”
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभिजीत घोष दस्तीदार बनाम भारत संघ एवं अन्य (2009) के मामले में दिए गए निर्णय का भी संदर्भ लिया जा सकता, जिसमें यह भी माना गया कि यदि किसी व्यक्ति को अच्छा ग्रेड प्राप्त हुआ है तो उस स्थिति में भी इसकी सूचना कर्मचारी को दी जानी चाहिए, जिससे उसे उक्त ग्रेड में उन्नयन का अवसर मिल सके।
इस प्रकार जब वर्तमान मामले के तथ्यों को उपरोक्त निर्णयों के आधार पर परखा जाता है तो यह स्पष्ट होता है कि याचिकाकर्ता ने 2020 की अपनी एसीआर में ग्रेड-सी प्राप्त किया, जिसे प्रतिवादी नंबर 1 द्वारा उसे सूचित नहीं किया गया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसे कई वर्षों तक अपनी एसीआर में लगातार "ए+" ग्रेड (उत्कृष्ट) प्राप्त हुआ था सिवाय 2020 के, जब उसे बिना किसी अधिसूचना के ग्रेड-सी में डाउनग्रेड कर दिया गया।
दूसरी ओर राज्य ने तर्क दिया कि चूंकि एसीआर प्रतिकूल नहीं थी, इसलिए इसे सूचित नहीं किया गया था ग्रेड-सी के संचार का प्रश्न ही नहीं उठता।
याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य को उसकी सीनियरिटी बहाल करनी होगी तदनुसार वेतन समायोजित करना होगा। साथ ही लागू बैंक दरों पर ब्याज के साथ बकाया राशि जारी करनी होगी।
केस टाइटल: वीना जैन बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य