जानिए हमारा कानून
सार्वजनिक सुरक्षा और सड़कों पर लापरवाही का प्रावधान: सेक्शन 281 से 285, भारतीय न्याय संहिता, 2023
भारतीय न्याय संहिता, 2023 में कुछ विशेष प्रावधान दिए गए हैं जो सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। इसके तहत, कानून उन लोगों पर दंड लगाता है जो अपने गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार से दूसरों के जीवन को खतरे में डालते हैं या उन्हें हानि पहुंचाते हैं।इस लेख में हम सेक्शन 281 से 285 को विस्तार से समझेंगे और इसके हर पहलू का सरल उदाहरण के साथ विश्लेषण करेंगे ताकि सभी के लिए इसे समझना आसान हो सके। सेक्शन 281: सार्वजनिक सड़कों पर लापरवाही से वाहन चलाना (Reckless Driving or Riding on Public Roads) सेक्शन...
मजिस्ट्रेट की सजा देने की शक्ति के बारे में जानिए
सज़ा सिर्फ सेशन जज द्वारा ही नहीं दी जाती है बल्कि मजिस्ट्रेट की कोर्ट भी अलग अलग मामलों में विचारण सुनते हैं और विचारण सुनने के बाद सज़ा देते हैं। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता धारा 23 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट को दंड देने की शक्तियां दी गई है तथा या उल्लेख किया गया है कि मजिस्ट्रेट कितना दंड दे सकेंगे।चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेटचीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के कोर्ट का महत्वपूर्ण कोर्ट होती है। यह पद किसी भी जिले के मजिस्ट्रेट के पद का सर्वोच्च पद होता है तथा जिले के समस्त न्यायिक मजिस्ट्रेट को मुख्य...
कोर्ट की सजा देने की शक्ति के बारे में जानिए
भारत में काफी तरह की कोर्ट हैं, जिन्हें अलग अलग पॉवर्स मिले हुए हैं किसी भी व्यक्ति को सज़ा दिए जाने के लिए। जैसे मजिस्ट्रेट की कोर्ट, सेशन कोर्ट इत्यादि। कोर्ट व्यक्तियों का अपराध में विचारण कर सकते हैं तथा इन व्यक्तियों को उस विचारण के परिणामस्वरूप दंड भी दे सकते हैं। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 21 के अंतर्गत कोर्ट का उल्लेख किया गया है जो किसी क्राइम का विचारण करते हैं तथा भारत में किसी क्राइम के संबंध में विचारण करने की शक्ति इन्हें प्राप्त है।इस धारा के अंतर्गत निम्न न्यायालयों को...
संयुक्त अपराधों पर मुकदमा: धारा 243 के प्रावधान - भाग 3
परिचय: धारा 243 का सारांशभारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita - BNSS) 2023 की धारा 243 का उद्देश्य उन मामलों को आसान बनाना है जहां एक व्यक्ति एक ही श्रृंखला में या संबंधित उद्देश्य के तहत कई अपराधों का आरोपित होता है। इसके प्रावधानों के अनुसार, एक ही मुकदमे में ऐसे सभी आरोपों पर विचार किया जा सकता है। पहले के प्रावधानों का सारांश • धारा 243(1): एक ही घटनाक्रम में यदि कोई व्यक्ति कई अपराध करता है, तो उन सभी अपराधों के लिए एक ही मुकदमे में आरोप लगाया जा सकता है। आप...
क्या राज्य सरकार द्वारा कानून अधिकारियों की नियुक्ति को मनमानी और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन मानकर चुनौती दी जा सकती है?
इस लेख में हम एक महत्वपूर्ण कानूनी सवाल पर चर्चा करेंगे: क्या राज्य सरकार द्वारा कानून अधिकारियों (Law Officers) की नियुक्ति प्रक्रिया को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है कि यह प्रक्रिया मनमानी (Arbitrary) है और इसलिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के प्रावधानों का उल्लंघन करती है?इस सवाल का विश्लेषण करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट ऑफ पंजाब एंड अनर. वि. बृजेश्वर सिंह चहल एंड अनर. मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया, जिसमें सरकारी नियुक्तियों में न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) की जरूरत और...
भारत में दवाओं की मिलावट और गलत लेबलिंग पर प्रावधान : भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 276, 277, और 278
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 - BNS), जो 1 जुलाई, 2024 को भारतीय दंड संहिता की जगह लागू हुई है, ने जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियम स्थापित किए हैं, विशेषकर दवाओं (Drugs) और चिकित्सीय तैयारी (Medical Preparations) की बिक्री और वितरण के क्षेत्र में।इस लेख में, हम BNS की धारा 276, 277, और 278 के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, जो दवाओं में मिलावट (Adulteration) और गलत जानकारी (Mislabeling) के मुद्दों को संबोधित करती हैं। इन कानूनों का उद्देश्य यह...
भारत में न्याय और समानता को कैसे परिभाषित करता है अनुच्छेद 14?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 देश में समानता और कानून की सुरक्षा की गारंटी देता है। यह प्रावधान (Provision) करता है कि राज्य किसी भी व्यक्ति से कानून के समक्ष समानता या कानूनों की समान सुरक्षा को इनकार नहीं कर सकता।यह अनुच्छेद लोकतांत्रिक समाज के स्तंभों में से एक है, जो सुनिश्चित करता है कि सभी व्यक्तियों के साथ निष्पक्षता (Fairness) और बिना किसी भेदभाव के व्यवहार किया जाए। अनुच्छेद 14 व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है और राज्य के मनमाने (Arbitrary) या पक्षपाती कार्यों से सुरक्षा...
भारतीय न्याय संहिता, 2023 के खाद्य मिलावट और पर्यावरण प्रदूषण के प्रावधान : धारा 274, 275, 279 और 280
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 - BNS), जो 1 जुलाई 2024 को भारतीय दंड संहिता की जगह लागू की गई है, जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कड़े कानून बनाती है।इसमें खाने-पीने की चीजों में मिलावट (Adulteration), असुरक्षित उत्पादों का विक्रय (Sale), और पर्यावरण को प्रदूषित (Pollution) करने जैसी गतिविधियों को रोकने के प्रावधान हैं। इस लेख में, हम BNS की धारा 274, 275, 279 और 280 का सरल भाषा में विश्लेषण करेंगे, जो इन अपराधों के लिए सजा का प्रावधान करते हैं...
धारा 243, BNSS 2023: एक ही घटनाक्रम में अनेक अपराधों का संयुक्त मुकदमा - भाग 1
परिचय: धारा 243 क्या है?भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita - BNSS) 2023 की धारा 243 यह प्रावधान करती है कि यदि कोई व्यक्ति एक ही घटनाक्रम (Transaction) के अंतर्गत कई अपराध करता है, तो इन सभी अपराधों का एक ही मुकदमे में संयुक्त रूप से विचार किया जा सकता है। इसका उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को सरल बनाना और एक ही घटनाक्रम में जुड़े अपराधों के लिए एक साथ मुकदमा चलाना है। यह लेख धारा 243 पर एक श्रृंखला का पहला भाग है, जिसमें हम इसके हर पहलू को विस्तार से समझेंगे। इस...
धारा 243 के प्रावधान और कई अपराधों का संयुक्त मुकदमा - भाग 2
परिचय: धारा 243 के अन्य प्रावधानभारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita - BNSS) 2023 की धारा 243 का उद्देश्य उन मामलों का प्रावधान करना है, जिनमें कोई व्यक्ति एक ही घटनाक्रम में या अन्य संबंधित उद्देश्यों के तहत कई अपराध करता है। इस लेख में हम धारा 243 के उप-खंड (Sub-sections) (2) और (3) का विश्लेषण करेंगे, जिनमें विशेष रूप से उन मामलों का उल्लेख है, जिनमें किसी व्यक्ति ने विश्वासघात (Criminal Breach of Trust), संपत्ति का बेईमानी से गबन (Dishonest Misappropriation of...
क्या जजों को एयरपोर्ट पर सुरक्षा जांच से छूट मिलनी चाहिए?
इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि क्या हाईकोर्ट के जजों को एयरपोर्ट पर प्री-एंबार्केशन (Pre-Embarkation) सुरक्षा जांच से छूट मिलनी चाहिए।यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट के एक निर्णय से उत्पन्न हुआ, जिसमें उसने यूनियन गवर्नमेंट (Union Government) को निर्देश दिया था कि मुख्य न्यायाधीशों और हाईकोर्ट के जजों को उनकी संवैधानिक स्थिति (Constitutional Status) को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा जांच से छूट दी जाए। इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक अधिकार (Judicial Authority), कार्यकारी विवेक...
अवमानना के दोषी वकील को प्रैक्टिस की अनुमति मिलनी चाहिए?
अवमानना और न्यायालय की भूमिका (Contempt and Role of the Court)इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह प्रश्न उठाया कि क्या अवमानना (Contempt) के दोषी वकील को कानून प्रैक्टिस जारी रखने का अधिकार होना चाहिए। Contempt of Courts Act, 1971 के अंतर्गत अवमानना का अर्थ है न्यायालय की गरिमा कम करना या न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालना। संविधान से प्राप्त अवमानना शक्ति न्यायालय की प्रतिष्ठा बनाए रखने और न्यायिक कार्यवाही की सुचारुता सुनिश्चित करने के लिए है। इस मामले में, न्यायालय ने उस वकील के आचरण का परीक्षण...
क्या सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हाइवे पर शराब की दुकानें बंद होनी चाहिए?
संवैधानिक ढांचा और शक्तियाँ (Constitutional Framework and Powers)इस ऐतिहासिक मामले में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाइवे पर शराब की दुकानों और सड़क सुरक्षा के बीच संबंध का अध्ययन किया। संविधान के तहत केंद्र और राज्य सरकारें सड़कों और हाइवे पर कानून बना सकती हैं। अनुच्छेद 246 के तहत, सातवीं अनुसूची में कानून बनाने के अधिकार विभाजित किए गए हैं। संसद राष्ट्रीय हाइवे (Union List, Entry 23) पर कानून बना सकती है, जबकि राज्य सरकारों को स्थानीय सड़कों और राज्य के भीतर यातायात (State List, Entry 13) पर...
भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा: संक्रमण फैलाने के अपराधों पर BNS, 2023 की धारा 271, 272 और 273
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 - BNS) में, भारत सरकार ने संक्रमण फैलाने वाले गैर-जिम्मेदाराना, दुश्मनीपूर्ण या नियमों की अवहेलना करने वाले व्यवहार पर सख्त प्रावधान बनाए हैं। यह नया कानून, जो भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की जगह लाया गया है, सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है।इसमें व्यक्ति की हरकतों से समाज पर होने वाले प्रभाव को समझा गया है। इस लेख में, हम BNS की धारा 271, 272 और 273 का विश्लेषण करेंगे, जिनके तहत खतरनाक...
प्रत्येक अलग अपराध के लिए अलग चार्जेस : BNSS, 2023 की धारा 241 और 242
अपराधों का मिलान (Joinder of Charges) का सिद्धांतभारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 की धारा 241 और 242 अपराधों के मिलान से जुड़े हैं। ये प्रावधान न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता को बनाए रखने के लिए हैं। इन धाराओं के अनुसार, एक व्यक्ति पर एक से अधिक अपराधों का आरोप हो सकता है और इनका परीक्षण (Trial) कैसे होना चाहिए, यह इन्हीं प्रावधानों में तय किया गया है। धारा 241: प्रत्येक अलग अपराध के लिए अलग आरोप धारा 241 में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति पर अलग-अलग प्रकार के अपराधों का आरोप...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम में डाइंग डिक्लेरेशन
भारतीय साक्ष्य अधिनियम में डाइंग डिक्लियरेशन का उल्लेख है। साक्ष्य अधिनियम की धारा 26(क) के अंतर्गत डाइंग डिक्लियरेशन का वर्णन किया गया है तथा डाइंग डिक्लियरेशन को साक्ष्य के अंदर अधिकारिता दी गई है। साक्ष्य अधिनियम में सुसंगत तथ्य क्या होंगे इस संबंध में एक पूरा अध्याय दिया गया है,इस अध्याय के अंदर ही धारा 26 (क) का भी समावेश है। इस धारा के अंतर्गत यह बताने का प्रयास किया गया है कोई भी कथन डाइंग डिक्लियरेशन है तो उसे सुसंगत माना जाएगा।व्यक्ति अपने ईश्वर से मिलने वाला होता है, अंतिम समय बिल्कुल...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम में एडमिशन का कॉन्सेप्ट
नए लागू हुए भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के अंतर्गत एडमिशन को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। अधिनियम की धारा 15 के अनुसार- एडमिशन वह मौखिक या दस्तावेजी या इलेक्ट्रॉनिक रूप में अंतर्विष्ट कथन है, जो किसी विवाधक तथ्य या सुसंगत तथ्य के बारे में कोई अनुमान इंगित करता है और जो ऐसे व्यक्तियों में से किसी के द्वारा ऐसी परिस्थितियों में किया गया है जो एतस्मिन पश्चात वर्णित है।इस धारा में तीन बातों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। पहली यह धारा एडमिशन की परिभाषा देती है, दूसरी धारा कहती है कि एडमिशन तभी...
आरोप में बदलाव के बाद गवाहों को पुनः बुलाने का अधिकार: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 240
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita) 2023 के अंतर्गत, धारा 240 अभियुक्त (Accused) और अभियोजन पक्ष (Prosecutor) को यह अधिकार देती है कि अगर मुकदमे के दौरान आरोप (Charge) में कोई बदलाव या नई धाराएं जोड़ी जाती हैं, तो वे गवाहों (Witnesses) को पुनः बुला सकते हैं और उनसे नए आरोप के संदर्भ में सवाल कर सकते हैं।यह प्रावधान इस बात को सुनिश्चित करता है कि नए या परिवर्तित आरोपों के अनुसार दोनों पक्षों को उचित तैयारी और जवाब देने का अवसर मिले। धारा 239: मुकदमे के दौरान आरोपों...
जीवन की गरिमा और समानता का अधिकार: जीजा घोष और अन्य बनाम भारत संघ
जीजा घोष और अन्य बनाम भारत संघ के मामले में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एयरलाइनों द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों (PWDs – Persons with Disabilities) के प्रति असंवेदनशीलता और भेदभावपूर्ण व्यवहार पर ध्यान केंद्रित किया। इस मामले ने हवाई यात्रा के दौरान दिव्यांगों को होने वाली समस्याओं को उजागर किया।अदालत ने इस मुद्दे को संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और गरिमा का अधिकार) के संदर्भ में देखा। कोर्ट ने इस बात पर भी विचार किया कि भारत ने United Nations Convention on the Rights...
भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अंतर्गत धारा 270, 292, और 293 में लोक उपद्रव से जुड़े अपराध
भारतीय न्याय संहिता, 2023, जो भारतीय दंड संहिता का स्थान ले चुकी है और 1 जुलाई 2024 से लागू हुई है, सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health), सुरक्षा (Safety), सुविधा (Convenience), शालीनता (Decency), और नैतिकता (Morality) को प्रभावित करने वाले अपराधों से संबंधित नियमों का वर्णन करती है।संहिता के अध्याय XV में लोक उपद्रव (Public Nuisance) से संबंधित अपराधों को परिभाषित किया गया है। इसमें बताया गया है कि किन कार्यों या चूक (Omissions) को सामूहिक खतरे, असुविधा या नुकसान (Injury) के रूप में देखा जा सकता...