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Constitution में स्टेट एग्जीक्यूटिव
भारत का कांस्टीट्यूशन एक संसदीय कांस्टीट्यूशन है जिसके अंतर्गत भारत को राज्यों का एक संघ घोषित किया गया है। संघ के पास अपनी शक्तियां अलग है और भारत के पृथक पृथक प्रांतों के पास अपनी शक्तियां अलग है।संघ और राज्यों के बीच शक्तियों को लेकर कोई विवाद न हो इस संबंध में कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया में स्पष्ट उपबंध किए गए हैं। शक्तियों के संबंध में सभी राज्य और संघ के बीच कोई विवाद होता है तो उसका निपटारा संघ की न्यायपालिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया जाता है। जिस प्रकार कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया में संघ...
क्या नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के पास स्वत: संज्ञान लेने की शक्ति है?
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) भारत के पर्यावरण न्याय (Environmental Justice) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस ऐतिहासिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह तय किया गया कि क्या NGT को पर्यावरण से संबंधित मामलों में स्वत: संज्ञान (Suo Motu Powers) लेने का अधिकार है।यह फैसला यह निर्धारित करता है कि NGT बिना किसी औपचारिक आवेदन या याचिका (Petition) के पर्यावरणीय क्षति (Environmental Degradation) के मामलों में कार्रवाई कर सकता है या नहीं। NGT की भूमिका और अधिकार (Role and Mandate of NGT) NGT का...
साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 307 से 309
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अध्याय 25 में जांच (Inquiry) और ट्रायल के दौरान साक्ष्य (Evidence) दर्ज करने के तरीके को विस्तार से समझाया गया है। इसमें प्रक्रियात्मक (Procedural) स्पष्टता और न्याय के साथ अभियुक्त (Accused) के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की गई है। यहां हम धारा 307 से 309 तक की सभी प्रावधानों को सरल भाषा में उदाहरण सहित समझाएंगे।धारा 307: अदालत की भाषा का निर्धारण (Determination of Court Language) धारा 307 राज्य सरकार को अधिकार देती है कि वह अपनी सीमा में सभी अदालतों, हाई...
जानवरों और सार्वजनिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाने के लिए Mischief : धारा 325 और 326 भारतीय न्याय संहिता 2023
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 325 और 326 उन शरारती कृत्यों (Mischief Acts) से संबंधित हैं जो जानवरों, सार्वजनिक संसाधनों या बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।इन प्रावधानों में जानबूझकर किए गए नुकसान और इसके परिणामस्वरूप मिलने वाली सजा का विवरण दिया गया है। इन धाराओं के तहत अपराध की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग दंड निर्धारित किए गए हैं। इस लेख में इन धाराओं को सरल भाषा में समझाया गया है, साथ ही प्रत्येक उपधारा के उदाहरण भी दिए गए हैं। धारा 325: जानवरों को नुकसान पहुंचाने की Mischief...
लाइसेंस की अवधि, शर्तों में बदलाव और रद्दीकरण के नियम : आर्म्स अधिनियम की धारा 16 और 17
धारा 16 के अंतर्गत, आर्म्स लाइसेंस (Licence) की फीस, शर्तें, और आवेदन के फॉर्म से जुड़े नियम निर्धारित किए गए हैं। लाइसेंस जारी करने या नवीनीकरण (Renewal) के लिए आवश्यक फीस और शर्तें कानून के तहत तय की जाती हैं। अलग-अलग प्रकार के लाइसेंस के लिए अलग-अलग फीस और शर्तें हो सकती हैं।उदाहरण के तौर पर, धारा 3 के तहत एक साधारण बंदूक (Smooth Bore Gun) के लाइसेंस की फीस, धारा 5 के तहत प्रतिबंधित हथियारों (Prohibited Arms) के लाइसेंस की फीस से अलग हो सकती है। इसके अतिरिक्त, लाइसेंसिंग अथॉरिटी (Licensing...
Constitution में सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया का जज होने की योग्यता
भारत के सुप्रीम कोर्ट के जज पद पर नियुक्त होने के लिए किसी व्यक्ति के पास में कुछ योग्यताएं होना चाहिए। जैसे कि वह भारत का नागरिक होना चाहिए किसी हाई कोर्ट का लगातार कम से कम 5 वर्षों तक जज का होना चाहिए। किसी हाई कोर्ट में लगातार 10 वर्षों तक अधिवक्ता रहा होना चाहिए। राष्ट्रपति की राय में अच्छा विधिवेत्ता होना चाहिए।भारत के सुप्रीम कोर्ट के जज 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर बने रह सकते हैं। जजों की आयु ऐसे अधिकारी द्वारा वृत्ति से आधारित की जाएगी जैसा कि संसद द्वारा उपबंध करें। कोई जज राष्ट्रपति...
Constitution में सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया की उत्पत्ति कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया से हुई है। कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया एक यूनियनीय यह कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया है। भारत को राज्यों का यूनियन कहा गया है और इस राज्यों के यूनियन के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया है। सरकारों की शक्तियों का विभाजन एक लिखित कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया के द्वारा किया गया है ताकि भविष्य में सरकारों के बीच किसी प्रकार का शक्तियों को लेकर कोई विवाद न हो। इस प्रकार का कोई विवाद होता है तो कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया में उसके लिए एक स्वतंत्र संस्था...
व्याख्या | वर्तमान न्यायाधीश पर महाभियोग: प्रक्रिया और मिसालें
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस शेखर कुमार यादव विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ की गई विवादास्पद टिप्पणी के लिए राज्यसभा में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का विषय हैं।13 दिसंबर को 55 सांसदों द्वारा महाभियोग प्रस्ताव पेश किए जाने से पहले ही, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यादव के भाषण के मीडिया कवरेज पर ध्यान दिया और इलाहाबाद हाईकोर्ट से इसका विवरण मांगा।अब जब संसद द्वारा चीजों को आगे बढ़ाने के लिए मंच तैयार हो गया है, तो आइए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के...
Constitution में लोकसभा के प्रावधान
भारत के संसद का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण अंग भारत की लोकसभा है।लोकसभा को जनता की सभा में कहा जाता है क्योंकि लोकसभा में जनता द्वारा आम चुनाव में चुने गए प्रतिनिधि होते हैं। इसके सदस्यों की अधिकतम संख्या 550 है जिनमें से 530 सदस्य को राज्यों के मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव से निर्वाचित किया जाता है, 20 सदस्य संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते हैं I इसके अलावा राष्ट्रपति की राय में लोकसभा में एंग्लो इंडियन समाज में समाज को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है तो आर्टिकल 331 के अधीन एंग्लो इंडियन...
Constitution में राज्यसभा के प्रावधान
राज्य सभा की अधिकतम सदस्य संख्या 250 है। इनमें से 238 सदस्य राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों के निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं और 12 ऐसे सदस्यों को राष्ट्रपति नामांकित करता है जो साहित्य कला विज्ञान और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान या वास्तविक अनुभव रखते हैं। नामांकित सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं लेते हैं। राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन राज्य की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है। राज्यसभा के लिए संघ...
S.197 CrPC | सरकारी कर्मचारी के अपराध को आधिकारिक कर्तव्यों से कब जोड़ा जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धांतों की व्याख्या की
सुप्रीम कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 197 से संबंधित सिद्धांतों का सारांश दिया, जिसके अनुसार सरकारी कर्मचारियों पर सरकारी कर्तव्यों के निर्वहन में किए गए कार्यों के लिए सरकार की मंजूरी के बिना मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ द्वारा दिए गए निर्णय में बताया गया कि कथित कृत्य को आधिकारिक कार्यों के दौरान कब निर्वहन माना जा सकता है।न्यायालय ने सबूतों को गढ़ने और फर्जी मामला बनाने के आरोपी पुलिस अधिकारियों को CrPC की धारा 197 के तहत...
प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की Powers
भारत के संविधान में दी गई प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की शक्तियां कुछ भागों में बांटी जा सकती हैं। जैसे कि प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की कार्यपालिका शक्ति, सैनिक शक्ति, कूटनीतिक शक्ति ,विधायिका शक्ति, न्यायिक शक्ति और आपातकालीन शक्तियां।संविधान में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया को अनेकों कार्यपालिका शक्ति प्राप्त है। संघ की कार्यपालिका शक्ति प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया में निहित है। वह भारतीय गणतंत्र का प्रधान है। भारत की समस्त कार्यपालिका कार्यवाही प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के नाम से की जाती है। वह देश के सभी उच्च अधिकारियों की...
Constitution में भारत की संसद का उल्लेख
संसदीय लोकतंत्र को तीन हिस्सों में बांटा गया है जिसमें कार्यपालिका के बाद विधायिका का महत्वपूर्ण स्थान है। कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया में केंद्रीय विधान मंडल के संदर्भ में अत्यंत विस्तृत उपबंध किए गए हैं। भारत की संसद को केंद्रीय विधान मंडल कहा जा सकता है अर्थात भारत की संसद केंद्रीय कानून बनाने का काम करती है। भारत की संसद के 3 अंग होते हैं। राष्ट्रपति राज्यसभा और लोकसभा राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों में से किसी भी सदन का सदस्य नहीं है परंतु फिर भी राष्ट्रपति संसद का अहम और महत्वपूर्ण हिस्सा है,...
Constitution में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के इलेक्शन की प्रोसेस
भारत का प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुना जाता है। इसके लिए कोई सीधा चुनाव नहीं होता है अर्थात जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा ही प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया को चुन लिया जाता है। संसदीय प्रणाली के अंतर्गत प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया नाम मात्र का राष्ट्र अध्यक्ष होता है इसलिए इसके लिए कोई सीधा चुनाव नहीं होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के लिए जनता से सीधा चुनाव होता है। जनता द्वारा सीधे चुना गया व्यक्ति ही प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया होता है परंतु भारत की संसदीय सरकार...
Constitution में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की पात्रता
भारतीय संविधान में भारत में संसदीय सरकार की स्थापना की है, संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्यक्षतामक शासन व्यवस्था है। संसदीय सरकार में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया संविधान एक अध्यक्ष होता है लेकिन वास्तविक शक्ति मंत्रिपरिषद में है जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होता है। मंत्री परिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदाई होती है मंत्री परिषद के सदस्य जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं।आर्टिकल 53 द्वारा संघ की कार्यपालिका शक्ति प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया में निहित की गई है लेकिन आर्टिकल 74 में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि वह...
Constitution में डायरेक्टिव प्रिंसिपल क्या हैं?
कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया के भाग 3 के अंतर्गत मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया है, इसके ठीक बाद भाग 4 में राज्य की नीति के निदेशक तत्व का उल्लेख किया गया है। भाग 4 के आर्टिकल 36 से लेकर आर्टिकल 51 तक राज्य की नीति के निदेशक तत्व समाविष्ट किये गए हैं। राज्य की नीति के निदेशक तत्व से आशय संविधान द्वारा राज्य को निर्देश दिया गया है कि राज्य किस प्रकार के तत्वों पर अपनी नीतियों का निर्धारण करेगा। राज्य इन तत्वों को ध्यान में रखकर अपनी नीतियां बनाता है और उन नीतियों से इस देश का संचालन करता है। मौलिक...
Constitution में फंडामेंटल राइट्स प्राप्त करने के लिए उपचार
कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया में केवल संविधान में मौलिक अधिकारों की ही घोषणा नहीं की है अपितु कोर्ट द्वारा इन मौलिक अधिकारों को प्रवर्तन कराने का रास्ता भी बताया है। संविधान निर्माताओं का ऐसा मानना था कि यदि संविधान के मौलिक अधिकारों को प्रवर्तनीय नहीं बनाया गया तो इस प्रकार के मौलिक अधिकार केवल कागज का ढेर मात्र बनकर रह जाएंगे तथा इन मौलिक अधिकारों की कोई महत्ता नहीं होगी। इन मौलिक अधिकारों को प्रवर्तनीय बनाने हेतु ही संविधान के आर्टिकल 32 से लेकर 35 तक प्रावधान किए गए। यहां पर एक बात ध्यान देने...
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 324 के तहत Mischief पर कानून और सजा
धारा 324, भारतीय न्याय संहिता 2023, में Mischief को परिभाषित किया गया है। यह ऐसे कृत्यों को शामिल करता है जो जानबूझकर या संभावित रूप से किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के इरादे से किए जाते हैं।इस प्रावधान में Mischief की परिभाषा, अपराधी की मानसिक स्थिति, और नुकसान की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग दंड दिए गए हैं। इस लेख में, धारा 324 के हर पहलू को सरल भाषा में समझाया गया है, और प्रत्येक उपधारा के उदाहरण दिए गए हैं। Mischief क्या है? (What Constitutes Mischief) धारा 324 की उपधारा (1) के अनुसार,...
क्या धारा 170 CrPC के तहत हिरासत का मतलब गिरफ्तारी है?
सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धार्थ बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य (2021) मामले में एक महत्वपूर्ण सवाल पर फैसला दिया कि क्या CrPC (Criminal Procedure Code) की 170 के तहत आरोपपत्र (Chargesheet) दाखिल करने से पहले आरोपी को अनिवार्य रूप से हिरासत (Custody) में लिया जाना चाहिए।इस निर्णय ने संविधान में निहित व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Liberty) के सिद्धांत को दोहराया और पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के अधिकार का दुरुपयोग रोकने का प्रयास किया। धारा 170 CrPC: एक संक्षिप्त अवलोकन (Section 170 CrPC: A Brief...
लाइसेंस की अवधि और नवीनीकरण: धारा 15, आर्म्स एक्ट
आर्म्स एक्ट (Arms Act) के धारा 15 में लाइसेंस की अवधि और उसके नवीनीकरण (Renewal) से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं। यह धारा स्पष्ट करती है कि लाइसेंस कितने समय तक वैध रहेगा और इसके नवीनीकरण की प्रक्रिया क्या होगी। साथ ही, यह धारा 13 और 14 से जुड़े प्रावधानों का भी संदर्भ देती है।लाइसेंस की वैधता अवधि (Validity Period of Licence) धारा 3 के तहत जारी किया गया लाइसेंस सामान्यतः पांच वर्षों (Five Years) के लिए वैध होता है। यह वैधता उस तारीख से शुरू होती है, जब लाइसेंस जारी किया जाता है। हालांकि,...