निर्दोष ठहराए जाने पर राज्य सरकार या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा अपील का अधिकार: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 419
Himanshu Mishra
15 April 2025 9:34 PM IST

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) के अध्याय XXXI में अपील (Appeal) संबंधी प्रावधान दिए गए हैं। इस अध्याय में जहां एक ओर दोषसिद्धि (Conviction) के विरुद्ध अपील का अधिकार समझाया गया है, वहीं दूसरी ओर यह भी स्पष्ट किया गया है कि क्या किसी व्यक्ति को दोषमुक्त (Acquittal) किए जाने पर भी अपील संभव है। धारा 419 इसी विषय को विस्तार से संबोधित करती है।
इस लेख में हम धारा 419 के प्रत्येक उप-खंड को सरल भाषा में समझेंगे और इससे जुड़े अन्य प्रावधानों का भी उल्लेख करेंगे, जैसे धारा 415, 416, 417 तथा 418।
राज्य सरकार या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा अपील का अधिकार (Sub-section 1)
धारा 419 की उप-धारा (1) कहती है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में राज्य सरकार (State Government) और जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate) को यह अधिकार है कि वे किसी दोषमुक्ति आदेश (Acquittal Order) के खिलाफ अपील (Appeal) दायर करने के लिए सरकारी वकील (Public Prosecutor) को निर्देश दे सकते हैं।
धारा 419(1)(a) के अनुसार यदि किसी मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञेय (Cognizable) और गैर-जमानती अपराध (Non-bailable Offence) में आरोपी को दोषमुक्त कर दिया जाता है, तो जिला मजिस्ट्रेट उस निर्णय के विरुद्ध सत्र न्यायालय (Court of Session) में अपील करवा सकते हैं।
वहीं, धारा 419(1)(b) कहती है कि राज्य सरकार किसी भी अदालत (High Court को छोड़कर) द्वारा दिए गए दोषमुक्ति के मूल (Original) या अपीलीय (Appellate) आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट (High Court) में अपील करवा सकती है। हालांकि, यह प्रावधान धारा 419(1)(a) या पुनरीक्षण में सत्र न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों पर लागू नहीं होता।
उदाहरण:
मान लीजिए कि एक व्यक्ति पर हत्या का आरोप था, लेकिन मजिस्ट्रेट ने सबूतों की कमी के कारण उसे दोषमुक्त कर दिया। चूंकि हत्या एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है, इसलिए जिला मजिस्ट्रेट इस आदेश के खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील करवा सकते हैं।
केंद्र सरकार का अधिकार (Sub-section 2)
यदि अपराध की जांच किसी ऐसे केंद्रीय कानून (Central Act) के अंतर्गत कार्यरत एजेंसी द्वारा की गई हो जो इस संहिता (BNSS) से अलग है, तब केंद्र सरकार (Central Government) को भी यह अधिकार प्राप्त है कि वह दोषमुक्ति के विरुद्ध अपील करवा सके।
धारा 419(2)(a) कहती है कि यदि मजिस्ट्रेट द्वारा किसी संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध में दोषमुक्ति का आदेश पारित किया गया है, तो केंद्र सरकार सत्र न्यायालय में अपील करवा सकती है।
धारा 419(2)(b) के अनुसार यदि कोई अन्य अदालत (High Court को छोड़कर) किसी आरोपी को मूल या अपीलीय स्तर पर दोषमुक्त करती है, तो केंद्र सरकार हाईकोर्ट में अपील करवा सकती है।
उदाहरण:
अगर किसी आरोपी पर आतंकवाद निरोधक कानून (जैसे UAPA) के तहत आरोप लगे थे और मामले की जांच NIA (National Investigation Agency) ने की थी, तो दोषमुक्त किए जाने पर केंद्र सरकार हाईकोर्ट में अपील करवा सकती है।
हाईकोर्ट से अनुमति आवश्यक (Leave of High Court) – Sub-section (3)
धारा 419(3) कहती है कि उप-धारा (1) और (2) के अंतर्गत यदि दोषमुक्ति के आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील की जाती है, तो उसे तभी स्वीकार किया जाएगा जब हाईकोर्ट स्वयं ऐसी अपील की अनुमति (Leave to Appeal) प्रदान करे।
यह एक सुरक्षा तंत्र है ताकि हर प्रकार की अपील सीधे हाईकोर्ट में दाखिल न हो सके और न्यायालय पहले तय कर सके कि अपील सुनने योग्य है या नहीं।
शिकायत पर आधारित मामलों में अपील – Sub-section (4)
अगर किसी मामले की शुरुआत किसी शिकायत (Complaint) के आधार पर हुई हो और आरोपी को दोषमुक्त कर दिया गया हो, तो शिकायतकर्ता (Complainant) हाईकोर्ट में विशेष अनुमति (Special Leave) की मांग कर सकता है।
यदि हाईकोर्ट विशेष अनुमति दे देता है, तो शिकायतकर्ता दोषमुक्ति के आदेश के खिलाफ अपील दायर कर सकता है।
उदाहरण:
अगर किसी व्यक्ति ने घरेलू हिंसा की शिकायत की थी और मजिस्ट्रेट ने आरोपी को दोषमुक्त कर दिया, तो शिकायतकर्ता हाईकोर्ट में विशेष अनुमति की याचिका देकर अपील कर सकता है।
विशेष अनुमति याचिका की समय-सीमा – Sub-section (5)
धारा 419(5) में बताया गया है कि विशेष अनुमति (Special Leave) की याचिका दाखिल करने के लिए सीमित समय दिया गया है।
अगर शिकायतकर्ता एक सरकारी कर्मचारी (Public Servant) है, तो वह छह महीने के भीतर याचिका दाखिल कर सकता है। अन्य मामलों में यह समय सीमा साठ दिन (60 days) है।
समय सीमा की गणना दोषमुक्ति के आदेश की तिथि से की जाएगी।
अनुमति न मिलने पर अपील का निषेध – Sub-section (6)
धारा 419(6) के अनुसार अगर हाईकोर्ट शिकायतकर्ता की विशेष अनुमति की याचिका खारिज कर देता है, तो फिर उसी दोषमुक्ति आदेश के विरुद्ध धारा 419(1) या (2) के तहत भी कोई अपील दाखिल नहीं की जा सकती।
इसका मतलब:
एक बार हाईकोर्ट ने कह दिया कि अपील की कोई गुंजाइश नहीं है, तो फिर राज्य सरकार या केंद्र सरकार भी उसी आदेश के विरुद्ध अपील नहीं कर सकती।
पहले की धाराओं से संबंध
धारा 415 में बताया गया था कि दोषसिद्ध व्यक्ति किन-किन परिस्थितियों में अपील कर सकता है। धारा 416 और 417 में बताया गया कि कुछ मामलों में अपील नहीं की जा सकती, जैसे कि जब आरोपी ने दोष स्वीकार किया हो या जब सजा बहुत छोटी हो। धारा 418 में यह अधिकार सरकार को दिया गया कि वह सजा की अपर्याप्तता (Inadequacy of Sentence) के आधार पर अपील करवा सके।
अब धारा 419 इन सबसे आगे जाकर यह अधिकार देती है कि दोषमुक्ति (Acquittal) के विरुद्ध भी अपील संभव है, हालांकि यह प्रक्रिया कई शर्तों और सीमाओं के साथ आती है।
धारा 419 एक संतुलित और न्यायिक दृष्टिकोण अपनाती है। यह सरकारी एजेंसियों को यह अधिकार तो देती है कि वे दोषमुक्ति के खिलाफ अपील कर सकें, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करती है कि ऐसा अधिकार विवेकपूर्ण रूप से और सीमाओं के साथ प्रयोग हो। विशेष अनुमति, समय सीमा, तथा अधिकार क्षेत्र जैसी शर्तें यह सुनिश्चित करती हैं कि न्यायिक प्रणाली को अनावश्यक रूप से बोझिल न बनाया जाए।
इस धारा से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 एक ऐसी कानूनी रूपरेखा प्रस्तुत करती है, जो दोषियों को सजा दिलाने के प्रयास में कोई कमी नहीं छोड़ती, लेकिन साथ ही निर्दोष व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा भी करती है।