ज़रूरी मरम्मत की जिम्मेदारी – किरायेदार और मकान-मालिक के कर्तव्य: राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 24 और 24-ए
Himanshu Mishra
15 April 2025 9:26 PM IST

किरायेदारी संबंधों में मरम्मत (Repairs) का प्रश्न अक्सर विवाद का कारण बनता है। मकान की देखभाल, ज़रूरी मरम्मत, और खर्चों का वहन किसके द्वारा किया जाएगा — ये बातें अक्सर लिखित समझौते में तय होती हैं। लेकिन जब ऐसा कोई लिखित समझौता (Written Agreement) नहीं होता, तो राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 24 (Section 24 of the Rajasthan Rent Control Act, 2001) इन जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से निर्धारित करती है।
धारा 24 बताती है कि मरम्मत का खर्च कितनी राशि तक किरायेदार को वहन करना होगा और किस स्थिति में मकान-मालिक को मरम्मत करनी होगी। इसके साथ ही, यदि मकान-मालिक मरम्मत करने में लापरवाही करता है, तो किरायेदार को क्या अधिकार मिलते हैं — यह भी इस धारा में बताया गया है। इसके साथ धारा 24-A (Section 24-A) में पुराने मामलों की प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है जो संशोधन अधिनियम, 2017 के लागू होने से पहले लंबित थे।
इस लेख में हम धारा 24 और 24-A को सरल भाषा में समझेंगे, उदाहरणों की सहायता से इसके प्रावधानों को व्याख्यायित करेंगे और बताएंगे कि यह कैसे मकान-मालिक और किरायेदार के बीच संतुलन बनाए रखती हैं।
धारा 24(1) – मरम्मत की जिम्मेदारी का निर्धारण (Determination of Responsibility for Repairs):
जब किराया संबंधी कोई लिखित समझौता नहीं होता, तब यह उपधारा लागू होती है। इसका मूल उद्देश्य यह है कि घर या परिसर में आवश्यक (Essential) मरम्मत किसके द्वारा की जाए — इसे तय करना।
प्रावधान (Provision):
यदि किसी साल में जरूरी मरम्मत पर खर्च कुल वार्षिक किराए (Annual Rent) का 5% तक है, तो वह मरम्मत किरायेदार को अपने खर्चे पर करनी होगी।
यदि मरम्मत में खर्च 5% से अधिक होता है, तो यह मकान-मालिक की जिम्मेदारी होगी, लेकिन इसके लिए किरायेदार को पहले मकान-मालिक को सूचना (Notice) देना होगी।
उदाहरण (Illustration):
मान लीजिए कि वार्षिक किराया ₹1,20,000 है।
इसका 5% होता है ₹6,000।
तो यदि किसी साल में जरूरी मरम्मत जैसे – पाइपलाइन लीक, दरवाजों की मरम्मत आदि का खर्च ₹5,000 है, तो यह किरायेदार खुद करेगा।
लेकिन अगर छत से पानी टपक रहा है और उसकी मरम्मत का खर्च ₹10,000 आता है, तो यह मकान-मालिक को करना होगा — बशर्ते उसे किरायेदार द्वारा इसकी जानकारी दी जाए।
जब मकान-मालिक मरम्मत नहीं करता (When Landlord Neglects Repairs):
अगर किरायेदार द्वारा सूचना देने के 15 दिनों के अंदर मकान-मालिक मरम्मत नहीं करता है, तो किरायेदार को अधिकार है कि वह Rent Authority से मरम्मत करवाने की अनुमति (Permission) मांग सके।
जब Rent Authority अनुमति देता है, तब वह यह भी आदेश दे सकता है कि किरायेदार मरम्मत में लगे खर्च को कैसे मकान-मालिक से वसूल करेगा। आमतौर पर यह खर्च भविष्य में दिए जाने वाले किराए में सेट ऑफ (Set-off) कर दिया जाता है।
उदाहरण (Illustration):
रीमा ने मकान-मालिक को सूचना दी कि उसके रसोईघर की छत से पानी टपक रहा है और मरम्मत में ₹12,000 लगेंगे। मकान-मालिक ने 15 दिन तक कोई कार्यवाही नहीं की। रीमा ने Rent Authority में आवेदन किया, वहाँ से अनुमति मिलने पर रीमा ने मरम्मत करवाई और फिर अगले तीन महीनों के किराए में ₹4,000-₹4,000 काटकर वह खर्च वसूल लिया।
धारा 24(2) – धारा 23 के प्रावधानों का समान रूप से उपयोग (Application of Provisions of Section 23):
इस उपधारा में कहा गया है कि धारा 23 की उपधाराएं (2), (3), और (4) को धारा 24 पर mutatis mutandis यानी “आवश्यक परिवर्तन के साथ” लागू किया जाएगा।
इन उपधाराओं के अनुसार:
• दोनों पक्षों को नोटिस दिया जाएगा।
• Rent Authority सुनवाई के दौरान अंतरिम आदेश (Interim Orders) दे सकता है।
• मामला 60 दिनों के भीतर निपटाना होगा।
इसका उद्देश्य यह है कि मरम्मत जैसे जरूरी मामलों को जल्द और निष्पक्ष तरीके से सुलझाया जा सके।
धारा 24-A – संशोधन से पहले के लंबित मामलों का निपटारा (Disposal of Pending Cases under Old Provisions):
इस धारा की शुरुआत राजस्थान किराया नियंत्रण (संशोधन) अधिनियम, 2017 (Act No. 33 of 2017) के बाद हुई है।
प्रावधान (Provision):
जो भी मामले धारा 23 या 24 के अंतर्गत Rent Tribunal के समक्ष उस दिन लंबित थे जब संशोधन अधिनियम लागू हुआ, वे वैसे ही आगे बढ़ेंगे जैसे कि संशोधन किया ही न गया हो।
इसका उद्देश्य यह था कि पुराने मामलों की प्रक्रिया में कोई बाधा न आए और वे बिना किसी रुकावट के निपटाए जा सकें।
उदाहरण (Illustration):
यदि गोपाल ने वर्ष 2016 में धारा 24 के तहत मकान-मालिक के खिलाफ मरम्मत न करवाने को लेकर मामला दर्ज कराया था और वह 2017 में लंबित था, तो Rent Tribunal उसे पुराने कानून के अनुसार निपटाएगा, नया संशोधन उस पर लागू नहीं होगा।
अन्य धाराओं से संबंध (Reference to Other Sections):
धारा 24 को धारा 23 के साथ जोड़कर देखा जा सकता है क्योंकि दोनों ही Rent Authority की भूमिका और किरायेदार की बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी हैं।
धारा 5 के अंतर्गत किराया भुगतान की प्रक्रिया दी गई है, जिससे यह देखा जा सकता है कि क्या किरायेदार के पास मरम्मत से खर्च काटने का वैध आधार था या नहीं।
धारा 22-G में बताया गया है कि यदि मकान-मालिक किराया लेने से मना कर दे, तो किरायेदार Rent Authority के पास किराया जमा कर सकता है — इसी तरह, धारा 24 में किरायेदार Rent Authority के पास मरम्मत की अनुमति लेने के लिए आवेदन कर सकता है।
धारा 24 और 24-A मकान की मरम्मत को लेकर मकान-मालिक और किरायेदार के बीच कर्तव्यों और अधिकारों को संतुलित करती है।
यह सुनिश्चित करती है कि मकान की आवश्यक मरम्मत बिना किसी देरी के हो और किरायेदार को उसका बोझ जबरन न उठाना पड़े।
साथ ही मकान-मालिक को भी यह आश्वासन देती है कि अगर मरम्मत छोटा खर्च है तो किरायेदार को ही वह करना होगा।
Rent Authority को इस पूरी प्रक्रिया में निर्णायक और संतुलित भूमिका दी गई है ताकि कोई पक्ष मनमानी न कर सके।
किरायेदारी संबंधों में पारदर्शिता और स्पष्टता बनाए रखने के लिए इस धारा का पालन अत्यंत आवश्यक है।
अगर मकान-मालिक और किरायेदार दोनों इन नियमों का ईमानदारी से पालन करें, तो विवाद की संभावनाएं कम हो जाती हैं और लंबे समय तक चलने वाला, सम्मानजनक किरायेदारी संबंध स्थापित हो सकता है।