NI Act धारा 101,102,103 और 104 के प्रावधान

Shadab Salim

16 April 2025 4:27 AM

  • NI Act धारा 101,102,103 और 104 के प्रावधान

    धारा 101 प्रसाक्ष्य की अन्तर्वस्तुएँ- धारा 100 के अधीन प्रसाक्ष्य में अन्तर्विष्ट होने चाहिए।

    या तो स्वयं लिखत या लिखत की और जिसके ऊपर लिखी या मुद्रित हर बात की अक्षरश: अनुलिपि।

    उस व्यक्ति का नाम जिसके लिए और जिसके विरुद्ध लिखत प्रसाक्ष्यित की गई है।

    यह कथन कि, यथास्थिति, संदाय या प्रतिग्रहण या बेहतर प्रतिभूति को माँग नोटरी पब्लिक द्वारा ऐसे व्यक्ति से की गई है; यदि उस व्यक्ति का कोई उत्तर है, तो उस उत्तर के शब्द या यह कथन कि उसमें कोई उत्तर नहीं दिया था वह पाया नहीं जा सका।

    जब कि वचन-पत्र या विनिमय-पत्र अनादृत किया गया है, तब अनादर का स्थान और समय और जब कि बेहतर प्रतिभूति देने से इन्कार किया गया है, तब इन्कार का स्थान और समय।

    प्रसाक्ष्य करने वाले नोटरी पब्लिक के हस्ताक्षर;

    आदरणार्थ प्रतिग्रहण या आदरणार्थ संदाय की दशा में उस व्यक्ति का नाम, जिस द्वारा, उस व्यक्ति का नाम जिसके लिए, और वह रीति, जिससे ऐसा प्रतिग्रहण या संदाय प्रस्थापित किया गया था और दिया गया था।

    नोटरी पब्लिक इस धारा के खण्ड (ग) में वर्णित माँग या तो स्वयं या अपने लिपिक द्वारा या, जहाँ कि करार या प्रथा से यह प्राधिकृत है वहाँ, रजिस्ट्रीकृत चिट्ठी द्वारा कर सकेगा।

    धारा 102 के अंतर्गत जहाँ विनिमय पत्र या वचन पत्र का विधि द्वारा प्रसाक्ष्य के लिए अपेक्षित है, वहाँ अनादर की सूचना के स्थान पर ऐसे प्रसाक्ष्य की सूचना अवश्य दिया जाना चाहिए। प्रसाक्ष्य की सूचना सामान्तया अनादर की सूचना के साथ यह सूचना कि विधि द्वारा अपेक्षित विनिमय पत्र या वचन पत्र का प्रसाक्ष्य करा लिया गया है। किसी लिखत के पक्षकारों की आवद्धता को अभिनिश्चित करने के लिए प्रसाक्ष्य की सूचना आवश्यक होती है जहाँ, प्रसाक्ष्य अपेक्षित है।

    प्रसाक्ष्य की सूचना नोटरी पब्लिक के द्वारा दी जानी चाहिए जिसने प्रसाक्ष्य किया है। धारा 102 के अधीन प्रसाक्ष्य की सूचना प्रसाक्ष्य कराने वाले विनिमय पत्र या वचन पत्र के धारक द्वारा भी दी जा सकेगी।

    प्रसाक्ष्य की सूचना उसी रीति में और उन्हीं शर्तों के अध्यधीन रहते हुए अनादर की सूचना के बदले में देनी होगी।

    धारा 103 के अंतर्गत एक विनिमय पत्र जो ऊपरवाल के दिए गए निवास से भिन्न किसी अन्य स्थान पर देय बनाया गया है, जिसे अप्रतिग्रहण से अनादृत किया गया है पुनः बिना ऊपरवाल को उपस्थापित किए असंदाय के लिए प्रसाक्ष्य कराया जा सकेगा जब तक कि परिपक्वता के पूर्व उसका संदाय नहीं कर दिया जाता। ऐसी दशा में संदाय के लिए उपस्थापन अपेक्षित नहीं होता है।

    धारा 104 में यह अपेक्षित है कि विदेशी विनिमय पत्र का प्रसाक्ष्य अवश्य होना चाहिए। ऐसा प्रसाक्ष्य का स्थान उस स्थान पर होना चाहिए जहाँ उनको लिखा जाता है। यह ध्यान में रखना चाहिए कि सभी विनिमय पत्र जो भारत के बाहर लिखे गए हैं विधि द्वारा प्रसाक्ष्य किए जाएंगे, परन्तु भारत में लिखे गए विनिमय पत्र को प्रसाक्ष्य कराना आवश्यक नहीं होगा, क्योंकि ऐसे विनिमय पत्र देशी बिल होते हैं और केवल भारत के बाहर लिखे जाने से यह विदेशी बिल नहीं होता है।

    कब टिप्पण प्रसाक्ष्य के समतुल्य होता है- धारा 104क यह उपबन्धित करती है कि जहाँ कि विनिमय पत्र या वचन पत्र का इस अधिनियम के प्रयोजन से प्रसाक्ष्य कराना अपेक्षित किया गया है, जिसे-

    एक विनिर्दिष्ट समय के अन्दर, या

    आगे कोई कार्यवाही किये जाने से पूर्व कराया जाना है,

    वहाँ वचन पत्र या विनिमय पत्र का विनिर्दिष्ट समय के अवसान के पूर्व या कार्यवाही करने के पूर्व प्रसाक्ष्य के लिए टिप्पण कराना पर्याप्त होगा और इसके बाद किसी भी समय औपचारिक प्रसाक्ष्य, टिप्पण किए जाने की तिथि के पश्चात् कराया जा सकेगा।

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