NI Act की धारा 99 एवं 100 के प्रावधान
Shadab Salim
16 April 2025 4:25 AM

अनादर की सूचना के पश्चात् धारक द्वारा दूसरा लिया जाने वाला कदम अनादर के तथ्य का टिप्पण एवं प्रसाक्ष्य होता है जिसे नोटरी पब्लिक द्वारा धारा 99 एवं 100 के अधीन दिया जाता है।
जब कोई वचन पत्र या विनिमय पत्र (चेक नहीं) अनादृत हो जाता है, धारक अनादर की सम्यक् सूचना देकर वचन पत्र के रचयिता या विनिमय पत्र के लेखीवाल या पृष्ठांकक पर बाद ला सकता है या वह टिप्पण या प्रसाक्ष्य करा सकता है जिससे अनादर के तथ्य का प्रमाणीकरण प्राप्त कर सके। यह स्वयं लिखत पर या इससे सम्बद्ध कागज़ पर या आंशिक प्रत्येक पर हो सकता है।
इसमें निम्नलिखित विवरण होता है:-
अनादर का तथ्य
अनादर की तिथि
अनादर का कारण, यदि कोई हो
यदि लिखत अभिव्यक्त रूप में अनादृत नहीं है तो वह कारण जिससे धारक इसे अनादृत मानता है
नोटरी के खर्च
अनादर के समय से टिप्पण युक्तियुक्त समय में किया जाना चाहिए। देशीय विनिमय पत्र या वचन पत्र की दशा में टिप्पण आवश्यक नहीं होता है। धारक लिखत का टिप्पण करा सकता है या नहीं करा सकता है। और इसका लोप उसके अधिकार को किसी तरह से प्रभावित नहीं करते हैं। टिप्पण एवं प्रशाक्ष्य के प्रावधान चेक पर लागू नहीं होते हैं।
अधिनियम की धारा 100 के अंतर्गत निम्न शब्द प्रस्तुत किए गए हैं-
प्रसाक्ष्य-"जब कि वचन-पत्र या विनिमय-पत्र अप्रतिग्रहण या असंदाय द्वारा अनादृत हो गया है, तब धारक ऐसे अनादर को नोटरी पब्लिक द्वारा युक्तियुक्त समय के भीतर टिप्पणित और प्रमाणित करा सकेगा। ऐसा प्रमाण प्रसाक्ष्य कहलाता है।
बेहतर प्रतिभूति के लिए प्रसाक्ष्य-जब कि विनिमय-पत्र का प्रतिग्रहीता दिवालिया हो गया है या विनिमय पत्र की परिपक्वता से पूर्व उसका प्रत्यय खुले आम अधिक्षेपित किया गया है, तब धारक प्रतिग्रहीता से बेहतर प्रतिभूति की माँग नोटरी पब्लिक से युक्तियुक्त समय के अन्दर करवा सकेगा और प्रतिभूति दिए जाने से इंकार किए जाने पर ऐसे तथ्यों को युक्तियुक्त समय के भीतर पूर्वोक्त जैसे टिप्पणित और प्रमाणित करवा सकेगा। ऐसा प्रमाण बेहतर प्रतिभूति के लिए प्रसाक्ष्य कहलाता है।"
प्रसाक्ष्य क्या है? - जब वचन पत्र एवं विनिमय पत्र के अनादर के तथ्य को नोटरी पब्लिक से टिप्पण कराने के पश्चात् वचन पत्र या विनिमय पत्र के अनादर को प्रमाणित करा सकेगा और उसका प्रमाणन प्राप्त कर सकेगा। जिसे प्रसाक्ष्य कहते हैं। प्रसाक्ष्य प्राप्त करने का प्रयोजन होता है-
यह लेखीवाल या पृष्ठांकक जो विदेश में रह रहे हैं के लिए अनादर के साक्ष्य का सन्तोषजनक प्रमाण होता है,
न्यायालय किसी याद में धारा 119 के अधीन अनादर के तथ्य को उपधारित कर सकेगा। टिप्पणी के समान देशी विनिमय पत्र या वचन पत्र पर प्रसाक्ष्य अनिवार्य नहीं होता है एवं प्रसाक्ष्य का लोप किसी तरह उस पर धारक के अधिकार को प्रभावित नहीं करते हैं। प्रासक्ष्य पुनः हो सकता है
अधिनियम की धारा 100 के प्रथम पैरा में दिया गया सामान्य प्रसाक्ष्य जो विनिमयपत्र एवं वचन पत्र दोनों के लिए है।
बेहतर प्रतिभूति के लिए प्रसाक्ष्य-धारा 100 का दूसरा पैरा बेहतर प्रतिभूति के लिए प्रसाक्ष्य से सम्बन्धित है जो अपेक्षित होता है केवल विनिमय पत्र लिए-
जहाँ विनिमय पत्र का प्रतिग्रहीता दिवालिया हो जाता है, या
जहाँ प्रतिग्रहीता का साथ खुले आम अधिक्षेपित किया गया है, या
विनिमय पत्र के परिपक्वता के पूर्व, की माँग कर सकेगा, और
धारक, प्रतिग्रहीता से बेहतर प्रतिभूति मना करने पर
युक्तियुक्त समय के भीतर,
ऐसे तथ्य को टिप्पणित या प्रमाणित करा सकेगा।
ऐसा प्रमाणन बेहतर प्रतिभूति के लिए प्रसाक्ष्य कहलाता है। विदेशी बिल का प्रसाक्ष्य आवश्यक होता है [धारा 104] बेहतर प्रतिभूति के लिए प्रसाक्ष्य केवल विनिमय पत्र के लिए लिए होता है।