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सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 6 सूचना के अनुरोध का निपटारा करने संबंधित प्रक्रिया (धारा-7)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के अंतर्गत धारा 7 सूचना के अनुरोध का निपटारा करने से संबंधित प्रक्रिया को विहित करती है। यह अधिनियम अत्यंत विस्तृत अधिनियम है और आधुनिक समय का बनाया गया अधिनियम है। इस अधिनियम के अंतर्गत वे सभी समस्याओं का निराकरण कर दिया गया है जो आम जनमानस को समय-समय पर देखनी होती है। अत्यंत गहनता से अध्ययन के बाद भारत की संसद द्वारा इस अधिनियम को अधिनियमित किया गया जिससे नागरिकों को कोई भी सूचना प्राप्त करने में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।जैसा कि...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 5 सूचना प्राप्त करने हेतु अनुरोध तथा उससे संबंधित प्रक्रिया (धारा-6)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के अंतर्गत धारा-6 सूचना अभिप्राप्त करने हेतु अनुरोध करने तथा उससे संबंधित प्रक्रिया को व्यवस्थित करती है। यह प्रावधान एक प्रक्रिया के समान हैं जो सूचना प्राप्त करने हेतु किसी आवेदक को अनुपालन करना होती है। यह धारा इस अधिनियम की महत्वपूर्ण धाराओं में से एक है जिस प्रकार से इस अधिनियम की धारा 3 सूचना के अधिकार का उल्लेख कर रही है वहीं धारा 6 उस अधिकार को व्यवहार में लाने हेतु प्रक्रिया विहित कर रही है। कोई भी व्यक्ति सूचना प्राप्त करने हेतु अनुरोध कर सकता...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 4 लोक प्राधिकारियों की सूचना देने की बाध्यता (धारा-4)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) की धारा 4 के अंतर्गत लोक प्राधिकारियों को सूचना देने हेतु बाध्य किया गया है। उन्हें इस धारा के अंतर्गत सूचना देने हेतु बाध्यता दी गई है। जैसा कि पूर्व में उल्लेख किया गया है सूचना का अधिकार भारत के समस्त नागरिकों को प्राप्त है। कोई भी नागरिक किसी भी लोक प्राधिकारी से सरकारी कामकाज से जुड़ी हुई जानकारियों को प्राप्त कर सकता है। अधिनियम की धारा महत्वपूर्ण इसलिए हो जाती है क्योंकि इस धारा के माध्यम से लोक प्राधिकारी के ऊपर बाध्यता डाल दी गई है तथा आदेशात्मक...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 3 सूचना का अधिकार (धारा-3)
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के अंतर्गत धारा- 3 अत्यंत महत्वपूर्ण धारा है। यह धारा सूचना के अधिकार का उल्लेख करती है। यह वही धारा है तथा वही अधिकार है जिसके लिए भारत में वर्षों तक संघर्ष किया गया और इस अधिकार हेतु हुई इस अधिनियम को गढ़ा गया है। इस आलेख के अंतर्गत धारा 3 की व्याख्या अदालतों के न्याय निर्णय के सहित प्रस्तुत की जा रही है।यह धारा सभी भारतीय नागरिकों को लोक प्राधिकारियों से सूचना प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करती है। अधिनियम के अधीन नागरिक का तात्पर्य केवल प्राकृत से है...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग: 2 अधिनियम के अंतर्गत परिभाषाएं
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के अंतर्गत धारा- 2 में इस अधिनियम से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दों की परिभाषा प्रस्तुत की गई है। इन परिभाषाओं के माध्यम से इस अधिनियम के प्रावधानों को समझा जाता है और उनका ठीक निर्वचन किया जाता है।जैसा कि किसी भी अधिनियम के प्रारंभ में उसके विस्तार और उसके नाम के बाद उस अधिनियम से संबंधित विशेष शब्दों की परिभाषा ठीक अगली धारा में प्रस्तुत की जाती है इसी प्रकार इस अधिनियम में भी किया गया है।इस आलेख के अंतर्गत धारा 2 पर टीका प्रस्तुत किया जा रहा है और परिभाषा से...
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) भाग 1: जानिए अधिनियम का परिचय
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) जिसे 'आरटीआई एक्ट' के नाम से जाना जाता है। यह अधिनियम भारतीय लोकतंत्र को सशक्त करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। समय के साथ संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का विस्तार होता चला गया। एक समय वह भी आया जब सूचना के अधिकार को एक मौलिक अधिकार माना गया। जानने का अधिकार किसी भी व्यक्ति का मानव अधिकार है तथा भारत के संविधान में उल्लेखित किए गए मौलिक अधिकारों में एक मौलिक अधिकार भी है जिसे अनुच्छेद 19 का हिस्सा बनाया गया है।यह अधिकार केवल एक मौलिक अधिकार...
अनुसूचित जनजातियों की सूची: जानिए कौन सी जातियों को अनुसूचित जनजातियों का दर्जा प्राप्त है
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अंतर्गत सभी महत्वपूर्ण धाराओं पर आलेख प्रस्तुत किए गए हैं। यह अधिनियम अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों को संरक्षण प्रदान करता है तथा उन पर होने वाले अत्याचारों को रोकने का लक्ष्य निर्धारित करता है। यह एक निवारण विधि है।इससे ठीक पूर्व के आलेख में अनुसूचित जातियों के संबंध में उल्लेख किया गया था। इस आलेख के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों के संबंध में उल्लेख किया जा रहा है तथा उनसे संबंधित सूची प्रस्तुत की जा रही है। यह सूची भी...
जानिए सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के दाण्डिक प्रावधान
अस्पृश्यता भारत की प्रमुख समस्या रही है। भारतीय समाज जातियों में बंटा हुआ समाज है। जहां अलग-अलग जातियां निवास करती हैं। सभी जातियों के क्रियाकलाप भी अलग-अलग हैं। अनेक मौकों पर उनकी संस्कृति में भी पृथकता प्रतीत होती है। जातियों में ऊंची जाति तथा नीची जाति का भेद रहा है। इस भेद के परिणाम स्वरुप ही अस्पृश्यता का जन्म हुआ। एक मनुष्य को छूने तथा उससे संबंधित वस्तुओं को छूने से धर्म के भ्रष्ट हो जाने जैसी अवधारणा भी भारत में रही है।संविधान में स्पष्ट उल्लेख कर छुआछूत को खत्म करने के लिए प्रावधान किए...
अनुसूचित जनजातियों को प्राप्त वन अधिकार के बारे में जानिए
अनुसूचित जनजातियों को जंगलों का जागीरदार कहा गया है। यह जातियां प्राचीन समय से वनों में निवास कर रही है और वनों को संरक्षित करने में इन जातियों का बहुत बड़ा योगदान है। यह जातियां वनों में रहकर अपना जीवन व्यतीत करती हैं और वनों से ही अपनी जीविका का पार्जन करती है। राज्य पर यह कर्तव्य था कि वह इन जातियों के अधिकारों को सुरक्षित तथा इनके वन अधिकारों को स्पष्ट कर दें।इन जातियों को वनों के उपभोग का अधिकार प्राप्त है। एक प्रकार से वनों की मालिक राज्य है परंतु उनके उपभोग का अधिकार अनुसूचित जनजातियों को...
अनुसूचित जातियों की सूची: जानिए कौन सी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अंतर्गत सभी महत्वपूर्ण धाराओं पर आलेख प्रस्तुत किए गए हैं। यह अधिनियम अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों को संरक्षण प्रदान करता है तथा उन पर होने वाले अत्याचारों को रोकने का लक्ष्य निर्धारित करता है। यह एक निवारण विधि है।प्रश्न यह है कि किन जातियों को अनुसूचित जातियों का दर्जा प्राप्त है एवं किन जातियों को अनुसूचित जनजातियों का दर्जा प्राप्त है।अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति दो प्रकार की जातियां है।इस आलेख के अंतर्गत...
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :11 एफआईआर के लिए किसी जांच की आवश्यकता न होना, अपराधी परिवीक्षा न, मिलना और अन्य अधिनियमों का प्रभावहीन होना
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों के न्याय हेतु कड़े कदम उठाए गए हैं। इस अत्याचार निवारण अधिनियम को भरसक प्रयासों के साथ इतना सशक्त बनाने के प्रयास किए गए हैं कि किसी भी स्थिति में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के विरुद्ध होने वाले अत्याचारों के मामलों में उन्हें पूर्ण रूप से न्याय मिले तथा अन्य लोग इन जातियों के प्रति अत्याचार...
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :10 इस अधिनियम में उल्लेखित किए गए अपराधों के संबंध में अग्रिम जमानत के प्रावधान लागू नहीं होना (धारा-18)
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत धारा 18 अत्यंत महत्वपूर्ण धारा है जो इस अधिनियम के अंतर्गत घोषित किए गए अपराध के संबंध में आरोपी बनाए गए व्यक्तियों अभियुक्त को अग्रिम जमानत न दिए जाने संबंधित है। अर्थात इस कानून के अंतर्गत अभियुक्तों को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं मिल सकता। इस आलेख के अंतर्गत इस अधिनियम की धारा 18 पर चर्चा की जा रही है।अग्रिम जमानत लागू नहीं होना:-दंड प्रक्रिया...
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :8 अधिनियम के अंतर्गत विशेष न्यायालय क्या है (धारा-14)
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत अधिनियम से संबंधित अपराध धारा 3 में उल्लेखित किए गए हैं उनके विचारण के लिए विशेष न्यायालय की व्यवस्था इस अधिनियम की धारा 8 के अंतर्गत दी गई है। इस आलेख के अंतर्गत विशेष न्यायालय पर न्याय निर्णय सहित टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।विशेष न्यायालय:-जैसा कि इस अधिनियम को अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति पर होने वाले अत्याचारों के निवारण के उद्देश्य...
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :9 अधिनियम के अंतर्गत विशेष लोक अभियोजक (धारा-15)
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत धारा 15 में विशेष लोक अभियोजक की व्यवस्था की गई है। जैसा कि इसके पूर्व के आलेख में विशेष न्यायालय के संबंध में उपबंधित किए गए प्रावधानों पर चर्चा की गई थी। इसी प्रकार इस आलेख के अंतर्गत इस अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत की गई विशेष लोक अभियोजक की व्यवस्था पर चर्चा की जा रही है तथा उससे संबंधित कुछ न्याय निर्णय भी प्रस्तुत किए जा रहे हैं।विशेष लोक...
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :7 इस अधिनियम के अंतर्गत अपराधों के बारे में उपधारणा (धारा-8)
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत धारा 8 इस अधिनियम के अंतर्गत अपराध करार दिए गए कार्यों के संबंध में उपधारणा की व्यवस्था करती है। उपधारणा का अर्थ यह होता है कि न्यायालय किसी कार्य या लोप के संबंध में कोई विचार बना कर चलता है और जब तक उस विचार को अभियुक्त द्वारा साबित नहीं कर दिया जाता तब तक न्यायालय यह मानकर चलता है कि जो शिकायतकर्ता ने कहा है वह सच ही होगा और उसके लगाए गए आरोप...
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :6 लोक सेवकों के कर्तव्य की उपेक्षा करने पर दंड का प्रावधान (धारा 4)
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत धारा 4 लोक सेवकों पर अधिरोपित किए गए कर्तव्यों की उपेक्षा करने के परिणामस्वरूप उन्हें दंडित करने का प्रावधान प्रस्तुत करती है। यह धारा इस अधिनियम को लागू करने में बल देती है। इस आलेख के अंतर्गत संसद द्वारा बनाई गई धारा के मूल स्वरूप को प्रस्तुत किया जा रहा है तथा उससे संबंधित न्याय निर्णय प्रस्तुत किए जा रहे हैं।धारा-4अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित...
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :5 अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के अपमान से संबंधित अपराध (धारा-3)
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत अधिनियम की धारा 3 अत्यंत विस्तृत धारा है। इस धारा को किसी एक आलेख में समाहित कर पाना अत्यंत दूभर है इस कारण इस धारा से संबंधित चार आलेख प्रस्तुत किए गए हैं। भाग 5 में इस धारा से संबंधित अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के अपमान से संबंधित अपराधों का वर्णन किया।साशय अपमान और आपराधिक अभित्रास पर विधि:-जहाँ तक भारतीय दण्ड संहिता की धारा 504 के अधीन...
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :4 अधिनियम के अंतर्गत दण्डादेश की आनुपातिकता, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) और दोषमुक्ति के विरुद्ध पुनरीक्षण (धारा-3)
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत इससे पूर्व के भाग में धारा तीन से संबंधित कुछ विशेष बातों को उल्लेखित किया गया था। इस आलेख के अंतर्गत दण्डादेश की आनुपातिकता, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3), दोषमुक्ति के विरुद्ध पुनरीक्षण और साथ ही अन्य विशेष बातें को भी प्रस्तुत किया जा रहा है जो इस धारा- 3 से संबंधित है।दण्डादेश की आनुपातिकता:- दण्डादेश की आनुपातिकता के पक्ष पर उसे...
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :3 एकपक्षीय अभिकथन, अपराध का संज्ञान लेने की अधिकारिकता और अश्लील कृत्य (धारा-3)
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत इससे पूर्व के भाग में धारा तीन से संबंधित कुछ विशेष बातों को उल्लेखित किया गया था तथा धारा 3 का मूल स्वरूप प्रस्तुत किया गया था। इस आलेख के अंतर्गत अन्य विशेष बातें को भी प्रस्तुत किया जा रहा है जो इस धारा से संबंधित है।न्यूनतम दण्डादेश पर विधि अधिनियम की धारा 3 (1) ऐसी अवधि के लिए दण्ड का प्रावधान करती है, जो 6 मास से कम की नहीं होगी, परन्तु जो...
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :2 अधिनियम की धारा 3 से संबंधित प्रमुख बातें
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) के अंतर्गत धारा 3 सर्वाधिक महत्वपूर्ण धारा है। यह धारा एक प्रकार से एक सहिंता के समान है। इस एक धारा में ही समस्त अधिनियम को समाहित तो नहीं किया गया है परंतु यह कहा जा सकता है कि इस एक धारा में 50 फ़ीसदी अधिनियम को समाहित कर दिया गया है। इस धारा के अंतर्गत उन सभी अपराधों का उल्लेख किया गया है जो अत्याचार से संबंधित है। इस आलेख के अंतर्गत इस धारा को उसके मूल...