किस तरह का सबूत है कॉल डिटेल? जानिए
Shadab Salim
19 Sept 2024 10:18 AM IST
लोग आप आमतौर पर एक दूसरे की बात को साबित करने कॉल रेकॉर्डिंग और कॉल डिटेल का सहारा लेते हैं लेकिन क्या यह सबूत अदालत में भी कोई काम आता है? इस सवाल के जवाब के लिए इससे संबंधित कानून को समझना होगा।
दूरसंचार कंपनियों को रखना होती है डिटेल
किसी भी मोबाइल में चलने वाली सिम को या लैंडलाइन फोन को एक टेलीकॉम कंपनी द्वारा उपलब्ध करवाया जाता है। यह टेलीकॉम कंपनी अपने हर एक यूजर का सभी रिकॉर्ड मेंटेन करती है। दूरसंचार विभाग ने अपनी एक अधिसूचना में यह घोषणा की है कि सभी टेलीकॉम कंपनियों को 2 वर्ष तक का कॉल डिटेल का डेटा रखना होता है। मतलब कोई भी टेलीकॉम कंपनी 2 वर्ष के पहले किसी भी यूजर का डेटा डिलीट नहीं कर सकती है।
इस 2 वर्ष के बाद भी अगर टेलीकॉम कंपनी को डेटा डिलीट करना होता है तब उसे दूरसंचार विभाग से परमिशन लेना होती है तभी उस डेटा को डिलीट किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि टेलीकॉम कंपनियों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे अपने सभी यूजर्स का डेटा अपने पास उपलब्ध रखें।
क्या-क्या चीजें होती है डेटा में
टेलीकॉम कंपनियों के ऐसे डेटा में किसी भी यूजर का मोबाइल नंबर उस मोबाइल नंबर से लगाए गए सभी फोन जिन नंबरों पर उस नंबर से कॉल लगाया गया है उन सभी नंबर की डिटेल, किस स्थान से किस लोकेशन से खड़े होकर कॉल लगाया गया है इस बात की सभी जानकारी और किस-किस कॉल पर कितनी कितनी देर बात की गई है यह सभी जानकारी कॉल डिटेल में उपलब्ध होती है।
इस कॉल डिटेल में वॉइस रिकॉर्डिंग नहीं होती है क्योंकि किसी भी व्यक्ति को भारत के संविधान में राइट टू प्राइवेसी उपलब्ध है। अगर किसी व्यक्ति की वॉइस रिकॉर्डिंग की जाती है तब यह उसकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है। किसी भी आदेश द्वारा ऐसी निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा सकता इसलिए वॉइस रिकॉर्डिंग नहीं होती है और ऐसी वॉइस रिकॉर्डिंग को अदालत में पेश भी नहीं किया जा सकता क्योंकि यह किसी व्यक्ति के मूल अधिकारों का अतिक्रमण करती है।
लेकिन इस डेटा में व्यक्ति की कॉल डिटेल जरूर प्रस्तुत की जा सकती है जिससे यह साबित हो सके कि जो फैक्ट बताए जा रहे हैं वह सही है या गलत है। किसी व्यक्ति का किसी व्यक्ति से कोई संबंध रहा है या नहीं यह सभी बातें कॉल डिटेल से साबित हो जाती है।
कौन से मुकदमों में लगती है कॉल डिटेल
कॉल डिटेल का उपयोग सभी तरह के मुकदमों में किया जा सकता है। इनका उपयोग सिविल और आपराधिक दोनों प्रकार के मुकदमों में किया जा सकता है। यहां पर सिविल या आपराधिक की कोई बाध्यता नहीं है बल्कि एक पुलिस अधिकारी भी इसे प्राप्त कर सकता है और न्यायालय प्राप्त कर सकता है।
किस व्यक्ति को मिलती है काल डिटेल
टेलीकॉम कंपनियों की कॉल डिटेल पब्लिक डेटा नहीं होती है और इसे पब्लिक में सांझा नहीं किया जा सकता परंतु इसे अदालत जरूर मंगा सकती है और एक पुलिस अधिकारी भी किसी अभियोजन को चलाने के लिए पर अपनी फाइनल रिपोर्ट अदालत में पेश करते समय ऐसी कॉल डिटेल दूरसंचार कंपनियों से प्राप्त करने का अधिकारी है। दूरसंचार कंपनियों को यह सभी कॉल डिटेल उपलब्ध कराने की बाध्यता है वह काल डिटेल उपलब्ध कराने से एक पुलिस अधिकारी और अदालत को इनकार नहीं कर सकते हैं पर यह डेटा किसी भी हालत में एक आम आदमी को नहीं मिलता है जो अपने मामले में सबूत के तौर पर डेटा को पेश कर पाए।
आम आदमी कैसे प्राप्त करें डेटा
जैसा कि ऊपर बताया गया है डेटा एक आम आदमी को उपलब्ध नहीं होता है पर यह डेटा पुलिस अधिकारी और अदालत जरूर मंगवा सकती है। अगर किसी अपराध का अभियोजन चलाया जाना है और उस अपराध का अन्वेषण जारी है तब पुलिस अधिकारी से पीड़ित यह रिक्वेस्ट कर सकता है कि उसके मामले में काल डिटेल मंगवाई जाए और कॉल डिटेल प्रस्तुत की जाए। अगर पुलिस अधिकारी ऐसी कॉल डिटेल नहीं मंगवाता है और बगैर कॉल डिटेल के न्यायालय में चालान पेश कर देता है तब पीड़ित के पास यह भी अधिकार होता है कि वे न्यायालय के समक्ष एक एप्लीकेशन लगाकर यह दरख्वास्त करें कि वह कॉल डिटेल मंगवाए।
ऐसी एप्लीकेशन बीएनएसएस धारा 94 के अंतर्गत लगाई जा सकती है। जहां पर न्यायालय को यह अधिकार है कि वे दूरसंचार कंपनी से ऐसी कॉल डिटेल प्राप्त कर सकती है। न्यायालय के आदेश पर दूरसंचार कंपनी को कॉल डिटेल उपलब्ध करानी होगी और फिर इस कॉल डिटेल को अभियोजन में साक्ष्य के रूप में लिया जाएगा।
सिविल केस में कैसे करें कॉल डिटेल प्राप्त:-
अगर कोई सिविल केस चल रहा है और किसी सिविल केस में कॉल डिटेल की आवश्यकता है तब जिस व्यक्ति को ऐसी कॉल डिटेल की आवश्यकता है वह व्यक्ति सी पी सी की आदेश 16 नियम 7 के अंतर्गत एक एप्लीकेशन देगा और ऐसी एप्लीकेशन देकर न्यायालय से यह निवेदन करेगा कि उसके मामले को साबित करने के लिए कॉल डिटेल की आवश्यकता है तथा कॉल डिटेल से कोई पक्ष साबित हो रहा है तब न्यायालय को यदि ठीक लगता है तो वह काल डिटेल मंगवाने का आदेश कर सकता है।
पर यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि यहां पर न्यायालय को विवेकाधिकार प्राप्त है अगर न्यायालय को यह लगता है कि कॉल डिटेल की आवश्यकता है तभी उसके द्वारा कॉल डिटेल बनाए जाने के लिए आदेश किया जाता है। ऐसे सिविल केस में कोई भी न्यायाधीश अगर कॉल डिटेल मंगवाने के लिए आदेश करता है तब दूरसंचार कंपनी का यह दायित्व होता है कि वह कॉल डिटेल उपलब्ध करवाएं।
ऐसी कॉल डिटेल को भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है और इसे एक सुसंगत साक्ष्य के रूप में लिया जाता है। यह कॉल डिटेल किसी मामले को पूर्ण रूप से साबित तो नहीं करती है पर यह ज़रूर कहा जा सकता है कि ऐसी कॉल डिटेल किसी भी तथ्य को जरूर साबित कर सकती है इसलिए कॉल डिटेल का अधिक महत्व है। पुलिस भी अपने अन्वेषण में कॉल डिटेल को लेकर चलती है और कॉल डिटेल से कई बड़े बड़े कुख्यात अपराधियों को पुलिस द्वारा पकड़ लिया जाता है क्योंकि ऐसी कॉल डिटेल के अंदर व्यक्ति की लोकेशन का भी उल्लेख होता है।