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एक्सप्लेनर: सीमावर्ती राज्यों में सीमा सुरक्षा बल की बढ़ी हुई शक्तियों पर कानून
एक्सप्लेनर: सीमावर्ती राज्यों में सीमा सुरक्षा बल की बढ़ी हुई शक्तियों पर कानून

गृह मंत्रालय ने हाल ही में पश्चिम बंगाल, असम और पंजाब में सीमा सुरक्षा बल (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स, बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र का विस्तार किया। मंत्रालय के फैसले ने संघीय ढांचे के उल्लंघन और राज्य पुलिस के अधिकारों के हनन के कारण पंजाब और पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचनाओं को न्योता दिया।राज्यों ने तर्क दिया कि चूंकि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, इसलिए बीएसएफ अधिकार क्षेत्र में बढ़ोतरी राज्य सरकार की शक्तियों का उल्लंघन है। मौजूदा आलेख में चर्चा की गई है कि गृह मंत्रालय की शक्तियों का स्रोत...

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :1 अधिनियम का परिचय
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC ST Act) भाग :1 अधिनियम का परिचय

भारत में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजातियों पर अत्याचार स्वतंत्रता पूर्व से दिखाई पड़ते हैं। यह समाज भारतवर्ष का अत्यंत दीन हीन समाज है तथा अनेक सामाजिक परिस्थितियों में इस समाज को पीड़ित और प्रताड़ित भी अन्य समुदायों द्वारा किया जाता रहा है। इस समुदाय को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के उद्देश्य से भारत के संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गई है।संविधान में दिए गए आरक्षण के अधिकार अनुसूचित जनजाति के सिविल अधिकार हैं इसी प्रकार दांडिक विधि में अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण...

निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 35: चेक के अनादरण के मुकदमे से संबंधित प्रक्रिया (अपराधों का संज्ञान) (धारा 142)
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 35: चेक के अनादरण के मुकदमे से संबंधित प्रक्रिया (अपराधों का संज्ञान) (धारा 142)

परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत धारा 142 धारा 138 में उल्लेखित किए गए अपराध के संज्ञान के संदर्भ में प्रक्रिया विहित करती है। जिस प्रकार धारा 138 एक सहिंता के समान प्रसिद्ध धारा है जो मूल विधि का उल्लेख कर रही है। इस ही प्रकार यह धारा 142 उस अपराध के संज्ञान से संबंधित विस्तृत प्रक्रिया निर्धारित करती है। इस आलेख के अंतर्गत इस ही प्रक्रिया को समझाने का प्रयास किया जा रहा है।धारा 142:- यह धारा 142 धारा 138 के अंतर्गत गठित अपराध के संबंध में प्रस्तुत किए...

निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 33: चेक का संदाय (पेमेंट) प्राप्त करने वाले बैंक का अदायित्व (धारा 131)
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 33: चेक का संदाय (पेमेंट) प्राप्त करने वाले बैंक का अदायित्व (धारा 131)

परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत धारा 131 चेक का संदाय करने वाले बैंक के अदायित्व के संबंध में प्रावधान प्रस्तुत करती है। परक्राम्य लिखत अधिनियम चेक के व्यवहार में अधिकांश दायित्व लेखीवाल और उसके धारक को सौंपता है और यह अधिनियम एक प्रकार से धारक के अधिकारों की सुरक्षा पर ही अधिक बल देता है। धारा 131 बैंक के अदायित्व का विशेष रूप से उल्लेख कर रही है। इस आलेख के अंतर्गत संदाय करने वाले बैंक के अदायित्व को समझा जा रहा है।संग्राहक बैंक को संरक्षण: [ धारा 131...

निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 28: अनादर के टिप्पण और प्रसाक्ष्य से संबंधित प्रावधान (Noting and protest) (धारा- 99, 100)
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 28: अनादर के टिप्पण और प्रसाक्ष्य से संबंधित प्रावधान (Noting and protest) (धारा- 99, 100)

परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत धारा 99 और 100 में टिप्पन और प्रसाक्ष्य से संबंधित प्रावधान प्रस्तुत किए गए हैं। यह प्रावधान वचन पत्र और विनिमय पत्र से संबंधित हैं इनका संबंध चेक से नहीं है। यह प्रावधान एक प्रकार से सुरक्षात्मक प्रावधान है जो किसी विनिमय पत्र या वचन पत्र से संबंधित व्यवहार में इसके धारक को साक्ष्य संबंधी अधिकार देता है। न्यायालय में जाने के पूर्व वचन पत्र के लेखीवाल द्वारा भुगतान नहीं किए जाने पर जो सूचना धारक द्वारा दी जाती है उस सूचना...

निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 20: संदाय या संतुष्टि तक किसी लिखत का परक्राम्य होना (धारा 60)
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 20: संदाय या संतुष्टि तक किसी लिखत का परक्राम्य होना (धारा 60)

परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) के अंतर्गत धारा 60 किसी लिखत की परक्राम्यता निर्धारित करती है। जैसा कि इस अधिनियम से संबंधित आलेखों में पूर्व के आलेख में समझाया गया था कि परक्राम्य का अर्थ किसी लिखत के हस्तांतरण से है।अधिनियम की धारा 60 इस बात का उल्लेख करती है कि कोई भी लिखत कितना हस्तांतरित हो सकता है। वह कितना परक्रामित हो सकता है। इस धारा से संबंधित प्रावधानों पर सारगर्भित टिप्पणी इस आलेख के अंदर प्रस्तुत की जा रही है।परक्राम्य का काल :-परक्राम्य लिखत अधिनियम...