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सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 100: आदेश 20 नियम 14 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 20 निर्णय और डिक्री है। इस आदेश का नियम 14 शुफ़ा के दावे में डिक्री कैसी हो इस संबंध में उल्लेख कर रहा है। शुफ़ा का अधिकार एक मुस्लिम व्यक्ति को अपने रक्तसंबंधि व्यक्ति की संपत्ति पर रहता है। यदि कोई मुस्लिम व्यक्ति अपनी किसी पैतृक संपत्ति में प्राप्त हिस्से को विक्रय करना चाहता है तो उसे खरीदने का पहला अधिकार उसके उस हिस्से का है जिसकी संपत्ति उस विक्रय की जाने वाली संपत्ति के एकदम पास स्थित है। सीपीसी के आदेश 20 नियम 14 में ऐसे ही...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 99: आदेश 20 नियम 13 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 20 निर्णय और डिक्री है। इस आदेश का नियम 13 प्रशासन वाद में डिक्री से संबंधित है। प्रशासन अर्थात किसी संपत्ति को नियमित करने से है। इस आलेख के अंतर्गत विस्तार से नियम 13 पर चर्चा की जा रही है।नियम-13) प्रशासन वाद में डिक्री- (1) जहां वाद किसी सम्पत्ति के लेखा के लिए और न्यायालय की डिक्री के अधीन उसके सम्यक् प्रशासन के लिए है, वहां न्यायालय अन्तिम डिक्री पारित करने के पूर्व ऐसे लेखाओं के लिए जाने और जांचों के किए जाने का आदेश देने वाली...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 98: आदेश 20 नियम 12 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 20 निर्णय और डिक्री है। इस आदेश का नियम 12 स्थावर संपत्ति के संबंध में डिक्री का उल्लेख कर रहा है। यह नियम उन बातों को स्पष्ट कर रहा है जिनका समावेश एक स्थावर संपत्ति के संबंध डिक्री में होता है।नियम-12-कब्जा और अन्तःकालीन लाभों के लिए डिक्री- (1) जहां वाद स्थावर सम्पत्ति के कब्जे का प्रत्युद्धरण करने और भाटक या अन्तःकालीन लाभों के लिए है वहां न्यायालय ऐसी डिक्री पारित कर सकेगा जो-( क) सम्पत्ति के कब्जे के लिए हो;(ख) ऐसे भाटकों के...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 97: आदेश 20 नियम 11 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 20 निर्णय और डिक्री है। इस आदेश का नियम 11 डिक्री के किश्तों द्वारा संदाय के संबंध में उल्लेख करता है। ऐसा उस डिक्री में किया जाता है जहां डिक्री धन से संदाय के संबंध में है। इस आलेख के अंतर्गत नियम 20 विस्तारित विवेचन किया जा रहा है।नियम-11 डिक्री किस्तों द्वारा संदाय के लिए निदेश दे सकेगी- (1) यदि और जहां तक कोई डिक्री धन के संदाय के लिए है तो और वहां तक न्यायालय उस संविदा में, जिसके अधीन धन संदेय है, अन्तर्विष्ट किसी बात के होते...
धारा 27 के अनुसार Arbitration में साक्ष्य लेने में न्यायालय की सहायता कैसे की जाती है?
आर्बिट्रेशन एंड कन्सीलिएशन एक्ट, 1996, (माध्यस्थम् अधिनियम) की धारा 27 एक ऐसी व्यवस्था प्रदान करती है, जिसके द्वारा माध्यस्थम् अधिकरण या विवाद का कोई पक्ष (माध्यस्थम् अधिकरण के अनुमोदन से) साक्ष्य लेने में न्यायालय की सहायता ले सकता है। दिलचस्प बात यह है कि यह मध्यस्थता अधिनियम के दुर्लभ प्रावधानों में से एक है, जो मध्यस्थता अधिनियम के प्रावधानों द्वारा शासित मध्यस्थता कार्यवाही में अदालत के हस्तक्षेप/सहायता की अनुमति देता है।ऐसी स्थितियां हो सकती हैं, जब पक्षकार साक्ष्य चरण के दौरान आर्बिट्रल...
कैसे होता है मध्यस्थता कार्यवाही का संचालन?
मध्यस्थता का उपयोग पक्षों के बीच मामलों को निपटाने के लिए किया जाता है जब उनके बीच कोई विवाद होता है। मध्यस्थ कार्यवाही का संचालन मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 के तहत आता है। माध्यस्थम् और सुलह अधिनियम 1996 का अध्याय पाँच माध्यस्थम् कार्यवाही के संचालन से संबंधित है। मध्यस्थता के लिए कुछ महत्वपूर्ण पूर्वापेक्षाएँ हैं। वह एक मध्यस्थता समझौता हो सकता है, जो अधिनियम की धारा 7 के तहत प्रदान किया गया है। मध्यस्थता समझौता लिखित होना चाहिए और दोनों पक्षों को समझौते पर हस्ताक्षर करने चाहिए। पूर्व...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 96: आदेश 20 नियम 8, 9, 10 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 20 निर्णय और डिक्री है। इस आलेख के अंतर्गत नियम 8, 9 व 10 पर सागर्भित टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-8 जहां न्यायाधीश ने डिक्री पर हस्ताक्षर करने से पूर्व अपना पद रिक्त कर दिया है वहां प्रक्रिया-जहां न्यायाधीश ने निर्णय सुनाने के पश्चात् किन्तु डिक्री पर हस्ताक्षर किए बिना अपना पद रिक्त कर दिया है वहां ऐसे निर्णय के अनुसार तैयार की गई डिक्री पर उत्तरवर्ती या यदि उस न्यायालय का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है तो ऐसे किसी न्यायालय का...
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 95: आदेश 20 नियम 6, 6(क), 6(ख) के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 20 निर्णय और डिक्री है। इस आदेश के नियम 6 के अंतर्गत डिक्री की अंतर्वस्तु के संबंध में प्रावधान किए गए हैं। न्यायालय अपने अपने निर्णय के साथ डिक्री भी जारी करता है,उक्त डिक्री की अंतर्वस्तु क्या होगी यह नियम 6 के माध्यम से स्पष्ट किया गया है। इस आलेख के अंतर्गत नियम 6, 6क एवं 6ख पर विवेचन प्रस्तुत किया जा रहा है।नियम-6 डिक्री की अन्तर्वस्तु (1) डिक्री निर्णय के अनुरूप होगी, उसमें वाद का संख्यांक, [पक्षकारों के नाम और वर्णन, उनके...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 94: आदेश 20 नियम 5 व 5क के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 20 निर्णय और डिक्री है। इस आदेश के नियम 5 में स्पष्ट किया गया है कि न्यायालय इस विवाधक पर अपना विनिश्चय देगा। इस आलेख के अंतर्गत नियम 5 व नियम 5क पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-5 न्यायालय हर एक विवाद्यक पर अपने विनिश्चय का कथन करेगा-उन वादों में, जिनमें विवाद्यकों की विरचना की गई है, जब तक कि विवाद्यकों में से किसी एक या अधिक का निष्कर्ष वाद के विनिश्चय के लिए पर्याप्त न हो, न्यायालय हरेक पृथक विवाद्यक पर अपना निष्कर्ष या...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 93: आदेश 20 नियम 4 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 20 निर्णय और डिक्री है। इस आदेश के नियम 3 में लघुवाद न्यायलयों के निर्णय के संबंध में प्रावधान किए गए हैं, इस आलेख के अंतर्गत नियम 4 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-4 लघुवाद न्यायालयों के निर्णय- (1) लघुवाद न्यायालयों के निर्णयों में अवधार्य प्रश्नों और उनके विनिश्चय से अधिक और कुछ अन्तर्विष्ट होना आवश्यक नहीं है।(2) अन्य न्यायालयों के निर्णय-अन्य न्यायालयों के निर्णयों के मामले का संक्षिप्त कथन, अवधार्य प्रश्न, उनका विनिश्चय...
आर्बिट्रेशन एंड कन्सीलिएशन एक्ट की धारा 12 के तहत Arbitrators की नियुक्ति को चुनौती देने के लिए आधार
मध्यस्थता एक वैध कानूनी प्रक्रिया है, जो अदालतों के बाहर होती है, फिर भी एक ही समय में अदालत के फैसले की तरह अंतिम और कानूनी रूप से प्रतिबंधित निर्णय होता है। इसमें अदालत के बजाय कम से कम एक स्वतंत्र बाहरी व्यक्ति द्वारा विवाद का आश्वासन शामिल है। बाहरी लोगों, जिन्हें मध्यस्थ कहा जाता है, का नाम विवादग्रस्त सभाओं द्वारा या उनके लाभ के लिए रखा जाता है। मध्यस्थता पक्षकारों की मध्यस्थता समझ की शर्तों के अनुसार की जाती है, जो आम तौर पर पक्षों के बीच एक व्यावसायिक अनुबंध की व्यवस्था में पाई जाती...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 92: आदेश 20 नियम 2 व 3 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 20 निर्णय और डिक्री है। इस आदेश के नियम 2 में कोर्ट के पीठासीन अधिकारी को निर्णय सुनाने की शक्ति दी गई है अर्थात जो भी न्यायालय का तत्कालीन न्यायाधीश होगा उसके द्वारा निर्णय सुनाया जा सकता है एवं नियम 3 में निर्णय पर हस्ताक्षर किए जाने के प्रावधान हैं। इस आलेख के अंतर्गत इन दोनों ही नियमों पर संयुक्त रूप से टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-2 न्यायाधीश के पूर्ववर्ती द्वारा लिखे गये निर्णय को सुनाने की शक्ति- [न्यायाधीश ऐसे निर्णय को...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 91: आदेश 20 नियम 1 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 20 निर्णय और डिक्री है। किसी भी सिविल वाद का निपटारा निर्णय पर हो जाता है, किसी भी प्राथमिक अदालत में लाया गया वाद निर्णय पर आकर समाप्त हो जाता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि निर्णय हो जाने पर ही सिविल कार्यवाही का अंत हो जाता है। इसके पश्चात भी अपील,पुनरीक्षण, पुनर्विलोकन जैसे मार्ग है एवं डिक्री का निष्पादन भी अगली कड़ी है लेकिन यह कहा जा सकता है कि सिविल वाद का न होकर भी अंत निर्णय पर हो जाता है। निर्णय के साथ ही न्यायालय अपनी अंतिम...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 90: आदेश 19 नियम 3 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 19 शपथपत्र से संबंधित है। शपथपत्र का उदगम सीपीसी के इस ही आदेश के अंतर्गत हुआ है, यही आदेश शपथपत्र की जननी है। इस आलेख के अंतर्गत आदेश 19 के नियम 3 पर प्रकाश डाला जा रहा है।नियम-3 वे विषय जिन तक शपथपत्र सीमित होंगे- (1) शपथपत्र ऐसे तथ्यों तक ही सीमित होंगे जिनको अभिसाक्षी अपने निजी ज्ञान से साबित करने में समर्थ है, किन्तु अन्तर्वर्ती आवेदनों के शपथपत्रों में उसके विश्वास पर आधारित कथन ग्राह्य हो सकेंगे:परन्तु यह तब जब कि उनके लिए...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 89: आदेश 19 नियम 2 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 19 शपथपत्र से संबंधित है। शपथपत्र का उदगम सीपीसी के इस ही आदेश के अंतर्गत हुआ है, यही आदेश शपथपत्र की जननी है। इस आलेख के अंतर्गत आदेश 19 के नियम 2 पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।नियम-2 अभिसाक्षी की प्रतिपरीक्षा के लिए हाजिरी कराने का आदेश देने की शक्ति(1) किसी भी आवेदन पर साक्ष्य शपथपत्र द्वारा दिया जा सकेगा, किन्तु न्यायालय दोनों पक्षकारों में से किसी की भी प्रेरणा पर अभिसाक्षी को आदेश दे सकेगा कि वह प्रतिपरीक्षा के लिए हाजिर...
Appointment of Arbitrators: 2015 और 2019 के संशोधन के बाद आर्बिट्रेशन एंड कन्सीलिएशन एक्ट की धारा 11 के तहत मध्यस्थों की नियुक्ति
आर्बिट्रेशन एंड कन्सीलिएशन एक्ट, 1996 की धारा 11 मध्यस्थों (Arbitrators) की नियुक्ति से संबंधित है। किसी भी राष्ट्रीयता के व्यक्ति को मध्यस्थ नियुक्त किया जा सकता है, जब तक कि पक्षकारों द्वारा विपरीत इरादा व्यक्त नहीं किया जाता। यह कार्रवाई के विभिन्न पाठ्यक्रमों का प्रावधान करता है, जो विवाद के पक्षकार मध्यस्थों को नियुक्त करने के लिए ले सकते हैं।एक्ट की धारा 11 पक्षकारों को नियुक्ति के लिए प्रक्रिया पर सहमत होकर स्वयं मध्यस्थ चुनने की अनुमति देती है। यदि पक्षकार स्वयं माध्यस्थकों की नियुक्ति...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 88: आदेश 19 नियम 19 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 19 शपथपत्र से संबंधित है। शपथपत्र काफी चर्चित शब्द है एवं अनेकों मामलों में काम आता है। शपथपत्र का उदगम सीपीसी के इस ही आदेश के अंतर्गत हुआ है, यही आदेश शपथपत्र की जननी है। आपराधिक विधि में भी शपथपत्र का कहीं भी उल्लेख नहीं मिलता है, सीपीसी एक सिविल प्रक्रिया कानून है जो शपथपत्र के नियमों को स्पष्ट करती है। इस आदेश के अंतर्गत शपथपत्र की कोई परिभाषा तो नहीं दी गई है किंतु यह स्पष्ट किया गया है कि किसी भी वाद में शपथपत्र का क्या महत्व...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 87: आदेश 18 नियम 18 व 19 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 18 वाद की सुनवाई और साक्षियों की परीक्षा है। इस आलेख के अंतर्गत आदेश 18 के नियम 18 एवं 19 पर विवेचना प्रस्तुत की जा रही है।नियम-18 निरीक्षण करने की न्यायालय की शक्ति-यायालय ऐसी किसी भी सम्पत्ति या वस्तु का निरीक्षण वाद के किसी भी प्रक्रम में कर सकेगा जिसके सम्बन्ध में कोई प्रश्न पैदा हो। और जहाँ न्यायालय किसी सम्पति या वस्तु का निरीक्षण करता है वहाँ वह यथासाध्य शीघ्र, ऐसे निरीक्षण में देखे गए किन्हीं सुसंगत तथ्यों का ज्ञापन बनाएगा और...
Arbitration का अर्थ और Mediation के साथ इसका अंतर
आर्बिट्रेशन, जिसे माध्यस्थम (Arbitration) भी कहा जाता है, एक सिद्धांत है, जिसके तहत विवाद को अदालत के चक्कर काटे बिना सुलझाया जा सकता है। भारत में 'ऑल्टरनेटिव डिस्प्यूट रिड्रेसल' (ADR) का एक प्रकार 'आर्बिट्रेशन' या 'माध्यम' है। आर्बिट्रेशन में विवाद में फंसे दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से एक मध्यस्थ (आर्बिट्रेटर) चुना है. जो उस विवाद को सुलझाता है।मध्यस्थता अदालत के बाहर वाणिज्यिक विवादों (commercial disputes) को हल करने की एक विधि है ताकि उन पर मामले का बोझ कम किया जा सके। किसी विवाद को किसी...
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आदेश भाग 86: आदेश 18 नियम 17 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश 18 वाद की सुनवाई और साक्षियों की परीक्षा है। इस आलेख के अंतर्गत आदेश 18 के नियम 17 पर विवेचना प्रस्तुत की जा रही है।नियम-17 न्यायालय साक्षी को पुनः बुला सकेगा और उसकी परीक्षा कर सकेगा-न्यायालय वाद के किसी भी प्रक्रम में ऐसे किसी भी साक्षी को पुन: बुला सकेगा जिसकी परीक्षा की जा चुकी है और (तत्समय प्रवृत्त साक्ष्य की विधि के अधीन रहते हुए) उससे ऐसे प्रश्न पूछ सकेगा जो न्यायालय ठीक समझे।यह नियम न्यायालय को किसी साक्षी को दोबारा बुलाने...