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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भाग:13 राष्ट्रीय आयोग के आदेश के विरुद्ध अपील
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (The Consumer Protection Act, 2019) की धारा 67 राष्ट्र आयोग के दिए गए आदेश के विरुद्ध अपील के संबंध में प्रावधान करती है। यह अधिनियम राष्ट्र आयोग के आदेश को भी अंतिम नहीं मानता है तथा उसके आदेश के विरुद्ध भी अपील का अधिकार देता है। इस आलेख के अंतर्गत धारा 67 से संबंधित प्रावधानों पर चर्चा की जा रही है।यह अधिनियम में प्रस्तुत की गई धारा का मूल स्वरूप है:-धारा- 67राष्ट्रीय आयोग के आदेश के विरुद्ध अपील-धारा 58 की उपधारा (1) के खंड (क) के उपखंड (i) या (ii) द्वारा...
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भाग:12 राष्ट्रीय आयोग की अधिकारिकता संबंधित कानून
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (The Consumer Protection Act, 2019) की धारा 58 राष्ट्रीय आयोग की अधिकारिता के संबंध में प्रावधान करती है। इस अधिनियम के अंतर्गत त्रिस्तरीय आयोग बनाए गए हैं जिला आयोग, राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग। इससे पूर्व के आलेख में जिला आयोग और राज्य आयोग के संबंध में विस्तार पूर्वक चर्चा की जा चुकी है। इस आलेख के अंतर्गत राष्ट्र आयोग की अधिकारिता के संबंध में चर्चा की जा रही है और उससे संबंधित न्याय निर्णय प्रस्तुत किए जा रहे है।यह अधिनियम में प्रस्तुत की गई धारा का मूल रूप...
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भाग:11 राष्ट्रीय आयोग को अपील संबंधित कानून
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (The Consumer Protection Act, 2019) की धारा 51 इस अधिनियम के महत्वपूर्ण धाराओं में से एक धारा है। इस धारा के अंतर्गत राष्ट्रीय आयोग को अपील के संबंध में प्रावधान किए गए। जैसा की विधित है इस अधिनियम के अंतर्गत तीन स्तरों पर आयोग बनाए गए हैं तथा तीनों ही आयोगों को अपनी अपनी अधिकारिता दी गई है। एक आयोग से किसी मुकदमे में निर्णय के बाद उसके ऊपर के आयोग में अपील की व्यवस्था दी गई है। राज्य आयोग के निर्णय किए गए मामले में राष्ट्रीय आयोग द्वारा अपील को सुना जाता है। इस...
शादी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया क्या है
भारत में शादियां अनेक तरह से होती है जिसमें हिंदू विवाह मुस्लिम विवाह ईसाई विवाह और स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कोर्ट मैरिज।यह ध्यान देना चाहिए कि कोर्ट मैरिज सिर्फ स्पेशल मैरिज एक्ट, 1955 के तहत होती है किसी नोटरी पर कोर्ट मैरिज नहीं होती है और इस आलेख में भी कोर्ट मैरिज के बारे में प्रक्रिया नहीं बताई जा रही है बल्कि किसी भी शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए प्रक्रिया बताई जा रही है।अब शादी कोई भी हो उसका रजिस्ट्रेशन भारत की बहुत सारी स्टेट में अनिवार्य कर दिया गया है। कुछ स्टेट के अंदर यह रजिस्ट्रेशन...
क्या करें जब कोई झूठी एफआईआर दर्ज करवा दें
कानून समाज की सुरक्षा हेतु बनाया गया है परंतु समाज में सभी लोगों को भिन्न-भिन्न पद और प्रतिष्ठा मिली हुई है। भारत का कानून अत्यंत विषाद है और व्यवस्था में भ्रष्टाचार दीमक की तरह लगा हुआ है।कभी-कभी यह स्थिति होती है कि किसी व्यक्ति द्वारा किसी निर्दोष व्यक्ति पर किसी अपराध का झूठा आरोप लगाया जाता है। भारत के कानून ने ऐसे झूठे आरोप पर एफआईआर नहीं किए जाने के निर्देश पुलिस अधिकारियों को दिए हैं।पुलिस अधिकारी एक निष्पक्ष व्यक्ति होता है जो अत्यंत तटस्थ है, उसका झुकाव न शिकायतकर्ता की तरफ होता है और...
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भाग:10 राज्य आयोग की अधिकारिकता
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (The Consumer Protection Act, 2019) की धारा 47 के अंतर्गत राज्य आयोग की अधिकारिता के संबंध में प्रावधान किए गए हैं। जैसा की विदित है इस अधिनियम के अंतर्गत त्रिस्तरीय आयोग बनाए गए हैं। जिला आयोग, राज्य आयोग तथा राष्ट्रीय आयोग। जिला आयोग प्राथमिक स्तर पर किसी प्रकरण को सुनने की अधिकारिता रखता है उससे संबंधित प्रावधानों को इससे पूर्व के आलेखों में उल्लेखित किया जा चुका है। एक करोड़ रुपए के ऊपर से संबंधित मामले तथा जिला आयोग से निर्णित किए गए मामले अपील हेतु राज्य आयोग...
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भाग:9 जिला आयोग के आदेश के विरुद्ध अपील
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (The Consumer Protection Act, 2019) की धारा 41 के अंतर्गत अपील का अधिकार दिया गया है। किसी भी कानूनी प्रक्रिया के लिए केवल एक अदालत के निर्णय से संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता है अपितु उस निर्णय का उससे वरिष्ठ अदालत अवलोकन करती है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत भी कुछ इसी प्रकार से अपील के प्रावधान दिए गए हैं। इस आलेख के अंतर्गत अधिनियम की धारा 41 जो जिला आयोग के आदेश के विरुद्ध अपील का प्रावधान करती है से संबंधित न्याय निर्णय और मूल विधि पर टिप्पणी प्रस्तुत की जा...
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भाग:8 जिला आयोग के निष्कर्ष से संबंधित कानून
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (The Consumer Protection Act, 2019) की धारा 39 जिला आयोग के द्वारा किसी मामले के निष्कर्ष के संबंध में प्रावधानों का उल्लेख करती है। इस धारा से ठीक पूर्व की धारा जिला आयोग में प्रकरणों को संस्थित करने से संबंधित प्रक्रिया का उल्लेख करती है और इस धारा के अंतर्गत जिला आयोग के निष्कर्ष के संबंध में उल्लेख किया गया है। इस आलेख में धारा 39 से संबंधित टीका प्रस्तुत किया जा रहा है।यह अधिनियम में प्रस्तुत की गई धारा का मूल स्वरूप है:-धारा-39जिला आयोग के निष्कर्ष:-(1) जिला...
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भाग: 7 परिवाद को ग्रहण होने पर प्रक्रिया संबंधित कानून
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (The Consumer Protection Act, 2019) की धारा 38 परिवाद के ग्रहण हो जाने पर प्रक्रिया से संबंधित प्रावधानों को उल्लेखित करती है। यह अधिनियम की महत्वपूर्ण धारा इसलिए बन जाती है क्योंकि इस धारा के अंतर्गत प्रक्रिया स्थापित की गई है इस प्रक्रिया के माध्यम से किसी प्रकरण के ग्रहण हो जाने के बाद मुकदमे को चलाया जाता है। इस आलेख के अंतर्गत इस ही धारा 38 पर संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है तथा साथ ही इससे संबंधित न्याय निर्णय का उल्लेख किया जा रहा है।अधिनियम के...
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भाग: 6 वह रीति जिसमे जिला आयोग को परिवाद किया जाता है
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (The Consumer Protection Act, 2019) के अंतर्गत धारा 35 सर्वाधिक महत्वपूर्ण धारा है। यह धारा परिवाद को करने की प्रक्रिया नहीं बताती है अपितु परिवाद के लिए अधिकार को जन्म देती है। धारा 34 के अंतर्गत जिला आयोग को अधिकारिता दी गई है। धारा 35 के अंतर्गत किसी व्यक्ति को परिवाद करने के लिए अधिकार दिया गया है, यू समझा जाए कि धारा 35 एक मूल विधि है जो अधिकार उत्पन्न करती है। इस आलेख के अंतर्गत धारा 35 पर न्याय निर्णय सहित सारगर्भित टिप्पणी प्रस्तुत की जा रही है।यह अधिनियम...
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भाग:5 अधिनियम के अंतर्गत जिला आयोग की अधिकारिकता क्या है
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (The Consumer Protection Act, 2019) की धारा 34 जिला आयोग की अधिकारिकता के संबंध में प्रावधानों को उल्लेखित करती है। इस धारा में जिला आयोग को किन मामलों में अधिकारिता होगी तथा किस प्रकार से होगी इस संबंध में संपूर्ण उल्लेख किया गया है। यह इस अधिनियम की महत्वपूर्ण धाराओं में से एक का धारा है, जैसा कि यह विदित है इस अधिनियम के अंतर्गत जिला आयोग राज्य आयोग तथा राष्ट्र आयोग तक तीन आयोग बनाए गए हैं और तीनों ही आयोग को भिन्न-भिन्न अधिकारिता दी गई। इस आलेख के अंतर्गत जिला...
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भाग:4 अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता कौन है
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (The Consumer Protection Act, 2019) के अंतर्गत परिभाषा खंड में ही हमें उपभोक्ता की परिभाषा मिलती है। अदालतों द्वारा समय-समय पर दिए गए न्याय निर्णय से भी उपभोक्ता की परिभाषा स्पष्ट होती है। इस आलेख के अंतर्गत उपभोक्ता कौन है इस प्रश्न पर चर्चा की जा रही है।"उपभोक्ता" का तात्पर्य उपभोक्ता से ऐसा कोई व्यक्ति अभिप्रेत है जो(1) ऐसे किसी प्रतिफल के लिए जिसका संदाय कर दिया गया है या बचन दिया गया है या भागत संदाय किया गया है और भागत वचन दिया गया है, किसी अस्थगित संदाय...
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भाग:3 अधिनियम की परिभाषा से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (The Consumer Protection Act, 2019) की धारा 2 के अंतर्गत परिभाषा खंड प्रस्तुत किया गया है।इसका परिभाषा खंड अत्यंत विस्तृत है और अनेकों शब्द में इसे परिभाषित किया गया है। बहुत सारे शब्द ऐसे हैं जिन की परिभाषाएं इस धारा में प्रस्तुत की गई है। इस आलेख के अंतर्गत इस परिभाषा खंड से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों को उल्लेखित किया जा रहा है।कौन परिवाद नहीं संस्थित कर सकता है:-एक प्रकरण में परिवादी ने अभिकथन किया कि एक समाचार पत्र के रिपोर्ट के अनुसार कलकत्ता से दिल्ली जाने...
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भाग:2 अधिनियम का परिभाषा खंड
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (The Consumer Protection Act, 2019) की धारा 2 के अंतर्गत परिभाषा खंड प्रस्तुत किया गया है। किसी भी अधिनियम को समझने के लिए उस अधिनियम का परिभाषा खंड आवश्यक होता है क्योंकि अधिनियम में उपयोग किए गए शब्दों का अर्थ इस परिभाषा खंड से ही निकल कर सामने आता है। इस आलेख के अंतर्गत धारा 2 के अधीन परिभाषा से संबंधित कुछ अत्यधिक महत्वपूर्ण शब्द पर टिका प्रस्तुत किया जा रहा है।परिवादी -परिवादी से निम्नलिखित अभिप्रेत है1)- उपभोक्ता अथवा2)- कम्पनी अधिनियम, 1956 अथवा तत्समय...
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 भाग:1 अधिनियम का एक परिचय
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (The Consumer Protection Act, 2019) को बनाए जाने का उद्देश्य ग्राहकों के अधिकारों को सुरक्षित करना है। एक अर्थव्यवस्था में कोई भी व्यक्ति अनेक उत्पाद खरीदता है और अनेक सेवाओं को खरीदता है। एक खरीदने वाले के पास यह अधिकार होना चाहिए कि जिस उत्पाद और सेवा को उसे बेचा गया है उसके संबंध में समस्त अधिकार होना चाहिए। जैसे कि यदि उसे कोई गलत उत्पाद देता गया है तो वह प्रतिकर प्राप्त कर सके, यदि उसे बताई गई इस सेवा के अनुरूप सेवा नहीं दे रही गई है तथा उसने भुगतान कर दिया है...
उत्तराधिकार प्रमाण पत्र क्या होता है
व्यक्ति अपने जीवन में अनेक चल और अचल संपत्ति या खरीदता है। जब कभी व्यक्ति ऐसी संपत्तियों को बगैर वसीयत किए छोड़कर मर जाता है तब उसकी संपत्ति उसके वारिसों में न्यायगत होती है। अचल संपत्ति के संबंध में उत्तराधिकार के वे नियम लागू होते हैं जो पर्सनल लॉ के अंतर्गत दिए गए हैं। चल संपत्ति के अंतर्गत मुख्य रूप से बैंक एफडी, शेयर, डिबेंचर इत्यादि आते हैं।यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु ऐसी स्थिति में होती है कि वह कोई अपना बैंक खाता छोड़कर मर जाता है और अपने खाते का नॉमिनी नहीं बनाता है तब ऐसी स्थिति में...
जानिए स्टे ऑर्डर क्या होता है
स्टे ऑर्डर एक प्रसिद्ध शब्द है जहां कहीं किसी अचल संपत्ति से जुड़े विवाद को लेकर बात होती है वहां स्टे ऑर्डर शब्द भी बातचीत के दौरान इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए कहा गया है कि स्टे ऑर्डर शब्द अत्यंत प्रसिद्ध शब्द है।इस आलेख के अंतर्गत स्टे ऑर्डर क्या होता है और यह किस कानून के अंतर्गत दिया जाता है तथा इस ऑर्डर का पालन कैसे किया जाता है यह सभी जानकारियां प्रस्तुत की जा रही है।स्टे ऑर्डर:-स्टे ऑर्डर एक आम बोलचाल का शब्द है। कानूनी रूप से इसका नाम अस्थाई निषेधाज्ञा या फिर स्थगन आदेश है। यह न्यायालय...
जब संपत्ति पर अवैध कब्ज़ा हो जाए तो क्या हैं कानूनी उपाय?
संपत्ति पर कब्जा उसके मालिक का होना एक कानूनी अधिकार है। किसी भी संपत्ति के मालिक को यह अधिकार प्राप्त है कि उसकी संपत्ति पर कब्जा उसकी इच्छा के विरुद्ध नहीं होना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से उसकी इच्छा के विरुद्ध बेकब्जा नहीं किया जा सकता। आज समाज में दिन प्रतिदिन अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। अभ्यस्त अपराधी चाकू और बंदूकों की नोक पर सीधे सरल सभ्य नागरिको के जमीन मकानों पर कब्ज़ा कर लेते हैं और उन्हें संपत्ति से बेदखल कर देते हैं।अनेक मामले ऐसे भी होते हैं जहां किसी किराएदार को,...
एक गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को कानून ने क्या संरक्षण दिए हैं
किसी भी अपराध में गिरफ्तारी करना उस अपराध से संबंधित अन्वेषण करने के लिए आवश्यक होता है। कुछ अपराध ऐसे हैं जिन्हें जमानती अपराध बनाया गया है उनमे जमानत उपलब्ध हो जाती है। कुछ अपराध ऐसे हैं जो अजमानतीय होते हैं और उनमे जमानत उपलब्ध नहीं होती है। ऐसे अपराधों में व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है। ऐसी गिरफ्तारी एक मजिस्ट्रेट प्राइवेट व्यक्ति और पुलिस द्वारा की जाती है। आमतौर पर यह गिरफ्तारी पुलिस द्वारा ही की जाती है तथा ऐसी गिरफ्तारी में यातनाएं देखी जाना एक आम बात हो चली है। कानून में ऐसे अनेक...
क्यों होते हैं बार बार अपराध और क्या है अभ्यस्त अपराधी
अपराध पर नियंत्रण और अपराधियों के पुनर्वास के लिए दंडशास्त्रियों के लिए लगातार बढ़ती पुनरावृत्ति एक बड़ी समस्या है। अधिकांश सभ्य देशों की जेलें कैदियों से भरी हुई हैं और अदालती कमरे अंडर-ट्रायल से भरे हुए हैं। अपराधियों को बंद कर दिया जाता है, रिहा कर दिया जाता है, फिर से गिरफ्तार किया जाता है और फिर से सजा सुनाई जाती है। उनमें से कई का पता नहीं चल पाता है और उन्हें कभी भी दोषी करार नहीं दिया जाता या सजा नहीं दी जाती है। अपराध से निपटने के लिए जेलों और अन्य सुधारात्मक संस्थानों पर जनता का काफी...