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सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 भाग 23: डिक्री का निष्पादन करने वाली अदालत कौन से प्रश्नों को निर्धारित कर सकती है
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 भाग 23: डिक्री का निष्पादन करने वाली अदालत कौन से प्रश्नों को निर्धारित कर सकती है

सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 (Civil Procedure Code,1908) की धारा 47 और संहिता की धारा 11 एक दूसरे की पूरक हैं क्योंकि दोनों धाराओं का उद्देश्य अनावश्यक मुकदमेंबाजी को रोकना है। इस धारा के माध्यम से डिक्री के निष्पादन से सम्बन्धित प्रश्नों का निपटारा कम समय और खर्चे में किया जा सकेगा अन्यथा अलग वाद के माध्यम से खर्चे में बढ़ोत्तरी और विलम्ब की पूरी संभावना बनी रहती है। दूसरे शब्दों में धारा 47 निष्पादन से सम्बन्धित सभी प्रश्नों का निपटारा करने की व्यवस्था करके न्यायालय को सशक्त बनाकर एक सस्ती,...