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वैवाहिक मामलों में यदि कोर्ट एकपक्षीय आदेश कर दें तब उसे कैसे निरस्त करवाएं
वैवाहिक मामलों में यदि कोर्ट एकपक्षीय आदेश कर दें तब उसे कैसे निरस्त करवाएं

सिविल मुकदमों में एकपक्षीय आदेश जैसी चीज देखने को मिलती है। एकपक्षीय आदेश का मतलब होता है ऐसा आदेश जो केवल किसी एक पक्षकार को सुनकर दिया गया है। ऐसा आदेश डिक्री भी हो सकता है और निर्णय भी हो सकता है। अधिकांश वैवाहिक मामले जो पति पत्नी के विवाद से संबंधित होते हैं जैसे तलाक के मुकदमे, भरण पोषण के मुकदमे और संतानों की अभिरक्षा से संबंधित मामले में न्यायालय द्वारा एकपक्षीय कर दिया जाता है।न्यायालय का यह मानना रहता है कि यदि उसने किसी व्यक्ति को अपने समक्ष उपस्थित होने हेतु बुलाया है और ऐसे बुलावे...

घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 भाग 18: आरोपी द्वारा घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत दिए आदेश को नहीं मानने पर दंड
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 भाग 18: आरोपी द्वारा घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत दिए आदेश को नहीं मानने पर दंड

घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 ( The Protection Of Women From Domestic Violence Act, 2005) की धारा 31 दंड के संबंध में लेख करती है। घरेलू हिंसा अधिनियम सिविल उपचार प्रदान करता है परंतु इस अधिनियम को दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत चलाया जाता है। इस अधिनियम में मजिस्ट्रेट को अलग-अलग तरह के आदेश पारित करने की शक्ति दी गई है। यदि किसी मजिस्ट्रेट द्वारा प्रत्यर्थी जिसमें पीड़ित महिला के घर के कोई भी सदस्य हो सकते हैं, उनके विरुद्ध किसी प्रकार का कोई आदेश पारित किया है और वे उस आदेश...