कानूनी समन और घोषणाओं का पालन न करने के परिणाम: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 208 और 209

Himanshu Mishra

23 Sept 2024 5:53 PM IST

  • कानूनी समन और घोषणाओं का पालन न करने के परिणाम: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 208 और 209

    भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023), जो 1 जुलाई 2024 से लागू हुई, ने भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को प्रतिस्थापित कर दिया। इस नए कानून में विभिन्न कानूनी प्रावधानों को शामिल किया गया है जो न्याय व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए बनाए गए हैं। इसके धारा 208 और धारा 209 यह सुनिश्चित करती हैं कि व्यक्ति कानूनी समन (Summons), नोटिस (Notice), आदेश (Order) या घोषणाओं (Proclamations) का पालन करें। इन प्रावधानों का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने वालों को रोकना और सजा देना है। आइए इन धाराओं को सरल हिंदी में विस्तार से समझते हैं, ताकि आम आदमी इसे आसानी से समझ सके।

    धारा 208: समन या आदेश का पालन न करना (Failure to Appear When Legally Required)

    धारा 208 उन स्थितियों से संबंधित है, जब किसी व्यक्ति को कानूनी रूप से किसी जगह और समय पर उपस्थित होने के लिए कहा गया हो, लेकिन वह जानबूझकर अनुपस्थित रहता है या समय से पहले उस स्थान से चला जाता है। इसका सीधा मतलब यह है कि यदि कोई व्यक्ति समन, नोटिस, या आदेश का पालन करने से बचता है, तो वह इस धारा का उल्लंघन करता है और उसे सजा दी जा सकती है।

    इस धारा के तहत सजा का निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति को सामान्य समन से बुलाया गया है या अदालत के समन का उल्लंघन किया गया है। अदालत में अनुपस्थित रहने की स्थिति में सजा और कड़ी हो सकती है।

    उदाहरण (a): पहले उदाहरण में, A को उच्च न्यायालय (High Court) द्वारा जारी subpoena (समन) का पालन करके अदालत में उपस्थित होना चाहिए। लेकिन अगर A जानबूझकर अनुपस्थित रहता है, तो उसने इस धारा का उल्लंघन किया है।

    सरल भाषा में: मान लीजिए A को उच्च न्यायालय से एक आदेश प्राप्त होता है कि उसे किसी कानूनी मामले में उपस्थित होना है। यदि A जानबूझकर उपस्थित नहीं होता है, तो वह कानून का उल्लंघन करता है। उसे एक महीने की साधारण कैद या पाँच हज़ार रुपए तक का जुर्माना, या दोनों सजा मिल सकती हैं।

    उदाहरण (b): दूसरे उदाहरण में, A को जिला न्यायाधीश (District Judge) द्वारा एक गवाह (Witness) के रूप में अदालत में उपस्थित होने का summons (समन) मिला है। अगर A जानबूझकर अनुपस्थित रहता है, तो वह भी धारा 208 का उल्लंघन करता है।

    सरल शब्दों में: अगर A को जिला न्यायालय द्वारा गवाह के रूप में बुलाया गया है, और वह जानबूझकर उपस्थित नहीं होता, तो उसे छह महीने की साधारण कैद या दस हज़ार रुपए तक का जुर्माना, या दोनों सजा मिल सकती हैं।

    धारा 209: कोर्ट द्वारा जारी घोषणा के बावजूद उपस्थित न होना (Failure to Appear After Proclamation by Court)

    धारा 209 उन स्थितियों के लिए लागू होती है, जब कोई व्यक्ति अदालत द्वारा जारी घोषणा (Proclamation) का पालन करने में विफल रहता है। यह तब होता है जब किसी व्यक्ति के खिलाफ वॉरंट (Warrant) जारी किया गया हो, और वह जानबूझकर छुप रहा हो या फरार हो, ताकि उस पर कानूनी कार्रवाई न हो सके। ऐसे मामलों में, अदालत व्यक्ति को 30 दिनों के भीतर एक निश्चित स्थान और समय पर उपस्थित होने का आदेश देती है। अगर व्यक्ति ऐसा नहीं करता, तो उसे सख्त सजा मिल सकती है।

    यदि व्यक्ति इस आदेश का पालन नहीं करता, तो उसे तीन साल तक की कैद या जुर्माना, या दोनों सजा मिल सकती है। अगर व्यक्ति को घोषित अपराधी (Proclaimed Offender) घोषित किया जाता है, तो सजा सात साल की कैद और जुर्माना तक हो सकती है।

    उदाहरण: मान लीजिए एक व्यक्ति B पुलिस से बचने के लिए छिपा हुआ है और अदालत ने उसके खिलाफ वॉरंट जारी किया है। पुलिस B को नहीं पकड़ पा रही है, तो अदालत B के खिलाफ एक घोषणा जारी करती है, जिसमें उसे 30 दिनों के भीतर उपस्थित होने के लिए कहा जाता है। अगर B ऐसा नहीं करता, तो उसे तीन साल तक की कैद या जुर्माना हो सकता है। अगर B को घोषित अपराधी घोषित कर दिया जाता है, तो उसे सात साल की कैद और जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।

    कानूनी आदेशों का पालन क्यों आवश्यक है (Importance of Obeying Legal Summons and Proclamations)

    धारा 208 और 209 का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग न्यायिक और कानूनी आदेशों का सम्मान करें। जब किसी सार्वजनिक सेवक (Public Servant) द्वारा समन, नोटिस या आदेश जारी किया जाता है, तो उसे नजरअंदाज करना या उसका पालन न करना एक गंभीर अपराध है।

    उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति अदालत के समन को नजरअंदाज करता है और उपस्थित नहीं होता, तो इससे न्यायिक प्रक्रिया में देरी होती है और अन्य पक्षों के लिए समस्याएं खड़ी होती हैं। यह न्याय में बाधा डाल सकता है और प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलने से रोक सकता है।

    धारा 208 और 209 के तहत अलग-अलग स्तरों पर सजा का प्रावधान किया गया है, ताकि न्यायिक व्यवस्था को बनाए रखा जा सके। खासकर अदालत के समन का उल्लंघन करने पर कड़ी सजा निर्धारित की गई है, क्योंकि यह न्याय प्रणाली के प्रभावी संचालन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

    भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 208 और 209 कानूनी आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए महत्वपूर्ण प्रावधान हैं। इन प्रावधानों के तहत, अगर कोई व्यक्ति समन, नोटिस या घोषणा का पालन नहीं करता, तो उसे गंभीर दंड दिया जा सकता है।

    ये कानून यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी व्यक्ति कानूनी आदेशों से बचने की कोशिश न करे और न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित न करे। इन धाराओं के तहत लगाए गए दंड यह सुनिश्चित करते हैं कि न्यायिक व्यवस्था का सम्मान हो और लोग अपने कानूनी दायित्वों से भागने की कोशिश न करें।

    Next Story