COVID-19: कोरोना-संक्रमित शवों को दफनाना उचित है या जलाना, जानिए क्या कहते हैं दिशानिर्देश?

SPARSH UPADHYAY

5 May 2020 9:01 AM GMT

  • COVID-19: कोरोना-संक्रमित शवों को दफनाना उचित है या जलाना, जानिए क्या कहते हैं दिशानिर्देश?

    अभी हाल ही में, मुंबई निवासी प्रदीप गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बॉम्बे हाईकोर्ट के 27 अप्रैल के एक अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी। इस याचिका में मुंबई के बांद्रा वेस्ट में बने कब्रिस्तान में COVID-19 के संक्रमण से मृत हुए लोगों के शवों को दफनाने पर रोक का अनुरोध किया गया था।

    गौरतलब है कि इससे पहले, बॉम्बे हाईकोर्ट ने बांद्रा पश्चिम स्थित तीन कब्रिस्तानों में कोरोना से मरने वाले लोगों को दफनाए जाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसी अंतरिम आदेश को उच्चतम न्यायालय में प्रदीप गांधी द्वारा चुनौती दी गयी थी।

    प्रदीप गांधी ने अपनी याचिका में यह आशंका जताई है कि कोरोना से मरने वाले लोगों को दफनाने से आसपास के इलाकों में वायरस का संक्रमण फैलने का खतरा है क्योंकि इनके आसपास घनी आबादी है, और वहां करीब तीन लाख लोग रहते हैं, इसलिए इन लोगों को कहीं और दफनाया जाए, जहां आबादी कम हो।

    अपने आदेश में, जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने सोमवार (04-05-2020) को इस मामले को बॉम्बे हाईकोर्ट के पास भेजा और कहा है कि हाईकोर्ट 2 सप्ताह के भीतर मामले का निपटारा करे। पीठ ने कहा कि चूंकि बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला अंतरिम था, इसलिए ये उचित होगा कि हाईकोर्ट ही इस मामले की सुनवाई करे।

    समाज में छिड़ी है एक बहस

    तमाम ऐसे मामले हाल के दौर में प्रकाश में आ रहे हैं, जिनके बारे में जानकार यह साफ़ होता है कि हमे कोरोना नामक महामारी से जूझते हुए कुछ ऐसे मसलों से भी जूझना पड़ रहा है, जो हमारे समाज में एक अलग प्रकार के भय एवं चिंता को जन्म दे रहे हैं।

    जब से भारत में कोरोना वायरस के चलते लोगों की मृत्यु हो रही, तब से इस बात पर गंभीर बहस छिड़ी हुई है कि आखिर कोरोना संक्रमण से मृत लोगों के शवों का क्या किया जाए?

    अक्सर सवाल यह उठता है कि क्या ऐसे शवों को जलाया जाए, दफनाया जाए, या इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम या गैस शवदाह चैंबर के हवाले किया जाए। इस पर बहस हर जगह इसलिए भी छिड़ी हुई है क्योंकि लोगों में इस जानलेवा बीमारी को लेकर डर व्याप्त है और लोगों में जागरूकता की भी कमी है।

    हालाँकि, मामला तब गंभीर हो जाता है, जहाँ ऐसे डर के कारण लोग उग्र होकर हिंसक हो जाते हैं और मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार में खलल डालने लगते हैं। इससे न केवल सामाजिक/लोक व्यवस्था बिगडती है बल्कि मृत व्यक्ति के साथ भी अन्याय होता है।

    इसलिए, इस लेख के माध्यम से हम कोरोना संक्रमण से मृत लोगों के शवों को लेकर कुछ आम संशय को दूर कर देना चाहते हैं। मौजूदा लेख में हम यह बात करेंगे कि आखिर 'डेड बॉडी मैनेजमेंट' (शव प्रबंधन) को लेकर भारत सरकार एवं WHO (World Health Organization/ विश्व स्वास्थ्य संगठन) के दिशानिर्देश क्या कहते हैं और क्या शवों को दफनाया जाना चाहिए या जलाया जाना चाहिए। तो चलिए इस लेख की शुरुआत करते हैं।

    कोरोना संक्रमित शवों को दफ़नाने/जलाने का विरोध करने वाली कुछ घटनाएँ

    चेन्नई का मामला: बीते अप्रैल में एक मीडिया चैनल "पुथिया थालेमई" ने एक समाचार प्रसारित किया था, जिसमें यह दिखाया गया था कि एक डॉक्टर, जिसे पहले से ही स्वास्थ्य समस्याएं थीं, को COVID-19 संक्रमण के कारण पैदा हुई जटिलताओं के कारण दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई।

    इसके पश्च्यात, डॉक्टर के शव को चेन्नई के किल्पौक स्थित एक ईसाई कब्रिस्तान में ले जाया गया, जहां बड़ी संख्या में क्षेत्र के निवासी इकट्ठे हो गए और उन लोगों ने शव को दफनाने का विरोध किया।

    इसके परिणामस्वरूप, शव को वेलंगड़ु ले जाया गया और दफनाया गया। जिस एम्बुलेंस में शव ले जाया गया, उस पर भी हमला किया गया। शव ले जा रहे व्यक्तियों पर भी हमला किया गया। उन्हें एक समय तो एम्बुलेंस में शव को छोड़ कर अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा, फिर वो रात में लौटे और उन्होंने किसी तरह डॉक्टर के शव को दफनाया।

    इस मामले पर हाईकोर्ट की ‌डिविजन बेंच ने टीवी पर प्रसारित समाचार पर स्वतः संज्ञान लिया और मामले को सुनते हुए कहा कि न्यायालय की राय में अनुच्छेद 21 के दायरे और विस्तार में दफनाने का अधिकार शामिल है।

    मेघालय (शिलॉन्ग) का मामला: मेघालय में कोरोनो वायरस से 69 वर्षीय चिकित्सक डॉ. सेलो का बीते 15 अप्रैल को निधन हो गया। मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में झालुपारा के निवासियों ने शव का दाह संस्कार करने से रोक दिया। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि उन्हें डर था कि कोरोनावायरस शव से फैल जाएगा।

    इसके पश्च्यात, मेघालय हाईकोर्ट ने डॉक्टर सेलो के अंतिम संस्कार में बाधा ड़ालने के मामले को गंभीरता से लिया। कोर्ट ने कहा था कि 15 अप्रैल को हुई इस घटना ने ''हर उचित सोच वाले व्यक्ति की अंतरात्मा को झकझोर दिया है।''

    हरियाणा (अम्बाला) का मामला: पुलिस के अनुसार, बीते 27 अप्रैल को लोगों के एक समूह ने अंबाला में हरियाणा के चांदपुर गांव में एक बुजुर्ग महिला के शव को जलाने का विरोध किया और कहा कि उन्हें संदेह है कि उसकी मौत COVID-19 से हुई और दाह संस्कार करने से बीमारी फैलने की आशंका थी।

    पुलिस ने यह कहा कि नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर, जो श्मशान स्थल पर मौजूद थे, स्थानीय लोगों द्वारा पथराव किया गया। इसके पश्च्यात, भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस बल का इस्तेमाल किया गया (सोर्स – The Hindu)।

    मुंबई का मामला: बीते 1 अप्रैल को, एक मुस्लिम व्यक्ति, जिसकी मृत्यु COVID -19 से संक्रमित होने के चलते हो गयी थी, उसे मुंबई में दफनाने के लिए जगह नहीं मिली। जिसके पश्च्यात, स्थानीय प्रशासन को उसके शव को निकटतम हिंदू कब्रिस्तान मैदान में ले जाना पड़ा, जहां उचित सम्मान के साथ उसका अंतिम संस्कार किया गया (सोर्स – Indian Express)।

    अब यह सब मामले इसलिए व्यथित भी करने वाले हैं, क्योंकि भारत सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देश (जिन्हें हम अभी जानेंगे) में कहीं भी कोरोना संक्रमित शवों को दफ़नाने या जलाने पर रोक नहीं लगायी गयी है।

    आखिर कोरोना संक्रमित शव के साथ क्या किया जाना चाहिए?

    स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने 15 मार्च, 2020 को 'COVID-19 से संबंधित 'सामा‌जिक कलंकों' और 'शव प्रबंधन' के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं। लोगों को उक्त दिशा-निर्देशों की जानकारी होनी चाहिए और उनका पालन करना चाहिए।

    यह दिशा-निर्देश निम्नलिखित हैं,

    * श्मशान / दफन ग्राउंड स्टाफ को संवेदनशील होना चाहिए कि COVID-19 अतिरिक्त जोखिम पैदा नहीं करता है।

    * कर्मचारी, हाथ की स्वच्छता, मास्क और दस्ताने के उपयोग की मानक सावधानी बरतेंगे।

    * मृत शरीर जिस बैग में है, उसके छोर को खोलकर (मानक सावधानियों का उपयोग करके कर्मचारियों द्वारा) शव को देखने की अनुमति दी जा सकती है, जिससे रिश्तेदारों को एक अंतिम बार मृत व्यक्ति को देखने का अवसर मिले।

    * धार्मिक अनुष्ठानों जैसे धार्मिक ग्रंथों से पढ़ना, पवित्र जल छिड़कना और शरीर के स्पर्श की आवश्यकता नहीं रखने वाले किसी भी प्रकार के अंतिम संस्कार की अनुमति दी जा सकती है। मृत शरीर को स्नान कराना, उसका चुंबन, उसे गले लगाना आदि की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

    * अंतिम संस्कार / दफन स्टाफ और परिवार के सदस्यों को दाह संस्कार / दफन के बाद हाथ की सफाई करनी चाहिए।

    * राख (मृत शरीर को जलाने से उत्पन्न) से कोई जोखिम नहीं है और उसे बाद में अंतिम संस्कार करने के लिए एकत्र किया जा सकता है।

    * श्मशान / दफन भूमि पर बड़ी सभा को टाला जाना चाहिए (एक सामाजिक दूरी को बनाए रखने के लिए)।

    अब यहाँ, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उपर्युक्त 7 बिंदुओं (जोकि दिशानिर्देशों का हिस्सा हैं) में से कोई भी बिंदु, COVID -19 पीड़ितों के शवों को जलाने या दफनाने से रोकता नहीं है।

    इसके अलावा, यहां तक कि COVID -19 पीड़ितों के परिवार के सदस्यों को भी अपने परिजनों के अंतिम संस्कार (अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार) में शामिल होने पर कोई रोक नहीं है।

    हालांकि, कई राज्यों ने उन लोगों की संख्या को सीमित कर दिया है जो दफन/दाह संस्कार स्थल पर उपस्थित हो सकते हैं, जहाँ व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इसके अलावा भी अन्य नियम राज्य सरकारों/नगर निगमों द्वारा बनाये जा सकते हैं।

    उदाहरण के लिए, मुंबई नगर निगम ने अपने दिशा निर्देश में कहा है कि जिन कोरोना संक्रमित शवों को परिवार के सदस्य दफनाने की आवश्यकता पर जोर देते हैं, तो वहां कोई बड़ा कब्रिस्तान/दफ़न स्थल उपलब्ध होने पर ऐसा किया जा सकता है। शव को एक गहरी कब्र में दफनाया जाना चाहिए।

    इसके अलावा, परिजनों और परिवार के अन्य सदस्यों को यह सुनिश्चित करना होगा की आवश्यक सावधानियां (जिससे वायरस के प्रसार/प्रसार की शून्य संभावना रहे) बरती जायें। दफन कार्यवाही/प्रथाओं को पुलिस की मौजूदगी में अंजाम दिया जाना भी नगर निगम के दिशानिर्देशों में शामिल है।

    कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें

    इसके अलावा, 24 मार्च 2020 को, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना संक्रमित शवों के प्रबंधन से सम्बंधित दिशा-निर्देशों वाले एक दस्तावेज़ को सार्वजनिक किया था। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि COVID -19 से मरने वाले लोगों को या तो दफनाया जा सकता है, या उनको जलाया जा सकता है।

    इस दस्तावेज में यह भी उल्लेख किया गया है कि एक COVID -19 पीड़ित का शरीर "आम तौर पर संक्रामक नहीं होता है"। यह दस्तावेज स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 15 March, 2020 को 'COVID-19 से संबंधित 'शव प्रबंधन' के संबंध में जारी दिशानिर्देश जैसा ही है।

    इसके अलावा एम्स, नई दिल्ली के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख सुधीर गुप्ता ने भी न्यूज एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया से कहा है कि, "किसी ऐसे व्यक्ति का अंतिम संस्कार, जो कोरोनोवायरस के कारण मर गया हो, किसी भी तरीके से किया जा सकता है – जलाकर या बिजली, गैस गृह ले जाकर या दफना कर, और इसमें कुछ भी खतरा नहीं।"

    अंत में, यह जरुरी है कि हम कोरोना संक्रमण से मृत व्यक्ति के शव को उचित सम्मान दें और सरकार के दिशानिर्देशों के अनुपालन में खलल न डालें। किसी व्यक्ति की मृत्यु के साथ उसके परिवार वालों एवं अन्य निकट सम्बन्धी जनों की भावनाएं, दुःख और संवेदनाएं जुडी होती है, जिसका हम सब को ख्याल रखना चाहिए। हमे किसी प्रकार के भ्रम, डर या अफवाह पर ध्यान दिए बिना अपने आस पास घटने वाली ऐसी घटनाओं का विरोध भी करना चाहिए।

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