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घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 भाग 8: महिला का साझी गृहस्थी में रहने का अधिकार
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 ( The Protection Of Women From Domestic Violence Act, 2005) की धारा 17 एक महिला को साझी गृहस्थी में रहने का अधिकार देती है। घरेलू हिंसा अधिनियम महिलाओं को अनेक सिविल अधिकार देता है, इस की धारा 12 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट को आवेदन किया जा सकता है और उससे जिन अधिकारों की मांग की जा सकती है उन अधिकारों में एक अधिकार साझी गृहस्थी का निवास अधिकार भी है। इस आलेख के अंतर्गत धारा 17 पर विवेचना प्रस्तुत की जा रही है।यह अधिनियम में प्रस्तुत मूल धारा के शब्द...
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 भाग 7: पीड़ित द्वारा मजिस्ट्रेट को परिवाद
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 ( The Protection Of Women From Domestic Violence Act, 2005) की धारा 12 पीड़ित महिला को और उसके साथ अन्य लोगों को मजिस्ट्रेट को परिवाद करने का अधिकार देती है। इससे पूर्व के आलेख में धारा 12 से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों को प्रस्तुत किया गया था। यह धारा अत्यंत विस्तृत धारा है तथा एक ही आलेख में इसका उल्लेख कर पाना संभव नहीं है। इस आलेख के अंतर्गत मजिस्ट्रेट को परिवाद से संबंधित अन्य विवेचना प्रस्तुत की जा रही है।धारा 12 के अधीन आवेदन को प्ररूप-11 में...
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 भाग 6: अधिनियम की धारा 12 से संबंधित महत्वपूर्ण बातें
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 ( The Protection Of Women From Domestic Violence Act, 2005) की धारा 12 घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला को अधिकार प्रदान करती है। जैसा कि अब तक यह बताया गया है कि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम एक सिविल उपचार है लेकिन इसकी प्रक्रिया के संबंध में आवेदन मजिस्ट्रेट को करना होता है। मजिस्ट्रेट क्रिमिनल मामलों से संबंधित है। धारा 12 इस अधिनियम की आधारभूत धारा है जिसके लिए ही इस अधिनियम को गढ़ा गया है। यहां व्यथित महिला और उसके अलावा अन्य लोग...
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 भाग 5: अधिनियम के अंतर्गत घरेलू हिंसा किसे माना गया है
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 ( The Protection Of Women From Domestic Violence Act, 2005) की धारा 3 घरेलू हिंसा को परिभाषित करती है, साथ ही उन तथ्यों का वर्णन करती है जिन तथ्यों पर घरेलू हिंसा का निर्माण होता है। इस अधिनियम का उद्देश्य घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण है, इसलिए इस अधिनियम में यह स्पष्ट करना भी आवश्यक था कि घरेलू हिंसा किसे माना जाएगा।अधिनियम को समझने के उद्देश्य से और अधिनियम के अगले प्रावधानों को समझने के पूर्व घरेलू हिंसा को समझना आवश्यक है। इस आलेख के...
क्या मां बाप बच्चों के बुरे स्वभाव के कारण उन्हें घर से बेदखल कर सकते हैं? जानिए क्या कहता है कानून
अखबारों में किसी संतान को बेदखल करने जैसे विज्ञापन देखने को मिलते हैं जो बाकायदा एक जाहिर सूचना के रूप में अखबारों में छापे जाते हैं। कहीं कहीं यह स्थिति होती है कि बेटे का अपनी पत्नी से विवाद चल रहा है और पत्नी ने उस पर मेंटेनेंस का मुकदमा लगा रखा है तब माता पिता ऐसे बेटे को संपत्ति से बेदखल करने का विज्ञापन अखबार में छपा देते हैं।ऐसा विज्ञापन छपवा कर उन्हें यह लगता है कि उन्होंने संतान को अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया अब बहू उनकी संपत्ति पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं कर पाएगी।दूसरी...
भरण पोषण के मामले में कब जाना पड़ सकता है जेल? जानिए प्रावधान
कानून एक जिम्मेदार व्यक्ति को जिस पर दूसरे लोग आश्रित होते हैं, उनके भरण-पोषण की जिम्मेदारी देता है। जैसे कि एक पति को अपनी पत्नी का भरण पोषण करने की जिम्मेदारी है। एक पिता को अपने बच्चों का भरण पोषण करने की जिम्मेदारी है और इसी तरह बच्चों को अपने बूढ़े माता-पिता का भरण पोषण करने की जिम्मेदारी है। जब उनके द्वारा ऐसी जिम्मेदारी को निभाया नहीं जाता है और अपने आश्रित लोगों को यूं ही छोड़ दिया जाता है। तब कानून आदेश देकर ऐसे आश्रितों को भरण-पोषण दिलवा देता है।भरण पोषण से संबंधित प्रावधान दंड...
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 भाग 4: अधिनियम के कुछ अन्य विशेष शब्दों की परिभाषाएं
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 ( The Protection Of Women From Domestic Violence Act, 2005) की धारा दो के अंतर्गत विशेष शब्दों की परिभाषाएं दी गई हैं। इससे पूर्व के आलेख में इस धारा से संबंधित विवेचना प्रस्तुत की गई थी जहां कुछ शब्दों का उल्लेख किया गया था। धारा 2 में उल्लेखित किए गए शब्दों में शेष शब्द यहां इस आलेख में प्रस्तुत किए जा रहे हैं।"गृहस्थी""गृहस्थी" का निश्चित अर्थ होता है एवं इस प्रकार इसे "घर" शब्द के साथ पारस्परिक परिवर्तनीय रीति से साधारण शाब्दिक अर्थों में...
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 भाग 3: अधिनियम के अंतर्गत परिभाषाएं
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 ( The Protection Of Women From Domestic Violence Act, 2005) में सभी अधिनियमों की तरह धारा 2 में परिभाषा दी गई है। यह परिभाषा अधिनियम के उद्देश्य और उसके अर्थ को समझने के लिए संसद द्वारा दी गई है। इस आलेख के अंतर्गत इस अधिनियम से संबंधित शब्दों की परिभाषा प्रस्तुत की जा रही है और साथ ही उन पर सारगर्भित विवेचना भी प्रस्तुत है।"परिवाद"अजय कांत बनाम श्रीमती अल्का शर्मा, 2008 (2) के मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने यह तर्क ग्रहण किया है कि अधिनियम...
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 भाग 2: अधिनियम का लागू होना
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 ( The Protection Of Women From Domestic Violence Act, 2005) की धारा 1 इसके लागू होने के संबंध में प्रावधान करती है। यह अधिनियम अत्यंत विस्तृत अधिनियम है कम धाराओं में लगभग सभी विषयों को साधने का प्रयास किया गया है धारा 1 के अंतर्गत अधिनियम का लागू होना और इसके नाम के संबंध में उल्लेख मिलता है इस आलेख के अंतर्गत धारा 1 पर विवेचना प्रस्तुत की जा रही हैअधिनियम का प्रारम्भघरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005, 26 अक्टूबर 2006 को प्रवर्तित...
पैतृक संपत्ति क्या होती है? जानिए प्रावधान
संपत्ति को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है। एक संपत्ति स्वयं अर्जित संपत्ति होती है तथा एक संपत्ति पैतृक संपत्ति होती है। स्वयं द्वारा अर्जित संपत्ति उस संपत्ति को कहा जाता है जिसे कोई व्यक्ति स्वयं अर्जित करता है। किसी भी संपत्ति को अर्जित करने के बहुत सारे तरीके हैं, जैसे वसीयत, दान, विक्रय, लॉटरी इत्यादि। इनमें से किसी भी तरीके से अगर कोई व्यक्ति संपत्ति प्राप्त करता है तब यह कहा जाता है कि यह उसकी स्वयं द्वारा अर्जित संपत्ति है।ऐसी संपत्ति के संबंध में कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा के...
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 भाग 1: अधिनियम का परिचय
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 ( The Protection Of Women From Domestic Violence Act, 2005) बेहद महान उद्देश्य से बनाया गया है। भारत की पृष्ठभूमि ऐसी रही है कि एक लंबे समय से यहां महिलाओं के विरुद्ध घरों में हिंसा होती रही है। विशेषकर शादीशुदा महिलाओं के मामले में ऐसी हिंसा अधिक देखने को मिलती है। इन समस्याओं से निपटने के उद्देश्य से ही भारत की संसद ने इस अधिनियम को बनाया है।भारत में घरेलू हिंसा की रोकथाम के लिए विधायन- यह देखने के पश्चात् कि इस देश में घरेलू हिंसा का प्रचलन बढ़...
कौन होते हैं प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी जानिए हिंदू उत्तराधिकार
उत्तराधिकार से संबंधित मामले पर्सनल लॉ से संबंधित है। भारत में सभी समुदाय के लोगों को उनका सेपरेट पर्सनल लॉ दिया गया है। अगर किसी हिंदू पुरुष की मृत्यु हो जाती है, ऐसी मृत्यु बगैर वसीयत किए होती है तब उसकी संपत्ति उत्तराधिकार किन्हें प्राप्त होगी।इसका जवाब हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम,1956 में मिलता है। इस अधिनियम के अंतर्गत चार श्रेणियां बनाई गई है। पहली श्रेणी के उत्तराधिकारी अलग हैं और इसी तरह से दूसरी श्रेणी के उत्तराधिकारी अलग है। तीसरी और चौथी श्रेणी के उत्तराधिकारी भी अलग है। किसी भी हिंदू...
नजूल भूमि किसे कहा जाता है? जानिए प्रावधान
किसी जमीन को खरीदते समय बहुत सारी बातों की जानकारी रखनी होती है। कई मौकों पर देखने को मिलता है कि किसी जमीन पर नजूल भूमि का बोर्ड लगा होता है। नजूल भूमि क्या होती है और क्या नजूल भूमि को खरीदा बेचा जा सकता है। भारत में इससे संबंधित संपूर्ण कानून है।जमीन के मालिकाना हक कई लोगों के पास होते हैं। सरकार के पास भी जमीन होती है, जिस जमीन को शासकीय जमीन कहा जाता है, इन शासकीय जमीनों में एक जमीन नजूल भूमि भी होती है।क्या है नजूल भूमिभारत में किसी समय अंग्रेजों का शासन रहा है। अंग्रेजों के रूल्स भारत में...
निजी रूप से ब्याज पर रुपए उधार देना क्या किसी तरह का अपराध है? जानिए इससे संबंधित कानून
आज के समय में खर्च अधिक और आय कम होने के कारण व्यक्ति को किसी न किसी समय कर्ज लेना पड़ता है। आज अनेक वित्तीय संस्थाएं लोगों को व्यापारिक तौर से कर्ज बांट रही हैं। यह वित्तीय संस्थाएं बैंक या कोई अन्य संस्था होती है, ये ब्याज का धंधा करती हैं, लोगों को कर्ज़ देती हैं और उस पर ब्याज के रूप में कोई राशि लेती हैं, जो उनकी कमाई होती है।इन संस्थाओं को सरकार ने यह व्यापार को करने के लिए लाइसेंस दे रखा है, लेकिन इन संस्थाओं से अलग कुछ लोग निजी रूप से भी छोटे स्तर पर ब्याज पर रुपए उधार देने जैसा काम करते...
कैविएट क्या होता है? जानिए क्या है उससे संबंधित कानून
कोर्ट कचहरी के मामले में आपने केवियट शब्द बार-बार सुना होगा। कोई भी सिविल मामले में केवियट जैसा शब्द आता ही है। आखिर यह कैविएट होता क्या है और कौन से मामलों में केवियट दाखिल किया जाता है।केवियट के संबंध में सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 148(ए) में प्रावधान मिलते हैं। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि कैविएट का संबंध केवल सिविल मामलों से होता है।क्या है कैविएटकैविएट का अर्थ किसी व्यक्ति को सावधान करना होता है। सिविल मामलों में कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं, जहां कोई वादी किसी मुकदमे को...
दहेज प्रकरण (आईपीसी की धारा 498(ए)) में कैसे करें बचाव, जानिए कानून
भारतीय दंड संहिता की धारा 498(ए) एक पत्नी को पति और उसके रिश्तेदारों के विरुद्ध अधिकार देती है। यह धारा किसी भी ऐसी पीड़ित पत्नी को अधिकार देती है जिसे उसके पति और उसके रिश्तेदारों ने किसी भी प्रकार की क्रूरता से पीड़ित किया है। भारत की संसद ने भारतीय दंड संहिता में इस धारा को ससुराल में पीड़ित की जाने वाली महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से जोड़ा है।भारतीय दंड संहिता में इस धारा के शामिल होने के बाद इससे संबंधित मुकदमों में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई है। आए दिन, कहीं न कहीं इस धारा से संबंधित मुकदमे...
दहेज क्या होता है और क्या है इस पर भारत का कानून
शादी के समय पिता की ओर से अपनी बेटी को दिए जाने वाली सामग्री को दहेज माना जाता है। दहेज की व्यवस्था प्राचीन भारत से ही चली आ रही है। भारत ही नहीं बल्कि एशिया के बहुत सारे भाग में दहेज जैसी व्यवस्था चलती रही है। सभी जगह इसका नाम अलग अलग हो सकता है पर यह व्यवस्था सभी समाजों में देखने को मिलती है। किसी समय दहेज का अर्थ इतना विभत्स और क्रूर नहीं था, जितना आज के समय में है। दहेज पिता की ओर से बेटी को दी जाने वाली ऐसी संपत्ति है जिस पर बेटी का अधिकार होता है। वह एक प्रकार से उस लड़की का स्त्रीधन होता...
कुटुंब न्यायालय क्या होता है? जानिए इससे संबंधित प्रक्रिया
भारत में भिन्न भिन्न प्रकार के न्यायालय हैं। उन न्यायालयों में एक न्यायालय कुटुंब न्यायालय भी है। कुटुंब न्यायालय की अवधारणा के पहले सभी सिविल न्यायालय कुटुंब न्यायालय के काम किया करते थे। कुटुंब न्यायालय को सरल शब्दों में पारिवारिक न्यायालय भी कहा जाता है। इसे पारिवारिक न्यायालय इसलिए कहा गया है क्योंकि यह लोगों के घर परिवारों में होने वाले विवादों को निपटाने का काम करते हैं।घर परिवारों में होने वाले विवादों में प्रमुख रूप से पति और पत्नी के बीच होने वाले विवाद होते हैं। इन विवादों के मामले में...
दूसरी पत्नी और उसके बच्चों को क्या कानूनी अधिकार होते हैं जानिए प्रावधान
भारतीय कानून में दूसरे विवाह को प्रतिबंधित करने का प्रयास किया गया है। इस उद्देश्य से ही भारतीय दंड संहिता की धारा 494 में पहली पत्नी के रहते हुए दूसरा विवाह करना दंडनीय अपराध बनाया गया है। इससे यह प्रतीत होता है कि कानून ने एक पत्नी सिद्धांत को अपनाया है, इसके बाद भारत में कुछ प्रथाओं के अंतर्गत दूसरी शादी को मान्यता दी गई है।कानून की मनाही के बाद भी दूसरी शादी के अनेक प्रकरण सामने आते हैं। अब यहां पर एक विवादास्पद स्थिति उत्पन्न हो जाती है की दूसरी शादी जिस महिला से की गई है उस महिला के अधिकार...
कोई पुलिस केस किसी सरकारी नौकरी के मामले में क्या प्रभाव डालता है? जानिए प्रावधान
एक सरकारी सेवक पुलिस केस के नाम से अत्यधिक भयभीत रहता है। ऐसा माना जाता है कि कोई भी पुलिस केस होने पर किसी सरकारी सेवक को उसकी सेवा से हटा दिया जाता है या फिर सरकारी सेवा की तैयारी करने वाले व्यक्ति को पुलिस वेरिफिकेशन में किसी भी प्रकार का कोई पुलिस केस मिलने पर सरकारी नौकरी नहीं दी जाती है।भारत में इससे संबंधित मामले में उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर आते रहे हैं। अलग-अलग मामलों में बहुत सारी रूलिंग उच्चतम न्यायालय ने दी है, उन सभी बातों से निकलकर कुछ बातें ऐसी व्यवहार में सामने आती है,...
















