हाईकोर्ट

अगर इतना काम है तो ब्रीफ स्वीकार न करें:  हाईकोर्ट  ने सुनवाई में गैरहाज़िरी पर सरकारी वकील को KDA पैनल से हटाने का दिया आदेश
अगर इतना काम है तो ब्रीफ स्वीकार न करें: हाईकोर्ट ने सुनवाई में गैरहाज़िरी पर सरकारी वकील को KDA पैनल से हटाने का दिया आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर विकास प्राधिकरण (KDA) के एक पैनल वकील को कोर्ट में उपस्थित न होने और मामले को अपने जूनियर को सौंपने के कारण पैनल से हटाने का निर्देश दिया।जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की एकलपीठ राजस्व मामले की सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने पाया कि संबंधित वकील ने प्रतिवादी नंबर 1 से 3 की ओर से नोटिस स्वीकार किया था लेकिन सुनवाई के दौरान स्वयं उपस्थित नहीं हुए और उनकी जगह उनका जूनियर वकील कोर्ट में मौजूद था।इस पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की,"वे कोर्ट में उपस्थित नहीं हैं और उनके...

इंडियन लॉ एजुकेशन में इंटर्नशिप: वास्तविक शिक्षा या रिज्यूम की कसौटी?
इंडियन लॉ एजुकेशन में इंटर्नशिप: वास्तविक शिक्षा या रिज्यूम की कसौटी?

भारत में, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने कानून की डिग्री प्राप्त करने के लिए इंटर्नशिप का अनिवार्य प्रावधान किया है। अनिवार्य इंटर्नशिप शुरू करने का मुख्य उद्देश्य विधि छात्रों को अदालतों, गैर-सरकारी संगठनों, लॉ फर्मों और विधि अभ्यास के विभिन्न पहलुओं में फील्डवर्क का अनुभव प्रदान करना है, जिससे छात्रों को अपना करियर चुनने और कक्षा के बाहर अपने ज्ञान को बढ़ाने और उसे वास्तविक दुनिया के व्यावहारिक ज्ञान में लाने में मदद मिलती है। लेकिन आजकल, यह सवाल उठता है- क्या इंटर्नशिप वास्तव में कानूनी...

NDPS Act | इस धारणा पर कि बल्ड सैंपल में हेरोइन की मौजूदगी हो सकती है, किसी व्यक्ति को हिरासत में रखना उचित नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ज़मानत दी
NDPS Act | इस धारणा पर कि बल्ड सैंपल में हेरोइन की मौजूदगी हो सकती है, किसी व्यक्ति को हिरासत में रखना उचित नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ज़मानत दी

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को केवल इस धारणा पर हिरासत में नहीं रखा जा सकता कि फोरेंसिक साइंस लैब में भेजे गए ब्लड सैंपल में हेरोइन के अंश पाए जा सकते हैं या कोई आपत्तिजनक पदार्थ पाया जा सकता है।राज्य सरकार के इस तर्क को खारिज करते हुए कि पुलिस द्वारा फोरेंसिक लैब में भेजे गए ब्लड सैंपल में हेरोइन की मौजूदगी का संकेत मिलने की संभावना है, जस्टिस राकेश कैंथला ने टिप्पणी की,"किसी व्यक्ति को इस धारणा के आधार पर हिरासत में नहीं रखा जा सकता कि उसके खिलाफ कोई आपत्तिजनक पदार्थ पाया...

गद्दा एक बुनियादी ज़रूरत: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी हॉस्टल में बिस्तर की अपर्याप्त व्यवस्था पर चिंता जताई, स्टेटस रिपोर्ट मांगी
गद्दा एक बुनियादी ज़रूरत: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी हॉस्टल में बिस्तर की अपर्याप्त व्यवस्था पर चिंता जताई, स्टेटस रिपोर्ट मांगी

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स को उपलब्ध कराए गए बिस्तर की अनुचित स्थिति पर निराशा व्यक्त की, जहां उन्हें गद्दे की बजाय धारी पर सोने के लिए मजबूर किया जाता है।यह देखते हुए कि बच्चों को बिना गद्दे के सोने देना राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है, चीफ जस्टिस धीरज सिंह ठाकुर और जस्टिस रवि चीमालापति की खंडपीठ ने टिप्पणी की,"दिशानिर्देशों के अनुसार, बच्चे के प्रवेश के समय एक गद्दा और उसके बाद हर साल एक गद्दा उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। यह...

तलाक की कार्यवाही में पत्नी द्वारा पति पर नपुंसकता का आरोप लगाना मानहानि नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट
तलाक की कार्यवाही में पत्नी द्वारा पति पर नपुंसकता का आरोप लगाना मानहानि नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महिला, उसके भाई और पिता के खिलाफ मानहानि का मामला खारिज करते हुए कहा कि तलाक की याचिका या FIR में पत्नी द्वारा अपने पति को 'नपुंसक' बताना मानहानि नहीं माना जाएगा।जस्टिस श्रीराम मोदक की एकल पीठ ने कहा कि पत्नी द्वारा यह आरोप लगाना कि उसका पति नपुंसक है और इससे उसे मानसिक क्रूरता हुई है, उचित है।जज ने 17 जुलाई को पारित आदेश में कहा,"हिंदू विवाह याचिका में नपुंसकता के आरोप अत्यंत प्रासंगिक हैं। अर्थात्, जब पत्नी यह आरोप लगाती है कि नपुंसकता के कारण पत्नी को मानसिक...

पति का दोस्त उसका रिश्तेदार नहीं, उस पर IPC की धारा 498ए के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट
पति का दोस्त उसका रिश्तेदार नहीं, उस पर IPC की धारा 498ए के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने हाल ही में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज FIR खारिज करते हुए फैसला दिया कि पति का पुरुष मित्र उसका रिश्तेदार नहीं है। इसलिए उस पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498ए के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।जस्टिस अनिल पानसरे और जस्टिस महेंद्र नेर्लिकर की खंडपीठ ने कहा कि उनके समक्ष प्रस्तुत आवेदकों में से एक पति का दोस्त है, जिसका नाम शिकायतकर्ता पत्नी ने अपने पति और उसके माता-पिता के खिलाफ दर्ज FIR में दर्ज किया।जजों ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें...

दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 वर्षीय बच्चे की सड़क दुर्घटना में मौत के मामले में FIR रद्द करने से इनकार किया, कहा- समझौता स्वीकार करना ब्लड मनी को वैध करना होगा
दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 वर्षीय बच्चे की सड़क दुर्घटना में मौत के मामले में FIR रद्द करने से इनकार किया, कहा- समझौता स्वीकार करना ब्लड मनी को वैध करना होगा

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार किया, जिसने लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए ई-रिक्शा को टक्कर मार दी थी, जिससे 5 वर्षीय बच्चे की मृत्यु हो गई।जस्टिस गिरीश काथपालिया ने उस समझौते को मान्यता देने से इनकार कर दिया, जिसमें आरोपी द्वारा मृतक बच्चे के कानूनी उत्तराधिकारियों को 1 लाख रुपये देने की सहमति बनी थी।अदालत ने टिप्पणी की कि इस तरह के समझौते को मंजूरी देकर FIR रद्द करना ब्लड मनी को वैध ठहराने जैसा होगा जिसे भारतीय क़ानून मान्यता नहीं देता।अदालत ने कहा,“कोई भी सभ्य...

राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर तुर्की कंपनी की सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के खिलाफ एक और याचिका खारिज
राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर तुर्की कंपनी की सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के खिलाफ एक और याचिका खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को तुर्की स्थित कंपनी सेलेबी ग्राउंड हैंडलिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक और याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार के नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में उसकी सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के फैसले को चुनौती दी गई थी।जस्टिस तेजस करिया ने फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज की। इससे पहले 5 जुलाई को एक समन्वय पीठ ने तुर्की स्थित कंपनियों सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और सेलेबी दिल्ली कार्गो टर्मिनल मैनेजमेंट...

मामूली वैवाहिक मुद्दों पर आवेश में दर्ज आपराधिक शिकायतें विवाह संस्था को कमजोर करती हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
मामूली वैवाहिक मुद्दों पर आवेश में दर्ज आपराधिक शिकायतें विवाह संस्था को कमजोर करती हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि विवाह एक अत्यंत सामाजिक रूप से प्रासंगिक संस्था है और जब बिना उचित विचार-विमर्श के, क्षणिक आवेश में, मामूली वैवाहिक मुद्दों पर आपराधिक शिकायतें दर्ज की जाती हैं, तो विवाह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जस्टिस विक्रम डी चौहान की पीठ ने आगे कहा कि जब ऐसी शिकायत दर्ज की जाती है, तो पक्षकार इसके निहितार्थों और परिणामों की ठीक से कल्पना नहीं कर पाते, जिससे न केवल शिकायतकर्ता, अभियुक्त और उनके निकट संबंधियों को, बल्कि एक संस्था के रूप में विवाह को भी असहनीय...

Illegal Title-Deeds | नगर परिषद प्रमुख की वह याचिका खारिज, जिसमें इस आधार पर सुरक्षा की मांग की गई ‌कि प्रति-हस्‍ताक्षरकर्ता पर कोई कार्रवाई नहीं हुई
Illegal Title-Deeds | नगर परिषद प्रमुख की वह याचिका खारिज, जिसमें इस आधार पर सुरक्षा की मांग की गई ‌कि प्रति-हस्‍ताक्षरकर्ता पर कोई कार्रवाई नहीं हुई

राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक नगर परिषद की अध्यक्ष की याचिका को खारिज कर दिया, जिन्हें अपने पद का दुरुपयोग कर अपने परिचित व्यक्तियों के पक्ष में "अवैध" तरीके से स्वामित्व-पत्र जारी करने के आरोप में निलंबित किया गया था। न्यायालय ने कहा कि अधिकारी इस आधार पर छूट का दावा नहीं कर सकती कि स्वामित्व-पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले किसी अन्य अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।राजस्थान हाईकोर्ट की पीठ ने नगर परिषद, करौली की अध्यक्ष द्वारा अपने निलंबन के विरुद्ध दायर याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका...

केवल एक पक्ष की ओर से औपचारिक हस्ताक्षर लंबित होने से पक्षों को मध्यस्थता के लिए भेजे जाने से नहीं रोका जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट ने वेदांता की याचिका स्वीकार की
केवल एक पक्ष की ओर से औपचारिक हस्ताक्षर लंबित होने से पक्षों को मध्यस्थता के लिए भेजे जाने से नहीं रोका जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट ने वेदांता की याचिका स्वीकार की

दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा है कि एक पक्ष द्वारा औपचारिक हस्ताक्षर लंबित होने मात्र से, जबकि दूसरे पक्ष ने मध्यस्थता खंड सहित समझौते की शर्तों को पढ़ने और समझने के बाद उस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, पक्षों को मध्यस्थता के लिए भेजे जाने से नहीं रोका जा सकता। याचिकाकर्ता ने मध्यस्थता अधिनियम की धारा 11(6) के तहत यह याचिका दायर कर विवादों के निपटारे के लिए प्रतिवादी द्वारा नामित मध्यस्थ की नियुक्ति की मांग की है।याचिकाकर्ता ने दलील दी कि केवल औपचारिक गैस बिक्री समझौते...

झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में गोमांस प्रतिबंध लागू करने के लिए उठाए गए कदमों पर DGP से हलफनामा मांगा
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में गोमांस प्रतिबंध लागू करने के लिए उठाए गए कदमों पर DGP से हलफनामा मांगा

झारखंड हाईकोर्ट ने कुरैशी मोहल्ला जैसे बाजारों के साथ-साथ रांची के अन्य हिस्सों में गोवंशीय मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए उठाए गए कदमों सहित पहले के निर्देशों पर की गई कार्रवाई के संबंध में पुलिस महानिदेशक से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है, जहां राज्य के कानून के तहत गोजातीय पशुओं का वध रोकना है।अदालत रांची की सड़कों पर पशुओं (पोल्ट्री पक्षियों सहित) को अवैध रूप से मारने और आम जनता को कंकाल दिखाने पर रोक लगाने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी संदर्भ के लिए, 2024 में एक आवेदन...

POCSO मामले में पीड़िता और आरोपी के बीच समझौता नहीं हो सकता, भले ही वे विवाहित हों: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
POCSO मामले में पीड़िता और आरोपी के बीच समझौता नहीं हो सकता, भले ही वे विवाहित हों: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पीड़िता और आरोपी के बीच समझौते के आधार पर पोक्सो अधिनियम के तहत दर्ज बलात्कार के एक मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया। आरोपी पर 13 वर्षीय पीड़िता के साथ बलात्कार का आरोप था। कथित तौर पर, याचिकाकर्ता पीड़िता को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया और उसके साथ रहने लगा। चार महीने बाद पुलिस ने उसे आरोपी की हिरासत से बरामद किया। वर्तमान मामले में धारा 363, 366-ए, 376, 34 आईपीसी और पोक्सो अधिनियम की धारा 4 और 12 के तहत अपराध दर्ज किए गए हैं।आरोपी ने पीड़िता से विवाह करने के...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत आदेश में नाम की गलती के कारण 17 दिन ज्यादा जेल में बंद व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत आदेश में नाम की गलती के कारण 17 दिन ज्यादा जेल में बंद व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया है, जो ज़मानत आदेश में उसके नाम की वर्तनी में मामूली गलती के कारण ज़मानत मिलने के बाद भी 17 दिन अतिरिक्त जेल में रहा। संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए, जस्टिससमीर जैन की पीठ ने ज़ोर देकर कहा कि ज़मानत आदेश में अभियुक्त के नाम की वर्तनी में मामूली गलती के आधार पर उसकी स्वतंत्रता पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।एकल न्यायाधीश ने अभियुक्त द्वारा दायर एक सुधार आवेदन पर यह आदेश पारित किया, जिसमें उसने बताया कि हाईकोर्ट के 8...

गंदे नाले से गुजरने से रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने PWD को राजपूताना राइफल्स के जवानों के लिए बैली ब्रिज हेतु सेना को 25 लाख अग्रिम देने का निर्देश दिया
गंदे नाले से गुजरने से रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने PWD को राजपूताना राइफल्स के जवानों के लिए बैली ब्रिज हेतु सेना को 25 लाख अग्रिम देने का निर्देश दिया

दिल्ली हाईकोर्ट ने लोक निर्माण विभाग (PWD) को राजपूताना राइफल्स के उन सैनिकों के लिए बेली ब्रिज का निर्माण शुरू करने हेतु सेना को 25 लाख रुपये की अग्रिम राशि देने का निर्देश दिया है जिन्हें हर सुबह अपने बैरक से परेड ग्राउंड की ओर जाते समय एक गंदे नाले से गुजरना पड़ता है।जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने आदेश दिया कि भुगतान प्राप्त होने के तुरंत बाद सभी एजेंसियों द्वारा समय-सीमा का पालन किया जाएगा।न्यायालय इस मुद्दे पर मीडिया रिपोर्ट पर न्यायिक संज्ञान लेने के...

आपराधिक मामला लंबित होने पर भी मृतक आश्रित को नौकरी से इनकार नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
आपराधिक मामला लंबित होने पर भी मृतक आश्रित को नौकरी से इनकार नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल आपराधिक मामले का लंबित होना अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता है और नियुक्ति देने के लिए नियोक्ता के विवेकाधिकार का उपयोग निष्पक्ष रूप से किया जाना चाहिए।यह आगे कहा गया कि जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया चरित्र प्रमाण पत्र अनुकंपा नियुक्ति के लिए किसी व्यक्ति के आवेदन पर विचार करने में कुछ महत्व रखता है। अवतार सिंह बनाम भारत संघ सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ध्यान में रखते हुए, जस्टिस अजीत कुमार ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नामित पुत्रों की तुलना में अलग रह रही पत्नी का फैमिली पेंशन पाने का अधिकार बरकरार रखा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नामित पुत्रों की तुलना में अलग रह रही पत्नी का फैमिली पेंशन पाने का अधिकार बरकरार रखा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अलग रह रही पत्नी के जो अपने पति से भरण-पोषण प्राप्त कर रही थी, पति द्वारा नामित पुत्रों की तुलना में उसकी मृत्यु के बाद फैमिली पेंशन पाने का अधिकार बरकरार रखा है।जस्टिस मंजू रानी चौहान ने कहा,"फैमिली पेंशन वैधानिक है और कर्मचारी के एकतरफा नियंत्रण से परे है। फैमिली पेंशन को कानूनी अधिकार माना जाता है दान नहीं।"याचिकाकर्ता के पति एक सहायक शिक्षक थे, जो 2016 में रिटायर हुए और 2019 में अपनी मृत्यु तक पेंशन प्राप्त कर रहे थे। उनकी मृत्यु के बाद याचिकाकर्ता ने फैमिली पेंशन...

किसी भी वर्ग के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं: गुजरात हाईकोर्ट ने अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व की कमी पर स्टेट यूसीसी पैनल के खिलाफ दायर याचिका खारिज की
'किसी भी वर्ग के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं': गुजरात हाईकोर्ट ने अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व की कमी पर स्टेट यूसीसी पैनल के खिलाफ दायर याचिका खारिज की

गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य के लिए समान नागरिक संहिता की आवश्यकता पर विचार करने के लिए गठित समिति के गठन के खिलाफ एक याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि समिति का गठन एक कार्यकारी आदेश के जरिए किया गया था और किसी वैधानिक प्रावधान के अभाव में, सदस्यों का चयन पूर्णतः राज्य के अधिकार क्षेत्र में है। अदालत ने आगे कहा कि केवल समिति गठित करने से यह नहीं कहा जा सकता कि किसी भी वर्ग के लोगों के प्रति पूर्वाग्रह उत्पन्न होता है, जबकि उनके लिए समिति के समक्ष समान नागरिक संहिता पर अपने विचार प्रस्तुत करने...

भारत में राष्ट्रपति पद के लिए संदर्भ: एक समृद्ध अतीत, एक संकटपूर्ण वर्तमान
भारत में राष्ट्रपति पद के लिए संदर्भ: एक समृद्ध अतीत, एक संकटपूर्ण वर्तमान

क्या राष्ट्रपति पद के लिए संदर्भ संविधान का दिशासूचक हैं या सरकार का शॉर्टकट?कल्पना कीजिए: किसी राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा एक कानून पारित किया जाता है। निर्वाचित प्रतिनिधि अपना काम कर चुके होते हैं। लेकिन फिर राज्यपाल विधेयक पर कार्रवाई करने से इनकार कर देते हैं, न तो उसे स्वीकृति देते हैं और न ही अस्वीकार करते हैं, जिससे वह महीनों, शायद सालों तक लंबित रहता है। इससे पूरी विधायी प्रक्रिया में देरी होती है और निराशा पैदा होती है। जनता का गुस्सा बढ़ता है और मीडिया सवाल उठाने लगता है।...