'समय की घोर बर्बादी': दिल्ली हाईकोर्ट ने BCCI टीम को टीम इंडिया कहने पर रोक लगाने वाली जनहित याचिका खारिज की
Amir Ahmad
8 Oct 2025 3:59 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया, जिसमें प्रसार भारती (जो दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो का संचालन करता है) को BCCI की टीम को भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेट टीम या टीम इंडिया के रूप में पेश करने से रोकने की मांग की गई थी।
एडवोकेट रीपक कंसल द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया कि इस तरह का चित्रण जनता को गुमराह करता है और राष्ट्रीय प्रतीकों के उपयोग को नियंत्रित करने वाले कानूनों का उल्लंघन करता है।
चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने स्वयं उपस्थित हुए कंसल से कहा यह कोर्ट के समय और आपके समय की घोर बर्बादी है।
शुरुआत में कंसल ने मामले में बेहतर दलीलें देने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज़ दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय मांगा।
कोर्ट ने इस अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कहा,
"क्या आपने BCCI का फैसला पढ़ा है? आपको दस्तावेज़ रखने के लिए समय तभी दिया जाना चाहिए, जब आप प्रथम दृष्टया यह दिखाने में सक्षम हों कि याचिका विचारणीय है। क्या जो कुछ भी आपके दिमाग में आएगा वह (याचिका का विषय) बन जाएगा।"
कंसल ने तर्क दिया कि BCCI एक निजी संस्था है और उसे टीम को टीम इंडिया कहने की अनुमति नहीं है। खासकर जब भारत सरकार से कोई मंजूरी नहीं है।
इस दलील को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की,
"यह क्या तर्क है? क्या आप कह रहे हैं कि टीम भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करती, जो टीम हर जगह जाकर खेल रही है। क्या वे गलत प्रतिनिधित्व कर रहे हैं? BCCI को भूल जाइए। अगर दूरदर्शन या कोई अन्य प्राधिकरण इसे टीम इंडिया के रूप में पेश करता है तो क्या यह टीम इंडिया नहीं है?"
जस्टिस गेडेला ने कंसल से पूछा कि क्या आज किसी निजी व्यक्ति को अपने घर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने से रोका गया, जिस पर वकील ने नकारात्मक जवाब दिया।
चीफ जस्टिस ने सख्त लहजे में टिप्पणी की,
"क्या आप जानते हैं कि वैश्विक स्तर पर खेलों में पूरा इकोसिस्टम कैसे काम करता है। क्या आप अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के नियमों से अवगत हैं, जो कहते हैं कि किसी भी राज्य का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। आपके अनुसार यदि खेल में सरकारी अधिकारी टीम का चयन करते हैं तभी वह टीम भारत का प्रतिनिधित्व करेगी। क्या आप ओलंपिक चार्टर से अवगत हैं या ओलंपिक आंदोलन से क्या आप जानते हैं कि अतीत में जब भी खेल महासंघ में सरकारी हस्तक्षेप हुआ है तो भारतीय ओलंपिक समिति ने बहुत कड़ा रुख अपनाया है।"
जस्टिस उपाध्याय ने कहा,
"हम आश्वस्त हैं कि यह रिट याचिका मुझे नहीं पता क्या है। आपको बेहतर जनहित याचिकाएं दायर करनी चाहिए।"
जस्टिस गेडेला ने इसमें जोड़ा,
"हम इसे खारिज करने को इच्छुक हैं।"
याचिका में कहा गया कि BCCI एक निजी सोसायटी है और इसे न तो राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) के रूप में मान्यता प्राप्त है और न ही RTI Act की धारा 2(h) के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में। इसमें आरोप लगाया गया कि दूरदर्शन और AIR जैसे सार्वजनिक प्रसारक द्वारा BCCI टीम को टीम इंडिया कहना Emblems and Names (Prevention of Improper Use) Act, 1950 और Flag Code of India 2002 का संभावित उल्लंघन है, क्योंकि यह जनता के मन में यह झूठा प्रभाव पैदा करता है कि BCCI को आधिकारिक या सरकारी दर्जा प्राप्त है।
कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए याचिका को समय की बर्बादी मानते हुए खारिज कर दिया।

