केवल पट्टे के विकल्प के साथ सेल एग्रीमेंट, मकान मालिक-किरायेदार संबंध समाप्त नहीं करता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
Shahadat
8 Oct 2025 9:06 PM IST

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि जब सेल एग्रीमेंट में संपत्ति को बेचने या पट्टे पर देने का विकल्प होता है तो मकान मालिक-किरायेदार संबंध बना रहता है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 54 के अनुसार,
"सेल एग्रीमेंट क्रेता के पक्ष में कोई स्वामित्व स्थापित नहीं करता, क्योंकि यह केवल विक्रय समझौता है, न कि संपत्ति का विक्रय या हस्तांतरण, जो विक्रय समझौते का विषय है।"
जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर ने टिप्पणी की:
"यदि यह केवल सेल एग्रीमेंट होता तो यह अनुमान लगाने की संभावना थी कि किरायेदारी समाप्त हो गई... चूंकि समझौता बेचने या पट्टे पर देने के विकल्प में था... किरायेदारी समाप्त नहीं होती।"
2015 में मकान मालिक प्रेम मोहिनी गुप्ता ने अपनी किरायेदार सुमित्रा देवी को मार्च, 2001 से किराया न चुकाने के आधार पर बेदखल करने के लिए एक किराया याचिका दायर की।
किराया नियंत्रक ने याचिका स्वीकार कर ली और किरायेदार को परिसर खाली करने का निर्देश दिया।
हालांकि, मूल किरायेदार की मृत्यु के बाद उनके बेटे श्याम लाल ने बेदखली आदेश के क्रियान्वयन से इनकार कर दिया और तर्क दिया कि मकान मालिक पहले ही सेल एग्रीमेंट के माध्यम से उन्हें संपत्ति बेचने के लिए सहमत हो चुके थे।
किराया नियंत्रक ने किरायेदार के बेटे की दलील स्वीकार की और माना कि सेल एग्रीमेंट के मद्देनजर पक्षों की स्थिति बदल गई। साथ ही टिप्पणी की कि यदि बेदखली याचिका दायर करते समय इस तथ्य का खुलासा किया गया होता तो मकान मालिक के पक्ष में बेदखली आदेश पारित होने की संभावना बहुत कम है।
व्यथित होकर मकान मालिक ने हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की।
हाईकोर्ट ने दोहराया,
"संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 54 के अनुसार, सेल एग्रीमेंट क्रेता के पक्ष में कोई स्वामित्व स्थापित नहीं करता, क्योंकि यह केवल विक्रय समझौता है, न कि सेल एग्रीमेंट की विषयवस्तु वाली संपत्ति का विक्रय या हस्तांतरण।"
इसके अलावा, हाईकोर्ट ने कहा कि यह केवल सेल एग्रीमेंट नहीं है, बल्कि संपत्ति को बेचने या पट्टे पर देने का एक विकल्प भी है।
इस प्रकार, अदालत ने माना कि यदि यह सेल एग्रीमेंट है तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि किरायेदारी समाप्त हो गई। हालांकि, समझौता विक्रय या पट्टे पर देने के विकल्प में है, इसलिए किरायेदारी समाप्त नहीं हुई।
Case Name: Prem Mohini Gupta v/s Sumitra (Deceased through LRs)

