हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूर्व स्टॉक ब्रोकर केतन पारेख के विदेश यात्रा के लिए 27 करोड़ जमा करने की शर्त रद्द की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूर्व स्टॉक ब्रोकर केतन पारेख के विदेश यात्रा के लिए 27 करोड़ जमा करने की शर्त रद्द की

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में पूर्व स्टॉकब्रोकर केतन पारेख को विदेश यात्रा के लिए 27.06 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश देने वाला आदेश रद्द कर दिया। पारेख पर 1990 के दशक के आखिर और 2000 के दशक की शुरुआत में सिक्योरिटीज मार्केट में बड़े पैमाने पर हेरफेर करने का आरोप है और उनके खिलाफ मुकदमा चल रहा है।जस्टिस एन जे जमादार की सिंगल बेंच ने कहा कि स्पेशल कोर्ट का यह निर्देश पारेख की ट्रायल में मौजूदगी सुनिश्चित करने से जुड़ा हुआ नहीं था।कोर्ट ने कहा,“उक्त राशि जमा करने का निर्देश 2 जनवरी, 2025 के...

AIIMS भारतीय जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों को स्टाइपेंड देने के लिए बाध्य है, विदेशी PG स्टूडेंट्स को नहीं: हाईकोर्ट
AIIMS भारतीय जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों को स्टाइपेंड देने के लिए बाध्य है, विदेशी PG स्टूडेंट्स को नहीं: हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS) भारतीय जूनियर रेजिडेंट्स को स्टाइपेंड देने के लिए बाध्य है, न कि विदेशी पोस्टग्रेजुएट मेडिकल ट्रेनी को।जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की डिवीजन बेंच ने कहा कि AIIMS को ऐसे पेमेंट उन घरेलू स्टूडेंट्स को प्राथमिकता के आधार पर करने चाहिए, जो भारतीय टैक्सपेयर्स के फंड के लाभार्थी हैं और जिनसे राष्ट्रीय हेल्थकेयर सिस्टम में योगदान करने की उम्मीद है।कोर्ट ने कहा,"विदेशी/स्पॉन्सर्ड स्टूडेंट्स को ऐसे फायदे देना...

छोड़कर जाने के लिए शादी के रिश्ते को हमेशा के लिए खत्म करने का इरादा होना चाहिए: एमपी हाईकोर्ट ने पति को तलाक देने से इनकार करने का फैसला सही ठहराया
छोड़कर जाने के लिए शादी के रिश्ते को हमेशा के लिए खत्म करने का इरादा होना चाहिए: एमपी हाईकोर्ट ने पति को तलाक देने से इनकार करने का फैसला सही ठहराया

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पति द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए, जिसमें उसने क्रूरता और छोड़कर जाने के आधार पर फैमिली कोर्ट द्वारा अपनी तलाक की याचिका खारिज करने को चुनौती दी थी, यह कहा कि छोड़कर जाने के आधार को लागू करने के लिए शादी के रिश्ते को हमेशा के लिए खत्म करने का इरादा साबित होना चाहिए।जस्टिस विशाल धागट और जस्टिस बीपी शर्मा की डिवीजन बेंच ने कहा,"अपीलकर्ता यह साबित नहीं कर पाया कि प्रतिवादी का इरादा हमेशा के लिए अलग होने का था या वह इस पक्के इरादे से ससुराल छोड़कर गई कि वह वापस नहीं...

हर लेवल पर बेईमानी: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहली नज़र में उत्तर प्रदेश के बर्थ सर्टिफिकेट सिस्टम की आलोचना क्यों कहा?
'हर लेवल पर बेईमानी': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहली नज़र में उत्तर प्रदेश के बर्थ सर्टिफिकेट सिस्टम की 'आलोचना' क्यों कहा?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य के बर्थ सर्टिफिकेट जारी करने के सिस्टम की कड़ी आलोचना की। हाईकोर्ट ने यह आलोचना उस वक्त की, जब उसे पता चला कि एक याचिकाकर्ता ने दो अलग-अलग बर्थ सर्टिफिकेट बनवाए, जिनमें जन्म की तारीखें बिल्कुल अलग-अलग हैं।यह देखते हुए कि यह सिस्टम "हर लेवल पर मौजूद बेईमानी की हद" को दिखाता है, जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की बेंच ने मेडिकल और हेल्थ डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को यह सुझाव देने के लिए बुलाया कि एक व्यक्ति को सिर्फ़ एक ही बर्थ...

गाड़ियों का मालिक होना ड्रग ट्रैफिकिंग से इनकम का नतीजा नहीं, एकतरफ़ा जानकारी: हाईकोर्ट हाईकोर्ट ने प्रिवेंटिव डिटेंशन रद्द की
'गाड़ियों का मालिक होना ड्रग ट्रैफिकिंग से इनकम का नतीजा नहीं, एकतरफ़ा जानकारी': हाईकोर्ट हाईकोर्ट ने प्रिवेंटिव डिटेंशन रद्द की

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रिवेंटिव डिटेंशन के मामले में कहा कि ड्रग ट्रैफिकिंग से गैर-कानूनी इनकम का अंदाज़ा लगाने के लिए पिटीशनर के पास दो गाड़ियों का मालिक होने पर राज्य का भरोसा एकतरफ़ा और गलत जानकारी पर आधारित था।चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और जस्टिस जिया लाल भारद्वाज की डिवीजन बेंच ने कहा:“दोनों गाड़ियों को महिंद्रा फाइनेंस से फाइनेंस किया गया। इसलिए यह इंप्रेशन दिया गया कि पिटीशनर गैर-कानूनी कामों में शामिल था। एकतरफ़ा जानकारी पर आधारित लगता है।”कोर्ट ने रिकॉर्ड किया कि पिटीशनर के पास...

30 साल की कानूनी लड़ाई के बाद पटना हाईकोर्ट ने गैर-कानूनी तरीके से नौकरी से निकाले गए सरकारी कर्मचारी को पूरा पिछला वेतन दिया
30 साल की कानूनी लड़ाई के बाद पटना हाईकोर्ट ने गैर-कानूनी तरीके से नौकरी से निकाले गए सरकारी कर्मचारी को पूरा पिछला वेतन दिया

पटना हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारी के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसे 1995 में नौकरी से निकाल दिया गया और राज्य को उसे वापस नौकरी पर रखने पर पूरा पिछला वेतन देने का निर्देश दिया।कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि 'नो वर्क नो पे' का नियम तब लागू नहीं होता, जब नौकरी से निकालना ही गैर-कानूनी हो। इस फैसले से याचिकाकर्ता की लगभग तीन दशक पुरानी कानूनी लड़ाई खत्म हो है, जो सही हक के लिए चल रही थी और न्यायपालिका की प्रक्रिया में निष्पक्षता और कर्मचारियों के अधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि हुई।मामले की...

“अटकलों पर आधारित”: प्रिया कपूर के बेटे ने करिश्मा कपूर के बच्चों की पार्टिशन याचिका का दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध किया
“अटकलों पर आधारित”: प्रिया कपूर के बेटे ने करिश्मा कपूर के बच्चों की पार्टिशन याचिका का दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध किया

दिवंगत उद्योगपति संजय कपूर की संपत्ति को लेकर चल रहे पारिवारिक विवाद में उनकी दूसरी पत्नी प्रिया कपूर के बेटे अज़ारियस एस. कपूर ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में करिश्मा कपूर के बच्चों—समायरा कपूर और कियान राज कपूर—द्वारा दायर मुकदमे का जोरदार विरोध किया।जस्टिस ज्योति सिंह की अदालत में पेश होते हुए सीनियर एडवोकेट अखिल सिब्बल ने कहा कि वादियों का पूरा मामला “सिर्फ अनुमान और कल्पना” पर आधारित है। “बच्चों को पहले से पता था कि वे वसीयत से बाहर हैं” — सिब्बल सिब्बल ने अदालत को बताया कि वादियों को...

आरोपों में बदलाव की मांग करने का अधिकार न शिकायतकर्ता को, न आरोपी को; यह शक्ति केवल अदालत के पास: इलाहाबाद हाईकोर्ट
आरोपों में बदलाव की मांग करने का अधिकार न शिकायतकर्ता को, न आरोपी को; यह शक्ति केवल अदालत के पास: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि धारा 216 दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत आरोपों में संशोधन या नया आरोप जोड़ने की शक्ति केवल न्यायालय के पास होती है। न तो शिकायतकर्ता और न ही आरोपी—किसी भी पक्ष को यह अधिकार नहीं है कि वे स्वयं आरोप जोड़ने/बदलने के लिए आवेदन कर सकें।जस्टिस अब्दुल शाहिद की एकलपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए वाराणसी के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/FTC-II के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक शिकायतकर्ता के आवेदन पर ट्रायल के बाद के चरण में आरोपी के विरुद्ध POCSO Act के कठोर...

पर्सनल लॉ के तहत चार शादी करना चाहता था मुस्लिम पति, हाईकोर्ट ने कहा- स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करने के बाद ऐसा नहीं किया जा सकता
पर्सनल लॉ के तहत चार शादी करना चाहता था मुस्लिम पति, हाईकोर्ट ने कहा- स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करने के बाद ऐसा नहीं किया जा सकता

झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि एक बार जब दोनों स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के तहत शादी कर लेते हैं तो एक्ट की धारा 22 के तहत वैवाहिक अधिकारों की बहाली से जुड़े नियम पूरी तरह से लागू होते हैं, भले ही वे किसी भी पर्सनल लॉ को मानते हों।कोर्ट ने पति की इस दलील को खारिज कर दिया कि मुस्लिम होने के नाते वह चार महिलाओं से शादी करने का हकदार है, इसलिए उसकी पत्नी का ससुराल छोड़ना गलत था।जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस राजेश कुमार की डिवीजन बेंच ने कहा कि वैवाहिक अधिकारों की बहाली सिर्फ कानून का नतीजा नहीं है।...

PMLA के तहत ED की तलाशी सिर्फ शिकायत में नामजद लोगों तक ही सीमित नहीं, इसमें अपराध से मिले पैसे रखने वाले लोग भी शामिल हैं: दिल्ली हाईकोर्ट
PMLA के तहत ED की तलाशी सिर्फ शिकायत में नामजद लोगों तक ही सीमित नहीं, इसमें अपराध से मिले पैसे रखने वाले लोग भी शामिल हैं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को साफ किया कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 17 प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सिर्फ उन लोगों के ठिकानों पर तलाशी लेने तक सीमित नहीं करती, जिनका नाम प्रॉसिक्यूशन शिकायत में है।जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनोज जैन की डिवीजन बेंच ने कहा कि तलाशी का प्रावधान उन लोगों पर भी लागू होता है, जिनके पास अपराध से मिले पैसे हैं। फिर भी उन पर किसी शेड्यूल्ड अपराध या मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का आरोप नहीं है।कोर्ट ने कहा कि PMLA की धारा 17 यह नहीं कहती कि तलाशी सिर्फ...

एमपी हाईकोर्ट ने हाईवे से 500 मीटर के अंदर शराब की दुकानें हटाने की मांग वाली PIL पर जारी किया नोटिस
एमपी हाईकोर्ट ने हाईवे से 500 मीटर के अंदर शराब की दुकानें हटाने की मांग वाली PIL पर जारी किया नोटिस

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (17 नवंबर) को एक पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन पर राज्य और केंद्र सरकारों को नोटिस जारी किया, जिसमें नेशनल और स्टेट हाईवे से 500 मीटर के अंदर स्थित सभी शराब की दुकानों को बंद करने या हटाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का सख्ती से पालन करने की मांग की गई।चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सर्राफ की डिवीजन बेंच ने निर्देश दिया,"नोटिस जारी करें। प्रतिवादी नंबर 2 और 3 की ओर से पेश हुए वकील ने नोटिस स्वीकार किया और निर्देश लेने के लिए समय मांगा है। दो हफ्ते बाद लिस्ट...

कैश फॉर क्वेरी प्रकरण : लोकपाल द्वारा CBI को मंज़ूरी के खिलाफ महुआ मोइत्रा की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा, अंतरिम राहत नहीं
कैश फॉर क्वेरी प्रकरण : लोकपाल द्वारा CBI को मंज़ूरी के खिलाफ महुआ मोइत्रा की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा, अंतरिम राहत नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा दायर उस याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने लोकपाल द्वारा CBI को चार्जशीट दाखिल करने की मंज़ूरी देने के आदेश को चुनौती दी है। हालाँकि अदालत ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि सभी पक्षों की दलीलें सुन ली गई हैं और निर्णय सुरक्षित रखा जा रहा है।अदालत ने यह निर्णय मोइत्रा CBI और शिकायतकर्ता निशिकांत दुबे की ओर से विस्तृत बहस सुनने के...

भोपाल में पेड़ काटने पर रोक: वनस्पति नष्ट करने पर हाईकोर्ट ने सीनियर अधिकारियों को तलब किया
भोपाल में पेड़ काटने पर रोक: वनस्पति नष्ट करने पर हाईकोर्ट ने सीनियर अधिकारियों को तलब किया

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 20 नवंबर को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि भोपाल में कोई भी पेड़ बिना कोर्ट की अनुमति के न काटा जाए, न छांटा जाए और न ही स्थानांतरित किया जाए। अदालत ने कहा कि अधिकारी “विकास” के नाम पर बड़े पैमाने पर पेड़ों को नष्ट कर रहे हैं।यह मामला तब उठा जब टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया कि PWD ने बिना अनुमति 488 पेड़ काट दिए। कोर्ट ने पहले भी PWD से पेड़ों की संख्या पर हलफनामा मांगा था, जिसमें बताया गया कि कुछ पेड़ों का प्रतिरोपण किया गया था, लेकिन राज्य के पास Tree...

कोर्ट नोटिस भेजने में नाकामी पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने डाक विभाग को फटकार लगाई
कोर्ट नोटिस भेजने में नाकामी पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने डाक विभाग को फटकार लगाई

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने डाक विभाग द्वारा एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोर्ट द्वारा जारी नोटिस को प्रेषित न किए जाने पर कड़ी नाराज़गी व्यक्त की है। न्यायालय ने इस स्थिति को “चौंकाने वाला” बताया और रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि नए तारीख़ के साथ ताज़ा नोटिस जारी किए जाएँ।समीक्षा याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि 14 अक्टूबर 2025 को प्रतिवादी को जारी नोटिस न तो वापस आया और न ही संबंधित पक्ष को सेवा हुआ। गौरतलब है कि आधिकारिक ट्रैकिंग सिस्टम में भी 'नो बुकिंग इन्फ़ॉर्मेशन' दिख रहा...

आप सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं जाते: हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगों को लेकर SIT जांच और नेताओं के खिलाफ FIR की मांग करने वाले पक्षकारों से पूछा
आप सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं जाते: हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगों को लेकर SIT जांच और नेताओं के खिलाफ FIR की मांग करने वाले पक्षकारों से पूछा

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों की स्वतंत्र SIT जांच कथित हेट स्पीच के लिए नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिकाओं के एक बैच पर 11 दिसंबर को सुनवाई के लिए लिस्ट किया।जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनोज जैन की डिवीजन बेंच ने पार्टियों से पूछा कि वे सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं जा सकते और वहां पेंडिंग एक मामले में इम्पलीडमेंट एप्लीकेशन क्यों नहीं फाइल कर सकते, जो उसी मटेरियल और तथ्यों पर आधारित है।याचिकाकर्ताओं में...

संसद के विंटर सेशन में शामिल होने के लिए सांसद अमृतपाल की पैरोल एप्लीकेशन पर 7 दिन के अंदर फैसला करें: हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा
संसद के विंटर सेशन में शामिल होने के लिए सांसद अमृतपाल की पैरोल एप्लीकेशन पर 7 दिन के अंदर फैसला करें: हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि वह NSA के तहत हिरासत में लिए गए सांसद अमृतपाल सिंह की संसद के विंटर सेशन में शामिल होने के लिए पैरोल की एप्लीकेशन पर 7 दिनों के अंदर फैसला करे हो सके तो सेशन शुरू होने से पहले।अमृतपाल पर खालिस्तानी अलगाववाद फैलाने और राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए खतरा पैदा करने का आरोप है।चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी ने सुनवाई के दौरान अमृतपाल की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट आरएस बैंस से यह भी पूछा कि वह किन टॉपिक पर...

50 पेड़ लगाने और कम्युनिटी सर्विस करने की शर्त के साथ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना मामले में दोषी को किया रिहा
50 पेड़ लगाने और कम्युनिटी सर्विस करने की शर्त के साथ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना मामले में दोषी को किया रिहा

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना में लापरवाही से मौत के लिए दोषी ठहराए गए एक युवक को प्रोबेशन दिया और सज़ा के सिर्फ़ सज़ा देने के तरीकों के बजाय सुधार के मकसद पर ज़ोर दिया।फ्रांसीसी जज और दार्शनिक मोंटेस्क्यू का ज़िक्र करते हुए जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज ने कहा,"हल्की लेकिन लगातार सज़ा का पक्का होना, कुछ समय के लिए कड़ी सज़ा देने से कहीं ज़्यादा रोकने वाला होता है। इस हमेशा रहने वाले सिद्धांत के आधार पर यह निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता लुधियाना के डिवीज़नल फ़ॉरेस्ट ऑफ़िसर से...

जांच का आदेश देने से पहले लोकपाल को सरकारी कर्मचारी की बात सुननी होगी: दिल्ली हाईकोर्ट
जांच का आदेश देने से पहले लोकपाल को सरकारी कर्मचारी की बात सुननी होगी: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि भारत का लोकपाल, लोकपाल और लोकायुक्त एक्ट 2013 के तहत अपनी शक्तियों के अनुसार, किसी सरकारी कर्मचारी को सुनवाई का मौका दिए बिना उसके खिलाफ जांच का आदेश नहीं दे सकता।जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की डिवीजन बेंच ने कहा,“सेक्शन 20 का कानूनी ढांचा इस बात में कोई शक नहीं छोड़ता कि जांच से पहले और जांच के बाद सुनवाई का मौका देना ज़रूरी है।”इसमें आगे कहा गया,“सेक्शन 20(3) में साफ तौर पर यह कहा गया कि जानकार लोकपाल संबंधित सरकारी कर्मचारी को सुनवाई का मौका...

2015 के सिविक इलेक्शन रूल्स के तहत वार्डों का डिलिमिटेशन पर्सनल शिकायतों के आधार पर नहीं किया जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
2015 के सिविक इलेक्शन रूल्स के तहत वार्डों का डिलिमिटेशन पर्सनल शिकायतों के आधार पर नहीं किया जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि 2015 के सिविक इलेक्शन रूल्स के तहत वार्डों की डिलिमिटेशन सिर्फ़ इसलिए नहीं की जा सकती, क्योंकि कोई एक व्यक्ति आबादी के बंटवारे से खुश नहीं है।कोर्ट ने आगे कहा कि डिलिमिटेशन मुख्य रूप से एडमिनिस्ट्रेटिव काम है, जिसमें मुश्किल ज्योग्राफिक, डेमोग्राफिक और बाउंड्री-बेस्ड बातें शामिल होती हैं।कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश म्युनिसिपल काउंसिल इलेक्शन रूल्स, 2015 के रूल 4 को दोहराया, जिसमें कहा गया:“इस रूल के हिसाब से, जहां तक हो सके, हर वार्ड की आबादी बराबर होगी, पूरे...

ब्राज़ील में यूएन पर्यावरण सम्मेलन में बोले जस्टिस एन.के. सिंह, सुप्रीम कोर्ट के पर्यावरणीय न्यायशास्त्र पर की बात
ब्राज़ील में यूएन पर्यावरण सम्मेलन में बोले जस्टिस एन.के. सिंह, सुप्रीम कोर्ट के पर्यावरणीय न्यायशास्त्र पर की बात

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह ने 13 नवंबर को ब्राज़ील के बेलेम में यूनाइटेड राष्ट्र पर्यावरण सम्मेलन (सीओपी-30) में बोलते हुए कहा कि कोर्ट के पर्यावरणीय न्यायशास्त्र में कई दशकों में एक बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका धीरे-धीरे प्रकृति को मुख्य रूप से इंसानों के फायदे के लिए एक स्त्रोत के रूप में देखने से हटकर इसे एक ऐसे अंदरूनी मूल्य के रूप में पहचानने लगी है जो बचाने लायक है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव भारत की अपनी विकास यात्रा को दिखाता है।जस्टिस सिंह ने भारत की...