हाईकोर्ट

सिर्फ़ शिकायतें दर्ज करना, भले ही बाद में वे झूठी पाई जाएं, मानहानि नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
सिर्फ़ शिकायतें दर्ज करना, भले ही बाद में वे झूठी पाई जाएं, मानहानि नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ़ शिकायतें दर्ज करना, भले ही बाद में वे झूठी पाई जाएं, अपने आप मानहानि का अपराध नहीं बन जाता।जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि मानहानि साबित करने के लिए यह दिखाना होगा कि आरोप प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से लगाए गए या इस जानकारी या विश्वास के साथ लगाए गए थे कि ऐसे आरोपों से प्रतिष्ठा को नुकसान होगा।कोर्ट ने कहा,"सिर्फ़ शिकायतें दर्ज करना, भले ही बाद में वे झूठी पाई जाएं, अपने आप मानहानि नहीं है, खासकर जब ऐसी शिकायतें कानून के तहत अधिकारियों से की जाती...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस को क्रिमिनल मामलों में ईमेल से निर्देश भेजने का निर्देश दिया, ICJS इंटीग्रेशन को तुरंत लागू करने को कहा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस को क्रिमिनल मामलों में ईमेल से निर्देश भेजने का निर्देश दिया, ICJS इंटीग्रेशन को तुरंत लागू करने को कहा

एक महत्वपूर्ण आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक (DGP) को यह सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी निर्देश जारी करने का निर्देश दिया कि जमानत और अन्य आपराधिक मामलों में निर्देश सामान्य मैनुअल तरीके के बजाय इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से खासकर ईमेल के ज़रिए, हाईकोर्ट के सरकारी वकील को भेजे जाएं।जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की बेंच ने यह निर्देश देते हुए कहा कि मौजूदा मैनुअल सिस्टम के तहत आपराधिक मामलों में पुलिस स्टेशनों से निर्देश मिलने में काफी देरी होती है।बता दें, बेंच को बताया गया कि मौजूदा चलन...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त यूपी धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत मीमियोग्राफिक स्टाइल में FIR दर्ज करने के खिलाफ राज्य अधिकारियों को चेतावनी दी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त यूपी धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत 'मीमियोग्राफिक स्टाइल' में FIR दर्ज करने के खिलाफ राज्य अधिकारियों को चेतावनी दी

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) ने उत्तर प्रदेश राज्य अधिकारियों को सख्त उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 के तहत मशीनी और रूटीन मामले दर्ज करने के खिलाफ चेतावनी दी।कोर्ट ने कहा कि विशेष कानून के 'सख्त' प्रावधानों को देखते हुए अधिकारियों को ज़्यादा सावधानी बरतनी चाहिए और "मीमियोग्राफिक स्टाइल" में FIR दर्ज करने से बचना चाहिए।यह टिप्पणी जस्टिस अब्दुल मोइन और जस्टिस बबीता रानी की डिवीजन बेंच ने प्रतापगढ़ जिले में एक पुलिस अधिकारी द्वारा साबिर अली के खिलाफ दर्ज की गई 'झूठी' FIR...

सज़ा पूरी होने और जुर्माने पर रोक के बावजूद 2 महीने से ज़्यादा समय तक हिरासत में रखा गया दोषी, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- आर्टिकल 21 का घोर उल्लंघन
सज़ा पूरी होने और जुर्माने पर रोक के बावजूद 2 महीने से ज़्यादा समय तक हिरासत में रखा गया दोषी, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- 'आर्टिकल 21 का घोर उल्लंघन'

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ़्ते एक दोषी को तुरंत रिहा करने का निर्देश दिया, जिसने पहले ही 10 साल की पूरी सज़ा काट ली थी। हालांकि, 27 लाख रुपये का जुर्माना न चुकाने के कारण उसे 2.5 महीने तक हिरासत में रहना पड़ा था।जस्टिस समीर जैन की बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट के जुर्माने की वसूली पर रोक लगाने के आदेश के बावजूद उसे हिरासत में रखना, "भारत के संविधान के आर्टिकल 21 में दिए गए मौलिक अधिकार का घोर उल्लंघन" है।अपीलकर्ता (विनोद कुमार) को फरवरी 2013 में ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया और उसे अधिकतम दस साल की...

तेज़ और लापरवाही से ड्राइविंग: लंबा ट्रायल, आरोपी का सुधारात्मक रवैया सज़ा कम करने के लिए काफ़ी: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
तेज़ और लापरवाही से ड्राइविंग: लंबा ट्रायल, आरोपी का सुधारात्मक रवैया सज़ा कम करने के लिए काफ़ी: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ट्रक ड्राइवर के खिलाफ़ तेज़ और लापरवाही से ड्राइविंग के लिए ट्रायल कोर्ट और अपीलेट कोर्ट द्वारा दर्ज किए गए दोषी पाए जाने के फ़ैसले को सही ठहराते हुए सज़ा के आदेश में बदलाव किया। साथ ही लंबे समय बीत जाने और कम करने वाली परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, मुख्य सज़ा को पहले ही जेल में बिताई गई अवधि तक कम कर दिया।जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज ने कहा,"मुझे लगता है कि लंबा आपराधिक ट्रायल और याचिकाकर्ता को होने वाली परेशानी, कुल सज़ा में से याचिकाकर्ता द्वारा पहले ही जेल...

सार्वजनिक स्थान पर जुआ खेलना संज्ञेय अपराध, बिना वारंट गिरफ्तारी व जांच वैध: इलाहाबाद हाईकोर्ट
सार्वजनिक स्थान पर जुआ खेलना संज्ञेय अपराध, बिना वारंट गिरफ्तारी व जांच वैध: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में यह स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक सड़क या सार्वजनिक स्थान पर जुआ खेलने का अपराध, जो पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट, 1867 की धारा 13 के तहत दंडनीय है, संज्ञेय (Cognizable) अपराध है, क्योंकि इस प्रावधान में पुलिस अधिकारी को बिना वारंट गिरफ्तारी का अधिकार दिया गया है।न्यायालय ने यह भी कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 2(सी) के आवश्यक निहितार्थों को देखते हुए, पुलिस ऐसे मामलों में मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति के बिना एफआईआर दर्ज कर जांच भी कर सकती है।जस्टिस विवेक कुमार...

स्त्रीधन, तोहफ़े पत्नी के भरण-पोषण का दावा खारिज करने के लिए आय का स्रोत नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
स्त्रीधन, तोहफ़े पत्नी के भरण-पोषण का दावा खारिज करने के लिए आय का स्रोत नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि स्त्रीधन, विरासत में मिली संपत्ति या पत्नी को उसके माता-पिता या रिश्तेदारों से मिले तोहफ़ों को आय का स्रोत नहीं माना जा सकता, ताकि पति से भरण-पोषण के उसके दावे को खारिज किया जा सके।जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि भरण-पोषण के दावे का आकलन पत्नी की वर्तमान कमाई की क्षमता और शादी के दौरान जिस जीवन स्तर की उसे आदत थी, उस स्तर पर खुद को बनाए रखने की क्षमता के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि उसके मायके के परिवार की वित्तीय स्थिति के आधार पर।कोर्ट ने इस बात पर भी...

सिर्फ इसलिए कि पति अच्छी कमाई करता है, पत्नी और बच्चों के लिए सैलरी का आनुपातिक हिस्सा भत्ते के तौर पर नहीं दिया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट
सिर्फ इसलिए कि पति अच्छी कमाई करता है, पत्नी और बच्चों के लिए सैलरी का आनुपातिक हिस्सा भत्ते के तौर पर नहीं दिया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

एक महत्वपूर्ण फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि सिर्फ इसलिए कि पति अच्छी कमाई करता है, इसका मतलब यह नहीं कि उसकी आय का एक आनुपातिक हिस्सा पत्नी और बच्चों को भत्ते के तौर पर दिया जाए।सिंगल-जज जस्टिस मंजूषा देशपांडे ने ऐसा कहते हुए एक महिला की याचिका खारिज की, जिसने अपनी दो बेटियों में से प्रत्येक के लिए 1 लाख रुपये मासिक भत्ते की मांग की थी।जज ने 12 दिसंबर को पारित आदेश में कहा,"पति द्वारा बताई गई आय की राशि पर पत्नी ने कोई विवाद नहीं किया। यह मानते हुए बिना स्वीकार किए कि पति द्वारा...

2017 की गाइडलाइंस के तहत बैंक ब्रांच शिफ्ट करने के लिए RBI की परमिशन ज़रूरी नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
2017 की गाइडलाइंस के तहत बैंक ब्रांच शिफ्ट करने के लिए RBI की परमिशन ज़रूरी नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत देने से इनकार किया, जिसने RBI की परमिशन के बिना इंडियन बैंक की ब्रांच को दूसरे गांव में शिफ्ट करने को चुनौती दी थी।याचिकाकर्ता, ग्राम प्रधान, ने ब्लॉक मऊ आइमा, तहसील सोरांव, जिला प्रयागराज में स्थित इंडियन बैंक की ब्रांच को दूसरी जगह शिफ्ट करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि इससे आस-पास के गांवों के साथ-साथ उनके गांव के लोगों को भी बहुत परेशानी होगी।यह दलील दी गई कि ब्रांच को दूसरे गांव में शिफ्ट कर दिया गया और बैंकिंग रेगुलेशन...

कानून को समावेश की ओर झुकना चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दृष्टिबाधित वन कर्मचारी को लाभ के साथ पिछली तारीख से प्रमोशन देने का निर्देश दिया
कानून को समावेश की ओर झुकना चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दृष्टिबाधित वन कर्मचारी को लाभ के साथ पिछली तारीख से प्रमोशन देने का निर्देश दिया

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 में बताए गए दिव्यांगता-आधारित भेदभाव से मुक्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार के समान गंभीरता और सुरक्षा के साथ माना जाना चाहिए - यह सुनिश्चित करते हुए कि किसी भी कर्मचारी को केवल दिव्यांगता के आधार पर विचार से बाहर न रखा जाए - पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को एक दृष्टिबाधित वन विभाग के कर्मचारी को वैधानिक दिव्यांगता कोटा के तहत पिछली तारीख से प्रमोशन और उसके साथ मिलने वाले लाभ देने का निर्देश दिया।जस्टिस संदीप...

अपील अदालत से ऐसी अपेक्षा नहीं: एमपी हाईकोर्ट ने एक पंक्ति में दिए गए बरी आदेश रद्द कर मामला पुनः सुनवाई के लिए भेजा
अपील अदालत से ऐसी अपेक्षा नहीं': एमपी हाईकोर्ट ने एक पंक्ति में दिए गए बरी आदेश रद्द कर मामला पुनः सुनवाई के लिए भेजा

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के एक मामले में अपीलीय अदालत द्वारा पारित पंक्ति के बरी आदेश रद्द करते हुए कड़ी टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि अपीलीय न्यायालय से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वह बिना कारण बताए संक्षिप्त और गैर-वक्तव्य (नॉन-स्पीकिंग) आदेश पारित करे।जस्टिस राजेंद्र कुमार वाणी की सिंगल बेंच ने कहा कि अपीलीय अदालत का दायित्व है कि वह न केवल ट्रायल कोर्ट के निष्कर्षों की समीक्षा करे, बल्कि साक्ष्यों और तर्कों की स्वतंत्र रूप से जांच करते हुए कारणयुक्त निर्णय दे। अदालत ने...

परीक्षा में असफल होने के बाद आवेदन पत्र में सुधार का दावा स्वीकार्य नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
परीक्षा में असफल होने के बाद आवेदन पत्र में सुधार का दावा स्वीकार्य नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी परीक्षा या भर्ती प्रक्रिया में असफल होने के बाद आवेदन पत्र में विवरण सुधारने की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती। अदालत ने कहा कि प्रत्येक अभ्यर्थी की जिम्मेदारी है कि वह ऑनलाइन आवेदन अंतिम रूप से जमा करने से पहले सभी जानकारियों की सावधानीपूर्वक जांच करे।जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की खंडपीठ ने कहा कि किसी भी परीक्षा के लिए आवेदन करने वाला उम्मीदवार यह अपेक्षा रखता है कि वह भरे गए विवरणों को सत्यापित करे और आवश्यक संशोधन समय रहते कर ले। अदालत ने यह भी...

योग्यता पूरी होने के बाद प्रवासी दर्जा पदोन्नति में बाधा नहीं बन सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
योग्यता पूरी होने के बाद प्रवासी दर्जा पदोन्नति में बाधा नहीं बन सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि एक बार वैधानिक नियमों के तहत पदोन्नति की पात्रता पूरी हो जाने के बाद किसी कर्मचारी का प्रवासी दर्जा उसके करियर की प्रगति को कमजोर करने का आधार नहीं बन सकता। अदालत ने यह भी दोहराया कि समान परिस्थितियों में कार्यरत व्यक्तियों के साथ अलग-अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता।चीफ जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस राजनेश ओसवाल की खंडपीठ ने शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (SKUAST), कश्मीर द्वारा दायर अपील खारिज करते हुए प्रवासी...

पोस्टमार्टम में शराब की गंध मिलने मात्र से मुआवजा नकारा नहीं जा सकता: कलकत्ता हाईकोर्ट
पोस्टमार्टम में शराब की गंध मिलने मात्र से मुआवजा नकारा नहीं जा सकता: कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि सड़क दुर्घटना में मृत व्यक्ति के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पेट से शराब की गंध पाए जाने मात्र के आधार पर उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत मुआवजे से वंचित नहीं किया जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि नशे में वाहन चलाने का आरोप तभी स्वीकार्य होगा जब इसे कानून के तहत निर्धारित तरीके से प्रमाणित किया जाए।जस्टिस बिस्वरूप चौधरी ने न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर अपील खारिज करते हुए तामलुक की थर्ड एडिशनल जिला जज...

अवैध अफीम बरामदगी मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर एमपी हाईकोर्ट सख्त, गृह विभाग के प्रमुख सचिव को किया तलब
अवैध अफीम बरामदगी मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर एमपी हाईकोर्ट सख्त, गृह विभाग के प्रमुख सचिव को किया तलब

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कथित अफीम बरामदगी से जुड़े मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए राज्य के गृह विभाग के प्रमुख सचिव को तलब किया। अदालत ने कहा कि तलाशी और जब्ती से संबंधित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के प्रावधानों का पालन न किया जाना बेहद चिंताजनक है। इस दिशा में अब तक क्या कदम उठाए गए हैं, इसकी जानकारी अदालत को दी जाए।जस्टिस सुभोध अभ्यंकर ने 9 दिसंबर को हुई सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी उस मामले में की, जिसमें आवेदक 29 अगस्त, 2025 से न्यायिक हिरासत में है। आवेदक का...

सच का पोस्टमार्टम: कैसे निष्पक्ष डॉक्टर एक जीवित बच्चे की गवाही का पोस्टमार्टम करते हैं?
सच का पोस्टमार्टम: कैसे निष्पक्ष डॉक्टर एक जीवित बच्चे की गवाही का पोस्टमार्टम करते हैं?

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत अभियोजन में, बाल पीड़ित की गवाही प्राथमिक साक्ष्य का गठन करती है, जबकि चिकित्सा साक्ष्य का उद्देश्य एक पुष्टित्मक भूमिका निभाना है। अधिनियम की धारा 29 मूलभूत तथ्यों के साबित होने के बाद अभियुक्त के खिलाफ एक वैधानिक अनुमान पेश करके इस स्थिति को और मजबूत करती है।इस कानूनी ढांचे के बावजूद, निचली अदालतें बार-बार अभियोजन को लड़खड़ाती हुई देखती हैं, न कि बच्चे की गवाही अविश्वसनीय होने के कारण, बल्कि इसलिए कि चिकित्सा परीक्षा और गवाही तटस्थता की आड़...

S.125 CrPC | पूर्व पति के साथ वैध पुनर्विवाह तभी माना जाएगा, जब मुस्लिम महिला की बाद की शादी का टूटना साबित हो: केरल हाईकोर्ट
S.125 CrPC | पूर्व पति के साथ वैध पुनर्विवाह तभी माना जाएगा, जब मुस्लिम महिला की बाद की शादी का टूटना साबित हो: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में साफ किया कि CrPC की धारा 125 के तहत मुस्लिम पुरुष और उसकी पूर्व पत्नी के बीच वैध पुनर्विवाह का अनुमान तभी लगाया जा सकता है, जब उसकी बाद की शादी उसके पूरे होने और टूटने का सबूत हो भले ही वे लंबे समय से साथ रह रहे हों।जस्टिस डॉ. कौसर एडप्पागाथ मुस्लिम पुरुष द्वारा दायर रिवीजन पर विचार कर रहे थे, जिसमें उसने फैमिली कोर्ट द्वारा अपनी पहली पत्नी को दिए गए मेंटेनेंस को चुनौती दी थी। पत्नी ने दावा किया कि दूसरे आदमी से अपनी दूसरी शादी टूटने के बाद उसने उससे दोबारा शादी कर...

राजस्थान हाईकोर्ट ने भारतीय मज़दूर के शव को वापस लाने में देरी पर सऊदी दूतावास को नोटिस जारी किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने भारतीय मज़दूर के शव को वापस लाने में देरी पर सऊदी दूतावास को नोटिस जारी किया

राजस्थान हाईकोर्ट ने नई दिल्ली में स्थित सऊदी अरब के दूतावास को याचिकाकर्ता के बेटे के शव को जल्द-से-जल्द वापस लाने के लिए नोटिस जारी किया, जो वहां काम करता था और नवंबर 2025 में उसकी मौत हो गई थी।जस्टिस डॉ. नूपुर भाटी की बेंच एक पिता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसका बेटा सऊदी अरब में वैलिड वर्क वीज़ा पर काम कर रहा था। 13 नवंबर, 2025 को उसकी मौत हो गई। हालांकि, आज तक वह उसके शव का इंतज़ार कर रहे हैं।कोर्ट ने राज्य के वकील की बात रिकॉर्ड की कि रियाद में कम्युनिटी वेलफेयर से मिले ईमेल के अनुसार...